बुनियाद (पार्ट 4) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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बुनियाद (पार्ट 4)

उन दोनों की उम्र में पच्चीस साल का अंतर था।तो क्या हुआ?कुछ ने कुछ बात तो की ही जा सकती थी।पहले मारिया को हर पल अकेलेपन का एहसास सताता रहता था।लेकिन अब ऐसा नही था।अब वह अकेली नही,दो लोग थे उस द्वीप पर।
मारिया रात को बेटी को लोरी सुनाती,कहानी सुनाती,चांद तारे और जानवरों के बारे में बताती।अपने देश के बारे में बताती।
समय का चक्र रुकता नही है।वह अपनी गति से घूमता रहता है।पता ही नही चला कब समय गुज़र गया और जंगली जवानी की दहलीज पर आ खड़ी हुई।
एक दिन मारिया को हरारत महसूस हुई।ऐसा पहली बार नही हुआ था।उसे जुकाम,खांसी,बुखार आदि छोटी मोटी बीमारी होती ही रहती थीं।जो दो तीन दिन अपना असर दिखाती और सही हो जाती।लेकिन इस बार ऐसा नही हुआ।।बुखार चढ़ा तो उतरा ही नहीं।और धीरे धीरे टीबी में बदल गया।
उस निर्जन द्वीप पर सिर्फ दो प्राणी थे।मारिया और उसकी बेटी।न कोई डॉक्टर ,न कोई इलाज।बिना इलाज मारिया की बीमारी बढ़ने लगी।दिन प्रतिदिन उसका स्वास्थ गिरने लगा।जब तब उसे खून की उल्टी होने लगी।उसे आभास हो गया कि मौत धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ रही है।
जिंदगी और मौत सास्वत सत्य है।जिसका जन्म हुआ है उसकी मौत भी निश्चित है।वह इस बात को खूब अच्छी तरह जानती थी।इसलिए मौत से नही डरती थी।वह सोचती थी कि अच्छा होता जब जहाज समुद्र में डूबा था।तभी वह मर जाती। या इस द्वीप पर आयी तब जंगली जानवर उसे खा जाते।लेकिन ऐसा नही हुआ।अगर ऐसा हुआ होता तो जंगली तो इस संसार मे नही आती।उसके जाने के बाद वह अकेली रह जायेगी।मारिया जीना चाहती थी अपनी बेटी के लिए।लेकिन यह उसके हाथ मे नही था इसलिए बेटी को समझाती थी।अकेली रह जाने पट उसे कैसे जीना है?कैसे रहना है।अगर कभी कोई जहाज किनारे आये तो उसे यहां से निकल जाना है।
मौत आयी लेकिन धीरे धीरे।शायद ऊपर वाला भी चाहता था।जंगली परिपक्व हो जाये।और ऐसा ही हुआ।मारिया इस संसार से गयी तब तक जंगली पूरी तरह जवान हो चुकी थी।अकेली जंगली ने जैसे तैसे माँ का अंतिम संस्कार किया था।
माँ के मरने के बाद जंगली अकेली रह गयी थी।कितनी रोई थी जंगली माँ की मौत पर।उसने कई दिन तक कुछ नही खाया था।लेकिन आदमी भूखा कब तक रह सकता है।वक्त मरहम है।समय हर घाव को भर देता है।ऐसा ही जंगली के साथ हुआ।उसके जीवन की गाड़ी धीरे धीरे चल पड़ी।
समय का चक्र अपनी रफ्तार से घूमता रहा।
एक जहाज एशिया महाद्वीप से अमेरिका के लिए रवाना हुआ।इस जहाज में हर धर्म जाती और देश के लोग थे।कोई अपने देश लौट रहा था।कोई पढ़ने के लिए,कोई व्यापार के सिलसिले में सब अलग अलग उद्देश्य से अमेरिका जा रहे थे।जहाज के सभी यात्री हंसते गाते यात्रा कर रहे थे।और आधा सफर पूरा हुआ था कि एक शाम को भयंकर तूफान आया।तूफान की गति बहुत तेज थी।जहाज उस तूफान का सामना नही कर पाया और पलट गया।जहाज के सभी यात्री पानी मे जा गिरे।अफरातफरी और चीख पुकार मच गयी।यात्री अपनी जान बचाने के लिय हाथ पैर मारने लगे।उसी जहाज के दो युवकों A और B को तूफान ने निर्जन द्वीप पर बेहोशी की हालत में ला पटका था।