आयशा कि मोहब्बत तारीक से mim Patel द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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आयशा कि मोहब्बत तारीक से

आयशा कि मोहब्बत तारीक सेे‌
शिक्षक और छात्र का संबंध एक ऐसा रिश्ता है, जो कुछ रिश्तों की तरह, दुनिया में नव स्थापित है, लेकिन इतना मजबूत और स्थिर है कि यह जीवन के प्रत्येक मोड पर उपयोगी है, शिक्षक ही वह व्यक्ति है जो छात्रों को निखार कर और सवार कर दुनिया के सामने पेश करती है, यह उसी की मेहनतों का परिणाम है के छात्र दुनिया से आंखें मिलाने के काबिल हो पाता है, शिक्षक अगर चाहे तो छात्रों को ऐसी बुलंदियों पर पहुंचा सकता है जो किसी के घुमान में भी नहीं होती और ना ही किसी की सोच की वहां तक पहुंच हो सकती है, लेकिन अगर शिक्षक अपनी जिम्मेदारी से बेखबर रहे और शिक्षा के सही तरीकों से अनजान रहें तो उसकी नुकसानी भी बहुत ज्यादा होती है
इसी के उदाहरण के रूप में यह एक कहानी है पढ़िए और...
आयशा छोटे शहर में प्राइमरी स्कूल में पांचवी कक्षा की टीचर थी।;
उनकी एक आदत थी कि वह क्लास शुरु करने से पहले हमेशा " आई लव यू ऑल बोला " करती थी, मगर वो जानती थी के वो सच नहीं कहती है , क्लास के तमाम बच्चों से एकसा प्यार नहीं करती थी , क्लास में एक ऐसा बच्चा था जो मिस आयशा को एक आंख न भाता, उसका नाम तारीक था, तारीक मैली कुचली हालत में स्कूल आ जा करता था , उसके बाल बिखरे हुए होते थे , जूतों की डोरी भी बंधी हुई नहीं होती , कमीज के कॉलर भी मैले कुचले, लेक्चर के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता, मिस आयशा के डांटने पर वह चौंक जाता और देखने तो लगता , मगर उसकी खाली खुली नजरों से साफ पता लगता रहता के , तारीक जिस्मानी तौर पर क्लास में मौजूद होने के बावजूद भी दिमागी तौर पर गायब है , गैर हाजिर हे,
धीरे-धीरे मिस आयशा को तारीक से नफरत सी होने लगी, क्लास में दाखिल होते ही तारीक मिस आयशा की सख्त तनकीद का निशाना बनता, हर बुरी मिसाल तारीक के नाम से जोड़ी जाती, बच्चे उस पर खिल खिलाकर हंसते , और मिस आयशा जलील करके तस्कीन हासिल करती। और तारीक किसी का कोई जवाब नहीं देता और खामोश बैठा रहता।
मिस आयशा को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता जिसके अंदर एहसास नाम की कोई चीज नहीं थी ,
हर डांट और सजा के जवाब में बह बस अपने जज्बात से खाली नजरों से उन्हें देखता और सर झुका लिया करता ।
मिस आयशा को अब इससे शदीद चीढ़ हो चुकी थी , पहला सेमिस्टर खत्म हुआ और रिपोर्टें बनाने का समय आया तो मिस आयशा ने तारीक की प्रोग्रेस रिपोर्ट में उसकी तमाम बुराइयां लिख मारी;
प्रोग्रेस रिपोर्ट माता पिता को दिखाने से पहले ही स्कूल संचालिका के पास जाया करती थी, उन्होंने जब तारीक की रिपोर्ट देखी तो मिस आयशा को बुलाया , मिस आयशा प्रोग्रेस रिपोर्ट में कुछ तो प्रोग्रेस भी नजर आनी चाहिए, आपने तो जो कुछ लिखा है उससे तारीक के माता पिता तारीक से बिल्कुल ही ना उम्मीद हो जाएंगे !
