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नौकरी

पूरे कमरे में एक अजीब सी शांति छाई हुई थी ,
वो इसलिए की अवंतिका की सास ने एक शर्त रख दी थी ,,,,वह भी शादी से दस दिन पहले।
वो शर्त ये थी की अवंतिका शादी के बाद नौकरी नहीं करेंगी।

अवंतिका अपने मां-बाप की इकलौती बेटी थी और उन्होंने उसे बहुत पढ़ाया लिखाया या था,,, अवंतिका ने अपनी सगाई से पहले ही कहा था कि मुझे नौकरी करनी बहुत अच्छी लगती है और मैं शादी के बाद भी नौकरी करूंगी।
पर आज यह सब सुनकर उसे लगा की जैसे उसके पैरों के नीचे से किसी ने जमीन ही खींच ली हो।
अवंतिका की माँ
रसीला जी ने कहा___परेशान होकर
निर्मला जी सगाई के बाद तय हुआ था की अवंतिका आगै पढ़ सकती है और बाद मे जॉब भी कर सकती है,,,!
तो अब आपको क्या प्रॉब्लम है।

निर्मला जी ने कहा प्रॉब्लम कोई नहीं है पर अविनाश की अच्छी जॉब लग गई है और अब तो उसके पापा के पेंशन की भी जरूरत नहीं है।
तो मुझे ऑफिस संभालने वाली नहीं ,,, मुझे और मेरे परिवार को संभालने वाली बहू चाहिए।

रसीला जी ____
ने निर्मला जी को कहा
हमने इतना खर्चा करके अवंतिका को इसलिए पढ़ाया था कि बाद में वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके,,,, और दो पैसे
कमाएगी तो वह आपके काम आएंगे ना। हम तो नही लेने वाले।

निर्मला जी___ बड़ी अकड़ से कहा
अगर शादी के बाद मां बाप अपनी बेटी की नौकरी के पैसे लेते तो अच्छा भी नहीं लगता ना।
पर अगर आपको शादी करनी है तो हमारी यही शर्त है,,
कि वह शादी के बाद नौकरी नहीं करेगी,,, बस यह फाइनल डिसीजन हैं हमारी और से ।

रसिक जी ने कहा
(अवंतिका के पापा) देखो बहन जी ये गलत है,, शादी की सारी शॉपिंग हो चुकी है सारा सामान आ गया है कार्ड छप चुके हैं और सारे रिश्तेदारों को भी पता चल गया है तो अब आप ऐसा कैसे कर सकती हो ।

दिलीप जी ने कहा देखो रसिक जी हम आप पर कोई प्रेशर नहीं कर रहे हैं।
पर निर्मला चाहती है कि उसकी बहू उसके परिवार को और उसके बेटों को संभाले तो उसमें कुछ गलत भी नहीं है ।और अब आपके दामाद की अच्छी जॉब लग गई है। तो बहुं को जॉब करने की क्या जरूरत।

जरूरत है अवंतिका ने अपने रूम से बाहर आकर कहा। यह सारी बात आप छे महीने पहले भी बोल सकते थे। मैं नौकरी करुंगी वह तो आप पहले से जानते थे।
मगर यह सब आप एंड टाइम में बोल रहे हो।
और अगर आपको यही शर्त रखनी है मुझे यह शादी नहीं करनी है।
मेरे मां-बाप ने मुझे इतना पढ़ाया इतना खर्चा करा वह इसलिए नही की सिर्फ चार दीवारों में पड़ी रहुं।
वो इस लिए कि मैं अपने पैरों पर खड़ी हो सकूं
और हा ,,,,मैंने कब कहा कि मैं आपको,, आपके बेटे को,,और आपके घर को नहीं संभाल लूंगी ,,,,
एक वर्किंग वुमन भी अच्छी तरह से अपना घर संभाल सकती हैं मैं ऑफिस के साथ घर भी मैनेज कर लूंगी। अगर आप लोग चाहो तो।

पर निर्मला जी को यह बात मंजूर नहीं थी। शादी के दस दिन ही बाकी थे,,
पर उन्होंने यह शर्त रख कर अवंतिका के दिल को ठेस पहुंचाई थी। उपर से अविनाश एक शब्द भी नहीं बोल रहा ।

अवंतिका ने कहा____
निर्मला जी अगर आपने यही बात मुझे शादी के बाद प्यार से बोली होती तो मैं सच में नौकरी नहीं करती। मगर शादी से पहले और वह आप हुकुम कर कर बोल रही है वह मुझे मंजूर नहीं।
अवंतिका ने मन में सोच लिया जो अभी से यह सब कर सकते हो पता नहीं वह बाद में क्या करेंगे उससे शादी के लिए इंकार कर दिया।

