हमे तुमसे प्यार कितना... - 10 - फिर वोही Poonam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

हमे तुमसे प्यार कितना... - 10 - फिर वोही

विराज गाड़ी की पीछे सीट पर बैठ कर अपने ड्राइवर और पीछे से आ रहे उसके गार्ड्स की गाड़ियों से घिरा निकल पड़ा था अपने दादाजी (शिव राज सिसोदिया) की मेहनत से खड़ी कंपनी (एसआरएस प्राईवेट लिमिटेड) में जाने के लिए।

एक ज़ोर दार झटका लगा और विराज का सिर झटके से आगे वाली सीट से टकराया और उसने अपना सिर दोनो हाथ से पकड़ लिया।

सर सर आप ठीक तो हैं.....ड्राइवर ने तुरंत पलट कर कहा।

हम्मम....! देखो क्या हुआ है बाहर। विराज ने तुरंत अपने आप को संभालते हुए कहा।

ड्राइवर बाहर आया एक पचपन के आसपास उम्र का व्यक्ति अपनी स्कूटर के साथ गिरा पड़ा था उसकी कार के सामने और दर्द से कराह रहा था। और एक लड़की उसको उठाने की कोशिश कर रही थी।


ऐ....तुम्हे हमारे साहब की गाड़ी के सामने ही आना था पता भी है कितने की है आज ही नई खरीदी है। सुबह सुबह ही मूड खराब कर दिया अब पूरा दिन कैसा जायेगा पता नही। उस ड्राइवर ने उस अधेड़ उम्र के आदमी पर चिलाते हुए कहा। अब इतने अमीर आदमी का ड्राइवर होना कोई छोटी बात तो नही अकड़ तो आ ही जाती है लेकिन लोग भूल जातें हैं की हैं तो वो इंसान ही ना।

उस लड़की ने उस आदमी को उठाते हुए कहा एक तो तुमने एक्सीडेंट किया इन्हे कितनी चोट आई ऊपर से इन्ही पर चिल्ला रहे हो शर्म आनी चाहिए तुम्हे।

मैडम आप बीच में ना पड़े आप जाइए यहां से और अपना काम कीजिए में अच्छे तरीके से जानता हूं ऐसे लोगों को अमीर लोगों की गाड़ियों के आगे जान बूझ कर आते हैं ताकि पैसे बना सके। ड्राइवर ने अपने हाथ की एक उंगली से उस अधेड़ उम्र के इंसान की तरफ इशारा करते हुए कहा।

में अपना काम ही कर रही हूं... उस लड़की ने गुस्से से कहा फिर उन बूढ़े आदमी को साइड में बिठा दिया और ड्राइवर की तरफ पलट कर उसकी तरफ आई और एक ज़ोर दार तमाचा जड़ दिया। ड्राइवर का एक हाथ अपने गाल पर और दूसरे हाथ की मुट्ठी भिच गई और आंखें गुस्से से लाल।

ड्राइवर को किसी से भिड़ा देख के विराज अपनी गाड़ी का गेट खोल बाहर आ गया और सारे गार्ड्स अलर्ट हरकत में।
ये तो वोही है....विराज के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।😊
और दूसरे ही पल चेहरा गंभीर हो गया। विराज अपने कदम बढ़ाने लगा। वोह लड़की उसके ड्राइवर पर बुरी तरह चिल्ला रही थी। विराज ने एक नज़र अपने ड्राइवर के गाल पर डाली फिर उस लड़की पर अपनी गहरी नज़र टिका दी।

देखिए मिस्टर! आपके ड्राइवर ने इनकी स्कूटी को पहले टक्कर मारी फिर उनकी मदद करने के जगह बहस कर रहा है। उस लड़की ने विराज की आंखों में देख के कहा।

मदद! हम्मम! कितने चाहिए तुम्हे! विराज से शांत भाव से कहा।

उस लड़की की हैरानी से आंखें फेल गई। और ड्राइवर अभिमान से टेड़ा मुस्कुरा दिया।

ओह! अमीर बाप की बिगड़ी औलाद। उस लड़की ने व्यंग से कहा।

विराज की गुस्से से आंखें छोटी हो गई।

अपने और अपने ड्राइवर के किए पर पछतावा होने की जगह तुम मुझे पैसों का रौब दिखा...... उस लड़की ने अपनी बात पूरी भी नही की थी की विराज ने अपने जेब से नोटों की गड्डी निकली और उस लड़की के मुंह पर फेक के मार दी।
फेकने की वजह से सभी नोट हवा में इधर उधर लहराने लगे। वोह लड़की स्तब्ध खड़ी थी। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कोई इतना घटिया भी हो सकता है।

