Takdeer ka khel - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

तक़दीर का खेल - 3

Recap of chapter 2

सनी और रवि धोखे से विक्रम को गिरफ्तार करते हैं, और अपने हेड के पास लेकर जाते हैं, और वह हेड विकी की हथकड़ी को कुर्सी के साथ बांध देता है, और तीनों वहां से चले जाते हैं, उनके जाने के बाद विकी को टेबल पर से एक चाबी मिलती है जिससे वह अपनी हथकड़ी खोल लेता है।

अब आगे, ....

विक्रम खड़ा होकर दरवाजे के पास जाता है, और दरवाजे को खोलने की कोशिश करता है, लेकिन दरवाजा खुलता नहीं है🙁 वह तीनों दरवाजे को बाहर से बंद करके गए हैं🔐 वह विक्रम समझ जाता है।
विक्रम :- क्या यार! जल्दी आ कर घर पर सब को surprise देने का प्लान बनाया था😩 और यहां पर तो मैं ही फस गया। समझ नहीं आ रहा, कैसे निकलु यहाँ से?? और वह तीनों ऑफिसर पता नहीं मुझे यहां पर बंद करके कहां चले गए हैं? कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करूं? 😒कहां फस गया यार मैं?
विक्रम थक के कुर्सी पर बैठता है।
.....

Main office of Mehta industry, अनिल का केबिन
वहां पर अनिल सावित्री और मिस्टर रॉय बैठे हुए हैं और डिल के बारे में डिस्कस कर रहे हैं।
अनिल :- मिस्टर रोय, आपकी डील हमें तो बहुत अच्छी लगी.. हैना भाभी?
सावित्री :- हां.. मिस्टर रॉय, अगर जैसा आप कह रहे हैं, गोवा में भी हमारी ब्रांच खुली, तो आपके और हमारे बिजनेस रिलेशनशिप के लिए और हमारे मेहता इंडस्ट्री के लिए डेफिनेटली बहुत फायदेमंद होगा।
मिस्टर रॉय :- तो सावित्री जी, एंड मिस्टर अनिल, गोवा में हमारे बिजनेस पार्टनरशिप की डील को मैं फाइनल समझूं?? आपकी हां है? am I right?
अनिल :- मिस्टर रॉय, हमें आपकी डील अच्छी लगी, but we need to talk to our financial and legal team as well as Vikram and Jagdish Bhai. so, Mr Roy I hope you understand..
मिस्टर रॉय :- Of course.. sure, Mr Anil.
सावित्री :- Okay then, Mr Roy we will let you know our decision after in two or three days.
मिस्टर रोय :- that's alright, take your time.
वह करण रॉय अपनी घडी⌚ में देखता है और उसके बाद सावित्री और अनिल से कहता है,
करण :- OK then I should take your leave now, अभी थोड़ी देर में मेरी फ्लाइट है।
तीनों खड़े होते हैं। अनिल करण रॉय से हाथ मिलाता है, और सावित्री उसे नमस्ते करती है। और उसके बाद वह करण रॉय चला जाता है। उसके जाने के बाद थोड़ा बहुत ऑफिस का काम निपटा कर सावित्री और अनिल भी घर के लिए निकलते हैं। और अनिल अपने सेक्रेटरी कम फैक्ट्री के मैनेजर मिस्टर दीपक जोशी को बाकी का काम पूरा करने के लिए कह देता हैं।
....