चार साल बाद ____________/
निर्मला जी ने अविनाश की शादी एक गांव की अच्छी लड़की से करा दी थी। एक सुशील संस्कारी लडकी से और निर्मला जी जैसा चाहती थी उनकी बहुं ने वही किया उसने शादी के बाद पूरे घर को पूरे परिवार को संभाल लिया था। अविनाश भी खुश था और उसके मां-बाप भी ।
कुसुम सच मे एक अच्छी लडकी थी,,,,,उसने दो बच्चे को जन्म भी दिया ,,,, छोटा परिवार सुखी परिवार उनके जीवन की गाडी अच्छी तरह से चल रही थी।
शाम का वक्त :::_
निर्मला जी झूले पर बैठी हुई भगवान जी की माला जप रही थी ।
उन्होंने देखा कि अविनाश थका हारा घर पर आ रहा है और कुछ परेशान भी था। उन्होंने कुसुम को आवाज दी कुसुम जल्दी पानी लेकर आओ अविनाश आ गया है,,,,, अविनाश ने पानी पिया और वह सोफे पर ढेर होकर कर बैठ गया।

कुसुम __
क्या हुआ अविनाश आप इतने परेशान क्यों हो,?

अविनाश __
मेरी जॉब चली गई कंपनी घाटे में चल रही थी इसलिए अविनाश ने उदास होतेहुए कहा।
निर्मला जी कोई बात नहीं बेटा दूसरी जॉब मिल जाएगी। हम हैं ना उन्होंने आश्वासन देते हुए अपने बेटे को
कहा।
एक महीना दो महीना छे महीने पूरा एक साल बीत गया था। अविनाश को कोई नौकरी नहीं मिली।
अब तो सारी सेविंग भी खत्म हो गई थी और पांच हजार के पेंशन में घर भी नहीं चल रहा था बच्चों का खर्च उनकी दवाई राशन पानी,,,, इतने में कुछ नहीं हो सकता और नौकरी न मिलने की वजह से अविनाश भी जुए और शराब की लत में पड गया था। घर की बहुत कठिन परिस्थिति चल रही थी।
जैसे तैसे बस दिन गुजर रहे थे,,,,, एक दिन कुसुम बाजार से खुश होते हुए घर में आई और अपनी सांस को कहा माजी एक बहुत अच्छी खुशखबरी है।

निर्मला जी ____
क्या हुआ बेटा सच मे सुनाओ,,,हमारे घर में तो जैसे खुशी ने दस्तक देना ही बंद कर दिया है ।

कुसुम ___
मां मेरी स्कूल की दोस्त रंजीता मीली थी। उसने कहा जिस स्कूल में वह नौकरी करती है वहां मध्याह्न भोजन बनाने के लिए दो औरतें चाहिए जो खाना पका सकें।
मैंने अपनी बात कही तो उसने कल स्कूल मे आके स्कूल के प्रबंधन अधिकारी को मिलने को बोला है । अगर हमारी नौकरी पक्की हो गई तो मां हम दोनों मिलकर पांच हजार कमा सकते हैं,,,, कुसुम ने खुशी जताते हुए कहा।

निर्मला जी का मन तो नहीं था पर वह क्या करें मजबूरी थी दोनों दूसरे दिन स्कूल में गए,,, भगवान का नाम लेकर की नौकरी पक्की हो जाए।
कुसुम ने स्कूल आके रंजीता को फोन लगाया रंजीत आपने क्लास में से बाहर आई उसने दोनों सास बहू को स्कुल की मैनेजमेंट ऑफिस के अंदर ले गई ।

रंजीता ने उसकी दोस्त और सास का इंट्रोडक्शन करते हुए कहा कि मैंम ये है मेरी दोस्त कुसुम और उसकी साथ निर्मला जी
कल मैंने आपको बात करी थी ना वह।

जैसे ही निर्मला जी ने खुरशी मै बैठी उस औरत को देखा तो वह स्तब्ध रह गई,,,, वो अवंतिका थी। ये वही अवंतिका थी जिसे एक दिन उन्होंने बस यही कहकर ठुकराया था कि अगर वह नौकरी करेगी तो वो इस घर की बहू नहीं बन सकती,,,,
और आज वही अवंतिका के सामने निर्मला जी नौकरी की उम्मीद लेकर आई थी।

समाप्त

हमारे सब दिन एक जैसे नहीं होते इसीलिए उस दिन के लिए हमें पहले से ही तैयार होना पड़ता है
मैं यह नहीं बोल रही कि हर किसी को जॉब करनी चाहिए मगर हर लड़की को इतनी पढ़ाई तो करनी ही चाहिए की कीतनी भी कठिन परिस्थिति हो वह अपने पैरों पर कभी भी खड़ी हो सके।
बहुत सारी वर्किंग वुमन है जो घर और ऑफिस दोनो खूबसूरती से संभालती है।
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