सरजमीं - (अन्तिम भाग) Saroj Verma द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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सरजमीं - (अन्तिम भाग)

उस रात शौक़त और फ़रज़ाना सारी दुनिया को भूलकर बस एकदूसरे की बाँहों में खो गए,उस दिन के बाद दोनों अपनी छोटी सी दुनिया में खुशहाल जिन्दगी जीने लगें,अब फ़रज़ाना कोचिंग की तरफ़ से बेफिक्र हो गई थी क्योकिं शौक़त ने कोचिंग का काम ठीक से सम्भाल लिया था,अब ज्यादातर शकुन्तला और शौक़त ही कोचिंग सम्भालते,फरज़ाना अब इत्मीनान से अपना स्कूल देखती और केवल दो घण्टों के लिए ही कोचिंग में पढ़ाने जाती।।
दिन ऐसे ही बीत रहें थें और फिर एक दिन फ़रज़ाना ने सबको खुशखबरी सुनाई,शौक़त बहुत खुश हुआ और फ़रज़ाना से बोला....
अब आपको ज्यादा काम करने की जुरूरत नहीं है,अब आप केवल आराम करेगीं।।
जनाब! हम बीमार नहीं हैं,हम माँ बनने वाले हैं और इस हालत में काम करने में कोई हर्ज नहीं है,जब हमे महसूस होगा कि काम करने की अब जुरूरत नहीं है तो हम छुट्टी लेकर घर बैठ जाऐगें,फ़रजाना बोली।।
लेकिन आपको ऐसी हालत में अपना ख्याल रखना चाहिए ना! शौक़त बोला।।
वो हम रख लेगें,आप हमारी फिक्र ना करें,फ़रजाना बोली।।
ठीक है बेग़म ! जैसी आपकी मर्जी,हम तो चाहते हैं कि हमारे घर नन्ही सी प्यारी सी आपकी तरह खूबसूरत बेटी आए जिसका नाम हम जन्नत रखेंगें,शौक़त बोला।।
तो आपने नाम भी सोच लिया,फ़रजाना बोली।।
वो तो हमने कब का सोच लिया था,जब हमारा निकाह़ हुआ था तब,शौक़त बोला।।
वाह...मियाँ! आप तो बड़े उस्ताद निकलें,फ़रजाना बोली।।
और क्या ? ऐसे ही थोड़े,आखिर हम भी कोई चींज हैं,हमारी भी कोई हस्ती है,शौक़त बोला।।
बस....बस रहने दीजिए,अपनी तारीफों के ज्यादा पुल मत बाँधिए,फ़रज़ाना बोली।।
तारीफ़ तो आपकी होनी चाहिए जो आपने हमसे निकाह़ किया,शौक़त बोला।।
आप से मौहब्बत जो की थी इसलिए निक़ाह़ भी आपसे ही किया,फ़रजाना बोली।।
और हमसे ऐसे ही हमेशा मौहब्बत करती रहिएगा,कभी हमसे दूर मत जाइएगा,नहीं तो हम मर जाऐगें आपके बिन,शौक़त बोला।।
तभी फ़रजाना ने अपनी हाथ शौक़त के मुँह पर रखते हुए कहा....
आज के बाद फिर कभी ऐसी बात मत कहिएगा...
और फिर फ़रजाना शौक़त के सीने से लग गई...

और उधर कानपुर में जीश़ान ,शौक़त की तहकीकात करने में जुट गया था,लेकिन शौक़त के ख़िलाफ़ उसे अब तक कोई भी सुबूत नहीं मिले थे,उसे ऐसा कोई भी सुराग ना मिल सका जिससे ये साबित होता हो कि शौक़त मुज़रिम है।।
जीश़ान परेशान था कि उसने आखिर शौक़त को कहाँ और कब देखा है? किसी केस के सिलसिले में तो कहीं उससे कोई मुलाकात तो नही हुई लेकिन जीश़ान सोच सोचकर थक चुका था लेकिन उसे कुछ भी याद ना आया और तब भी उसने हार ना मानी थी।।
अब फ़रजाना के बच्चे के आने का वक्त ज्यों ज्यों नज़दीक आता जा रहा था तो फ़रज़ाना ने महसूस किया कि इन दिनों शकुन्तला और शौक़त साथ में कुछ ज्यादा ही वक्त बिताते हैं लेकिन वो ये बात शौक़त से कह ना सकीं,हो सकता हो कि वें कोचिंग के सिलसिले में कुछ और ज्यादा काम रहे हो और ये सोचकर फ़रज़ाना चुप रह गई...
