फ़ेसबुकिया लव - (अंतिम भाग) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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फ़ेसबुकिया लव - (अंतिम भाग)

"ऐसा करने की क्या जरूरत है"
" जरूरत है।लड़का यहां होता तो भी छानबीन करनी पड़ती।वह ऑस्ट्रेलिया में है तो और भी ज्यादा जरूरत है।जो वो बता रहा है वो सही भी है या नही?"बेटी की वात सुनकर विजय ने शंका ज़ाहिर की थी।
"पापा राहुल जो कह रहा है वो सही है।मैं काफी दिनों से उसके सम्पर्क में हूँ।हम फेसबुक पर एक दूसरे से जुड़े है।बातें भी करते है।,
"बेटी नेट की दुनिया रँगीली है।फ़ेसबुक पर जो भी दिखता है वो सब सच नहीं होता।"विजय ने बेटी की बात सुनकर उसे समझाना चाहा था
"पापा मैं अब बच्ची नही हूँ।डॉक्टर हूँ।मुझे भी अपने भविष्य की चिंता है।मैने हर तरह से राहुल का टेस्ट ले लिया है।वह जो कह रहा है।पूरी तरह सच है।
हमारे देश मे बेटा बेटी की शादी करना माँ बाप की जिम्मेदारी है।हर माँ बाप को अपनी बेटी के भविष्य की चिंता होती है।हर माता पिता अपनी बेटी का हाथ ऐसे आदमी के हाथ मे देना चाहता है जो पूरी तरह उसके योग्य हो।जो उसकी बेटी का ख्याल रखे और उसे सुखी रखे।इसलिए हर पिता रिश्ता करने से पहले लड़के के बारे में पुती छानबीन करता है।विजय भी बेटी का रिश्ता करने से पहले राहुल के बारे में पूरी जांच पड़ताल करना चाहता था।वह बिना जानकारी प्राप्त किये बेटी का रिश्ता राहुल से नही करना चाहते थे।लेकिन बेटी की जिद्द के आगे उन्हें झुकना पड़ा।
विजय ने एक दिन फोन पर राहुल से बात की।राहुल ने जो नीरजा को बता रखा था वो ही विजय को बताया था।विजय बोला,"मैं अपनी बेटी की शादी तुमसे करना चाहता हूँ।"
"जी।मैं तैयार हूँ".
"तो मैं शादी का महूरत निकलवा लूं?"विजय ने राहुल से पूछा था।
"जी आप मुहर्त निकलवा ले लेकिन मेरा भारत आना तीन या चार दिन के लिए ही होगा।इसलिए आपको शादी की सारी रस्मे इतने ही समय मे करनी होगी।"
राहुल ने अपनी बात कह दी थी।विजय के पास कोई चारा नही था।विजय ने पंडितजी से मुहर्त निकलवाकर राहुल से बात की।राहुल के हां कहने पर उसने शादी के लिए होटल बुक कर लिया
शादी का समय ज्यादा नही बचा था।कार्ड डाक से भेजने का समय नही था।इसलिए एक कार्ड छपवाकर सबको व्हाट्सअप कर दिया गया और फोन से भी सबको बोल दिया गया।
औऱ निश्चित दिन राहुल भारत आया था।उसके मां बाप थे नही।साथ मे कोई दोस्त या रिश्तेदार भी नही आया था।वह अकेला ही आया था।राहुल ने बोला तीन चार दिन के लिए था लेकिन वह दो दिन के लिए ही भारत आया था।शादी की सारी रस्मे दो ही दिन में निपटा ली गयी।शादी के बाद राहुल नीरजा को अपने साथ लेकर ऑस्ट्रेलिया चला गया।
राहुल सुबह घर से जल्दी चला जाता और शाम को देर से लौटता।,"राहुल में घर मे बोर हो जाती हूँ।मैं भी तुम्हारे अस्पताल में काम करना चाहती हूँ।'
"जल्दी क्या है?अभी तुम्हारी शादी हुई है।अभी आराम करो।काम कर लेना।"
"ठीक है।लेकिन अपना अस्पताल तो दिखा दो।"
"दिखा दूंगा।"और बात आई गयी हो गयी।कई दिनों बाद फिर नीरजा ने यही बात कही।राहुल हर बार कोई बहाना बना देता।एक दिन नीरजा उसका पीछा करके उसके अस्पताल जा पहुंची।सच्चाई जानकर उसके दाम्पत्य की नींव हिल गयी।उसके पापा ने सच कहा था।फेसबुक पर जो दिखता है सच नही होता।
राहुल डॉक्टर नही कम्पाउण्डर था।