Paani re Paani tera rang kaisa - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

पानी रे पानी तेरा रंग कैसा - 1

1

22.8.2021

मेरे मार्गदर्शन में हमारा यह म्यूजीक ग्रुप गुजरात के जूनागढ़ शहर में आयोजित एक ख्यातनाम संगीत स्पर्धा में प्रत्याशी बनकर आया है। आज मेरी टीम के सभी कलाकार आने के बाद तुरंत हम सब रिहर्सल के लिए एकत्रित हुए। हम कुल 13 सभ्य है। 12 किशोर- किशोरियां और मैं उनका 24 वर्षीय शिक्षक। सभी कलाकार छोटे है लेकिन संगीत में काफ़ी माहिर है।

हमने मिलकर वाद्यों के साथ '.. जय हो..' गीत और कुछ सुरीले गीतों की पूरा दिन प्रेक्टिस की। प्रचंड, चीखती लेकिन शहद घोली आवाज़ के मालिक जयदिप राजपूत, जिसे सब जग्गा डाकू बोलते थे और कोयल सी सुरीली आवाज़ वाली तोरल ने मिलकर मैंने सिखाया इस तरह 'पानी रे पानी तेरा रंग कैसा..' का बख़ूबी गान किया।

रिहर्सल में सभीने पूरा सहयोग दिया। इन दो तीन दिन हमें साथ ही रहना है।

बच्चे काफी थक चुके थे अतः मैने रिहर्सल समाप्त घोषित किया।

 

23.8.2021

आखिर फाइनल रिहर्सल भी पूरा हुआ। सभीने चेन की सांस ली।

'हुर्र.. चलो कहीं अगलबगल में घूम आएं।' षोडशी, खिले फूल जैसे रूप की स्वामिनी तोरल चहक उठी।

'ज़रूर। कहाँ जाना है? आज मज़े से सब साथ साथ जा के आएं। हो सके कभी फिर न मिलें।' मैने कहा।

धीर गंभीर गामिनी ने यहाँ के गिरनार पर्वत चढ़ आने का सूचन किया।

उत्साह से भरे मनीष ने कहा कि गिरनार तो सब जाते हैं। हम सब सासण के पास एक गहरी, मीलों लंबी गुफ़ा है इसकी अंदर से सैर करेंगे।

"अबे ओ साहसी, रहने दे। कहीं रास्ता भूल गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे। इतनी मेहनत बेकार जाएगी। चलो सोमनाथ ही जा के आएं। रूपा गूंज उठी।

"अरे, जवानी का जोम है,

ऊपर खुला व्योम है.."

शीघ्र कवि मनन ने ललकारा।

"सर, उस गुफ़ा में एक ट्रेकिंग हो जाए। प्लीज़।" तोरल की आवाज़ ने मेरे कानों में मिश्री घोली।

मैने भी यह सूचन बधा लिया। उनकी बातें ऐसी तो जीवंत लगी की मैने गीतों के साथ वह भी रेकॉर्ड कर ली। कभी कहानी या नाटक लिखने में काम आए।

अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED