अध्याय 9
"क्या सच में ?" कमिश्नर के आवाज में सदमा दिखाई दिया।
"...."
"बाड़ी कहां पर है ?"
"..."
"एलियट्स बीच का मतलब? प्रॉपर जगह का नाम बताओ।"
"......"
"ठीक है, आप कौन हैं मैं मालूम कर सकता हूं?"
दूसरी तरफ से रिसीवर को रख दिया गया तो कमिश्नर रिसीवर को रख के चिड़चिड़ाते हुए, इंस्पेक्टर गुणशेखर और सब इंस्पेक्टर देवराज को देखा। "माणिकराज का केस अभी खत्म नहीं हुआ और कोई अमृत प्रियन की हत्या कर एलियट्स बीच में फेंक दिया | अमृत प्रियन एम.एल.ए. है ना।"
"हां सर, मंत्री बनने वाले लिस्ट में उनका भी नाम था उनकी हत्या कर दी?"
"टेलीफोन किसके पास से आया था सर?"
"पता नहीं चला, कोई उस तरफ गया, उसने डेड बॉडी को देखकर खबर कर दी ऐसा बताया ।"
"स्पॉट पर चले सर ?"
"आइए!"
रवाना हुए।
एलियट्स के बीच रेत में सुबह के समय लोग आने-जाने लगे। दूर पर समुद्र की लहरें नीली चल रही थी। खाकी यूनिफॉर्म के बीच में अमृत प्रियन जमीन पर पड़े थे। गले में एक बड़े खड्डे से खून निकल रहा था, और शरीर अकड़ गया था।
कमिश्नर ने शव को नीचे बैठ कर उल्टा कर देखा फिर सीधे होकर बोले "बंदूक से मारा है।"
"यह घटना यहां नहीं घटी है सर.... किसी और जगह यह घटना घटी है और बॉडी को यहां लाकर फेंक दिया।"
"आप कैसे बोल रहे हो गुणशेखर?"
"यहां पड़े बाड़ी के पास में कोई ब्लड रेशस नहीं दिखाई दे रहा है सर। यहां हुआ होता तो वह ब्लड यहां गिरा होता?"
इंस्पेक्टर गुणशेखर जब बोल रहे थे तभी बीच के सड़क पर गाड़ी को रोककर रामभद्रन अपने पार्टी के लोगों के साथ जल्दी-जल्दी आ रहे थे।
"सर... रामभद्रन आ रहे हैं।"
"अब दो दिन में सी.एम. बनने वाले हैं.... तुम सब लोग उन्हें सेल्यूट करना।"
रामभद्रन के आते ही सब ने सैल्यूट मारा, रामभद्रन ने सेल्यूट की परवाह किए बिना कमिश्नर को गुस्से से देखा। "कौशल राम को निशाना लगाया। अमृत प्रियन को खत्म कर दिया। ऐसे ही हत्या होते रहे तो हमारे पार्टी के लोग ही खत्म हो जाएंगे। “कमिश्नर सर इन हत्याओं को रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठा रहे हो ।"
कमिश्नर का चेहरा बदला हत्याओं के पीछे का कारण पता नहीं चला सर।"
"आपको मैं दो दिन का ही समय दे रहा हूं, इन 48 घंटों में माणिक राज और अमृत प्रियम के हत्यारे को पकड़ कर कैद करो.... नहीं तो अपने पोस्ट से त्यागपत्र दे दो।"
कमिश्नर सदमे में आ गए।
रात के 10:00 बजे।
कौशल राम के घर पर बाउंड्री वॉल के अंदर के सभी खिड़कियों को बंद करवा दिया ।
कौशल राम का अलग कमरा था।
टेलीफोन पर मदद करने वाले पुलिस कमिश्नर बात कर रहे थे।
"सर! कोई भी आवाज आएं तो तुरंत पुलिस को बुला लो...."
"हां... हां..."