इसी तरह कुछ और महीने और बीत गए फ़रजाना ने एक खूबसूरत सी बच्ची को जन्म दिया,बच्ची के जन्म पर बहुत बड़ा सा जश्न रखा गया,बच्ची का नाम तो पहले से ही तय था कि उसका नाम जन्नत रखा जाएगा।।
अब फ़रजाना ने बच्ची की परवरिश के लिए अपने स्कूल से चाइल्ड केयर लीव ले लीं थीं,वो अब घर पर ही रहने लगी और शौक़त ज्यादातर वक्त कोचिंग में ही बिताने लगा,फ़रजाना को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर शौक़त इतना वक्त कोचिंग में क्यों बिताते हैं? क्या उनका मन नहीं करता कि वो भी जन्नत के साथ खेलें,ये माजरा फ़रजाना की समझ से परे था क्योकिं कोचिंग में बच्चे केवल शाम को आते थे तो शौक़त दिनभर कोचिंग में क्या करते हैं?
और एक दिन उसने शौक़त से पूछ ही लिया कि आख़िर आप दिनभर कोचिंग में रह कर क्या करते हैं?
शौक़त पहले तो गुस्सा हुआ फिर बात बिगड़ती देख उसने फ़रजाना से कहा ....
आप ! बेवज़ह हम पर शक़ कर रहीं हैं,कोचिंग में बैठकर हम पढ़ते रहते हैं,यहाँ जन्नत के रहते पढाई करना मुश्किल है,जन्नत को देखकर उसके साथ खेलने का मन करता है,बच्चों को पढ़ाने के लिए पढ़ने की जुरूरत भी तो होती है।।
शौक़त की बात पर उस समय तो फ़रजाना ने यकीन कर लिया लेकिन दिल अब भी शौक़त की कही बात मानने से इनकार कर रहा था और एक दिन वो जन्नत को अपने अम्मी-अब्बू के पास छोड़कर दोपहर के समय कोचिंग पहुँच ही गई,चूँकि उसके पास कोचिंग की डुप्लीकेट चाबी थी इसलिए वो आसानी से कोचिंग के भीतर पहुँच गई।।
वहाँ पहुँचकर उसने सब जग़ह की तलाशी ली लेकिन उसे कुछ नहीं मिला और जैसे ही वो स्टोर रूम का दरवाजा खोलकर उसके भीतर झाँकने वाली थी तभी दरवाजे पर उसने किसी की आह़ट सुनी वें शकुन्तला और शौकत़ थे,जैसे ही शौक़त ने देखा कि कोचिंग का गेट खुला है तो फौरन अन्दर आकर देखा तब तक फ़रजाना एक बेंच पर चुपचाप बैठ चुकी थी,उसने जैसे ही फ़रजाना को देखा तो उसके होश उड़ गए उसके माथें पर पसीना और चेहरें पर शिकन आ चुकी थी और शौक़त साथ में खड़ी शकुन्तला जी का भी यही हाल था .....
और उसने फ़रजाना से पूछा....
आप! और यहाँ इस वक्त,कुछ ख़ास काम था।।
जी! नहीं! क्या हम अपनी कोचिंग में नहीं आ सकते,फ़रजाना बोली....