अनिल और सावित्री घर आते हैं तो देखते हैं कि सुरेखा खाना - वाना बना कर पूरी तैयारी कर कर लिविंग रूम में बैठी हुई है। और किसी को फोन लगा रही है। वह दोनों भी लिविंग रूम में जाते हैं, और बैठते हैं सुरेखा के पास। शांति उनके लिए पानी लेकर आती है। सुरेखा परेशान दिख रही थी। जिसे वह फोन लगा रही थी वह शायद उसका फोन नहीं उठा रहे थे फिर सुरेखा फोन रख देती है। उसके बाद अनिल उससे पूछता है,
अनिल :- क्या हुआ? सुरेखा? तुम इतनी परेशान क्यों हो? 😕(अनिल सुरेखा को गौर से देखता है🧐 उसे सुरेखा के चेहरे पर थकान नजर आती है।)
देखो इतनी थकी हुई लग रही हो, इसलिए कहता हूं सारा काम अकेले मत करा करो।
सुरेखा :- अरे.. लेकिन...
अनिल :- (उसे बोलने नहीं देता) मैं जानता हूं ये जो छप्पन भोग! i mean इतना सारा खाना तुम ही ने बनाया होगा, और शांति की तो तुमने हेल्प भी नहीं ली होगी? है ना शांति??
शांति :- हां साहब एकदम ठीक कहां अपने.. मैंने मैम साहब को कितनी बार कहा कि मुझे अपनी मदद करने दे, लेकिन उन्होंने तो साफ इंकार कर दिया।
सुरेखा :- क्या अनिल आप मेरी बात तो सुनिए!! और क्या शांति तुम भी चुप नहीं रह सकती हो?
शांति :- जी।
अनिल :- शांति जाओ सुरू I.. अ..I mean सुरेखा के लिए नींबू 🍋 पानी लेकर आओ।
शांति :- जी।
सुरेखा :- नहीं शांति जाओ तुम अपना काम करो, मुझे निंबू पानी नहीं चाहिए।
(शांति चली जाती है)
अनिल :- भाभी, अब आप ही समझाइए, के पी ले नींबू पानी।
सुरेखा :- नहीं, अनिल, भाभी पहले मेरी बात सुनिए।
अनिल :- अरे लेकिन...
(सावित्री बीच में ही बोलती है)
सावित्री :- अनिल, अब तुम कुछ नहीं बोलोगे! सुरेखा को बोलने दो, हां... तो बोलो सुरेखा, क्या हुआ है? इतनी परेशान क्यों हो?
अनिल :- (घड़ी मैं देखता है) हां, और 10:00 बज गए अब तक भाई भाभी आए क्यों नहीं??🤨अब तक तो आ जाना चाहिए था उन्हें नील और विक्रम को लेकर।
सुरेखा :- उन्हीं के बारे में बात करनी थी आपसे, की भावना भाभी तो अपना फोन घर पर भूल गई है, और जगदीश भाई का फोन स्विच ऑफ आ रहा है🙁 और नील को फोन कीया तो वह तो फोन उठा नहीं रहा है😒 और विकी को भी फोन किया लेकिन विकी का फोन भी स्विच ऑफ आ रहा है। पता नहीं वह सब कहां है?? 😕
(सुरेखा की बात सुनकर अनिल और सावित्री परेशान है तभी अनिल को जगदीश का फोन आता है अनिल तुरंत फोन उठाता है और पहले की जगदीश कुछ बोले वो खुद ही बोल पड़ता है)
अनिल :- (फोन📲 पर) हेलो..! भाई कहां हो यार आप? अभी तक आए क्यों नहीं, गोलू और विक्रम को लेकर? अरे... कहीं गाड़ी तो बिगड़ नहीं गई ना?? सुरेखा ने आपको फोन किया आपका फोन, भी स्विच ऑफ था।
जगदीश :- (फोन📲 पर) छोटे तू मुझे कुछ बोलने देगा? तू मेरी बात सुन, सब कुछ ठीक है। और फोन स्विच ऑफ हो गया था क्योंकि बेटरी🔋 लो थी फिर मैंने पहले फोन को चार्जिंग में रखा कार में, अभी स्विच ऑन हुआ तो देखा कि सुरेखा कितने मिस कॉल थे।
अनिल :- ठीक है, बोलो फिर क्या...! मतलब, कहाँ हैं आप🙁?
थोड़ी देर तक जगदीश उसे कुछ बताता है और वह सुनकर अनिल के चेहरे पर जो परेशानी थी वह दूर हो जाती है और वह खुश हो जाता है 😄।
अनिल :- ठीक है भैया, फिर we are waiting for you all come as soon as possible.
जगदीश :- हां, हम शायद आधे घंटे में आ जाएंगे, और तू घर पर भाभी और सुरेखा को बता देना की चिंता ना करे।
अनिल :- Okay, भाई।
उसके बाद अनिल फोन डिस्कनेक्ट करता है, और जो जगदीश ने उसे बताया था वह सावित्री और सुरेखा को भी बताता है।
.....

