बागी स्त्रियाँ - भाग आठ Ranjana Jaiswal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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बागी स्त्रियाँ - भाग आठ

अपूर्वा देख रही थी कि फादर बो की आँखों में उम्रदराज़ लोगों के प्रति हिकारत का भाव है।वे हमेशा युवाओं के साथ रहते हैं।प्रार्थना के बाद अक्सर वे अपने सफेद चोंगे को उतार कर पैंट- शर्ट पहन लेते हैं।कई बार तो उन्हें पहचानने में धोखा हो जाता है।दूर से वे कोई युवक ही नज़र आते हैं। वैसे भी उनकी उम्र अभी पचास से कम ही है।ऊपर से रख- रखाव, खान- पान, खेल- कूद के साथ निरन्तर जिम जाकर खुद को चुस्त -दुरुस्त रखते हैं।चेहरा- मोहरा भी खासा आकर्षक है।बड़ी -बड़ी आंखें ,सुतवां नाक,साफ रंग के साथ क्लीन शेव चेहरा।हालांकि सिर के पिछले हिस्से के बाल उड़ रहे हैं ,जो उनकी उम्र की चुगली कर जाते हैं।वैसे उनकी गति की तीब्रता सबको आश्चर्य में डाल देती है ।वे कभी लिफ्ट का प्रयोग नहीं करते ।चौथे माले से कुछ ही मिनटों में नीचे उतर आते हैं।एक बिल्डिंग से दूसरे बिल्डिंग तक कुछ ही मिनटों में मुआयना कर आते हैं ।सी -सी कैमरे से चारों तरफ की बिल्डिंगों की कक्षाओं पर नजर रखते हैं ।कहीं कुछ भी गड़बड़ दिखा,वहाँ भूत की तरह प्रकट हो जाते हैं। वे सफेद चोंगे में दूर से भूत ही लगते हैं।
उनको देखकर अपूर्वा को एक सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।वह भी पहले से बहुत ज्यादा एक्टिव हो गयी है।स्कूल में सबसे पहले वही पहुंचती हैं।उसने अपने कार्यकाल में एक भी छुट्टी नहीं ली है।अपना सारा काम वह समय से पहले ही पूरा कर लेती है।वैसे भी अपने विषय पर उसका पूरा अधिकार है और वह अपने विद्यार्थियों में बेहद लोकप्रिय भी है।वह कोशिश करके शिकायत का एक भी अवसर नहीं आने देती है।उसे लगता है कि अगर वे उसे भी औरों की तरह बुरी तरह डाँटेंगे तो उसका हार्ट फेल हो जाएगा।अपमान बर्दास्त करना उसके वश का नहीं है।
वह कभी उनकी या स्कूल के सम्बंध में नकारात्मक नहीं बोलती है क्योंकि उसे पता है कि उन्हीं के बीच उनके खबरी हैं और वे खुद भी कान के कच्चे हैं।
वह पूरी तरह स्कूल को समर्पित है ।वह अक्सर गाती है--जीना यहां,मरना यहां इसके सिवा जाना कहाँ?साथी टीचर हँसते हुए कहते हैं कि किसी दिन आपका भी मोह -भंग जरूर होगा।सभी जानते थे कि वह उन पर बहुत विश्वास करती है।उनके खिलाफ कुछ नहीं सुनती।वे किसी के साथ बुरा व्यवहार या अन्याय भी करते हैं तो भी वह सम्बंधित व्यक्ति को ही दोष देती है,उन्हें नहीं।
उसे नहीं पता था कि उसकी उपयोगिता ही उसे बचा रही है। वरना शायद ही कोई टीचर होगा,जो उनके गुस्से का शिकार न हुआ हो।पुराने उम्रदराज टीचर उनसे अधिक शिक्षित और योग्य हैं,पर वे उनका अपमान करने में भी पीछे नहीं रहते हैं।शायद वे अपने ईगो को इसी तरह से सैटिसफ़ाई करते हों।