"खिड़कियों को बंद ही रखियेगा सर।"
"हां... हां"
"रात के समय जिसे आप नहीं जानते उनसे मत मिलिएगा।"
"मैं चाहूं तो भी पुलिस वाले नहीं मिलने देंगे सर।"
"अब मुझे मारने कोई नहीं आएगा सर। आप हमारे पार्टी के दूसरे प्रमुखों को ज्यादा सुरक्षा दीजिए....."
"यस सर....."
कौशल राम से बात करके रिसीवर को रखते ही लड़का सुधाकर अंदर आया।
"फोन पर कौन था अप्पा।"
"मदद करने वाले कमिश्नर।"
"क्या बोले ?"
"मुझे सुरक्षित रहने को कह रहे थे। ठीक है तुम्हारी अम्मा कहां है?"
"रसोई में।"
"ठीक है उस दरवाजे को बंद कर यहां आकर बैठ।"
सुधाकर दरवाजा बंद करके आया। कौशल राम के सामने कुर्सी पर जाकर बैठा।
"क्या है अप्पा"
"कौशल राम आवाज धीमी करके पूछे।
"किसी को भी अपने ऊपर संदेह तो नहीं हुआ सुधाकर?"
"नहीं"
"माणिकराज और अमृत प्रियम दोनों को आसानी से खत्म कर दिया। पुलिस के लोग बहुत सतर्क हो गए होंगे। हमें कुछ इंटरवल देखकर ही अपने दूसरे विरोधी कुमारदेवन को खत्म करना है।"
"अप्पा! मैं एक बात बोलूं क्या?"
"बोलो"
"कुमार देवन ही तो हमारा आखिरी बलि का बकरा है?"
"हां"
"उस आदमी की हत्या करना जरूरी है क्या?"
"जरूरी है ! पार्टी के अंदर मेरे मुख्य विरोधी यह तीनों ही है। मेरे बारे में झूठी-सच्ची बातें प्रधान जी को कहा होगा। इन तीनों में से कोई भी जिंदा रहें तो ठीक नहीं, मुझे मंत्री पद नहीं मिलेगा | अतः कुमार देवन की हत्या करना जरूरी है। हां पर अभी तुम क्यों डर रहे हो?"
"उसका कारण है अप्पा !"
"क्या कारण?"
"रेलवे स्टेशन के भीड़ का फायदा लेकर माणिकराज को खत्म करने वाले मेरे फ्रेंड जोसेफ को एक पोर्टर ने देख लिया और उसकी निशानी बता दी। ऑटो ड्राइवर्स ने भी उसे देख लिया। पुलिस का पहरा भी ज्यादा हो गया। यदि थोड़े भी हम फिसले तो फंस जाएंगे...."
कौशल राम बिना आवाज के हंसे। सुधाकर तुम्हें किसी बात से डरना नहीं चाहिए ।
जोसेफ को भी हिम्मत से रहने को बोलो। मैं सिर्फ दो दिन में मंत्री बन जाऊंगा- मंत्री बनते ही कमिश्नर से कांटेक्ट करके कोई एक क्रिमिनल को इससे संबंधित करके उसे अंदर डालने का प्रबंध कर दूंगा।"
"तब तक उसको पांडिचेरी भेज दूँ?"
"नहीं.... उसे तिरुवल्लीकेनी बड़ी गली के घर में ही रहने दो। इस समय बस में ट्रैवल करना आफत मोल लेना है।"
कौशल राम बोल रहे थे उसी समय टेलीफोन बजा।
उन्होंने रिसीवर उठाया।
"हेलो,"
दूसरी तरफ से एक घबराई हुई आवाज आई।
"सर मैं जोसेफ बोल रहा हूं।"
"जोसेफ, तुम कहां से बोल रहे हो?"
"अमनंजीकरै टेलीफोन बूथ से बोल रहा हूं सर।"
"क्यों.... क्या बात है?"
"पुलिस ने मुझे पहचान लिया सर।"
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