विक्रम कितनी देर से वहां पर ऐसे ही कुर्सी पर बैठा है😒 और वह तीनों ऑफिसर का तो कोई अता पता नहीं था।
विक्रम :- अरे! यार, क्या मुसीबत है😔। घर पर सभी कितनी टेंशन में होंगे, और गोलू भी एयरपोर्ट पर मुझे ढुँढ रहा होगा और वह तीनों ऑफिसर, पता नहीं कहां चले गए मुझे यहां पर बंद करके😤। कहीं वह तीनों ऑफिसर नकली तो नहीं🤨??

विक्रम अब थक गया है, तभी उस घर में जो दूसरा रूम था (वह इस रूम से कनेक्टेड डोर वाला था) वहां पर से विक्रम को किसी के बोलने की आवाज आती है। सुनकर विक्रम चौकन्ना🧐 हो जाता है। वह उस दरवाजे के पास जाता है, कि शायद उसे कुछ सुनाई दे तो वह कुछ समझ पाए। उसे वो लोग क्या बोल रहे थे वह clearly सुनाई👂 नहीं दे रहा था, लेकिन आवाज सुनकर उसे इतना पता जरूर चल गया था कि वह ना तो सनी और ना ही रवि की आवाज थी। लेकिन फिर भी उसे वह आवाजें जानी पहचानी तो लग रही थी🤔। विक्रम को अब शक होने लगा है, कि वह तीनों ऑफिसर झूठे तो नहीं?? और वह उसे फंसा रहे हैं?? विक्रम उस दरवाजे को खोलने की कोशिश करता है लेकिन वह लोक🔐 था उस रूम में जो 2 लोग थे उन्हें सुनाई देता है, विक्रम अब वह दरवाजा खटखटाता है और पूछता है
विक्रम :- कौन हो तुम लोग?? और मुझे यहां पर क्यों लाए हो?
वह दोनों उसकी बात का जवाब देने के बजाय दरवाजे को खोलते हैं। दरवाजा खुलते ही विक्रम अंदर जाता है विक्रम कौ दोनों के चेहरे दिखाई नहीं दे रहे थे, क्योंकि उस कमरे में तो पहले वाले कमरे से भी ज्यादा अंधेरा था। उन 2 लोगों में से एक विक्रम का हाथ पकड़ कर उसे पहले वाले रूम में ले जाने की कोशिश करता है। लेकिन विक्रम उससे अपना हाथ छुड़ाकर उस को धक्का मारता है😯। विक्रम का धक्का शायद उसे बहुत जोर से लगता है और वह गिर पड़ता हैं। और जो दूसरा आदमी था वह विक्रम के पास आता है और बोलता है,,
दूसरा आदमी :- विक्रम यार क्या कर रहा है? तू देख तो सही किसे धक्का दिया तूने?
विक्रम :- (गुस्से में😤) एक तो यहां इतना अंधेरा है, और तुम लोग...🤔 वह बोलते बोलते रुक जाता है वह आवाज उससे वह पहचान जाता है oh no!! is that you?? I mean how is that possibl? निशू? I mean निसर्ग?
वह आदमी :- हां मैं निसर्ग ही हूं, वाह यार विकी😄 तूने तो मेरी आवाज से ही पहचान लिया मुझे😊।
विक्रम सुनकर खुश होता है कि वह उसका और नील का बेस्ट फ्रेंड निसर्ग है। लेकिन विकी थोड़ा सा shocked भी है कि निसर्ग यहां क्या कर रहा हैं? क्योंकि निसर्ग तो 5 साल से मेक्सिको में था वहां पर उसके दादा-दादी रहते है। तभी वहां जो विकी के धक्के से नीचे गिर गया था वह आदमी बीच में ही बोलता है,
