पंछी अपने घर आकर अपनी माँ को आवाज़ लगाकर कहती है - मम्मा, मैं आ गयी और ऐसा बोलते हुए अपने रूम में चली जाती है। अपने रूम में जाकर वो ऋषि को कॉल करती है ऋषि उस समय अपनी बाइक में था वो अपनी बाइक को रोड़ के साइड करके मोबाइल को देखता है पंछी का कॉल आता हुआ था इसलिए वो वापस पंछी को कॉल करता है पंछी कॉल अटेंड करती हैं और कहती हैं - हैल्लो, ऋषि।
ऋषि - पंछी मैं अभी हर्ष के घर पर जा रहा हूँ ।
पंछी - ठीक है पर अभी कहा हो?
ऋषि - अभी तो रास्ते पर हु ,थोड़ी देर में पहुँचने में हूँ। बाद में कॉल करता हूँ।
पंछी - ठीक है ।
कुछ देर बाद ऋषि हर्ष के घर पहुच जाता है ऋषि और हर्ष दोनों हर्ष के रूम में बैठे हुए थे।
ऋषि कहता है - तुम कही जा रहे हो क्या ?
हर्ष - हां, पर तुम्हे कैसे पता ?
ऋषि - आज मेने कॉलेज में तुम्हारी T.C. की एप्लिकेशन देखी थी।
हर्ष - हां, मेने ही भेजी थी।
ऋषि -क्यों ?
हर्ष -क्योंकि मैं वापिस अपने घर जा रहा हूँ आगे की पढ़ाई वही से कम्पलीट करूँगा।
ऋषि - पर क्यों ?
हर्ष - घर पर कोई प्रॉब्लम है इसलिए ।
ऋषि - अंकल जी की तबियत खराब है ?उन्हें क्या हुआ है अब कैसे है?
हर्ष -पापा अब ठीक है पर मूझे उनके साथ रहना होगा।
ऋषि - इतनी बड़ी बात थी तो तुमने हमे पहले क्यों नहीं बताया था ।
हर्ष -सॉरी ऋषि, मैं बताने वाला था पर भूल गया था।
ऋषि- ठीक है, अब कब जा रहे हो?
हर्ष - कल सुबह निकल जाऊंगा।
ऋषि - ठीक है वहाँ जाकर मुझे कॉल करते रहना, भूल मत जाना। ज्यादा प्रॉब्लम हो तो मुझे बता देना, मैं तुम्हारी हेल्प कर पाया तो जरूर करूँगा।
हर्ष - ठीक है ऋषि , मैं तुम्हे कॉल करता रहूंगा। पर अब नाराज़ मत रहो, मैं बताना भूल गया था
ऋषि - मुझे पता चल गया इसलिए वरना तो तुमने आज भी मुझे नहीं बताया था।
हर्ष - सॉरी ऋषी!
ऋषी - ठीक है ठीक है , चलो माफ किया।
हर्ष - थैंक्स।
ऋषि - तुम अभी कही जा रहे हो क्या ?
हर्ष - हां मैं मार्केट जा रहा था तुम भी चलोगे क्या ?
ऋषि - नहीं अभी मुझे काम है, तुम जाओ।
हर्ष - ठीक है।
ऋषि - ठीक है मैं चलता हूं।
हर्ष -ह्म्म्म।
ऋषि दरवाजे तक पहुचता है तभी हर्ष पीछे से कहता है - ऋषि........... ?
ऋषि पीछे मुड़कर - हां ???
हर्ष - मैं तुम्हे बहुत मिस करूँगा। तुमने मेरा हमेशा साथ दिया है तुम मेरे बेस्ट फ्रेंड हो और तुम्हारी जगह कोई नहीं ले पायेगा।
ऋषि - मैं भी तुम्हे बहुत मिस करूँगा। इसलिए कह रहा हूँ कॉन्टेक्ट में रहना।
हर्ष - ह्म्म्म।
ऋषि - अब मैं जाता हूँ।
हर्ष - हां।
ऋषि घर से बाहर आ जाता है और अपनी बाइक से वापस अपने घर चला जाता है घर आकर वो पंछी को कॉल करता है
पंछी कहती हैं -हेल्लो ऋषी, हर्ष से मिल आये।
ऋषि-हां, अभी आया ही हु।
पंछी - अच्छा !!
