स्वच्छता का नन्हा सिपाही   Ratna Pandey द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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स्वच्छता का नन्हा सिपाही  

दो दिनों की छुट्टी के बाद युवान जब स्कूल आया तो वह बेहद ख़ुश था। वह अपने दोस्तों को बता रहा था, "मेरे घर में एक नया, नन्हा, प्यारा-सा दोस्त आया है पता है वह कौन है? मेरी गाय का बछड़ा। उसके साथ खेलने में बहुत मज़ा आता है।"

दस साल के युवान के सभी मित्र उसकी बातें सुनकर बहुत ख़ुश हुए और वह सब बछड़े को देखने युवान के घर आए। छोटा-सा बछड़ा इधर-उधर दौड़ रहा था। वह बार-बार अपनी माँ के पास जाता, मस्ती करता, यह सब देख कर युवान के सभी मित्र बहुत प्रसन्न हुए।

देखते-देखते दो महीने बीत गए, अब तो बछड़ा अपनी माँ के साथ बाहर भी जाने लगा। युवान रोज़ उसे उसकी माँ का दूध पीते हुए देखता और बहुत ख़ुश होता था। एक दिन युवान जब स्कूल से वापस आया तो उसने देखा कि बछड़ा बीमार था और दूध नहीं पी रहा था। वह बार-बार दर्द से कराह रहा था, उसकी तकलीफ़ देखकर युवान दुःखी हो गया। युवान के पापा ने तुरंत डॉक्टर को बुलाया।

डॉक्टर ने बछड़े को देखने के बाद कहा, "अरे इसके गले में तो प्लास्टिक अटका हुआ है इसलिए यह दूध भी नहीं पी रहा है, इसे जल्दी बाहर निकालना होगा वरना बछड़ा मर जाएगा। काफ़ी देर की कोशिश के बाद डॉक्टर ने बछड़े के गले से प्लास्टिक बाहर निकाल कर उसकी जान बचाई"

डॉक्टर ने युवान के पापा को चेतावनी देते हुए समझाया, "आप लोग ध्यान रखें कि आगे से यह प्लास्टिक ना खा पाए। आप लोगों की क़िस्मत अच्छी थी, जो आज मैं समय पर आ गया और बछड़े की जान बचा ली, वरना यह मर जाता।"

बछड़े की ऐसी हालत देखकर युवान रोने लगा, वह बहुत डर गया उसने अपनी माँ से पूछा, "मम्मा हम अपने बछड़े को कैसे प्लास्टिक से बचाएंगे?"

"युवान बेटा इसीलिए तो प्लास्टिक के उपयोग के लिए मना किया जाता है। तुम बच्चे वेफर, चॉकलेट आदि खाकर उसका प्लास्टिक इधर-उधर फेंक देते हो, जो सड़क पर बिखरा पड़ा रहता है और ऐसे ही किसी जानवर के पेट में चला जाता है"

बेटा हमारे देश में स्वच्छता अभियान इसीलिए चलाया जा रहा है। स्वच्छता सभी के लिए ज़रूरी है, इंसान हो या जानवर। घर के आसपास जो गंदगी हम फैलाते हैं उसमें ना जाने कितने मक्खी मच्छर एकत्रित होते हैं। वह हम सब को बीमार कर सकते हैं इसीलिए हम सभी को अपने घर और उसके आसपास की जगह को स्वच्छ रखना चाहिए।

"जैसे हमारे देश के वीर जवान देश की रक्षा दुश्मनों से करते हैं, उसी तरह से गंदगी जो हमारी सबसे बड़ी दुश्मन है उसके खिलाफ़ भी हमें एक जुट होकर लड़ना होगा और हाँ बेटा जीतना भी होगा"

"मम्मा मैं कैसे इस काम में सहयोग कर सकता हूँ," युवान ने जिज्ञासा वश पूछ लिया।

"बेटा तुम कभी भी कचरा इधर-उधर मत फेंको, सिर्फ़ कचरे के डब्बे में डालो और अपने मित्रो को भी जागरुक करो। हमें पूरे देश को अपना घर समझना होगा और अपने घर की तरह ही देश को भी स्वच्छ रखना होगा।"

"तुम्हें पता है युवान, वर्षों पहले महात्मा गांधी जी ने भी स्वच्छता के बारे में सभी को समझाया किंतु हमारे देशवासियों ने कभी उस पर अमल नहीं किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि हर जगह हमें गंदगी नज़र आती है। हमारी नदियाँ भी गंदी हो रही हैं और यहाँ तक कि जंगलों में भी प्लास्टिक खाकर जानवर मरने लगे हैं।"

"युवान तुम अभी छोटे हो और अभी से यदि इस अभियान से जुड़ोगे और अपने दोस्तों को भी साथ में ऐसा ही सिखाओगे तो फिर वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश भी दूसरे देशों की तरह स्वच्छ और सुंदर दिखाई देगा।"

"हाँ मम्मा मैं आज से ही स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ कर अपने देश के दुश्मन गंदगी के खिलाफ़ एक सच्चा सिपाही बनूँगा और अपने साथ अपने मित्रो को भी इस अभियान में शामिल करूँगा और अपने देश का सर हमेशा ऊँचा रखूँगा।"

"शाबाश युवान, मुझे तुम से यही उम्मीद है तुम इस स्वच्छता अभियान के नन्हें और सच्चे सिपाही बनना"

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)

स्वरचित और मौलिक