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Rewind ज़िंदगी - Chapter-7.2: जुदाई फिर से

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“पर प्यार के मामले में तू हार गई, तू भले ये समझ की तू अजित से प्यार करती है, पर हकीकत ये है कि तू उसकी दौलत से प्यार करती है और वो भी तुझसे नहीं तेरी खूबसूरती से प्यार करता है। मैंने इन दोनों चीज़ों को कोई तवज्जोह नहीं दी थी, मैंने तुझसे प्यार किया था। सच्चा प्यार! पर बदले में तूने ये सिला दिया?” माधव की आँखें भर आई।

“छोटे बच्चे की तरह क्यों रो रहा है? यही असली दुनिया है। सच्चे प्यार जैसी कोई चीज़ नहीं होती। रही बात शादी की तो वो तो मैं तुझसे करने वाली नहीं हूं। याद रख तू भी इस शो का विजेता बना है, तेरी भी अब चांदी ही चांदी है। तुझे शादी के लिए कई सारी लड़कियां मिल जाएंगी। इस मामले में तू मुझे बख़्श दे।” कीर्ति ने हाथ जोड़कर कहा।

“हाथ जोड़ने की जरूरत नहीं है, अब तू मेरे पैर भी अगर पड़ेगी ना तब भी मैं तुझे माफ नहीं करूंगा। तुझे पैसो से ही प्यार है ना? अब देख तू अजित तो क्या उससे भी 10 गुना ज़्यादा शोहरत कमाऊंगा। अगर उस के बाद भी तू मेरे पास आई तो लात मार के तुझे बाहर का रास्ता दिखा दूंगा।”

“फ़िलहाल तो तू मेरे कमरे में खड़ा है, इस वक़्त तो मैं तुझे लात मारकर बाहर निकाल सकती हूं। फिर भी तुझे मैं प्यार से कहूंगी, चला जा इधर से और लौट कर कभी वापस मत आना इधर।”
“जाता हूं। पर एक बात याद रखना, एक दिन आएगा जब तुझे बहुत दुःख होगा मुझे छोड़ने का और उस दिन तुझे अपनी गलती का एहसास होगा।”

“ऐसा दिन कभी नहीं आएगा।”
“ये तो वक़्त ही बताएगा।”
“उम्मीद करती हूं अब हमारी मुलाकात नहीं होगी।”
“नहीं! मैं उम्मीद करता हूं कि हमारी मुलाकात जरूर से हो, तेरा हारा हुआ मायूस चेहरा देखने के लिए मैं बेताब रहूंगा।”
“गेट लॉस्ट।” कीर्ति ने कहा।

माधव बिना कुछ बोले वहां से निकल गया और मन में उसने ठान ली कि कीर्ति को उसकी औकात बता कर ही रहेगा।

अब माधव की ज़िंदगी का एक ही मकसद रह गया था ख़ुद को इतना सफल और अमीर गायक बनाए की आने वाली पीढ़ियों तक उसके नाम पर गाने बजते रहे। सबसे महत्व की बात थी कीर्ति के घमंड को चूर करना और उसकी अक्ल को ठिकाने लाना। माधव जब भी अपने आप को कमज़ोर महसूस करता तब तब वो कीर्ति के कड़वे बोल और कड़वी बातें याद कर लेता। इससे माधव के अंदर जोश और जुनून दोनों ही बढ़ जाते थे।
माधव को एक के बाद एक अच्छे गानों की ऑफर होने लगी। अब हर हाल में माधव रुकना नहीं चाहता था। उसे किसी भी हाल में कीर्ति को हारा हुआ देखना था। इसके लिए उसने अपने दिन और रात एक कर दिए। कुछ ही महीनों की मेहनत इतनी रंग लाई के घर घर में उसके गाने बजने लगे। सभी लोगों को फिर से माधव की आवाज़ पसंद आने लगी। सभी प्रोड्यूसर लोग भी अचरज में थे कि आखिर अभी तक ये हीरा कहां छूप कर बैठा था। जैसे जैसे माधव सफ़ल होने लगा, वैसे वैसे उसके लिए कई सारी लड़कियों के रिश्ते आने लगे। अब तो हर कोई उससे शादी करना चाहता था।