यूं तो उनका चेहरा हँसमुख है।सबसे हँसकर ही बात करते हैं।विशेषकर छात्राओं और अभिभाविकाओं से,इसलिए सभी उन पर मोहित रहतीं हैं और उनकी प्रशंसा करतीं हैं।हर वर्ष एक- दो सुंदर छात्राएं जरूर उन पर आसक्त हो जाती हैं।वे उनके ऑफिस में घुसने के मौके तलाशती रहती हैं। वे भी उनसे हँस -हँसकर बातें करते हैं।।इसके कारण वे भरम में पड़ जाती हैं कि वे उन्हें पसन्द करते हैं।स्कूल छोड़ने के बाद भी वे काफी समय तक उनसे मिलने आती रहती हैं ।फिर शायद अपना कैरियर बनाने में लग जाती हैं या फिर उन्हें अहसास हो जाता है कि इन तिलों में तेल नहीं।
वे वर्ष में एक बार टीचर्स को टूर पर ले जाते हैं।बाल- बच्चेदार टीचर कम ही जाती हैं पर यंग और अविवाहित टीचरें ज्यादा जाती हैं। अपूर्वा को भी प्राकृतिक स्थलों पर घूमने का शौक है।अकेले घूम नहीं पाती है।टूर में उसको साथ मिल जाता है इसलिए वह टूर में अपना नाम अवश्य देती है।
पर हर टूर में वह महसूस करती है कि वे नई टीचरों के इर्द- गिर्द ज्यादा रहते हैं।उनके साथ फोटो खिंचवाने ,खुद उनका फोटो और वीडियो बनाने में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं ।कभी -कभार बेमन से उम्रदराज टीचर्स को भी ग्रुप फोटो में शामिल कर लेते हैं,जिनमें वह भी होती है।उसे बुरा तो लगता है पर वह सोचती है कि यह उनकी उम्र का असर है।प्रिस्ट हुए तो क्या, हैं तो एक पुरुष ही!टूर पर नई युवा टीचरें अभिनेत्रियों को मात करने वाली मॉर्डन व छोटे ड्रेस पहनती हैं।डांस करतीं हैं,स्विम करती हैं और वे भी कन्हैया जी बने रहते हैं।हालांकि कोई अशोभनीय आचरण उन्होंने कभी नहीं किया।न ही किसी के साथ विशेष इन्वाल्व ही दिखे।चरित्रगत अन्य कोई कमजोरी उसने तो उनमें कभी नहीं देखी, जबकि जेंट्स टीचर उनको और किसी न किसी गर्ल्स टीचर को लेकर आपस में खुसुर- पुसुर किया करते हैं।शायद इसलिए भी कि उन्हें उन लड़कियों से कोई भाव नहीं मिलता था।हीरो तो प्रिस्ट ही रहते हैं।
पर स्कूल लौटते ही वे फिर से कठोर और गम्भीर हो जाते हैं।काम लेने में वे उस्ताद हैं।जरा -सी भी ढिलाई या असावधानी उन्हें पसन्द नहीं है ।जो टीचर टूर में उनके खुले व्यवहार से शह पाकर काम में गलती कर जाते हैं ,उसको उसकी औकात दिखाकर जमीन पर ला देते हैं।अपूर्वा अब तक ये समझने लगी है कि वे किसी के नहीं हैं।उन्हें किसी से विशेष लगाव नहीं है।कभी -कभी किसी से मनोरंजन जरूर कर लेते हैं।उन्हें खुशी मिलती होगी कि इतनी सारी सुंदर स्त्रियाँ उनकी प्रशंसक हैं।
जवान हो रहे स्मार्ट छात्रों से उन्हें थोड़ी चिढ़ है क्योंकि वे उनकी दिल से इज्जत नहीं करते या फिर हमउम्र छात्राओं से अफ़ेयर चलाते हैं।जब वे उनके द्वारा पकड़ लिए जाते हैं तो वे उन्हें स्कूल से निकाल देते हैं, जबकि उनके समान दोषी लड़की स्कूल में बनी रहती है । टीचर हो या छात्र प्रेम -प्रसंग में सिर्फ मेल ही सज़ा पाते हैं फीमेल नहीं।उनकी यह दुहरी नीति उसे समझ में नहीं आती।