आदमी :- क्या यार भाई? इतनी जोर से कोई धक्का मारता है? अपने छोटे भाई को??
विक्रम :- गोलू तू? विक्रम को मानो कोई पहेली सुलझ गई हो वैसे सब कुछ समझ आ जाता है😎। और वह बोलता है now I get it. गोलू यह सारा किया कराया तेरा है, है ना? और नीशू ने तेरा साथ दिया, है ना? वैसे तुम लोगों ने ऐसा किया क्यों??गोलू निशू अब कुछ बोलोगे भी??
नील :- (अभी भी नीचे पड़ा हुआ है और बोलता है) भाई, एक तो आपने इतनी जोर से धक्का दिया😤 और अब मुझे खड़ा करने के बजाए आप मुझे डांट☹️ रहे हो?? भाई, this is not fair😔.
विक्रम :- चल अब ये नाटक बंद कर, आजा।
विक्रम उसे हाथ देता है, निल खड़ा होता है और विक्रम को गले लगाता है।
नील :- भाई, आई मिस यू यार, हैप्पी बर्थडे, वेरी-वेरी हैप्पी बर्थडे भाई।
निसर्ग भी उन दोनों को गले लगा लेता है और बोलता है
निसर्ग :- यार, मैंने भी तुम दोनों को बहुत मिस किया, हैप्पी बर्थडे यार विकी।
विकी :- thanks😊 Gulu, Nishu thank you. (तीनों खड़े हैं विकी बोलता है) मैंने भी तुम दोनों को बहुत मिस किया।
तीनों थोड़े से इमोशनल🥺 हो जाते हैं आफ्टर ऑल कितने टाइम बाद मिले थे वह तीनों तो इमोशनल होना तो लाजमी था। फिर विकी बोलता है,
विकी :- बस बस, अब तुम दोनों बताओ कि मुझे यह नकली सीआईडी ऑफिसर से गिरफ्तार क्यों करवाया???
नील :- (विकी को जवाब ना देकर निशु से कहता है) निशू यार, लाइट्स ऑन करना।
निशु लाइट ऑन करता है तो विकी देखता है कि उस कमरे में बहुत अच्छी डेकोरेशन थी और टेबल पर विकी की पसंद का चॉकलेट फ्लेवर का केक भी है, और दीवार पर बड़े अक्षरों से लिखा हुआ था हैप्पी बर्थडे।
निशू :- कैसा लगा विकी?
विकी :- बहुत अच्छा😄।
नील :- देखा भाई, यह ना, सब कुछ आपको सरप्राइज 🎁 देने के लिए किया।
विकी :- वीह! गोलू मुझे तेरा सरप्राइज बहुत अच्छा लगा।
निशू :- अरे?.. सिर्फ नील का? माना, कि आईडिया गोलू का था लेकिन मदद तो मैंने भी की ना?? 😔
विकी :- क्या यार तू भी... अच्छा ठीक है तुम दोनों का।
(तीनों हंसते हैं)
नील :- भाई, यही नहीं एक और सरप्राइज है आपके लिए😊।
विक्रम :- अच्छा?
नील :- हां, वह देखो।
नील दरवाजे की तरफ इशारा👉 करता है, जगदीश और भावना सनि, रवि के साथ वहां पर खड़े हैं। उन दोनों को देखकर विक्रम बहुत खुश होता है। विक्रम उन दोनों के पैर छूता है। और नील भी जगदीश और भावना उन्हें आशीर्वाद देते हैं। बाद में निशु भी उन दोनों के पैर छूता है।
जगदीश और भावना :- हैप्पी बर्थडे विक्रम बेटा😊।
विक्रम :- थैंक यू मां थैंक यू पापा।
नील :- कैसा लगा भाई सरप्राइज?
