बुनियाद (पार्ट 2) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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बुनियाद (पार्ट 2)

मारिया. इस आशा में समुद्र के किनारे बैठ गयी कि उसका पति डेविड उसे ढूंढता हुआ जरूर आयेगा। वह नही आया तो कोई न कोई जहाज यहां से जरूर गुज़रेगा।वह उससे सहायता मांगेगी।
इन्तज़ार में पूरा दिन गुज़र गया।भूखी प्यासी वह समुंदर के किनारे बैठी रही।पर न उसका पति आया न ही कोई जहाज उधर से गुजरा।और धीरे धीरे दिन ढल गया और अंधेरा हो गया।अंधेरा होते ही जंगली जानवरों की अजीबो गरीब आवाजे सुनाई देने लगी।दिन में मारिया ने सोचा भी नही था कि रात भी उसे इसी द्वीप पर गुज़ारनी पड़ेगी।अगर वह रात भर इसी जगह बैठी रही तो हो सकता है,कोई जंगली जानवर उसे अपना शिकार बना ले।फिर क्या करे।काफी सोच विचार करने के बाद वह एक पेड़ पर चढ़ गई।
पेड़ पर जानवर तो कोई नही आया लेकिन पुती रात डर के मारे झपकी भी नही ले पायी।दिन निकलने पर वह पेड़ से नीचे उतरी थी।उसे कुछ खाये पिये चौबीस घण्टे से ज्यादा हो गए थे।भूख प्यास उसे सताने लगी।उसने जंगल मे लगे पेड़ो से फल कन्द मूल तोड़कर खाये और एक झील से पानी पिया।
पेट भर जाने पर वह फिर समुद्र किनारे आकर बैठ गयी।और दूसरा दिन भी वह इन्तजार करती रही।लेकिन दूर दूर तक कोई जहाज नज़र नही आया और रात उसे फिर पेड़ पर गुज़ारनी पड़ी।और कई दिन गुज़रने पर किसी के आने की उम्मीद समाप्त हो गयी।वह समझ गई तूफान ने उसे ऐसे द्वीप पर ला पटका था।जो वीरान था और जिस पर कोई आता भी नही था। भविष्य में भी उसे किसी के आने की आशा नज़र नही आ रही थी।इस का मतलब साफ था।उसे अपना शेष जीवन इस द्वीप पर अकेले रहकर गुज़ारना था।अब तक उसने दिन समुद्र किनारे और राते पेड़ पर चढ़कर काटी थी लेकिन पूरा जीवन ऐसे नही गुज़ारा जा सकता था।जंगली जानवरों से अपनी रक्षा,मौसम से बचाव और आराम के लिए घर होना जरूरी था।
और उसने अपने लिए छोटा सा घर बनाने का निर्णय लिया।उसने एक जगह तलासी और वहाँ पेड़ो की डाली तने,पत्थर, घास फूस,मिट्टी आदि सामान जो घर बनाने के काम आ सकता था।इक्कट्ठा किया।उसने मिट्टी और पत्थर से दीवारे बनाई।घास फूस आदि से मकान की छत बनाई।कई दिनों की मेहनत के बाद उसने ऐसा कमरा बना लिया था।जिसमे वह जंगली जानवरों से अपने को बचा सकती थी।दिन में आराम कर सकती थी।रात को चैन की नींद सो सकती थी।और मौसम की मार से अपने को बचा सकती थी।
घर बन जाने के बाद उसने कुत्ते और कुछ जानवर जो हिंसक नही थे।उन्हें पाल लिया था।उसने घर के चारों तरफ पेड़ लगा लिए थे। पाषाण युग की तरह उसने घर के पास काफी पत्थर इकट्ठे कर लिए थे।
उस द्वीप पर मारिया एकमात्र मानव थी।रात तो सोकर गुजर जाती थी लेकिन दिन बिना काम और साथी के पहाड़ सा लम्बा लगता।जैसे तैसे एक महीना बीत गया।
मारिया को अपने पति डेविड की याद आती।वह सोचती कहां होगा डेविड?वह तो भयंकर तूफान में समुद्र में डूबने के बाद भी जीवित बच गयी थी।लेकिन उसके पति डेविड और जहाज में सवार दूसरे लोगो का क्या हुआ?वे लोग जीवित भी है या नही?