आपकी कोचिंग है आप तो कभी भी आ सकतीं हैं,आप ऐसे अचानक आ गई ना तो हमें थोड़ा अज़ीब लगा,शौक़त बोला।।
यहाँ से गुज़र रहें थे तो सोचा कोचिंग भी होते चलें,फ़रजाना बोली।।
अच्छा किया आपने जो आप यहाँ आईं,वैसे जन्नत कहाँ है? शौक़त ने पूछा।।
हम उन्हें अम्मी-अब्बू के पास छोड़कर आएं हैं,फ़रजाना बोली।।
तो क्या आपको यहाँ आएं बहुत वक्त बीत गया ?शौक़त ने पूछा ।।
जी! नहीं! हम बिल्कुल अभी आए और आते ही इस बेंच पर तशरीफ़ रखते जा रहे हैं,फ़रजाना ने झूठ बोलते हुए कहा...
तो ठीक है आप घर जाकर आराम फ़रमाइए,हम भी आतें हैं आपके पीछे-पीछे,शौक़त बोला।।
जी! नहीं!आप भी हमारे साथ ही चल रहें हैं,शकुन्तला आण्टी से कहिए कि वें भी अपने घर जाकर आराम फरमाएं,शाम को मुलाकात होगी,फ़रजाना बोली।।
फ़रजाना ! आप अपने शौह़र को ले जाएं,मैं अभी यहीं रूकूँगी,शकुन्तला बोली।।
लेकिन क्यों शकुन्तला आण्टी? फ़रजाना ने पूछा।।
मैं घर जाकर भी क्या करूँगी? वहाँ कौन बैठा है मुझसे बात करने के लिए,यहीं रूककर बच्चों के लिए कुछ नोट्स तैयार कर लूँगी,शकुन्तला बोली।।
ठीक है तो आप यहाँ रूकें,हम लोंग चलते हैं फिर इतना कहकर फ़रजाना ने शौक़त का हाथ पकड़ा और घर की ओर निकल पड़ी।।
और उस दिन शौक़त दिनभर उदास रहा,उसे फ़रजाना का ये बर्ताव अच्छा नहीं लगा था,दूसरे दिन फिर से शौक़त सुबह से ही कोचिंग की ओर निकल गया,अब फ़रजाना के ये सब बरदाश्त से बाहर हो रहा था और तभी फ़रजाना के मोबाइल पर जीश़ान का काँल आया....
जीश़ान बेहद ही परेशान और घबराया था ,उसकी आव़ाज सुनकर ही फ़रजाना घबरा गई और फिर उससे पूछा....
क्या हुआ भाईज़ान? आप इतने परेशान क्यों हैं? सब ख़ैरियत तो है ना!
कुछ भी ख़ैरियत नहीं है फ़रज़ाना! जीश़ान बोला।।
क्यों? ऐसा क्या हो गया भाईज़ान? फ़रजाना ने पूछा।।
जिसका हमें शक़ था वही हुआ,जीश़ान बोला,
आप साफ-साफ क्यों नहीं बताते भाईजान?हमारी जान लेने पर क्यों आमादा हैं,फ़रजाना बोली।।
हमें शौक़त मियाँ के बारें में कुछ जानकारी मिली है,जीश़ान बोला।।
वो क्या भाईज़ान? फ़रज़ाना ने पूछा।।
तब जीश़ान बोला...