विक्रम :- बहुत अच्छा, बहुत ही अच्छा गोलू।
सनी और रवि :- हैप्पी बर्थडे विक्रम भाई।
विक्रम :- थैंक यू, वैसे कहना पड़ेगा तुम दोनों बहुत अच्छे एक्टर हो... ऐसा लगा ही नहीं कि तुम दोनों नकली सीआईडी ऑफिसर हो।
नील :- अरे नहीं भाई यह दोनों सच में सीआईडी ऑफिसर है, मेरे जूनियर है, मैंने बुलाया था इन्हें सुबह 7:00 बजे मेरी ट्रेन आई तब, वह क्या है ना जैसे हमने घर पर सरप्राइज देने के लिए झूठ बोला कि आपकी फ्लाइट 8:00 बजे कि नहीं 9:00 बजे की है और मेरी ट्रेन 9:30 बजे की वैसे ही मैंने झूठ बोला आपको सरप्राइज देने के लिए मेरी ट्रेन कोई 8:00 बजे की नहीं थी 7:00 बजे मैं मुंबई आ गया था ओर यहाँ आ कर इन तीनों के साथ मिलकर सारी तैयारी की।
विक्रम :- अच्छा? यह बात है। और वह ब्राउन शुगर के वाले पैकेट?
नील :- भाई, वो ब्राउन चुके नहीं था, वह तो ग्लूकोस पैकेट था😲 सिर्फ लेबल ब्राउन शुगर का था। और वह सनी ने ही डाला था आप के बैग में चुपके से।
विकी :- और वो तिसरा ओफिसर तु था। है ना? पर आवाज, और बोलने का ढंग तुने थोड़ा बदल दिया था, ईसलिए में तुझे पहचान नहीं पाया।
निल :- हा, फिर में और नीशु गए केक 🎂 लेने और सनी और रवि को भेजा एयरपोर्ट पर, उनको कहा की जो भी घर से आपको वहा लेने आया हो उनको यहाँ पर लेकर आये सब कुछ बता कर।
निशू :- ओहो...! चलो यार 🎂केक काट ना विकी, तुम सारी बातें यहीं पर कर लोगे??
भावना :- हां निशु ठीक कह रहा है, चलो विकी बेटा केक काटो।
विकी :- हां।
फिर विक्रम केक कट करता है सभी को खिलाता भी है फिर जगदीश बोलता है
जगदीश :- चलो जय-वीरू, निशू अब घर पर चले? सब घर पर राह देख रहे हमारी।
सनी :- ठीक है सर, तो हम भी चलते हैं।
नील :- अरे..! तुम दोनों भी चलो हमारे साथ, लंच कर कर जाना।
रवि :- नहीं सर, थैंक यू सो मच, लेकिन हम चलते हैं।
नील :- ठीक है फिर, जैसा तुम लोग ठीक समझो, कल मिलते हैं।
सनि-रवि :- जय हिंद सर।
नील :- जय हिंद।
फिर सनी और रवि जाते हैं, और जगदीश, भावना, नील, निशू और विक्रम सभी घर जाने के लिए निकलते हैं।
....

कुंज विला...,
सभी बहुत खुश है नील और विक्रम के आने की वजह से और निशु के भी आने की वजह से क्योंकि सभी को नहीं पता था कि निशू इंडिया में था, फिर सावित्री नील और विक्रम की आरती उतारती है। और उसके बाद निल और विक्रम सावित्री, सुरेखा और अनिल के पैर छूते हैं। उनके आशीर्वाद लेते हैं। सभी विक्रम को बर्थडे विश करते हैं। उसके बाद सबके कहने की वजह से निशु भी उन्हें लंच में जोईन करता है...... 😊

To Be Continued.... ☺



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