Paani re Paani tera rang kaisa - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

पानी रे पानी तेरा रंग कैसा - 5

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27.8.2021

हम ईश्वर को प्रार्थना करने लगे। नीचे खूब गहराई तक पानी, आदमी अगर गीरे तो सीधा घुसकर दफन हो जाए ऐसा कीचड़, खूब गहरी बंध जगह में प्राणवायु का अभाव। नर्क का रास्ता ऐसा ही होगा क्या?

दूर खूब ऊंचे, गुफ़ाकी छत में रहे कोई बड़े मुख से उजाला दिखाई दे रहा था। सवेरा हुआ होगा। वह मुख नहीं नहीं तो सौ फीट तो ऊंचे होगा ही। फिर भी हमने ताकत एकत्रित करते हो सके इतनी ऊंची आवाज़ में शोर मचाया। प्रतिघोष चारों ओर हुआ। हमने ड्रम और ब्युगल भी बजाए। कोई प्रतिभाव नहीं मिला। ऐसे ही फिर थक कर बैठ गए, कहो बैठे बैठे अभान अवस्था में सो गए। ऐसे ही रात हुई। ऊपर चाँद और तारे भी दिखाई दिए। कुछ चढ़ने के रास्ता मिल जाए तो किसी तरह बाहर निकलें। सुबह तक कुछ मुमकिन नहीं था।

पानी कम हो इससे पहले फिर ज़मकर बारिश टूट पड़ी और मेघ गर्जना होने लगी। संकरी जगह में अब खड़े खड़े हम 13 लोग एक दूसरे से सटे रहे।

अभी भी जगु और तोरल के पास पांच छे बिस्कुट और आधा सेब बचे थे। सब ने थोड़ी बाइट ले ली।

"बारिश ने लिया तंत है

मुश्किल, तेरा कब अंत है?"

आधे मरे मनन ने फिर शीघ्र कविता दोहराई।

मनन, तोरल और रूपा ने मिलकर गुजराती भजन शुरू किया -

"नैया ज़ुकाई मैंने

देखो डूब जाए ना

टिमटिमाता दिया मेरा

देखो बुझ जाए ना।

तन की बिना के सुर

देखो थम जाए ना

टिमटिमाता दीया मेरा

देखो बुझ जाए ना।"

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