कुछ साल पहले जब हमारी नई नई पोस्टिंग हुई थी,तो कुछ आतंकवादी नौजवान लड़के पकड़े गए थे और हमारे ख्याल से शायद उनमें से एक शौक़त भी था,हमें ठीक से शकल याद नहीं उन सबकी ,बस कुछ धुँधला धुँधला सा याद है और उनमें से दो चार लड़के पुलिस की गिरफ्त से भागने में कामयाब हो गए थे,उन भागने वालों में एक शौक़त मियाँ भी थे,लेकिन तब उनका नाम मौहम्मद अली था।।
हम बहुत दिनों से इसकी तफ्तीश कर रहे हैं लेकिन कोई भी बड़ा सुराग पाने में नाकामयाब रहे,हमे आपसे कहते हुए बुरा लग रहा है कि हम शौक़त मियाँ को एक आतंकवादी बता रहें हैं लेकिन हम मजबूर हैं,इस वतन से कैसे नमकहरामी कर सकतें हैं?हमारा जमींर हमें इसकी इज़ाज़त नहीं देता,अगर शौक़त मियाँ गुनाहगार हैं तो हम अपना फ़र्ज निभाने से पीछे नहीं हटेगें,हमें अपने वतन की मिट्टी की कसम है।।
भाईजान! अगर ऐसा कुछ हुआ तो हम आपसे वायद़ा करते हैं कि हम भी पीछे नहीं हटेगें,फ़रजाना बोली।।
हमें आपसे यही उम्मीद थी,जीश़ान बोला।।
अब हम शौक़त मियाँ पर नज़र रखेगें और अगर हमें कुछ भी मालूम होता है तो फिर आपको ख़बर कर देगें,फ़रजाना बोली।।
बहुत ही हिम्मत का काम है,आप कर पाऐगी ,जीश़ान ने पूछा।।
भाईजान! भारत की बेटी हैं,इतनी हिम्मत तो रखते ही हैं,फ़रजाना बोली।।
अल्लाह ताला आपको कामयाबी दें,अब हम फोन रखते हैं और इतना कहकर जीश़ान ने फ़ोन काट दिया।।
और इधर जीश़ान की बात सुनकर तो जैसे फ़रजाना का चैन ही उड़ गया,वो शौक़त के बारें जानकारी हासिल करने की तरक़ीब निकालने लगी,रात को जब शौक़त लौटा तो फ़रजाना ने उससे पूछा....
आप कहाँ के रहने वाले हैं? ये आपने कभी नहीं बताया।।
हम पंजाब के रहने वाले हैं लेकिन आज आपको ये पूछने का ख्याल कैसे आ गया? शौक़त ने पूछा।।
जी! ऐसे ही,मन में बात आ गई,क्यों? ये पूछकर हमने कोई गुनाह़ कर दिया क्या?फ़रजाना बोली।।
जी! नहीं!चलिए खाना खाएं,बहुत भूख लग रही है,शौक़त बोला।।
जी! आप हाथ मुँह धोकर आइए,जब तक हम खाना लगाते हैं,फ़रजाना बोली।।
उस रात फ़रजाना ने शौक़त के साथ खाना खाया और फिर उससे कुछ नहीं पूछा,उसने सोचा वो कल भी कोचिंग सेन्टर जाकर वहाँ का मुआयना करेंगीं,शायद कोई सूबूत हाथ लग जाएं,यही सोचते सोचते वो सो गई,सुबह उसने शौक़त के जाते ही अपना काम करना शुरु कर दिया,पहले उसने जन्नत को अपने अम्मी-अब्बू के घर छोड़ा फिर कोचिंग सेन्टर आई,आज भी शौक़त कोचिंग से नदारद था,उसने मन में सोचा आखिर शौक़त मियाँ रोज़ जाते कहाँ हैं?
लेकिन आज उसने इत्मीनान से कोचिंग की तलाशी शुरू कर दी,तलाशी करते करते वो स्टोर रूम मेँ जा पहुँची,वहाँ की हालत देखकर वो दंग रह गई,क्योकिं वहाँ की दीवारों पर ना जाने भारत के कौन कौन से नक्शे थे,जिन पर लाल पेन से खतरे का निशान बनाया गया था,वहाँ उसे और भी बहुत सी चीजें मिलीं जो कि ये साबित करती थी कि इस कमरें में कुछ ऐसा चल रहा है जो देश के खिलाफ है।।
