अनाया रंग रूप से साधारण थी एक आम लड़की की ही तरह किंतु भगवान ने दिमाग की अमूल्य धरोहर अपने आशीर्वाद स्वरुप उसकी झोली में डाली थी। खाने-पीने की अत्यंत ही शौकीन अनाया बचपन से ही कभी भी खान-पान पर नियंत्रण नहीं कर पाई। इसीलिए उसका वजन बढ़ने लगा। बाली उम्र में अपने बढ़ते वजन की तरफ उसने कभी ध्यान ही नहीं दिया। जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बाद उसे लगने लगा कि अब उसे अपना वजन कम करना चाहिए लेकिन यह सब कुछ इतना आसान नहीं था।
समय गुजरता रहा वह अपनी कक्षा में लड़के लड़कियों को एक साथ देखती तो उसे लगता उसे भी किसी लड़के से दोस्ती करनी चाहिए। अनाया की तरफ कक्षा के लड़के अधिक ध्यान नहीं देते थे। यह बात उसे दुःखी कर देती थी, धीरे-धीरे वह कॉलेज में पहुंच गई। कॉलेज में अपनी क्लास में ही पढ़ने वाले मोहित पर आकर्षित होने लगी। उसने कई बार मोहित के नजदीक जाने की कोशिश की किंतु मोहित ने हाय हैलो से अधिक उसे आगे बढ़ने ही नहीं दिया। वह हमेशा उसे देखकर कटने की कोशिश करता था।
अनाया उसकी बेरुखी समझ रही थी, बात अनाया के आकर्षण तक आकर वहीं ख़त्म हो गई। लेकिन उसके दिल को एक चोट अवश्य ही दे गई। अनाया के दिल में यह धारणा घर कर गई कि उसके वजन के कारण कोई भी लड़का उस पर आकर्षित नहीं होता। इसीलिए जानते समझते हुए मोहित ने उसके प्यार का अपमान किया है।
अपमान का यह कड़वा घूंट उसने पी तो लिया लेकिन यह सदमा उसके दिल पर अपना घर बना कर बैठ गया। अपनी मम्मी से दिल की हर बात बताने वाली अनाया ने यह बात भी अपनी मम्मी को बताते हुए कहा, “मम्मी कॉलेज में सभी लड़कियों के बॉय फ्रेंड हैं लेकिन मेरा बॉय फ्रेंड नहीं है।”
उसकी मम्मी ने उसे समझाते हुए कहा, “अनाया तुम्हारे लिए उससे भी अच्छा कोई होगा जो तुम्हें जरूर मिलेगा। अभी अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।”
पढ़ाई भी पूरी हो गई लेकिन कभी भी किसी लड़के ने उसकी तरफ प्यार का हाथ नहीं बढ़ाया। इस बात की चुभन उसे हमेशा रहती थी शायद इसीलिए उसके मन में जीवनसाथी की इच्छा प्रबल होती गई।
वह हमेशा अपनी मम्मी से कहती, “मम्मी मुझे अकेले रहना पसंद नहीं है। मुझे भी जीवन साथी चाहिए, मेरे साथ की कितनी लड़कियों की शादी हो गई। किसी किसी के तो बच्चे भी हो गए।”
“चिंता मत करो अनाया तुम्हारा राजकुमार भी किसी ना किसी दिन घोड़ी पर सवार होकर तुम्हें लेने ज़रूर आएगा।”
अनाया अपनी मम्मी की इस बात से ख़ुश हो जाती किंतु कब तक ? उसके पापा-मम्मी जहां भी उसके रिश्ते की बात करते, समस्या वजन पर आकर रुक जाती। कहीं भी बात नहीं बन पाती।
तभी एक लड़का अरुण उसके जीवन में आया और उसने अनाया की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। दोनों दोस्त भी बन गए, दोस्ती नज़दीकी में बदल रही थी। अनाया ने सोचा शायद यही वह राजकुमार है जो उसके जीवन में ख़ुशियाँ बिखेरेगा।
अनाया ने एक दिन अरुण से कहा, “अरुण हमें साथ में घूमते फिरते दो वर्ष हो गए हैं किंतु आज तक तुमने प्यार का इकरार क्यों नहीं किया। क्या तुम मेरे साथ सिर्फ टाइम पास कर रहे हो ? इतनी नज़दीकी कोई ऐसे ही तो नहीं बढ़ाता ना। रोज मुझसे मिलने चले आते हो किंतु जब भी मैं प्यार के विषय में पूछती हूँ बात को घुमा फिरा देते हो। आख़िर तुम्हारा इरादा क्या है अरुण ? तुमने कहा था कि मुझे पहले अपने जीवन की सही राह तो मिलने दो, मुझे मेरा भविष्य तो बनाने दो, वह सब तो हो गया ना अरुण।”
