स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 27 Nirav Vanshavalya द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 27

अदैन्य ने कहां और भी बहुत है जो बदलाव की मांग रखते हैं.

प्रांजल ने कहां सी मिस्टर रॉय एक बार आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस पास कर ली तो फिर आपको सांसद भी बनने से कोई रोक नहीं सकेगा.


अदैन्य ने कहा जी आप बिल्कुल भी फिकर मत कीजिए मैं सब संभाल लूंगा.


यहां थोड़ी देर के बाद अदैन्य का डिनर खत्म होता है और प्रांजल शाह नीचे देख कर कुछ सोच रहे हैं.


अदैन्य प्रांजल के चकित के बीच में खड़े हुए और बोले मैंम, थैंक्स फॉर डिनर.


प्रांजल ने पहले इधर उधर देखा फिर आश्चर्य से रोए को.


प्रांजल कुछ बोलने जाए उसके पहले ही रॉय ने कहा अब मैं अनुमति चाहूंगा.

प्रांजल परिजात से उठे कुछ रहस्य अदैन्य को समझाना चाहती थी, मगर अदैन्य ने प्रांजल को गुप्त क्रोध उत्पन्न ने करवा दिया. प्रांजल कुछ सोचे उसके पहले ही उसे गौतम का ख्याल आया और उन्होंने रॉय को कहा ठीक है मिस्टर रोए टेक केयर.


अदैन्य के जाने के बाद प्रांजल ने गौतम से कहा तुम चलो मैं आती हूं.


गौतम के जाने के बाद प्रांजल शाह लगभग 1 घंटा उसी टेबल पर बैठी रही और अदैन्य के बारे में सोचती रही.


प्रफूग की उत्पत्ति से लेकर इंडोनेशिया, और इंडोनेशिया से लेकर इंडिया तक का सारा सफर प्रांजल समझ गई और उन्होंने तय कर लिया, अदैन्य से कुछ सवाल करने का.


आखिर दो बादल जब एक साथ टकराते हैं तो भले, शायद बरसात ना हो मगर, बिजली जरूर कड़कती है.


और प्रांजल को इसी बिजली का डर लगने लगा था.


दरअसल, अदैन्य प्रफुग को कोई अपना निहित कर्म या व्यवसाय नहीं बल्कि, एक वैश्विक क्रांति समझ चुके थे.


शायद इसीलिए प्रफुग के कार्यों की अर्धपूर्ति में ही वह बीच में ही खड़े हो कर चले जाते थे, यह मान कर की बाकी का काम अपने आप ही होना है.


मगर प्रांजल इस बात को नहीं समझ पा रही थी की अदैन्य का काम प्रफुग को बनाने का था, यूं दर दर भटक कर लोगों को समझाना नहीं.

आखिरकार पत्रकारों से खचित प्रेस कॉन्फ्रेंस होल दिखता है और सिंगल स्टेज पर उत्तरदाई अदैन्य.


अदैन्य के "हेलो" भर के उच्चारण से ही सारा हॉल खड़ा हो गया और अदैन्य के सम्मान में तालियों की गड़गड़ाहट बरसाई.

अदैन्य ने प्रसन्नता और प्रसन्नता के भाव से इस सम्मान का स्वीकार किया और कहां सच पूछो तो एंटीफंगस मुझे सबसे पहले जर्मनी से ही शुरु करना था. मगर मुझे पता नहीं था कि भारतवर्ष मुझे यह सौभाग्य प्रदान करेगा.

एनीवे, आपके सवालों के जवाब देने के लिए मैं हाजिर हूं.


एक्ने गुड मॉर्निंग के साथ कहा मिस्टर रोए यह प्रफुग क्या है और यह कैसे काम करता है?


रोए ने कहां जी यह एक पैरा इकोनामी सिस्टम है जो कॉन्स्टिट्यूशन से ही चलती है. इकोनामिक का नेम एलिमेंट करंसी होता है इसलिए यह पैरा इकोनॉमी सिस्टम कहीं जाती है क्योंकि प्रफुग की अपनी खुद की एक करेंसी होती है.


उसने पूछा तो यह दूसरी करेंसी रिजर्व बैंक की होगी या फिर क्या!!


रोहिणी कहां जी इंप्रेशन( प्रिंटिंग) की सारी अथॉरिटी रिजर्व बैंक और भारत सरकार की रहेगी बस, उसकी डिस्ट्रीब्यूशन नेशनलाइज्ड बैंक से होंगे.


वह पत्रकार ने फिर से पूछा, नहीं नहीं सर आप कदाचित समझे नहीं, मैंने पूछा वोह करेंसी रिजर्व बैंक के नाम से होगी या नेशनलाइज्ड बैंक के नाम से.


रोय कहा जी, बिल्कुल ठीक हो करेंसी नेशनलाइज्ड बैंक की अपनी होगी और उसी के नाम की होगी.