फिर कुछ गत्तो के बीच फरज़ाना को कुछ किताबें मिली जो कि पकिस्तान के पब्लिकेशन्स से पब्लिश थी और साथ में एक डायरी भी मिली जो कि शौक़त की थी,फ़रजाना ने डायरी खोली तो उसमें एक शख्स की फोटो चिपकी थी जीसके नीचे अब्बाहुजूर लिखा था,फ़रजाना ने एक और पेज़ पलटा तो एक और शख्स की फोटो चिपकी थी जिस पर भाईजान लिखा था,पेज और पलटा तो एक फोटो और चिपकी मिली जिस पर रफ़ीक लिखा था,फ़रजाना ने एक और पेज पलटा जिस पर शकुन्तला की फोटो थी और उसके नीचे अम्मीजान लिखा था ,इसका मतलब था कि शकुन्तला हिन्दू नहीं है वो ही शायद शौक़त की अम्मी है लेकिन अभी भी पूरा माज़रा फ़रजाना के पल्ले नहीं पड़ रहा था।।
ये सब जानकर उसके माथे पर पसीना छलक आया था,उसने मन में सोचा उसने एक देशद्रोही से निकाह़ किया है,ये तो हिन्दुस्तानी भी नहीं है,याह...अल्लाह..ये कैसा गुनाह हो गया हमसे?अब हम क्या करें? कौन से दोराहे पर जिन्दगी ने लाकर खड़ा कर दिया है हमें,क्या करें कुछ भी समझ नहीं आ रहा है,लेकिन सबसे पहले उसने सभी चीजों को वैसे का वैसे रख दिया जैसे वें थीं और चुपचाप कोचिंग सेन्टर में ताला लगाकर जन्नत को अम्मी के यहाँ से लेकर अपने घर आ गई,पहले तो वो जीभर कर रोई फिर मन को तसल्ली देकर समझाया,फिर वो कुछ देर के लिए सो गई।
शाम को शौक़त आया और उसके लिए ढ़ेर सारे पीले गुलाब और चाँकलेट लेकर,वो अक्सर ऐसा करता रहता था,उसे अच्छा लगता था पीले गुलाब देखकर फ़रजाना के चेहरे पर मुस्कान देखकर,लेकिन आज फ़रजाना नहीं मुस्कुराई,तो शौक़त को कुछ अजीब़ सा लगा,शौक़त ने फ़रजाना से वज़ह पूछी तो वो बोली...
आज सिर में दर्द है,देखिए ना खाना भी नहीं बनाया हमने अब तक।।
कोई बात नहीं आप आराम फरमाइए,खाना हम बना लेते हैं और इतना कहकर शौक़त हाथ मुँह धोकर रसोई में खाना बनाने में लग गया,शौक़त ने खाना लगाया लेकिन फ़रजाना से खाना खाया ना गया और बोली...
अब हम सो जाते हैं,हमारी तबियत ठीक नहीं है....
और फिर फ़रजाना सो गई लेकिन वो सोई नहीं थी सोने का केवल बहाना कर रही थी,उसने मन बना लिया था कि वो शौक़त के राज़ जानकार रहेगी, शौक़त को लगा कि फ़रजाना सो चुकी है और वो भी बिस्तर पर आकर लेट गया,लेकिन उस रात शौक़त ने ऐसा कोई काम नहीं किया कि फ़रजाना उस पर शक़ करें।।
दूसरे दिन फ़रजाना ने जीश़ान से फोन करके पूछा कि भाईजान एक हिडेन कैमरा चाहिए था कहाँ मिलेगा?,उसे हम कोचिंग में छुपा देगें और जो भी बातें शकुन्तला आण्टी और शौक़त के बीच होगीं तो हमें सब पता चल जाऐगीं।।
जीश़ान बोला....
फ़रजाना आप तकलीफ़ ना उठाएं,लखनऊ से कानपुर का रास्ता ज्यादा दूर नहीं है,हम आपको हीडेन कैमरा दे जाऐगें और ख्याल रखिएगा की शौक़त मियाँ को कोई भी शक़ ना हो कि आप उनकी मुखबिरी कर रहीं हैं।।
जी! भाईजान! हम याद रखेंगें ,फ़रज़ाना बोली।।
और फिर बहन भाई के बीच कुछ और बातें हुई....
दूसरे दिन जीश़ान एक मुनासिब जगह बताकर फ़रजाना को छोटा सा हिडेन कैमरा दे गया ,साथ में यूज करने का तरीका भी बता दिया और फिर फ़रजाना दूसरे दिन ही उसे कोचिंग में लगाकर आ गई...
एक दो दिन के बाद जब उसने उस कैमरें मे रिकार्ड बातें सुनी तो उसके होश उड़ गए.....
