Role of women in creating a decent office environment books and stories free download online pdf in Hindi

कार्यालय के शालीन वातावरण निर्माण में महिलाओं की भूमिका

विश्व का प्रत्येक व्यक्ति सुख शांति चाहता है। जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि उसके आसपास का वातावरण सकारात्मक हो। व्यक्ति के आस पास रहने वाले लोग, कार्य करने वाले लोग तथा उससे बातचीत करने वाले लोग किस प्रकार के हैं? इससे उसके चिंतन, मनन, कार्य क्षमता ,व्यवहार, वार्तालाप पर यहां तक कि उसके संपूर्ण व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है । आपके आसपास का वातावरण आपके कार व्यवहार को कितना प्रभावित करता है इसका प्रमाण आपके घर के वो ऑफिस के वातावरण की प्रभावशीलता के उदाहरणों द्वारा आसानी से समझा जा सकता है। जैसे किसी परिवार के बड़े सदस्य अनुचित व अशिष्ट शब्दों को अपने वार्तालाप का अंग बनाते हैं तो जाने अनजाने उनके बालक भी अनायास ही उन शब्दों को अपने वार्तालाप का हिस्सा बना लेते हैं। परंतु इस वातावरण को सकारात्मक ,सौम्य, शालीन प्रभावी तथा प्रेम पूर्ण बनाने में नारी की अहम भूमिका होती है। परिवार हो या ऑफिस--- नारी सदैव ही अपने आसपास के वातावरण को शालीनता प्रदान करती है।

कार्यालय में यदि संपूर्ण स्टाफ पुरुष वर्ग है तो निश्चित ही वहां उनकी वार्तालाप में कुछ अपशब्दों का प्रयोग होते हुए देखा जाता है। आवे और वे जैसे शब्दों से प्रारंभ होकर मां बहन से जुड़े हुए तथा अशोभनीय अपशब्दों का प्रयोग भी वह इतने खुले रूप में करते हैं और कभी भी उन्हें इस बात का एहसास भी नहीं होता कि उनका गलत वार्तालाप वातावरण को दूषित कर रहा है परंतु उसी कार्यालय के स्टाफ में किसी महिला स्टाफ सदस्य की उपस्थिति इस वातावरण को शालीनता प्रदान कर सकती है क्योंकि महिला के समक्ष अपशब्दों का प्रयोग करने में पहले तो पुरुष वर्ग स्वयं ही संकोच का अनुभव करेगा और यदि आदतन उन शब्दों का प्रयोग करता भी है तो महिला वर्ग द्वारा उसे बार-बार टोके जाने पर व उसकी गलती के प्रति उसे आगाह किए जाने पर निश्चय ही उसकी आदतों में सुधार होता है और वातावरण में शालीनता आती है तथा वे परस्पर सम्मान पूर्वक व शालीनता के साथ वार्तालाप करने लगते हैं, जिससे न केवल उनकी आदत सुधरती है अपितु कार्यालय का संपूर्ण वातावरण आत्मीयता व शालीनता का केंद्र बन जाता है और ऐसा वातावरण निश्चय ही व्यक्ति की कार्य क्षमता को बढ़ाता है।

यह सर्वमान्य है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक कार्य कुशल व्यवहार कुशल होती है। वे कार्यालय में भी अपने कार्य को अधिक निष्ठा व ईमानदारी के साथ समय पर पूर्ण करने वाली होती हैं अतः अपने महिला साथी स्टाफ को देखकर पुरुष वर्ग भी ईमानदारी व निष्ठा के साथ कार्य करना सीख जाते हैं तथा उन्हें कभी परवश होकर भी उनका अनुकरण करने के लिए बाध्य होना पड़ता है। यह मनोवैज्ञानिक सत्य है कि कार्यालय में पुरुष व महिला सहित स्टाफ होने पर दोनों के ही अंतर्मन में परसपर अच्छा प्रभाव डालने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है । परस्पर अच्छा प्रभाव( इंप्रेशन) डालने की होड़ में स्वता ही उनकी कार्य क्षमता व व्यवहार उत्तरोत्तर अच्छा और प्रभावी होता चला जाता है। यदि दोनों ही वर्ग में सकारात्मक सोच हो तो महिला साथी की उपस्थिति से कार्यालय में भी निश्चय ही आत्मीयता से परिपूर्ण वातावरण निर्मित हो जाता है जहां व्यक्ति परस्पर एक दूसरे के हितों का ध्यान रखते हुए निरंतर अपने कार्य क्षमता में गुणवत्ता ला सकता है तथा अपने व्यवहार को प्रभावी व सहानुभूति पूर्ण बनाकर ऑफिस के वातावरण को शालीन बनाता है।

कार्यालय में महिला सहकर्मी की उपस्थिति का एक प्रभावी पक्ष यह भी है कि पुरुष और महिला वर्ग के परस्पर वार्तालाप के दौरान अनेकों बार पारिवारिक झगड़ों या समस्याओं के समाधान भी सहज ही प्राप्त हो जाते हैं। परिवार में पति पत्नी के रूप में अपने विपरीत लिंगी की सहज मनोवृत्ति यों को समझने में जब व्यक्ति अक्षम रहता है तब छोटी छोटी सी बातें या हमारी आदतें पारिवारिक कलह का कारण बन जाती है परंतु कार्यालय में महिला सहकर्मी के साथ परस्पर वार्तालाप से अनायास ही कभी-कभी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से महिला व पुरुष की उन सहज मनोवृतयों को जानने वाह समझने का अवसर प्राप्त हो जाता है जिसको जानकर बह न केवल
अपने कार्यालय वातावरण को शालीन बना पाता है अपितु अपने पारिवारिक वातावरण को भी सुखमय बनाने में सफल हो जाता है। पुरुष वर्ग की छोटी-छोटी दूषित आदतें जैसे महिलाओं पर सदैव अपना आधिपत्य जमाना, मां बहन के अपशब्दों का प्रयोग करना, घर में बालकों के प्रति अपने उत्तरदायित्व के प्रति उदासीनता, नशा करना, सिगरेट आदि पीना, पान मसाला गुटखा आदि खाना वा यथा स्थान न थूकना आदि अनेकों ऐसी प्रवृतियां हैं जो परिवार में कलह का कारण बनती है तथा पत्नी के द्वारा उन पर रोक लगाए जाने पर महाभारत का रूप ले लेती हैं परंतु इन्हीं आदतो के प्रति कार्यालय में महिला साथी के द्वारा समझाए जाने पर पुरुष वर्ग में बहुत आयत से सुधार होते हुए देखा जाता है। इसी प्रकार पति के रूप में पुरुष वर्ग को समझने में अक्षम महिलाओं को भी कार्यालय में पुरुष वर्ग के सानिध्य से पुरुषों की मनोवृत्ति यों को विभिन्न प्रकार से समझने में सहयोग मिलता है। इस प्रकार परस्पर मानसिकता व मनोवृत्ति को समझने के कारण कार्यालय का वातावरण अधिक व्यवहारिक आत्मीय वाह शालीनता से परिपूर्ण हो जाता है। अतः यह सर्वमान्य सत्य है कि कार्यालय का वातावरण शालीन बनाए जाने में महिला सहकर्मियों की उपस्थिति अहम भूमिका निभाती हैं।


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