दूसरी तरफ अजित ने अपने शो के लिए जो उधार लिए थे उनकी किश्त पूरी नहीं कर पा रहा था। और उसका शो भी कुछ खास चल नहीं रहा था। डिप्रेसन में आकर उसने एक दिन ख़ुदकुशी कर ली। ये ख़बर चारों ओर फैल गई, माधव को भी इस बात की खबर मिली। उसके मन में सबसे पहले कीर्ति का ख़्याल आया। कीर्ति का कोई पता नहीं था। किसी को उसके बारे में कोई बात पता नहीं थी। माधव ने सोचा अजित के हालात देख कर शायद कीर्ति किसी और के पास चली गई। माधव को थोड़ी सी ख़ुशी तो हुई कि उसने अपनी जंग जीत ली पर पूरी जंग वो तभी जीत सकता था जब वो कीर्ति को अपनी ये जीत और उसकी हार दिखा सके।

धीरे धीरे माधव ने कीर्ति के बारे में सोचना ही बंद कर दिया। अब वो बस अपनी ही दुनिया में मशगूल हो गया। अरुण की शादी हो चुकी थी और उनका एक सुंदर सा बच्चा भी था। अरुण अब भी माधव की उतनी ही देखभाल करता जितनी पहले करता था। अरुण ने माधव को सलाह दी कि अब उसे कीर्ति के बारे में सब कुछ भूल कर शादी कर लेनी चाहिए। माधव भी अब इस बात में सहमत हुआ। कीर्ति उसके लिए मर चुकी थी यह सोचकर उसने अपनी ज़िंदगी को आगे बढ़ाने की सोची। माधव ने अपने लिए बहुत सारी लड़कियां देखी पर उसको कोई पसंद नहीं आती थी। वैसे भी ये सारे रिश्ते उनके फैन्स की तरफ से आते थे।

आखिरकार माधव ने अपने लिए एक जीवनसाथी को ढूंढ ही लिया। माधव ने माधवी के साथ शादी कर ली। माधवी को माधव पहले से ही पसंद भी था। माधव उस प्यार को दोस्ती समझ रहा था। एक दिन ख़ुद माधवी ने सामने से आकर माधव को प्रपोज किया। माधव को विश्वास नहीं हुआ अपनी किस्मत पर। वैसे भी कहा जाता है कि शादी कर के अपनी जिंदगी उसके साथ बिताओ जो आपसे प्यार करता हो ना कि उनसे जिससे आप प्यार करते हो। माधवी माधव को चाहती थी माधव के लिए बस इतनी सी ही बात काफ़ी थी।

माधवी के परिवार में सिर्फ उसकी मां और उसका छोटा भाई था। वो लोग गरीब परिवार के थे। ऐसा रिश्ता और ऐसी लड़की माधव को और कहीं पर नहीं मिल सकती थी। शादी के बाद माधव ने माधवी के छोटे भाई की पढ़ाई का खर्चा अपने सर ले लिया। अपनी सासु मां का भी ध्यान माधव ही रखता था। अब माधव ने हालात के साथ लड़ना सिख लिया था। अब उसे किसी से कोई शिकायत नहीं थी।

माधव को माधवी के रूप में एक अच्छी बीवी मिल गई थी और माधवी के परिवार के रूप में माधव को भी अपना परिवार मिल गया था। अरुण भी हंमेशा माधव के साथ था। उसने हर अच्छे बुरे हालात में माधव का साथ दिया था। बस कभी कभी माधव को कीर्ति की याद आ जाती थी। जब भी उसे प्यार करने वाली कीर्ति याद आती तब तब वो अपने दिमाग में नफरत करने वाली कीर्ति को याद कर लेता था। उसकी कैरियर भी अब फुल रफ़्तार में चल रहीं थी।



Chapter 8.1 will be continued soon…

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✍️ Anil Patel (Bunny)

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