तुम्हारी औकात से ज्यादा दिया है इसमें इस आदमी और इसके पूरे परिवार का इलाज हो जायेगा,,,,,,अगर और चाहिए हो तो ये मेरा कार्ड है ऑफिस आ जाना। विराज ने अपना विजिटिंग कार्ड उस लड़की के हाथ में थमाते हुए कहा।

विराज की गाड़ी तेज़ी से वहां से निकल गई। आस पास के कुछ लोगों ने पैसे इक्कठे किए और उस आदमी के हाथ में पकड़ा दिए। उस आदमी ने अपनी नम आंखों से वोह नोटों का बंडल और कार्ड उस लड़की के हाथ में रखते हुए कहा "आज कल के बच्चे बड़े ही बदतामीज़ हो गए है। उन्हे अच्छे बुरे की पहचान ही नहीं रह गई है। मुझे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हुआ यह सब देख के। लेकिन तुम अलग हो तुम्हे देख के लगता है आज कल के ज़माने में भी अच्छे लोग बचे हैं। मेरी चिंता मत करो में ठीक हूं। तुम अपना ख्याल रखना। उस अधेड़ उम्र के आदमी ने उस लड़की को अपनी पलके झपकाते हुए समझना चाहा।
वोह लड़की भी उनकी अनकही बात और आखों ही आंखों में कही बात शायद समझ चुकी थी तो वो हौले से मुस्कुरा दी। उस आदमी ने उसके सिर पर हाथ फेर कर अपना स्कूटर उठा कर चला गया था। और वो लड़की भी अपने रास्ते चली गई थी।


विराज गाड़ी में सीट से सिर टिकाए आंख बंद कर बैठा था। उसकी धड़कने तेज रफ्तार से दौड़ रही थी। वोह अपनी बढ़ती धड़कनों को काबू में करने की नाकाम कोशिश कर रहा था। उसे समझ नही आ रहा था की उसको गुस्सा अपने आप पर आ रहा है या उस लड़की पर।

सर.... हम पहुंच गए। ड्राइवर की आवाज़ सुन कर विराज अपनी सोच से बाहर आया।
जैसे ही ड्राइवर ने बाहर निकल कर पिछली सीट का दरवाज़ा खोला विराज तुरंत बाहर आ गया। और उसके सारे गार्ड्स चारों तरफ फैल गए। विराज आगे बढ़ने लगा फिर रुक कर ड्राइवर की तरफ देख कर बोला "अपने आज के पैसे लेकर तुम जा सकते हो। और याद रहे दुबारा अपनी शक्ल मत दिखाना।" इतना कह कर विराज तेज़ कदमों से अंदर चला गया।

अंदर जाते ही वो लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगा। रिसेप्शनिस्ट ने उसे रोकना चाहा लेकिन गार्ड्स ने उसे रोक दिया।
विराज अपने दो गार्ड्स सिकंदर और श्याम के साथ लिफ्ट में चला गया और सैकेंड फ्लोर पर पहुंच गया जहां कंपनीज़ के हाई अथॉरिटी स्टाफ के केबिन थे और कुछ सीनियर स्टाफ जो बड़े से हॉल में छोटे छोटे ओपन केबिन डेस्क पर बैठे काम कर रहे थे। लेकिन कुछ एरोगेंट्स और आलसी भी थे जो अपने सुपीरियर होने का फायदा उठा कर कॉफी पीते हुए इधर उधर घूम रहे थे अपने कलीग से गप्प करने के लिया।
विराज अपनी तेज़ नज़र से सबको देख रहा था।