मिस आयशा ने जवाब दिया : मैं क्षमा चाहती हूं मगर तारीक एक बिल्कुल ही बदतमीज और निकम्मा बच्चा है , मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रोग्रेस के बारे में कुछ लिख सकती हूं ; मिस आयशा नफरत भरे लहजे में बोलकर वहां से उठ कर चली आई।
हैड मिस्ट्रेस ने एक अजीब तरकीब की , उन्होंने चपरासी के हाथों मिस आयशा की डेस्क पर तारीक की पिछले वर्षों की प्रोग्रेस रिपोर्ट्स रखवा दीं, अगले दिन मिस आयशा क्लास में दाखिल हुई तो रिपोर्ट्स पर नजर पड़ी , उलट पलट कर देखा तो पता चला के यह तारीक की रिपोर्ट्स हैं, पिछली क्लासों में भी यकीनन यही गुल खिलाए होंगे यह सोच कर उन्होंने ने तीसरी कक्षा की रिपोर्ट खोली।
रिपोर्ट में रिमार्क्स पढ़कर उनकी हैरत की कोई सीमा न रही , जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट्स उसकी तारीफों से भरी पड़ी हैं,
" तारीख जैसा जहीन बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा "
" इनतिहाई हसास बच्चा है , बहुत संवेदनशील बच्चा है और अपने दोस्तों और टीचरों से बेहद लगाव रखता है । "
" आखरी सेमेस्टर में भी तारीक ने पहली पोजीशन प्राप्त कर ली है "
मिस आयशा ने अनिश्चितता की स्थिति में चौथी कक्षा की रिपोर्ट खोली...
तारीक ने अपनी मां की बीमारी का बेहद असर लिया है , इसकी वजह से पढ़ाई से ध्यान हट रहा है,
तारीक की मां को आखिरी स्टेज के कैंसर का पता चला है ... घर पर उसका कोई और ख्याल रखने वाला नहीं है इसका गहरा असर उसकी पढ़ाई पर पड़ा है,
तारीक की मां मर चुकी है और उसके साथ ही तारीक की जिंदगी की रूह भी।।। इसे बचाना पड़ेगा इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
मिस आयशा पर कंपकपी तारी हो गई , कांपते हाथों से उन्होंने प्रोग्रेस रिपोर्ट बंद की, आंसू उनकी आंखों से एक के बाद एक गिरने लगे ; अगले दिन जब मिस आयशा क्लास में दाखिल हुई तो उन्होंने अपनी हमेशा की आदत के मुताबिक अपना रीवायती जुमला " आई लव यू ऑल " दोहराया मगर वह जानती थी कि वह आज भी झूठ बोल रही है , क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक बेतरतीब बालों वाले बच्चे तारीक के लिए जो मोहब्बत आज अपने दिल में महसूस कर रही थी वह क्लास में बैठे और किसी बच्चे के लिए हो ही नहीं सकती थी; लेक्चर के दौरान उन्होंने हमेशा की तरह एक सवाल तारीख पर दागा पर तारीक ने हमेशा की तरह खामोशी से सर झुका लिया ;
जब कुछ देर तक मिस आयशा की तरफ से कोई डांट और फिटकार और साथियों की जानिब से हंसी की आवाज उसके कानों में न पड़ी तो उसने अचंभे में सर उठा कर इधर उधर देखा और मिस आयशा को देखा तो उनके माथे पर आज बल न थे, मुस्कुरा रही थीं, उन्होंने तारीक को अपने पास बुलवाया और उसे सवाल का जवाब बता कर जबरदस्ती दोहराने के लिए कहा।
तारीक तीन चार दफा के इसरार के बाद आखिर बोल ही पड़ा , उसके जवाब देते ही मिस आयशा ने न सिर्फ खुद पुर जोश अंदाज में तालियां बजाई पलके बाकी सब से भी बजवाईं;
