तेरे सुर और मेरे गीत - भाग-5 S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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तेरे सुर और मेरे गीत - भाग-5

भाग -5


पिछले अंक में आपने पढ़ा कि सुनील ने जेनिफर को उसे प्यार करने वाले लड़के से मिलवाने के लिए बुलाया था पर एक्सीडेंट के कारण ऐसा हो न सका . जेनिफर एक पेंटिंग ले कर प्रदर्शनी में गयी थी . अब आगे पढ़ें ...

तेरे सुर और मेरे गीत


“ मेरी पेंटिंग सेल के लिए नहीं है , सिर्फ प्रदर्शनी के लिए है . “


जेनिफर एक पेंटिंग को देख रही थी . उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसके मन में ख्याल आ रहा था कि जरूर किसी दीवाने ने यह तस्वीर बनायी होगी . कुछ भी पूरा नहीं था एक लड़की का आधा चेहरा और ठीक उसके सामने आधा अधूरा चेहरा किसी लड़के का था . लड़की के गले में जो पेंडेंट था वह उसके पेंडेंट से मिल रहा था जबकि लड़के के कोट के पॉकेट पर जहाज का आधा एंकर नजर आ रहा था . जेनिफर के साथ वाला लड़का भी बोला “ किसी पागल ने यह पेंटिंग की है . “


“ कोई जरूरी नहीं वह पागल हो , हो सकता है तस्वीर हमारी समझ से परे है . “ पेंटिंग के नीचे “ नॉट फॉर सेल ‘ और पेंटर ने अपना नाम लिखा था , नाम भी बड़ी कलाकारी से लिखा गया था . बहुत बारीकी से देखने पर उसे यह नाम S . K लगा . S और जहाज के आधे एंकर को देख कर उसे लगा कि कहीं यह सुनील न हो . वह गैलेरी ऑफिस में गयी और वहां मौजूद आदमी से जेनिफर ने इस तस्वीर के पेंटर का पता बताने को कहा .


“ चूंकि पेंटिंग नॉट फॉर सेल है , पेंटर ने अपने कांटेक्ट किसी को बताने से मना किया है ताकि अनावश्यक रूप से खरीदार उसे तंग न करें . और दरअसल हम उसका नाम जानते भी नहीं हैं , वह पेंटर व्हील चेयर पर अपने किसी दोस्त के साथ आया था . सारा इंतजाम उसके दोस्त ने ही किया था . “


“ ठीक है आप पेंटर के दोस्त का ही पता दे दीजिये . “


उस आदमी ने एक स्लिप पर पेंटर के दोस्त का फोन नंबर दिया और कहा “ इसके सिवा मुझे कुछ भी पता नहीं है . “


“ थैंक्स , मेरे लिए इतना बहुत है . शायद इस से मैं अपनी मंज़िल तक पहुँच सकने में कामयाब हो जाऊं ? “

लड़की ने उस नम्बर पर फोन किया और उस तस्वीर के पेंटर के बारे में जानना चाहा तो वह बोला “ मैं आपको जानता तक नहीं हूँ फिर मैं कैसे उसका पता दे दूँ . “


“ अच्छा , आप यह बता सकते हैं कि आप कौन हैं और क्या काम करते हैं ? “


“ मैं निशांत हूँ और हवाई क्रूज शिप का रेडियो अफसर हूँ . “


“ तब तो आप मुझे भी जानते होंगे , मैं जेनिफर हूँ और क्रूज क्लब में कभी कभी परफॉर्म करती रही हूँ . “


“ अरे तुम जेनिफर हो , तो साफ़ साफ़ बोलो न क्या चाहती हो ? “


“ तुमसे एक बार मिलना चाहती हूँ . “


“ तुम शाम को 6 बजे लोम्बार्ड स्ट्रीट के टॉप में मिलो . “


“ व्हिच स्ट्रीट ? “


“ लोम्बार्ड जिसे आमतौर पर क्रूकेड स्ट्रीट कहते हैं . “


“ वही कॉमन नाम बोलना था न , ठीक है मैं आ रही हूँ पक्का ऑन टाइम . “


जेनिफर के साथ वाले लड़के ने कहा “ जेनी , तुम्हें सीधे पेंटर के बारे में जानना था , निशांत से मिल कर क्या करोगी ? “