अनाया के बार-बार पीछे पड़ने पर अचानक ही अरुण ने उससे मिलना बंद कर दिया। फ़िर एक दिन उसने अनाया को साफ-साफ मना कर दिया और कहा कि अब वह और उसके साथ नहीं रहना चाहता।
अनाया का दिल फिर एक बार टूट गया। वह सोच रही थी कुछ दिन साथ में घूम फिर कर लोग किस तरह से किनारा कर लेते हैं। बार-बार होता हुआ अपमान एक दर्द बनकर उसके सीने में दफन हो चुका था।
अपनी मम्मी के कंधे पर सर रखकर उसने बहुत आँसू बहाए उसके आँसुओं से उसकी मम्मी का कंधा भीग गया था । उसकी मम्मी की आँखों में भी आँसू थे किंतु वह अपने आँसुओं को बार-बार पोंछ रही थी। वह अनाया को अपने आँसू नहीं दिखाना चाहती थी बल्कि उसकी हिम्मत बढ़ाना चाहती थी।
अनाया को समझाते हुए उसने कहा, “बेटा तुम इस समय अपने काम पर ध्यान दो। तुम्हारा कैरियर कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। भगवान ऐसा भविष्य हर किसी को नहीं देते जो तुम्हें मिला है, शायद वह तुम्हें ऐसा चमकता सितारा बनाना चाहते हैं, जिसे पूरा देश पहचाने।”
अपनी मम्मी की बातों को मानते हुए अब अनाया ने अपना पूरा ध्यान काम पर केंद्रित कर लिया। अनाया मोटिवेशनल स्पीच देती थी और जब उसके कंठ से आवाज़ निकलती थी श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते, पूरे हॉल में सन्नाटा छा जाता था। यदि कोई आवाज़ होती तो वह केवल अनाया की होती थी। देश विदेश में घूम कर अपनी आवाज़ और अपने दिमाग का ऐसा जादू अनाया ने बिखेरा था कि आज वह किसी पहचान की मोहताज नहीं थी।
लोग नाम से उसे जानते थे, उसे प्यार करते थे, उसे आदर देते थे। ना जाने कितनी जगह मुख्य अतिथि के रूप में उसे बुलाया जाता था। उसे कई संस्थाओं के द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका था। तरक्की की सीढ़ियां चढ़ती अनाया अब तक अपने मन के प्यार और विवाह के दरवाज़े को बंद कर चुकी थी। उस तरफ सोचने का समय भी अब उसके पास कहां था। अब तो उसे लगन लगी थी अपना और अपने माता-पिता का नाम रोशन करने की। बाहर लोगों से मिले प्यार ने अनाया के दिल और दिमाग से पुराने ज़ख्मों को मिटा कर ख़त्म कर दिया था।
आई टी कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत गगन अक्सर अनाया की स्पीच सुनता तथा उससे बहुत प्रभावित था। उसने अपनी कंपनी में भी कई बार अनाया को स्पीच के लिए बुलाया था। उसकी कंपनी के सभी लोगों को भी अनाया की स्पीच प्रेरणादायी लगती थी। गगन भी कार्यक्रम के दौरान अनाया के साथ ही मंच पर होता था । गगन की उम्र तकरीबन अनाया के जितनी ही लगभग 35 वर्ष के आसपास थी।
अनाया के काम के प्रति एकाग्रता, आगे बढ़ने की चाह, उसकी लगन देखकर गगन बहुत प्रभावित था। विश्वास से भरा हुआ अनाया का व्यक्तित्व धीरे-धीरे गगन पर हावी होता जा रहा था। आख़िरकार जिस गगन का दिल आज तक किसी के लिए कभी नहीं धड़का, उसके गंभीर दिल में आज प्यार की दस्तक हो ही गई। यह प्यार की दस्तक अपने काम में व्यस्त अनाया के दिल तक पहुंच ही नहीं रही थी।
उसके जीवन का लक्ष्य अब विवाह था ही नहीं, सफलता अब उसके आगे-पीछे उसके साथ घूमती थी। ऑटोग्राफ लेने वालों की एक लंबी कतार होती थी। किसी को मिलता था लेकिन कोई उदास लौट जाता था। गगन ने भी एक दिन उससे ऑटोग्राफ मांगा।
अनाया ने हंस कर टाल दिया और कहा, “क्या गगन इतनी बार तो मिल चुके हो, आज अचानक ऑटोग्राफ ?”