फिर तो यह रोज का मामूल बन गया , मिस आयशा हर सवाल का जवाब उसे खुद बताती और फिर उसकी खूब सराहना करती, हर अच्छी मिसाल तारीक से जोड़ती , धीरे-धीरे तारीक खामोशी की कबर से बाहर आ गया, अब मिस आयशा को सवाल के साथ जवाब बताने की जरूरत नहीं पड़ती थी , वह हर रोज बिना कमी के जवाब देकर सबको प्रभावित करता और नित नए सवालात पूछ कर सबको हैरान भी , अब उसमें काफी बदलाव आ गया था, उसके बाल अब संवरे हुए होते, कपड़े भी साफ सुथरे होते जिन्हें वह खुद ही धोने लगा था, देखते ही देखते साल खत्म हो गया और तारीक ने दूसरी पोजीशन हासिल की, विदाई समारोह में सब बच्चे मिस आयशा के लिए खूबसूरत तोहफे और गिफ्ट लेकर आए और मिस आयशा के टेबल पर ढेर करने लगे, इन खूबसूरती से पैक किए गए तोहफौ में एक अशिष्ट तरीके से पैक किया हुआ एक तोहफा भी पड़ा था, बच्चे इसे देख कर हंस पड़े, किसी को जानने में देर नहीं लगी कि तोहफे के नाम पर यह चीज तारीक लाया होगा,
मिस आयशा ने तोहफे के इस छोटे से पहाड़ में से लपक कर उसे निकाला, खोल कर देखा तो उसके अंदर एक लेडीज परफ्यूम की आधी इस्तेमाल शुदा सीसी और एक हाथ में पहनने वाला एक बोसीदा सा कड़ा था, जिसके ज्यादातर मोती झड़ चुके थे, मिस आयशा ने खामोशी के साथ उस परफ्यूम को खुद पर छिड़का और हाथ में कड़ा पहन लिया; बच्चे यह देखकर हैरान रह गए और खुद तारीक भी,
आखिर तारीक से रहा न गया और मिस आयशा के करीब आकर खड़ा हो गया,,, कुछ देर बाद उसने अटक अटक कर मिस आयशा को बताया कि
" आज आपसे बिल्कुल मेरी मां जैसी खुशबू आ रही है "
वक्त पर लगाकर उड़ने लगा, दिन हफ्तों में और हफ्ते महीनों और महीने साल में बदलते भला कहां देर लगती है ,,,?
मगर हर साल के अंत में आयशा को तारीक की तरफ से एक खत नियमित तौर पर मिलता, जिसमें लिखा होता कि " मैं इस साल बहुत सारे नए टीचरों से मिला मगर आप जैसा कोई नहीं था " फिर तारीख का स्कूल खत्म हो गया और खतों का सिलसिला भी; मजीद कइ साल गुजर गए और मिस आयशा रिटायर हो गई। एक दिन उन्हें अपनी डाक में तारीख का खत मिला जिसमें लिखा था:
इस महीने के अंत में मेरी शादी है और मैं आपकी मौजूदगी के बगैर शादी का सोच भी नहीं सकता, एक और बात, मैं जिंदगी में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूं आप जैसा कोई नहीं है।
आपका बेटा डॉक्टर तारीक
साथ ही जहाज का रिटर्न टिकट भी लिफाफे में मौजूद था, मिस आयशा खुद को हरगिज ना रोक सकती थी, उन्होंने अपने शोहर से इजाजत ली और वो दूसरे शहर के लिए रवाना हो गई, ठीक शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुंची तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं, उन्हें लगा तकरीब खत्म हो चुकी होगी; मगर यह देखकर उनकी हैरत की इंतिहा न रही के शहर के बड़े बड़े डॉक्टर बिजनेसमैन यहां तक के वहां मौजूद निकाह पढ़ाने वाले मौलाना उक्ताए हुए परेशान खड़े थे, मगर तारीक तकरीब की अदायगी के बजाए गेट की तरफ टिकटिकी लगाए उनके आने का इंतजार कर रहा था। सब ने देखा कि जैसे ही यह बूढ़ी टीचर गेट से दाखिल हुई तारीक उनकी तरफ लपका और उनका वह हाथ पकड़ा जिसमें उन्होंने वह बोसीदा कंगन पहना था, और उन्हें सीधा स्टेज पर ले गया। माइक हाथ में पकड़ कर उसने कुछ यूं ऐलान किया:
दोस्तों ! आप सब हमेशा मुझसे मेरी मां के बारे में पूछा करते थे, और मैंने सब से वादा किया था कि जल्द आप सबको उनसे मिलवाउंगा;
देखो !!! यह मेरी मां है।।।
प्यारे दोस्तों ! इस खूबसूरत कहानी को सिर्फ टीचर और स्टूडेंट के रिश्ते से देख कर ही मत सोचिएगा। अपने आसपास देखिए, तारीक जैसे कई फूल मुरझा रहे हैं, जिन्हें आप की जरा सी तवज्जो मोहब्बत और प्यार नई जिंदगी दे सकती है, वह बेचारे गरीब बच्चे जिन्हें पढ़ने का शौख अमीरों से ज्यादा है, लेकिन अपनी गरीबी की वजह से उस मकाम तक नहीं पहुंच पाते जहां उनको पहुंचना चाहिए था।।
आप भी देखो अपने आसपास कहीं कोई तारीख जैसा खूबसूरत फूल मुरझा तो नहीं रहा है।