दोषी डॉ मीरारामनिवास वर्मा द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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दोषी

"दोषी"
जया पति के होते हुए अकेली थी। बच्चों का पालन पोषण कर रही थी। पढ़ लिखकर बेटी अपने घर की हो गई। बेटा पढ़ रहा था।दो बच्चों के पिता बनने के बाद पति को किसी औरत से इश्क हो गया। परिवार छोड़ प्रेमिका के साथ रहने चला गया। अलगाव होने पर दोष का टोकरा सदा औरत को ही ढोना पड़ता है।
ये अच्छा था जया पढ़ी लिखी थी। घर चलाने के नौकरी करने लगी ।
जया घर देर से पहुंची।शाम से बेटे की निगाहें दरवाजे पर टंगी थी।घंटी बजी बेटे ने दरवाजा खोला।मम्मी आज बड़ी देर करदी।बहुत थकी सी लग रही हो।मैं पानी लाता हूं।
बेटे ने मां की तरफ पानी का ग्लास बढ़ाते हुए कहा। आज देरी क्यों हो गई मां।
बेटा आज दफ्तर में काम ज्यादा था।पास वाली टेबल के सहकर्मी छुट्टी पर थे।उनका काम भी मुझे ही देखना था।
अच्छा ये बताओ खाने में क्या बनाऊं?क्या खाओगे?मां ने प्यार से पूछा।
मां आज दाल चावल बना लेते हैं। आप हाथ मुंह धो लीजिए। कपड़े बदल लीजिए।मैं दाल चावल भिगो देता हूं। प्याज हरी मिर्च आदि काट पीट देता हूँ। आप थोड़ा सुस्ता लें। फिर बना लीजिए।
ठीक है बेटा ।
जैसे ही जया अपने कमरे की तरफ मुड़ती हैं।मोबाइल की घंटी बजती है।
हैलो ऽऽ
बेटी श्रिया की सिसकियों की आवाज़ सुनाई देती है। सिसकियां जया के दिल में गर्म शीशे की तरह उतर जाती हैं।
क्या हुआ बेटा!क्यों रो रही हो? वह और जोर से रोने लगती है। तुम दोनों का झगड़ा हुआ है क्या?आखिर बात क्या है?
श्रिया सिसकते हुए कहती है।
"माँ ईश ने मेरी उंगली मरोड़ दी दर्द हो रहा है"।
इतना सब कैसे हो गया?बेटा।
मां आज वो ऑफिस से ही लुटा पिटा सा आया था।मैंने चाय दी थोड़ी प्लेट में गिर गई नाराज हो गया। घूंट भरते ही चिल्ला उठा ।चाय इतनी मीठी क्यों है। मैंने कहा रोज जितनी ही चीनी डाली है।ईश झल्ला कर चीखने लगा । तो क्या मैं झूंठ बोल रहा हूँ।
फिर फ्रस्ट्रेशन में आपके लिए अनाप शनाप बोलने लगा।तुम्हारे पापा ने तुम्हारी माँ को छोड़ दिया।
मैने कहा किसी ने किसी को नहीं छोड़ा है। अपनी मर्जी से दोनों अलग-अलग रहते हैं। तो कहने लगा जरूर तुम्हारी माँ का कोई कसूर होगा। मैने कहा ईश चुप कर जाओ। तुम कुछ नहीं जानते। माँ के लिए कुछ भी मत बोलो।गुस्से में हाथापाई पर उतर आया।
बेटा मैने तुम्हें कितनी बार समझाया है। लोग जो भी सोचें सोचने दो।सच्चाई क्या है। हम सब जानते हैं।
ईश्वर जानते हैं।
माँ ईश लोगों में नहीं आते।
वो मेरे पति हैं ।
उन्हें सच्चाई का पता होना चाहिये।
मैने आज ईश को सब सच बता दिया। परिवार को छोड़कर पापा भागे हैं मां नहीं। बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी निभाने की जगह अपना दैहिक सुख पापा ने ढूंढा है। मां ने नहीं। दूसरी औरत के साथ पापा रह रहे हैं। मां हम बच्चों को संभाल रही है। घर और बाहर दोनों जिम्मेदारी निभा रही है।
दोषी कौन है। पापा हैं या मां ।
खुद ही तय कर लो।

डॉ मीरारामनिवास