ऑफिस में अपनी चेयर पर बैठी एक लड़की तेज़ी से एक फाइल के पन्ने पलट रही थी और उसी में अपनी आंखे गड़ाई हुई थी। तभी पीछे से दूसरी लड़की नेहा ने आते हुए कहा "आज किसका गुस्सा बेचारे ये नाजुक से कागजों पर उतारा जा रहा है मायरा मैडम"।
मायरा का मुंह बन गया लेकिन उसने अपनी नज़र फाइल पर गड़ाए रखी।
तुम्हारे कहर से कहीं ये फाइल के पन्ने जल ना जाए वैसे ही तुम्हारी आंखों में चारसो चालीस वोल्ट का करंट है जो अपने हॉट लुक से लड़को को बेहाल करके रखती हो आज कहां का गुस्सा उतारा जा रहा है। हार्दिक ने जबरदस्ती फाइल छीनते हुए मायरा से पूछा। वोह जान बूझ कर उसे और उकसा रहा था ताकि वो उसकी बात का जवाब दे क्योंकि नेहा के पूछने पर तो उसने अपने होंठों को सिल लिया था।

मायरा का मुंह और बन गया एक गुस्से भरी नजरों से हार्दिक को देख कर वोह वहां से कॉफी मशीन की तरफ चली गई थी अपने लिए कॉफ़ी बनाने। हार्दिक और नेहा उसे जाते हुए देखते रहे।

"लगता है आज हमारी प्रिंसेस का मूड खराब है, इनके मूड को ठीक करना होगा,,,,,लेकिन एक बात कहूं आप गुस्से में और भी ज्यादा प्यारी लगती हैं,,,,कहीं आपको मेरी ही नज़र ना लग जाए।" एक लड़का अपनी चेयर पर बैठे मुस्कुराते हुए अपने मन ही मन कह रहा था।


आज बाहर लंच पर चलोगी ज्यादा काम भी नही है और काफी दिन भी हो गए है कहीं बाहर गए हुए। एक लड़के ने कॉफी कप में डालते हुए मायरा के पास आ कर कहा जो की अपनी कॉफी का मग ले कर वहां से जाने ही वाली थी।

मायरा ने एक नज़र उस लकड़े को देखा और फिर वहां से यह कह कर चली गई की आज उसके पास टाइम नही है और ना ही कहीं जाने का मूड है इसलिए आज लंच कैंटीन में ही करेगी वोह भी अपनी मम्मी के हाथ का बना हुआ ही जो उसे रोज़ सुबह सुबह बना कर भेजती है।
उस लड़के को आगे कहने सुनने का मौका ही नही दिया था मायरा ने।

वोह लड़का अपना कप लेकर वापिस अपने डैस्क पर आ गया और इशारों ही इशारों में हार्दिक से कह दिया की वोह उसका दिया हुआ काम नही कर पाया।

हार्दिक, कियांश का इशारा समझ के उदास हो गया और अपने मन ही मन बड़बड़ाया "एक काम दिया था वो भी नही कर पाया ये कियांश का बच्चा, हुंह.." और फिर अपने खुराफाती दिमाग में आइडिया सोचने लगा की कैसे मायरा का मूड ठीक किया जाए।
एक छोटी सी मीटिंग रखी थी क्रिएटिव हैड ने जिसमे मायरा, नेहा, हार्दिक, कियांश, संजूमन और कुछ और स्टाफ भी शामिल थे इसलिए सब अब बिज़ी हो गए थे अपने काम में।



विराज अभी खड़ा ही था सामने से जाते हुए गुप्ता जी की नज़र अपने बॉडीगार्ड्स के साथ खड़े विराज पर पड़ी। उसको देखते ही गुप्ता जी की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। गुप्ता जी विराज को पहचान गए थे क्योंकि उसके साथ कई बार मीटिंग रूम में वीडियो कांफ्रेंसिंग पर विराज से बात कर चुके थे लेकिन बाकी का स्टाफ नही पहचानता था की यही है इस कंपनी एसआरएस (SRS) के मालिक विराज सिसोडिया जिसने अपने मात्र तीन साल के करियर में दो बार मैन ऑफ द ईयर का खिताब जीत रखा है जिसके शांत मिजाज़ और गुस्से से सभी वाकिफ हैं बस देखा कुछ गिने चुने लोगों ने है।

गुप्ता जी के हाथ में पकड़ा फोन उनकी पकड़ से छूट कर गिर गया था और माथे पर पसीने की बूंदे चमकने लगी थी। उन्हे तो यकीन ही नहीं हो रहा था मिस्टर विराज सिसोडिया अचानक यहां आ जायेंगे उनके सामने वो भी इतनी दूर से। उन्हे तो भनक भी नही लगी की कब विराज इंडिया में कदम रख चुका था अगर पहले पता होता तो अच्छे तरीके से स्वागत करते।

