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सपना का सपना ?

एक सत्रह वर्षीय लड़की जिसका नाम था सपना ।वह अपने माता पिता की पाचवी सन्तान थी । उसके चारो भाईयो को जितना प्यार घर वालों से मिलता था उसका एक हिस्सा भी उसे कभी नसीब न होता था। जब वह पाँच साल की थी तो उसने निश्चय किया की वह एक IAS ऑफिसर बनेगी।उसके भाई जहा गाव से दूर शहरो मे पढते थे वही उसे गाव के ही एक सरकारी इंटर कॉलेज मे पढ़ना पड़ता था। सपना एक बुद्धिमान छात्रा थी।वह अपने कक्षा मे प्रथम आती और जब उसने 10 की परीक्षा दिया तो उसने पूरे जिले मे प्रथम स्थान प्राप्त किया।वह बहुत खुश थी परन्तु परिवारवाले और गावँ के लोग उससे हमेशा कहते की तुम एक लड़की हो पढ लिखकर क्या करोगी जब तुम्हे शादी ही करके चुल्हा चौका ही करना है तो। लेकिन इन सब बातो का उसपर कभी असर नही हुआ वो मेहनत से पढती गयी जैसे कोई सच्ची प्रेमिका अपने प्रेमी का सीद्द्त से इन्तजार करती है उसी प्रकार उसे भी लगता था की शायद एक दिन उसे भी उसकी मंजिल मिलेगी। बारहवीं की परीक्षा मे उसने पूरे देश मे दूसरा स्थान प्राप्त किया। हर जगह इसकी चर्चा थी लेकिन अपने पुराने विचारधारा की वजह से परिवार के लोग स
उसके ऊपर शादी का दवाब बनाने लगें
वह निराश थी उसने अपनी माँ से बात की माँ ने भी मना कर दिया । पर वो कहते है ना जब लगन सच्ची हो तो इश्वर भी साथ देते है ऐसा ही कुछ उसके साथ भी हुआ उसका बडा भाई अपनी को इतना निराश न देख सका अत: उसने विश्विद्यालय का प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कर दिया और चोरी छुपे उसको परीक्षा भी दिलवाई। सपना ने परीक्षा पास कर लिया। अब प्रवेश लेने के लिये पैसों की जरुरत थी पर उसके घर पर सबने उसके भाई को इसके लिये बहुत सुनाया और उसको पैसे देने भी बन्द कर दिया गया था। परन्तु अपनी बच्ची की इतनी लगन को देखकर उसकी माँ का दिल भर आया और उसने अपने सारे बचाए गये पैसे सपना को दे दिये लेकिन यह बहुत कम था इसलिये माँ ने अपने पाती यानी की सपना के पिता जी के जेब से पैसे चुराकर उसे दे दिया। विश्वविद्यालय मे प्रवेश तो हो गया था लेकिन सपना और उसकी माँ से सारे लोग नाराज थे इसलिये फीस देने के लिये कोई राजी न हुआ यहा तक की सपना के माँ को ताने भी मारा जाने लगा लेकिन सपना ने किसी तरह बच्चो को ट्यूशन पढा कर फीस का भी इन्तजाम किया।
3 साल बाद सपना ग्रेजुएट हो चुकी थी। आज फिर एक बार उसके बड़े भाई ने मदद की उसने UPSC का फार्म भर दिया । सपना ने किसी तरह चोरी से ही प्री और मेन्स उत्तीर्ण कर लिया था। लेकिन इधर सपना के ऊपर शादी का भी दबाव बढ्ने लगा सबने उसकी शादी भी तै कर दी थी। सपना को इन सब से कोई मतलब नही था लेकिन समस्या यह आई की जिस दिन उसकी शादी थी उसी के एक दिन बाद इंटरव्यू । सपना को किसी तरह जाना था लेकिन घर वालों को पहले ही आशन्का थी की सपना शादी से बचने की पूरी कोशिश करेगी इसलिये उसकी चाची ने उसके शादी वाले दिन सुबह से ही कमरे मे बन्द कर दिया था। अब उसकी माँ भी कुछ नही कर सकती थी और ना ही भाई। शाम को सपना शादी के लाल जोड़े मे बैठी अपने सपनो को आग मे जलता देख रही थी उसे तो यह भी नही मालुम था की शादी के बाद उसे भी लाखो औरतो की तरह दहेज के लिये जला दिया जायेगा या किसी सेवीका की तरह जिन्दगी भर उंगलियो पर नचाया जायेगा उसके मन मे बार बार यही पंक्तियाँ आ रही थी --