“ मुझे उस से बहुत कुछ जानना है . मैं उस से मिलने अकेले जाऊँगी . “


शाम को जेनिफर निशांत से मिलने गयी और पेंटर के बारे में पूछा . निशांत ने पूछा “ तुम्हें पेंटर में रूचि है या पेंटिंग में ? “


“ दोनों में . “


“ सॉरी , पेंटिंग इज नॉट फॉर सेल . “


“ जानती हूँ , फिर भी पेंटिंग के बारे में मुझे जानने की जिज्ञासा है . इसलिए पेंटर से मिल कर जानना चाहूंगी . “


“ उसका पेंटर सुनील कुमार है जो करीब एक साल पहले तक हमारे शिप पर काम करता था . “


“ था , मतलब . अब किसी दूसरे शिप पर चला गया ? “


12

“ नो ,सुनील इज अ उसका सीरियस एक्सीडेंट हो गया था इसलिए वह शिप पर काम करने लायक नहीं रहा . उसे कम्पनी ने अभी हाल ही में टाइम ऑफिस में शोर जॉब दिया है . “


“ मैं उस से अभी अभी मिलना चाहूंगी . “


“ अभी तो मुश्किल होगा , तुम्हें ऑकलैंड जाना होगा . पर तुम उस से क्यों मिलना चाहती हो ? उसने तो कभी मुझसे जेनिफर नाम की लड़की का जिक्र तक नहीं किया है . “


“ उसका एक्सीडेंट कब और कैसे हुआ ? “


“ मुझे बस इतना पता है कि पिछले साल फ़रवरी में किसी संडे वह किसी लड़की को प्रपोज करने जा रहा था पर रास्ते में उसका एक्सीडेंट हो गया . बेचारा उस से मिल भी नही सका . उसने मुझ से उस लड़की का नाम नहीं बताया पर उसने कहा था कि अब मैं किसी लड़की के लायक नहीं रहा . “


“ तुम मुझे सुनील का पता दो . “


सुनील का पता मिलने पर जेनिफर ने अपने साथी को फोन कर के बुलाया और दोनों ऑकलैंड सुनील के घर पहुंचे . उसकी माँ ने दरवाजा खोला तब उसने खुद को और अपने साथी को सुनील का दोस्त बताया . माँ के पूछने पर उसने अपना नाम बताया . माँ बोली “ बेटे , इतने दिनों बाद तुम्हें सुनील की याद आई है . वह बेचारा तो तुम्हें प्रपोज करने गया था , साथ में वेडिंग रिंग तुम्हारे लिए ले गया था . पर उसके भाग्य में कुछ और लिखा था . “


“ सुनील कहाँ है ? “


“ वह अपने कमरे में है . “ सुनील के कमरे की तरफ इशारा कर के माँ ने कहा


सुनील को उसके दोस्त ने जेनिफर के आने की बात पहले ही बता दी थी . वह जेनिफर को देखते ही पहचान गया . जेनिफर ने भी उसे पहचान लिया था पर उसे इस हाल में देख कर आश्चर्य भी हुआ और दुःख भी . उसकी दाढ़ी बढ़ी थी और व्हील चेयर पर बैठ कर टेबल पर डायरी में कुछ लिख रहा था . जेनिफर ने धीरे से उसका नाम लेकर पुकारा तब सुनील ने मुड़ कर देखा . “ हाय , जेनिफर . माय गॉड कितने दिनों बाद मिली हो तुम .कैसी हो और आजकल तुम क्या कर रही हो ? “

क्रमशः