सर आप.....! गुप्ता जी चौंकते हुए बोले।
उनकी आवाज़ इतनी तेज़ थी की वहां माजूद सभी ने सुन लिया था और विराज ने भी। गुप्ता जी की बनती बिगड़ती शकल देखते हुए और उनकी नज़रों का पीछा करते हुए सभी स्टाफ के लोग विराज की तरफ देखने लगे थे। स्टाफ के लोग विराज को पहचानते तो नही थे लेकिन उसकी रौबदार शख्सियत देख के खड़े हो गए थे अपनी अपनी जगह की जरूर कोई बड़ा आदमी होगा क्योंकि गुप्ता जी ने भी उसे सर कहा था।

गुप्ता जी तेज़ कदमों से विराज के पास आ गए थे लेकिन विराज के गार्ड्स विराज के सामने दो कदम बढ़ कर खड़े हो गए थे जिससे गुप्ता जी को विराज के नज़दीक आने से रोक दिया था।
विराज ने हाथों के इशारे से अपने दोनो खास गार्ड्स सिकंदर और श्याम को हाथों के इशारे से पीछे जाने को कहा और वो दोनो इशारा समझ के पीछे हो गए थे।

गु....ड मॉ...र्निंग स.......स.....सर आ....प यहां अचानक मुझे तो कोई ख....खबर ही नहीं थी। गुप्ता जी बड़ी मुश्किल से अटक अटक कर अपनी बात कह पा रहे थे।
और उनकी हालत देख कर बाकी के लोग भी हैरान थे।

लगता है मेरा यहां आना आपको अच्छा नहीं लगा या शायद अचानक आना अच्छा नहीं लगा। विराज ने अपनी एक आईब्रोज़ ऊपर कर अचानक शब्द पर ज़ोर देते हुए कहा।

नही सर.....! ऐसा नहीं है लेकिन थोड़ा तो शौक लगा है आपको अचानक देख कर। गुप्ता जी अब संभालने की कोशिश करने लगे।

गुप्ता जी ने सभी स्टाफ की तरफ देख कर विराज का इस कंपनी के मालिक के रूप में परिचय कराया। सभी ने एक साथ उसे गुड मॉर्निंग विश किया।

गुप्ता जी ने हाथों के इशारे से विराज को आगे बढ़ने के लिए कहा और खुद आगे बढ़ने लगा। गुप्ता जी ने विराज को उसका केबिन दी खाया जहां कभी कभी महेश सिसोडिया बैठा करते थे जब भी वो यहां आते थे काम के सिलसिले में वरना बाकी के टाइम ये रूम बंद ही रहता था सिर्फ साफ सफाई के लिए रोज़ सुबह खुलता था। इस वक्त भी रूम एक दम साफ़ था।
विराज ने अपने गार्ड्स को बाहर ही रोक दिया था खुद गुप्ता जी के साथ केबिन में एंटर कर गया था।

कुछ देर बाद ही विराज ने बोर्ड मेंबर्स की मीटिंग बुलाई। यह मीटिंग काफी देर तक चलती रही।




पांचक मिल के ऑफिस की कैंटीन मैं एक लंबी टेबल के इर्द गिर्द अपनी अपनी कुर्सी पर बैठे लंच कर रहे थे। ("पांचक" यानी वोह पांच दोस्त संजुमन, हार्दिक, कियांश, नेहा और अपनी मायरा)
सभी शांत थे कोई कुछ नही बोल रहा था सिर्फ निवाला मुंह में डालने के लिए ही खुलता था फिर चबाने के लिए बंद हो जाता था।

सभी को शांत देखकर मायरा ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा "मुझे पता है आप लोग मेरी वजह से इतने चुप चाप बैठे हो मुझे भी खराब लग रहा है लेकिन साथ ही में बहुत खुश भी हूं की मुझे इतने अंडरस्टैंडिंग दोस्त मिले हैं आई लव यू ऑल।"
मायरा की बात सुन कर सभी के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई।

लेकिन तुम इतनी परेशान क्यों हो?? संजूमन ने अपना चश्मा ठीक करते हुए पूछा।

ऐसी कोई खास बात नही है बस किसीको सबक सिखाना है.....मायरा ने कहीं खोए हुए कहा।
















कहानी अभी जारी है......




धन्यवाद🙏