दिव्य पुरुष कैसे बने ? - 2 Mohit Rajak द्वारा मनोविज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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दिव्य पुरुष कैसे बने ? - 2

दोस्तों दिव्य पुरुष कैसे बने ? एक बहुत ही रहस्यमय पुस्तक है इसका भाग 1 अगर आपने नहीं पढ़ा है तो वह जरूर पढ़ें अन्यथा आपको यह पुस्तक समझ नहीं आएगी।

दोस्तों संकल्प जो भाग-1 में दिया गया है उस संकल्प को पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ करें और इसे स्वीकार करने केे लिए तैयार रहें की जो भी मेरे द्वारा कर्म किए जाा रहे वह सभी दिव्य और जन कल्याण हेतु है, दोस्तों अब आप स्वयं पर ध्यान देना शुरू कर दें और खुद को पहचानने की कोशिश करें।

दोस्तों जब भी आप आप अकेले हो तो यह चिंतन करें की
मैं कौन हूंं ?
मेरा अस्तित्व क्या है?
मेरा जन्म किस लिए हुआ है?
दोस्तों ऐसा करने सेआपका मन उस दिशा में सोचने लगेगा और यह आपकीी दिव्यता का पहला कदम होगा।

जब आपको इन प्रश्नों के उत्तर मिल जाए तब आप उन बातों पर विश्वास करके उनको अपना उद्देश्य बना ले परंतु याद रखें जब आप खुद से प्रश्न पूछ रहे हो तो उस समय आपका मन पूर्णता शांत हो और आपके अंदर से प्रसन्नता का अनुभव हो रहा हो और आप खुद के अंदर ही दिव्यता का अनुभव कर सकते है।

मित्रों ऊपर जो प्रश्न दिए हैं उनके उत्तर जान लेने के बाद आप कुछ अच्छी आदतों को अपने अंदर डाल सकते हैं
मित्रों आपको सुबह जल्दी उठने की आदत डालनी होगी और उठकर सबसे पहले आपको ध्यान लगाने की अच्छी आदत है को अपनाना होगा और हर सुबह ध्यान करने के बाद खुद से यह संकल्प को बोलिए जो संकल्प पहले लिया था वही संकल्प को हर सुबह खुश से कहना है।

कई महीने तक आप इसका अभ्यास करें और याद रहेगी आप इसे बीच में छोड़ते हैं तो आप कभी भी दिव्यता प्राप्त नहीं कर सकते क्योंकि कोई भी कार्य तभी सफल हो सकता है जब वह लगातार किया जाए इसके साथ ही मित्रों आपको ब्रम्हचर्य का भी पालन करना होगा आज के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना कठिन हो सकता है क्योंकि यहां ऐसे साधन हैं जो आपको यह करने से रोकेंगे परंतु आप दृढ़ संकल्प होकर ब्रह्मचर्य का पालन करें क्योंकि आप अब यह जान चुके हैं कि आप कौन हैं और आपका उद्देश्य क्या है इसलिए कोई भी वस्तु आपको भटका नहीं सकती ब्रह्मचर्य का पालन मित्रों लगातार करना होगा मैं मानता हूं कि आप का संकल्प कई बार टूटेगा परंतु आप को फिर से शुरू करके ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा यदि आपने इसका पालन कुछ महीनों तक लगातार कर लिया और ध्यान को रोज करते रहे तो मित्रों आप अपने अंदर ऐसे दिव्यता का अनुभव कर पाएंगे जिसका वर्णन शब्दों में नहीं हो सकता क्योंकि उस अनुभव को केवल महसूस किया जा सकता है बताया नहीं जा सकता।

मित्रों इस पुस्तक में कोई भी फिल्म या वीडियो में दिखाने जाने वाली बातें या कहानियां नहीं है आपको जब बता प्राप्त करने के लिए घर में भी करने पड़ेंगे आपको खुद पर विश्वास करना होगा कि इस दुनिया का कोई भी कार्य मेरे लिए असंभव नहीं है आपके अंदर समस्त कौन है जो आप चाहते हैं वह आप कर सकते हैं जैसा आप खुद को बनाना चाहे वह आप बन सकते हैं।

मित्रों यदि आपने सब भली भांति पूरे संकल्प के साथ यह कर रहे हैं तो अब आपके अंदर इतनी उर्जा आ चुकी है कि आप मनुष्य श्रेणी से ऊपर उठ रहे हैं आपकी बुद्धि से दिव्यता का प्रसार हो रहा है आप अब किसी भी आम मनुष्य से 10 गुना तेजी से सो सकते हैं और कार्य कर सकते हैं क्योंकि ब्रह्मचर्य के पालन से आपकी शारीरिक शक्ति भी बढ़ रही है।

दोस्तों आप अपनी प्रबल बुद्धि और दिव्य ऊर्जा से अब जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी परंतु मित्रों यह याद रखें कि आपके कार्य सदैव सर्वहित देशहित और जनकल्याण के लिए ही हो स्वयं के स्वार्थ के लिए नहीं मित्रों जो मनुष्य देवता प्राप्त कर लेता है। वह देवता के समान हो जाता है ,मनुष्य जाति सदा उसका अनुसरण करती है और ऐसे दिव्य पुरुष वास्तविकता में जन कल्याण के लिए ही धरती पर आते हैं ।हर वह व्यक्ति जो खुद को जान लेता है वही देवता को प्राप्त कर पाता है। इसलिए मित्रों मैं आपसे कहना चाहूंगा कि पहले खुद को पहचान लो क्योंकि इस संसार में खुद को जान लेने के बाद कुछ और जानना शेष नहीं रहता।

धन्यवाद 🙏