ऋषि - पंछी, तुम्हे पता है हर्ष जा रहा है।
पंछी आश्चर्य से कहती हैं - जा रहा है ? कहाँ जा रहा है ?
ऋषि - हर्ष कॉलेज छोड़कर जा रहा है।
ये सुनते ही पंछी का दिल बैठ जाता है उसे विश्वास नहीं होता है कि हर्ष जा रहा है उसे बहुत दुख होता है और कहती है - ऐसे कैसे ?
ऋषि - उसके पापा की तबियत खराब है इसलिये वो अब उनके साथ ही रहेगा।
पंछी - ऐसा तो उसने कभी नहीं बताया।
ऋषि- हां, मुझे भी नही बताया। आज कॉलेज में एप्लीकेशन देखी थी उससे पता चला।
पंछी -तो वो अब वापिस नहीं आएगा।
ऋषि - वापिस की तो पता नहीं पर कॉलेज वहीं से करेगा तो अब कब मिलेगा पता नहीं।
हर्ष के जाने की बात सुन पंछी के आंसू लगातार बहे जा रहे थे। उससे बोला ही नहीं जा रहा था।
ऋषि दुबारा कहता है - हेल्लो ,पंछी।
लेकिन पंछी कोई जवाब नहीं देती है।
ऋषि- हेल्लो पंछी , तुम सुन रही हो ना ?
पंछी अपने आप को संभालते हुए कहती है -हा मैं सुन रही हूं, ऋषि मम्मी आवाज़ लगा रही हैं मैं बाद में कॉल करता हूँ ।
ऋषी - ठीक है।
पंछी कॉल कट करके अपने बेड के कोने में बैठ कर रोने लगती है और लगातार रोये जा रही थी झील रूम में आती है पंछी को देख वो घबरा जाती है और पंछी के पास आकर कहती है - पंछी क्या हुआ ?
पंछी कोई जवाब नही देती हैं तो वो दुबारा पूछती है पंछी क्या हुआ, मुझे टेंशन हो रही हैं।
अचानक से पंछी झील को गले लगा लेती है और रोने लगती है फिर कहती है - दी, बहुत दर्द हो रहा है।
झील - किसी ने कुछ कहा है क्या ?
पंछी - नहीं , किसी ने कुछ नहीं कहा, पर अंदर से बहुत दर्द कर रहा है धड़कन जैसे रुक सी गयी हो ।
झील - क्या हुआ है पंछी, ठीक से बताओ कि क्या हुआ।
पंछी - ऋषि का कॉल आया था उसने बताया कि हर्ष कॉलेज छोड़कर जा रहा है वो वापिस कभी नहीं आएगा, मैं उससे दुबारा नहीं मिल पाउंगी।
पंछी की ये बात सुन झील घबरा जाती है और कहती है - पंछी तुम क्या कह रही हो तुमने तो कहा था कि हर्ष सिर्फ तुम्हारा एक फ्रेंड है।
पंछी - हां, मैने कहा था लेकिन मेरे लिए दोस्त से ज्यादा है।
झील - तो अब क्या करोगी।
पंछी - कुछ नहीं।
झील - तुम ऋषि को सब कुछ क्यों नहीं बता देती।
पंछी - नहीं उसे बहुत ज्यादा दुख होगा, जितना मुझे हुआ है ना उससे कहि ज्यादा।
झील - पर सच तो ये ही है ना।
पंछी - नहीं, मैं नहीं बता सकती।
झील - मुझे नहीं पता कि तू चाहती क्या है लेकिन याद रखना मैं हमेशा तुम्हारे साथ हु और मुझे लगता है कि तुझे बता देना चाहिए ।
पंछी - नही।
झील - ठीक है लेकिन किसी को कुछ नहीं बताएंगी तो ऐसे तू खुश कैसे रहेगी हमेशा छुपा कर कैसे रखेगी।
पंछी -नहीं दी, बहुत जल्दी सब कुछ ठीक हो जाएगा। और ऐसा कहते हुए पंछी झील को टाइट गले लगा लेती है।