“हाँ ऑटोग्राफ तो चाहिए अनाया और साथ में डिनर पर चलने का प्रॉमिस भी, चलोगी ना?”
“हाँ हाँ, गगन ज़रूर”
शाम को दोनों डिनर के लिए गए और इस तरह दोनों का मिलना जुलना बढ़ता ही गया।
वे दोनों ही अविवाहित थे लेकिन क्यों ? कारण से दोनों अनजान थे।
आख़िरकार हिम्मत करके एक दिन गगन ने अनाया से पूछ ही लिया, “अनाया तुम इतना नाम, इज़्ज़त, दौलत, शोहरत सब हासिल कर चुकी हो, किंतु कभी भी जीवन साथी के विषय में क्यों नहीं सोचा ? माफ़ करना अनाया मुझे तुमसे यह प्रश्न पूछने का कोई हक नहीं, परंतु हम इतने साल से एक दूसरे को जानते हैं। मेरे मन में हमेशा यह प्रश्न उठता है कि आख़िर क्यों तुम अकेले ही रहना चाहती हो ? जीवन में एक समय ऐसा आता है जब अकेलापन हमें जीने नहीं देता।”
अनाया ने अपने जीवन की सच्चाई छिपाए बिना गगन को अपना पूरा भूतकाल सुना दिया। अपना बार-बार होता अपमान अपने आँसू अपने टूटे हुए दिल की दास्तां सब कुछ।
गगन हैरान था वह सोच रहा था यह लड़की अपने अंदर कितना दर्द समेटे हुए है। इतना दर्द भरकर भी लोगों को इतनी सकारात्मक बातें कैसे सुनाती है?
तभी अनाया ने उससे पूछा, “गगन तुम भी तो अकेले हो, तुमने अभी तक विवाह क्यों नहीं किया?”
“अनाया मुझे कभी कोई ऐसी प्रभावशाली लड़की मिली ही नहीं, जिसे देखकर मेरा मन कहे कि यही है वह जिसके साथ में अपना जीवन बिता सकता हूँ। मेरे जीवन में कभी कोई लड़की आई ही नहीं। लेकिन लगता है कुछ दिनों से अब मेरा मन किसी को इसके काबिल समझ रहा है सोचता हूँ उसे अपने मन की बात कह दूं। मुझको डर लगता है कि वह मुझे अपने काबिल समझेगी या नहीं?”
“गगन तुम्हें ऐसी गलती नहीं करना चाहिए। अपने मन की बात उसे जरूर कह देनी चाहिए।”
“लेकिन अनाया अगर वह नाराज़ हो गई, उसने इंकार कर दिया तो?”
