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Rewind ज़िंदगी - Chapter-4.3:  दोस्ती

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Chapter-4.3: दोस्ती

माधव ने अपने मन को मनाने की बहुत कोशिश की पर उसका मन नहीं माना पर मजबूरी की वज़ह से माधव ने कीर्ति के साथ गाना गाने की तैयारी शुरू कर दी।

गीत गाने से पहले 1 हफ़्ते दोनों को रिहर्सल करने थे, उसमें भी दोनों की नोक झोंक होती रहती थी। जैसे तैसे उन दोनों ने रिहर्सल ख़त्म किए और वो दिन आ ही गया जब दोनों को एक साथ एक ही स्टूडियो में एक ही गीत गाना था।

“नर्वस हो?” कीर्ति ने माधव से पूछा।

“तुझे उससे क्या? तू अपने काम से काम रख, अगर तेरी वज़ह से मेरा गाना ख़राब हुआ तो देख लेना।”

“क्या देख लूं?” कीर्ति ने बड़ी मासूमियत से पूछा।

“तुझे मेरे हालात नहीं पता, और ना ही मैं तुझे कुछ बताना चाहता हूं। बस हाथ जोड़ के विनती है कि मेरे कैरियर के साथ मत खेलना।”

“अरे तू तो बहुत ही डरपोक निकला, 2 महीने पहले तो बहुत बड़ी बड़ी बातें करता था, अब क्या हुआ? कॉन्फिडेंस कहां घास चरने चला गया तेरा?” कीर्ति ने कहा।

माधव ने सोचा कीर्ति से बहस करने का कोई फ़ायदा नहीं है इससे अच्छा होगा वो अपने गाने पे फोकस करें।

वो दोनों अपनी तैयारी करने लगे और दोनों ने ही बहुत ही अच्छे तरीके से गाना गाया। माधव को यक़ीन नहीं हुआ पर इस बार उसने अपने पहले के गाने से बेहतर गाया था। कीर्ति ने भी बहुत ही अच्छे तरीके से गाना गाया था। इस तरह गाना बहुत ही अच्छी तरह से रेकॉर्ड हो गया।

“क्या बात है माधव तू तो बहुत ही अच्छा गाने लगा है, मेरी संगत का तुझपर इतना अच्छा असर?” कीर्ति ने मजाक करते हुए कहा।

“मैं पहले से ही अच्छा गाता हूं, तुझे ये आज ज्ञात हुआ।” माधव ने कहा और दोनों हँस पड़े। ये पहली बार था जब दोनों ने आपस में लड़ने के बजाय एक दूसरे से अच्छे से बात की और खूब मज़ाक मस्ती भी की।

“चल इसी बात पे मुझे बढ़िया सी चाय पिला दे।” कीर्ति ने माधव से कहा।

“मेरे पास तेरे लिए फालतू के पैसे नहीं है, मुझे इन सब पैसो से अपने सारे कर्ज़ उतारने है।” माधव बोलने को बोल गया फिर उसे ज्ञात हुआ कि उसने ग़लत बोल दिया है इसीलिए उसने अपनी जीभ दांत के बीच रख ली।

“इतनी भी कंजूसी मत कर, एक लड़की तुझे सामने से चाय के लिए पूछ रही है और तू है कि उसे मना कर रहा है?”

माधव आसपास देखने लगा और फिर उसने कहा, “लड़की? कहां पर है लड़की?” और कहकर हँसने लगा।

“वेरी फनी।” कीर्ति ने कहा, “चल ना यार! बहुत भूख भी लगी है, पैसे की चिंता मत कर मैं दे दूंगी।”

“ओ हैल्लो, मैं तेरा यार वार नहीं हूं, ज़्यादा ना फ्रैंक होने की कोशिश मत कर। जरा हँस के बात क्या कर ली तू तो सर पे चढ़ने लगी। अभी भी मैं नहीं भुला हूं जो तूने किया था वो।” माधव ने बहुत ही बेरुखी से जवाब दिया।

कीर्ति कुछ बोल ना पाई, उसकी आँखों में हल्के से आंसू दिख आये पर वो रोई नहीं बस वहां से चुपचाप चली गई।

माधव को लगा उसने गलती कर दी। उसे कीर्ति से इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए थी। पुरानी बात को लेकर उसने इस पल को बर्बाद कर दिया। सब से अहम बात ये की उसने कीर्ति का दिल दुखाया। माधव इस मामले में ख़ुद को दोषी महसूस कर रहा था, उसे अब कीर्ति से माफ़ी मांगनी थी। माधव के पास ना तो उसके घर का पता था ना ही कीर्ति के घर का नंबर। उस टाइम पर किसी के पास मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे। उसने किसी तरह से कीर्ति का लैंडलाईन नंबर हासिल किया और कॉल पर उसने कीर्ति से कहा,

“आई एम सॉरी! मुझे तुझसे इतनी बेरुखी से बात नहीं करनी चाहिए थी।”

“इट्स ओके, दुनिया में यह सब चलता रहता है।” कीर्ति ने कहा।

“तू मुझसे गुस्सा नहीं है ना?”

“गुस्सा थी अब नहीं हूं।”

“तो फिर चाय पीने चले?”

“अभी? रात के 8 बज रहे है, इस वक़्त चाय?”

“हां तो क्या हुआ?”

“शायद तू भूल रहा है कि मैं एक लड़की हूं और मैं यहां पर पेइंग गेस्ट के तौर पर रहती हूं, मुझे 7 बजे के बाद बाहर निकलने की मंजूरी नहीं है।”

“ओके।” माधव ने मायूस होते हुए कहा।

“एक काम कर कल सुबह चले? चाय पीने?”

“हां! कहां पर?”

“हमारा स्टूडियो है ना वहीं पे कल सुबह 9 बजे मिलते है, उससे थोड़ी ही दूर एक चाय वाला है। वहीं पर ही चाय पी लेंगे। ठीक है?”

“हां कोई बात नहीं तो कल सुबह मिलते है।”

दूसरे दिन दोनों अपने दिए गए वक़्त पर पहुंच गए और साथ में चलकर चाय वाले की दुकान तक गए। दोनों ने चाय पी और साथ ही बहुत सारी बातचीत की।

“वक़्त कैसे बीत गया पता ही नहीं चला, अब मुझे जाना होगा।” कीर्ति ने कहा।

“कोई नहीं, फिर मिलेंगे। अब हम दोस्त है ना?” माधव ने कहा।

कीर्ति 2 पल रुक गई फिर उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा, “हां अब से हम दोस्त है।”

अब दोनों दोस्त थे, और अब उनका रोज रोज का मिलना जुलना भी आम बात हो गई थी।

Chapter 5.1 will be continued soon…

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Anil Patel (Bunny)

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