उधर हर्ष मार्केट जाकर वापिस अपने घर आ जाता है और अपना सामान पैक करने लगता है वो अपने कपड़े रख रहा होता है तब उसे याद आता है कि उसने गार्डन में वो पेपर उठाया था जो पंछी ने फेका था वो अपनी जेब में से वो पेपर निकालते हुए खिड़की के पास चला जाता है खिड़की से ठंडी ठंडी हवाएं अंदर आ रही थी वो पंछी का पेपर खोलता है और पढ़ने लगता है जैसे जैसे वो पढ़ रहा था उसके हाव भाव बदलते जा रहे थे। पढ़ते पढ़ते हर्ष की आंखे भर आती है उसे अहसास होता है कि पंछी भी उसके लिए वही महसूस करती है जो वो करता है पर वो इसे स्वीकार नहीं कर सकती। पूरा पढ़ कर वो बाहर खुले आकाश में देखने लगता है चारो तरफ अंधेरा हो चुका था वो कहता है - पंछी, अब मैं क्या करूँ , ये सब जानने से पहले मेरा यहाँ से जाना थोड़ा आसान था लेकिन अब कैसे जा पाऊंगा। लेकिन तुमने अगर यही फ़ैसला लिया है कि किसी को कुछ नहीं बताना है तो कोई बात नहीं ! तुम ये सब ऋषि के लिए कर रही हो, तुम उसे दुखी नहीं करना चाहती, इसमें मैं तुम्हारे साथ हु, तुम जो भी फैसला लोगी उसमे मैं तुम्हारे साथ हु।
ओर पेपर को अपनी किताबों के साथ रख देता है। लेकिन उस पेपर को पढ़ने के बाद वो बहुत दुखी हो जाता है वो पंछी को बहुत मिस करने लगता है वो खिड़की के पास बैठ कर मोबाइल में पंछी की फोटोज देखते हुए पुरानी यादें याद करने लगता हैं। तभी हर्ष जल्दी से अपनी पैकिंग करके अपनी कार लेकर निकल जाता है।
उधर पंछी का मन अभी भी उदास था वो अपने रूम से निकल कर झील से कहती है - दी, मैं अभी आती हु।
झील - अभी कहा जा रही है ?
पंछी - बाहर टहलने।
झील -ठीक है जल्दी वापिस आ जाना।
पंछी ह्म्म्म में जवाब देकर घर से बाहर निकल कर टहलने लगती है कुछ देर बाद टहलने के बाद वो वापिस अपने घर जाकर झील की स्कूटी लेकर निकल जाती है।
कुछ देर बाद हर्ष पंछी के घर के बाहर अपनी कार को रोकता है ओर पंछी के रूम की खिड़की पर देखने लगता है बहुत देर बाद भी पंछी नज़र नही आती है फिर भी पंछी की एक झलक के लिए वो वही रुक जाता है। पंछी अपनी स्कूटी में हर्ष के घर पर पहुचती है और हर्ष के रूम की खिड़की पर हर्ष के नज़र आने का इंतजार करने लगती है लेकिन बहुत देर होने पर भी वो दिखाई नहीं देता है तो वो वापिस अपने घर के लिए निकल जाती हैं। पंछी के रूम में झील आती है झील को देख हर्ष अपनी कार में ही छुप जाता है झील उस कार को देखती है लेकिन नज़र अंदाज़ करके चली जाती है बहुत देर तक पंछी के नही दिखने पर वो अपनी कार स्टार्ट करता है और वहाँ से निकल जाता है वहाँ से वो पास ही के कैफ़े के सामने अपनी कार को रोकता है हर्ष अपनी कार से निकल कर कैफ़े में जाता है तभी पीछे से पंछी निकल जाती है हर्ष को अचानक से पंछी के होने का अहसास होता है और पीछे घूम कर देखता है लेकिन वहाँ कोई नहीं था और वो कैफ़े के अंदर चला जाता हैं। पंछी अपने घर जाकर स्कूटी को रख अपने रूम में जाकर सो जाती हैं। अगले दिन सुबह ऋषि हर्ष के घर आता है और हर्ष को लेकर बस स्टैंड जाता है और हर्ष को जाने पर ऋषि वापिस आ जाता है।