Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.4:  प्यार एवं जुदाई Anil Patel_Bunny द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.4:  प्यार एवं जुदाई

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Chapter-5.4: प्यार एवं जुदाई


जब तक कीर्ति का जवाब ना आ जाए तब तक उसको ये बेचैनी सहन करनी ही थी। कहते है सब्र का फल मीठा होता है, पर माधव से अब और सब्र नहीं हो रहा था। दूसरे दिन कीर्ति ने माधव को कॉल किया,
“हैल्लो? मैं तेरे कॉल का कब से इंतज़ार कर रहा था यार, क्या सोचा तूने? मैंने कुछ ग़लत तो नहीं बोल दिया ना? तू ठीक तो है ना? सॉरी मैं कल जल्दबाजी में ज़्यादा बोल गया, मुझे तुझको ये अचानक से नहीं कहना चाहिए था।” माधव एक सांस में सब बोल गया, आगे और कुछ बोले उससे पहले कीर्ति ने उसे बीच में ही रोक दिया और कहा,
“सांस ले ले यार, इतनी जल्दबाजी अच्छी नहीं होती, आराम से पानी पी कर बात कर।”
“मुझसे नहीं रहा जा रहा यार, कल की रात मैंने कैसे बिताई है यह तू नहीं जानती। पानी पीने की बात छोड़ मैंने कुछ ग़लत तो नहीं बोल दिया ना कल? तूने सोचा उस बारे में?”
“हां, मैंने सोचा इस बारे में और सोचते सोचते वक़्त कैसे बीत गया इसका पता भी नहीं रहा। इसीलिए कल तुझे कॉल नहीं कर पाई।”
“तो क्या सोचा?”
“मैंने तुझे उस नज़र से कभी देखा नहीं, पर सोच रही हूं कि अब उस नज़र से देखना शुरू कर दूं।”
“मतलब तेरी हां है?”
“हां मेरी हां है।”
माधव को अपने कानों पर विश्वास नहीं आया। दो घड़ी वो कुछ बोल ही नहीं पाया। फिर ख़ुशी में आकर बोला,
“यार सच में तू सामने होती तो सीने से लगा लेता, तुझसे मिले कितना टाइम हो गया, चल कहीं पर मिलते है और चाय पीते है।”
“हां चल चाय पीने के बहाने कहीं पर मिलते है।”
माधव और कीर्ति की प्रेम कहानी का आरंभ हो चुका था पर इसका क्या अंजाम होना था ये तो वक़्त को ही पता था।

वर्तमान दिन,
“आ गई तू? कितनी देर लगा दी! ये ले मेरा मोबाइल, मैं जब बंजी जंपिंग करु तब मेरी वीडियो उतार लेना।”
“माधव तू तो ये कर लेगा पर मेरा क्या होगा? मैं ये नहीं कर पाऊंगी।”
“डर मत यार, मुझे देख के शायद तुझे हिम्मत आ जाए,” माधव एक दम से तैयार हो चुका था, “मोबाइल ऑन कर ले, मेरी वीडियो लेना मत भूलना।”
माधव को पूरी तरह से सुरक्षित तरीके से बांध दिया गया था। माधव के पीछे एक इंसान उसको खाई में धक्का मारने के लिए तैयार था। कुछ ही दूरी पर कीर्ति माधव का मोबाइल ले कर तैयार खड़ी थी वीडियो शूट करने के लिए,
और 3… 2… 1… जम्प!
माधव अपने गले से जितनी तेज आवाज़ निकाल सकता था उसने उतनी तेजी से ही अपनी चीख निकाली। एक पल के लिए कीर्ति अपनी धड़कन चूक गई। जैसे जैसे माधव नीचे जा रहा था, कीर्ति का मनोबल टूट रहा था। कीर्ति सोच रही थी क्या मैं ये कर पाऊंगी?
इन सब के बावजूद कीर्ति ने वीडियो अच्छे से शूट किया। माधव सुरक्षित रूप से बंजी जंपिंग पार कर गया। वहां मौजूद लोगों ने भी माधव के साहस को सलाम करते हुए तालियां बजाई। 50 साल के होने के बावजूद इतनी हिम्मत होना कोई बच्चे का खेल नहीं होता।
“तूने देखा? ला मेरा मोबाइल तूने शूट किया या नहीं?” वापस आ कर माधव ने कीर्ति से कहा।
कीर्ति ने माधव को फ़ोन दिया और कहा, “मुझसे ये नहीं हो पाएगा माधव, मैं ये नहीं कर पाऊंगी।”
“पागल मत बन इस दिन के लिए हमने कितना इंतज़ार किया था, और तू है कि अब मना कर रही है! हिम्मत कर, याद है ना हमारे बीच क्या डील हुई थी?” माधव ने अपना फ़ोन जेब में रखते हुए कहा।
“मुझे सब पता है, पर कहने और करने में फर्क होता है। मुझे ऊंचाई से इतना डर लगता है कि बात ही मत पूछ।”
“अच्छा किस बात का डर है ये बता? ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा, तू मर ही जाएगी ना? उससे बुरा तो कुछ होना नहीं है, तो चिंता और डर किस चीज़ का है?”
“थप्पड़ मारूंगी तुझे! एक तो मेरी हालत वैसे ही खराब है, ऊपर से तू मरने की बातें कर रहा है।”
“चल माफ कर, पर ऐसा कुछ नहीं इस दुनिया में जो तू ना कर सकती हो। याद है मैंने जब तुझे इन सब एडवेंचर स्पोर्ट्स के बारे में बताया था, तब तूने क्या कहा था? अगर याद ना हो तो याद कर ले। अपनी ज़िंदगी उस पल में Rewind कर ले।”


Chapter 5.5 will be continued soon…

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✍️ Anil Patel (Bunny)