और उस रात को उसने बहुत जाय़केदार तरह तरह का खाना बनाया और एक टिफिन में शकुन्तला के लिए भी भेजा, फिर शौक़त और फ़रजाना ने साथ में खाना खाया फिर शौक़त के सोने के बाद उसने जीश़ान को मेसेज किया कि कल सुबह घर आकर आप सारे सुबूत ले जाएं और फिर खुद भी सो गई.....
सुबह जीश़ान ,फ़रजाना के घर पहुँचा तो उसे सारे सुबूतों के साथ शौक़त,फरज़ाना और जन्नत की लाश़ मिली जिन्हें देखकर जीश़ान रो पड़ा,साथ में एक ख़त भी था जिस पर लिखा था....

भाईजान! और हमारे प्यारे वतन,
अपने पूरे होश-ओ-हवाश में हम ये ख़त लिख रहें हैं,क्योकिं हमारे शौह़र ने हमारी उम्मीद तोड़ दी,हमारे अरमानों को चकनाचूर कर दिया ,हमने बहुत बड़ी ख़ता कर दी एक गद्दार और देशद्रोही से निक़ाह करके,हमारे शौह़र एक पकिस्तानी आतंकवादी हैं जो हमारे देश में छुपकर रह रहे हैं।।
साथ में उनकी अम्मीजान जिन्हें वो एक हिन्दू औरत शकुन्तला बताकर हमारे पास नौकरी के लिए लेकर आएं और हमने उन्हें नौकरी पर रख लिया उनका असली नाम मेहरून्निसा था,हमारे शौह़र के परिवार को जिनमें उनके अब्बाहुजूर,बड़े भाईजान और छोटे भाईजा़न शामिल थे,
उन्हें भारत की सेना ने मुखबिरी के चलते कश्मीर में मार दिया था,उसी का बदला लेने के लिए उनकी अम्मी और वें यहाँ लखनऊ में रहने लगें,हमें बहुत से सुबूत मिलें थे उनके खिलाफ जिनसे पता चला कि वें दोनों हमारे देश से नमकहरामी कर रहें थें हमें उम्मीद है कि पुलिस ने उन्हें बरामद कर लिया होगा,
हमने आत्महत्या इसलिए की कि आगें चलकर कल को हमें कोई गद्दार की बीवी ना बुला सकें,ये हम नहीं सुन सकते थें,इसलिए हमने अपनी जान से प्यारी बेटी को भी ज़हर दे दिया ताकि कल को कोई उसे भी गद्दार की बेटी कहकर ना पुकार सकें।।
हमने अपने और शौक़त के खानें में ज़हर मिलाया था और वही खाना हमने मेहरून्निसा के लिए भी भेज दिया अगर उन्होंने खाना खाया होगा तो वें भी अब तक इस दुनिया को अलविदा कह गईं होगीं,
हम अपने अब्बाहुजूर,अम्मीजान,भाईजा़न और भाभीज़ान से माँफी माँगना चाहते हैं कि हमारे इस कद़म से उन्हें बड़ा सदमा लगा होगा लेकिन हम मजबूर थे,हमारे लिए ये सह पाना मुश्किल था कि हमारे शौह़र एक देशद्रोही थे।।
हमने अपने वतन से हमेशा सच्ची मौहब्बत की है,अगर अल्लाह अगला जन्म दे तो हम इसी सरजमीं पर पैदा होना चाहेंगें,अल्लाह हमारे वतन को बरक़त और तरक्की बख्शें,इसकी शान कभी भी कम ना हो,हमेशा यही दुआ निकलेगी हमारे दिल से।।

सबको अलविदा....
भारत देश की बेटी फ़रजाना..
जयहिन्द....

चिट्ठी पढ़ते ही जीश़ान की आँखों में आँसू आ गए और फिर डी आई जी साहब बोले....
हमें गर्व है आपकी बहन और अपने इस देश की बहादुर बेटी पर,उन्होंने बहुत ही हिम्मत का काम किया अपनी सरजमीं के लिए कुर्बान हो गईं।।
अभी इन्सपेक्टर करन का फोन आया था उन्होंने शकुन्तला की लाश को को अपने कब्जे में ले लिया है।।

समाप्त...
सरोज वर्मा....