गर्भ से बचकर आयी बिटिया रानी,
पिता के उतर गए कपड़े,
सोच कैसे बजेगी सहनाई,
ताने सह रही माँ मरदानी,
हाय! स्त्री तेरी यही कहनी।
घर से निकली जब हुई सयानी,
सड़क पर देखे सबकी निगरानी,
क्या यह है वही समाज जो कहे,
स्त्री को लक्ष्मी महारानी,
हाय! स्त्री तेरी यही कहनी।
आधा - अधुरी करके पढ़ाई,
बनाने को आयी बहूरानी,
दहेज न ला कर बैठी सैतानी,
रोते रोते हुई सुबह सुहानी,
हाय! स्त्री तेरी यही कहनी।
आग में जलती घर की रानी,
काम करते करते खत्म हुई जवानी,
सिर पर जिसके है आँचल
और आँखों में खूनी पानी,
हाय! स्त्री तेरी यही कहनी।


(- प्रिया मौर्या )

लेकिन उसने फिर निश्चय किया की वो अपने सपनो को ऐसे ही नही कुचलने देगी। कुछ देर मे बारात आ चुकी थी । चारों तरफ शहनाई की आवाजे आ रही थी। शादी के मंडक मे जब दुल्हन को बुलाया गया तो सपना की मम्मी , चाची और कुछ औरते उसको लाने उसके कमरे मे जाती है तो यह क्या ! खिडकी खुली थी और सपना भाग चुकी थी। यह बात हर जगह फैलते देर ना लगी हर जगह लोग उनके परिवार के इज्जत की धज्जिया उड़ा रहे थे। कोई बोलता किसी आदमी के साथ चक्कर रहा होगा तभी भाग गयी तो कोई बोलता न जाने कैसे संस्कार दिये है इन लोगो ने अप्नी लड़की को । सपना के माँ और पिता जी भी रो रो कर बोल रहे थे-" भगवान ऐसी बेटी किसीको ना दे काश हमने इसे पहले ही मार दिया होता तो हमे यह दिन न देखने पडते।" इधर सपना के दुसरे छोटे भाई ने ही उसे अपने किसी दोस्त के घर भेज दिया था। शायद उसको भी आज रक्षबन्धन की वो कसमे याद आ गयी होंगी। सपना ने दुसरे दिन इंटरव्यू दिया और लगभग 2 महीने परिणाम आने तक वही छुपी रही। जिस दिन परिणाम आया उस दिन उसकी धडकने बहुत तेज थी क्योकि इसके बाद उसका अन्त ही था लेकिन परिणाम घोषित होते ही मानो हर तरफ सपना के नाम की ही माला जपा जा रहा था टीवी से लेकर अकबार तक मे सपना छाई हुई थी आखिर उसने पुरे भारत मे टॉप जो किया था। आज सपना घर वापस आई और जैसा की उम्मीद थी उसके विपरीत आज उसके ऊपर सबको नाज हो रहा था जो रिश्तेदार , गांववाले और परिवार के लोग उसे ऊपर लालछन लगा रहे थे वो आज कह रहे थे की बेटी हो तो सपना जैसी। उसके माता पिता को भी अपनी गलती का अहसास हो रहा था।
लगभग 20 साल बाद आज सपना के माता पिता दोनो की कार दुर्घटना मे मौत हो गयी थी और शमशान घाट पर दोनो चिताये लकड़ियो पर सोयी हुई थी बहुत सारे रिश्तेदार थे दोस्त थे गाव के लोग थे सपना भी थी लेकिन इनको आग लगाने वाला कोई बेटा मौजुद नही था सब कही दूर माँ बाप को छोडकर जा चुके थे। पण्डित जी सारे क्रिया कर्म के बाद बेटे को अस्थियो मे आग लगाने के लिये बुलाते है लेकिन आज सपना के अलावा उनका कोई बेटा मौजुद नही था।

समाप्त:


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