और इतनी बड़ी इकोनामी पाकिस्तान की है ही नहीं. वह सारा फंडिंग बाहरी मुल्कों से आता है. उन्हें आप लोगों से इनसिक्योरिटी है.
अगर इंटरनेशनल लेवल पर आप इन फंडिंग का मुद्दा उठाकर उस पर शिकायत तो पाकिस्तानी आपका दोस्त ही है. और आपको यह कभी नहीं भूलना चाहिए की आजादी के पहले भारत पाकिस्तान दोनों एक ही थे. अगर एक ही रात में ऐसा सब कुछ हुआ है तो कुछ ना कुछ गलत जरूर हुआ है.
अदैन्य के ऐसे वाक्यों को सुनकर हॉल मैं थोड़ी देर के लिए सन्नाटा छा गया मगर कुछ ही देर के इस सन्नाटे के बाद है पूरा हॉल खड़ा हो गया और तालियों की गूंज से भर गया. यह गूंज लगातार 10 मिनट तक चली. अदैन्य ने सिंगल स्टेज का त्याग कीया और अपनी वॉक्सवैगन की ओर चलने लगे.
रास्ते में गौतम ने कहा सर, आप महान हैं.
रॉय ने कहा वह तो मुझे पता नहीं मगर प्रफुग की सफलता के लिए इकाई का होना परम आवश्यक है.
गौतम वहीं रुक गये और सोच में डूब गए.
दूसरे दिन अखबारों ने अदैन्य के पक्ष में सुर्खियों के नाम नारेबाजी दिखाएं और पूरा देश एक जुट होकर प्रफूग की प्रतीक्षा करने लगा.
यहां गोलमेज परिषद में यह निर्णय लिया जाता है कि मी रॉय को छह मास उपरांत के सांसद बना दिया जाए, जिसके 6 मास के बाद का रिजाइन लेटर पहले से ही ले लिया जाएगा.
कुछ भी हो जाए मगर एक चीज अभी भी है जो करनी सबसे ऊपर जरूरी है. मगर वह केवल iron solitude ( लोह एकांत) में ही हो सकती है. और वह है आदित्य के अपने हीत. यानी कि यदि अदैन्य प्रफुग पितामह है तो उनके भी कुछ हिताधिकार बनते हैं मगर ऐसी बातें ना तो खुले मैदानों में हो सकती है और ना ही किसी सुरक्षित चारदीवारी में. यह बातें केवल iron solitude में ही होना संभव है.
अतः कुछ लोग थे जिनका भारतवर्ष के अर्थतंत्र से गहरा रिश्ता है वह सभी को निमंत्रण भेजा जाता है. अदैन्य के खरीद फरोत तय करने के लिए.
आखिरकार ताइवान की एक solitude कंपनी के iron solitude हाउस में प्रफुग की स्थापना के कुछ कानून और अदैन्य के कमीशन तय करने के लिए मीटिंग फिक्स करने का तय किया जाता है.
यह iron solitude हाउस जमीन से 100 मीटर नीचे यानी कि लगभग सवा 300 फुट नीचे एक विशाल तहखाना है. जहां तक पहुंचने के लिए 2 लिफटे और तीन कॉरिडोर बदलने पड़ते हैं. ज्यादा की तो बात नहीं मगर किसी अंडरवर्ल्ड का डॉन भी यहां पैर रख दे तो उसके भी पसीने छूट जाए. मगर कुछ संविधानिक लोग और कॉरपोरेट हाउस के मालिक अपनी सिकरेट डील करने यहां अक्सर आते जाते रहते हैं.
बात दरअसल यह है कि यह आयन सॉलयुटेड हाउस सिर्फ इसलिए है कि यहां जो भी डील तय होगी वह 122 वर्षों तक गुप्त रहेगी. यानी भारत सरकार अदैन्य को जो भी कमीशन देना तय करेगी वह अगले 122 वर्षों तक किसी को मालूम नहीं पड़ेगा, कीअदैन्य के पास कितना रुपया जाता है. इसीलिए यह सौदा लोह एकांत गृह में होने जा रहा है.
आखिरकार यूरोपियन इकोनॉमिस्ट, अमेरिकन मनी मास्टरस, स्टॉक एक्सचेंज के कुछ टॉप एजेंट , सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के काउनसीलर, बैंक ऑफ बरोड़ा, एसबीआई, बैंक ऑफ इंडिया और अन्य छे राष्ट्रीय बैंकों के चेयरमैन भी इस सोलिउटेड मीटिंग में उपस्थित होने वाले हैं.
वन बाय वन सभी महानुभाव लिफ़्ट में चढते हैं और लिफ्ट पाताल लोक की ओर प्रयाण करती है.