“नाराज़ हो गई तो क्या होगा, ज़्यादा से ज़्यादा तुम्हारा दिल टूट जाएगा। गगन दिल टूटने के बाद जुड़ नहीं सकता ऐसा नहीं है। सिर्फ़ अपने अंदर एक विश्वास ख़ुद के लिए पैदा करना होता है। किसी अच्छे काम से प्यार करना होता है, फ़िर देखो ना हमें प्यार करने वालों की कमी नहीं रहती और यह प्यार हर चोट पर मरहम का काम करता है । गगन मेरा दिल भी टूटा था, मैं भी टूट गई थी। मेरी माँ ने मुझे सहारा दिया, समझाया लेकिन जब तक मैंने ख़ुद को तैयार नहीं किया वह कुछ नहीं कर पाईं। अपने परिवार के लिए, अपने ख़ुद के लिए मैंने अपने आप को मज़बूत बना लिया। टूटे दिल को सिल लिया और अपने काम से प्यार करने लगी।”
“अनाया यदि कोई तुम्हारे दिल के बंद दरवाज़े पर दस्तक देगा तो क्या तुम वह दरवाज़ा खोलोगी?”
“पता नहीं गगन, लेकिन तुम मेरे दिल के उन तारों को क्यों छेड़ रहे हो जिन्होंने आवाज़ करना सुनना सब बंद कर दिया है। मुझसे इसके बाद प्लीज़ इस तरह की बातें कभी मत करना।”
“अनाया मेरे दिल में प्यार का यह आगाज़ पहली बार हुआ है। पहली बार किसी का हाथ थामने का मन हुआ है, वह और कोई नहीं तुम हो अनाया। दिल टूटने से कितना दर्द होता है तुम अच्छे से जानती हो। मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम इस दर्द को पहचानती हो इसलिए तुम ऐसा किसी और के साथ कभी नहीं करोगी। अनाया क्या तुम मेरे इस प्रस्ताव पर अपने प्यार की मोहर लगाओगी?”
वर्षों पुरानी विवाह और जीवनसाथी की चाह ने अनाया के दिल के तारों को झंकृत कर दिया। उसके दिल के खामोश पड़े तार बज उठे।
“अनाया ने कहा, प्लीज़ गगन इस तरह की बातें मत करो। मैंने बहुत मुश्किल से अपने आप को संभाला है, अब और वैसे आघात सहने की ताकत मुझ में नहीं है।”
“अनाया तुम गलत समझ रही हो, मैं तुम्हें विवाह के गठबंधन में बांधकर, अग्नि के सात फेरे लेकर जल्द से जल्द अपने घर ले जाना चाहता हूँ। हमेशा हमेशा के लिए अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूँ।”
अपने लिए यह शब्द सुनकर जिसकी उसे इस जन्म में तो अब बिल्कुल उम्मीद नहीं थी, अनाया की आँखों से आँसू बह निकले और उसने गगन की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए हाँ का इशारा कर दिया ।
गगन ने एक हफ्ते के अंदर ही अनाया के साथ विवाह कर लिया।
अनाया के माता पिता आज अपनी बेटी के बसते हुए संसार को देखकर ख़ुशी के सागर में गोते लगा रहे थे और भगवान को धन्यवाद दे रहे थे।
आज अनाया सोच रही थी कि यदि प्यार सच्चा हो तो रूप रंग और वजन कोई मायने नहीं रखते। हमें जिससे प्यार होता है, हमें उसमें प्यार के अलावा और कुछ दिखाई नहीं देता। हमें उससे विवाह करना चाहिए जो हमें प्यार करे और मुझे वैसा ही जीवन साथी मिल गया है । उसे अपनी मम्मी के वह शब्द याद आ रहे थे कि अनाया तुम्हारा राजकुमार भी किसी ना किसी दिन घोड़ी पर सवार होकर तुम्हें लेने ज़रूर आएगा।
गगन और अनाया हमेशा-हमेशा के लिए एक हो गए।
गगन को अनाया के अंदर कभी कोई दोष दिखा ही नहीं उसे तो अनाया में केवल अपना प्यार ही नज़र आता था जिसे पाकर वह स्वयं को दुनिया का सबसे भाग्यशाली व्यक्ति मानता था। अनाया भी अनायास मिले इस प्यार को भगवान का वरदान मानती थी।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक