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रेज़्यूमे वाली शादी - भाग 8

अवनी निलय के बताए पते पर पहुँचती है, वो एक छोटी सी बिल्डिंग थी, बाहर से उसपे कराए हुए नए पेंट के साथ जगह जगह पड़ी हुई सीलन भी दिख रही थी, पर उस नए पेंट और सीलन से भी ज्यादा कुछ चमक रहा रहा था तो वो था, दरवाज़े के ऊपर लगा एक छोटा सा नेम प्लेट।


"निअव... आपके सुनहरे भविष्य की", ऑनलाइन स्टडी मटेरियल और कोर्सेज की सेवा देने वाली इसी नाम की साइट के बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए अभय, विकास और निलय यहाँ अक्सर मिलते थे।


इस समय भी तीनों अंदर कुछ डिस्कस ही कर रहे थे, कि अवनी दरवाज़े पर दस्तक देती है ।

"हाय अवनी", अभय दरवाजा खोलते ही बोलता है।

"हाय सबको" अवनी ये बोलते हुए अंदर आई।

अंदर से ऑफिस असल में एक बड़े हॉल जैसा था, जहाँ थोड़ी थोड़ी दूरी पे पाँच टेबल लगे हुए थे, और उसी हॉल में एक कोने में बना हुआ था एक कमरा, जो शायद किसी तरह की मीटिंग वगरह के लिए इस्तेमाल होता होगा, चंद मुस्कुराहटों की आदान-प्रदान के बाद चारों बैठते हैं।


अभय कमान संभालते हुए बताता है कि कैसे अभी उनकी वेबसाइट चल तो रही है पर वो उसके यूजर एक्सपीरियंस बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, साथ ही अभय और विकास मार्केट रिसर्च कर रहे है, जिससे वो और कौन से कोर्सेज और क्लासेज ऐड होनी चाहिए इसका निर्णय लेंगे।

"हमे तुम्हारी मदद यू. आई की कोडिंग में चाहिए होगी और मुझे उम्मीद है कि उसके लिए सैलरी के बात तुमने निलय से कर ली होगी", अभय ने पूछा।


"नहीं, दरअसल मुझे सैलरी नहीं चाहिए, बल्कि इसके बदले बिज़नेस मार्केटिंग पिच करना इन सब की नॉलेज चाहिए, लेकिन फिक्र मत करो मैं इस नॉलेज से तुम्हारी विरोधी बनने का कोई सपना नहीं देख रही हूं, मैं बस इन चीजों को जानना चाहती हूं"।


ये सुनकर अभय थोड़ा हिचकिचाया, पर फिर निलय की शक्ल देखते हुए बोला, "ओके.. फिर अगले 4 हफ्ते यहीं मिलते हैं"।


"हाँ, बिल्कुल", अवनी ने चेहरे पे मुस्कराहट लाते हुए कहा।

"आज की शुरुवात मैं फिर निलय के साथ अपना काम डिस्कस करके करती हूँ", अवनी ने तीनों को बोला।

जिसके बाद विकास और अभय अपनी अपनी सीट पर बैठ जाते हैं और अवनी लैपटॉप लेकर निलय की ओर बढ़ती है।


"कैसे हो निलय, काम कैसा चल रहा है, ज्यादा तो नहीं है?" , अवनी ने लैपटॉप निलय की टेबल पर रखते हुए पूछा।

"तुम फिक्र मत करो अवनी तुमसे ज्यादा काम नहीं कराएंगे", निलय अवनी को पक्का दिलासा देते हुए कहता हैं।

"अरे, मैं तो तुम्हारी फिक्र में पूछ रही थी, सही में", अवनी सामने से जवाब देती है।

"ओह… केयरिंग फ़ॉर मी", निलय अवनी को चिढ़ाने की कोशिश करता है।

जिसपे अवनी फट से बोली, "दो बातें निलय, एक तो तुम्हारी इंग्लिश बहुत बेकार है , और दूसरा ये फालतू की फ्लर्टिंग मुझसे मत किया करो।"

"ठीक है", निलय को अवनी थोड़ी संजीदा लगी तो उसने बिना बहस करे उसकी बात मान ली।

"ये देखो ये प्लान है", निलय अवनी को अपने लैपटॉप में प्लान दिखाते हए बोला, यूँ तो उसे वो प्लान अवनी को समझाना था, पर हमेशा बहुत ध्यान से काम करने वाले निलय का आज ना जाने क्या हुआ, की उसका ध्यान बार बार उसके बगल में बैठी काली टी शर्ट और नीली जींस पहनी अवनी पर जा रहा था, वो कुछ पल के लिए उसे देखते देखते खोने सा लगा था कि तभी अवनी की आवाज आई।

"निलय मैं समझ गयी की क्या करना, मैं सोच रही हूं कि मैं शुरू करती हूँ, और फिर कुछ होगा तो तुम से पूछती हूँ।"

"हाँ ठीक है", निलय अपने ख्यालो से वापस आता हुआ , उसे जवाब देता है।

शाम में जब अभय, विकास और निलय तीनो किसी ज़रूरी चर्चा में लगे हुए थे, और अवनी का समय से निकलना भी जरूरी था, तो वो एक नोट छोड़कर वहाँ से निकल जाती है,


"काम की अपडेट मैंने मेल कर दी है, लेट हो रहा था इसलिए पेपर पर ही बाय बोल कर निकल रही हूँ, बाय -अवनी"

"अवनी चली गयी?", निलय को नोट पढ़ते देख विकास ने पूछा।

"हाँ, पेपर पर ही बाय बोल कर निकल गयी, चलो हम भी चले", निलय थोड़ा उदास सा होता हुआ बोला।


घर जाते हुए निलय सोच ही रहा था कि आखिर वो खुश क्यों नहीं है, पिछले 4 महीने से यही तो कोशिश कर रहा था कि किसी तरह अवनी उसका काम ज्वाइन कर ले, ऐसा नहीं था कि उसकी जगह कोई और डेवलपर्स नहीं मिल सकते थे लेकिन उसे लगता था कि वो अवनी पे वेसा भरोसा कर सकता है जैसा अभय और विकास पर करता है, और उसकी ये सारी कोशीशे अवनी के अच्छे के लिए तो थी।


"बस वो तो अभय और पीयू ने काम खराब कर दिया, नहीं तो आज अवनी खुशी से मेरे साथ काम कर रही होती, कोई नहीं अभी तो टाइम है, यह काम खत्म होते-होते, मैं उसे मना लूंगा ", वो खुद को दृढ़ करते हुए बोला।


अगली सुबह रात के थके हुए विकास, अभय और निलय ये सोच रहे थे कि आगे कैसे बड़े, की तभी चेहरे पर ढेर सारी ताज़गी और छोटी सी मुस्कुराहट लिए अवनी अंदर आती है हमेशा से कुछ अलग अंदाज में, टी-शर्ट वही रेगुलर थी पर कुछ अलग ही सलीके से पहनी थी आज और जीन्स की जगह आज प्लाजो ने ले ली थी।

"ट्यूशन पढ़ने आई हो क्या?", अभय अवनी के हाथ में कॉपी को देख, चिढ़ाते हुए बोला।

"कुछ ऐसा ही समझ लो, वैसे आज पहले तुम दोनों मुझे पढ़ा सकते हो क्या?"

"हाँ, पर एक शर्त पर।"

"क्या?"

"पहले सच सच बताओ किसी लड़के से मिलने जा रही हो?"

"हाँ, लंच में मिलने जाऊँगी,सोच रही हूँ सब निपट जाएगा तो वहाँ से सीधे घर चली जाऊँगी।"

"ओह.. सही है बॉस" अभय हँसते हुए बोला।

"चले अब पढ़े?", अवनी ने भी मुस्कराते हुए पूछा।

अवनी अंदर मीटिंग रूम में अभय और विकास के साथ पढ़ रही थी, और निलय उसके बाहर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था, उसे अवनी से कुछ कहना था, पर क्या ये उससे खुद भी नहीं पता था।

लंच से कुछ ही देर पहले, निलय के घर से फ़ोन आता है, बात थोड़ी ज़रूरी थी, जिसकी वजह से बात करते करते, बाहर आये निलय को वक़्त का अहसास नहीं होता और उधर अवनी को अपनी लांच डेट के लिए लेट हो रहा होता है, तो वो फिर से पेपर बाय बोल कर ही निकलना सही समझती है।

"आज के काम की अपडेट, मैं शाम को मेल कर दूंगी, और मैंने प्लान में हाईलाइट कर दिया है कि नेक्स्ट वीक मैं क्या पिक कर सकती हूँ, एक बार फिर पेपर पर बाय बोलती हुई -अवनी।"

तीसरी बार भी ये नोट पढ़ कर निलय उतना ही उदास होते हुए, बैठे से स्वर में बोला, "कुछ तो बताया होगा.. लड़के का नाम क्या है, कहाँ रहता है, कहाँ जा रही है..."

"ये पिछले 1 घंटे में तू तीसरी बार पूछ रहा है, क्या हुआ है?" , विकास ने बोला।

"कुछ नहीं मैं बस कंफर्म करना चाहता हूं, कि कहीं दूर तो नहीं चली जाएगी ना वो, बहुत मुश्किल से मना कर लाया हूँ उसे।"

"निलय, वो लड़के से मिलने गई है, भाग कर शादी करने नहीं गई की वापस ही नहीं आएगी", अभय और विकास निलय पर हंसते हुए बोले।

"तुम्हें क्या लगता है इसे पता होगा?", विकास बहुत धीरे से अभय से पूछता, जिसका जवाब अभय ने बहुत ही निराशा पूर्ण तरीके से ना में गर्दन हिलाते हुए दिया।

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