मौत का खेल - भाग-13 Kumar Rahman द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मौत का खेल - भाग-13

गुमशुदगी की रिपोर्ट


सिगार सुलगाने के बाद सोहराब ने दो-तीन कश लिए। उस के बाद उस ने किसी का फोन मिला दिया। दूसरी तरफ से फोन रिसीव होने पर सोहराब ने कहा, “शरबतिया हाउस में एक कब्र के पास से दीवार तक गए तीन जूतों के निशान उठाने हैं। वह जगह आप को राजेश शरबतिया दिखा देंगे।”

इस के बाद सोहराब ने फोन काट दिया। सलीम ने अपना सवाल फिर से दोहरा दिया, “डॉ. वरुण वीरानी की लाश कहां गायब हो गई?”

इंस्पेक्टर कुमार सोहराब ने बताया, “डॉ. वीरानी की लाश को कुछ लोग कब्र से उठा ले गए हैं। वह तीन लोग थे। लाश को रस्सी से बांध कर दीवार पर चढ़ाया गया। उस के बाद उसे दूसरी तरफ उतार कर किसी कार में ले कर वह तीनों चले गए।”

“आप इतने यकीन से यह सारी बातें कैसे कह रहे हैं?” सार्जेंट सलीम ने आश्चर्य से पूछा।

“कब्र तक आने के किसी के पैरों के निशान नजर नहीं आ रहे हैं। जब उन्होंने लाश को उठाया तो वजन की वजह से उन के पैरों के निशान साफ नजर आते हैं। नम मिट्टी पर तीन तरह के जूतों के निशान मिले हैं।” सोहराब ने बताया, “दूसरी तरफ भी खेत की नम मिट्टी में तीन पैरों के साफ निशान जाते हुए नजर आ रहे हैं। कुछ आगे जाने पर कार के पहियों के निशान भी मिले हैं।”

“आप को क्या लगता है... लाश को कहां ले जाया गया होगा?” सार्जेंट सलीम ने पूछा।

“अगर यही पता होता तो अब तक लाश बरामद न हो गई होती।” इंस्पेक्टर सोहराब ने कहा।

“वजह तो समझ में आ ही गई होगी आप के।” सलीम ने फिर से उसे कुरेदा।

“जाहिर बात है किसी को लाश की जरूरत रायना से ज्यादा रही होगी, इसलिए उसने लाश उठवा ली।” सोहराब ने जवाब दिया।

“यह भी तो हो सकता है कि रायना ने ही लाश गायब करवाई हो?” सलीम ने पूछा।

“ऐसा सोचने की वजह?”

“ताकि राजेश शरबतिया पर दबाव बनाया जा सके।” सलीम ने तर्क दिया।

“दबाव बनाने की वजह?” इंस्पेक्टर सोहराब ने फिर पूछा।

“ताकि शरबतिया से रुपये ऐंठे जा सकें।” सार्जेंट सलीम ने जवाब दिया।

“शरबतिया करोड़ों रुपये तो उस की एक मुस्कुराहट पर खर्च करने को तैयार रहता है।” सोहराब ने कहा, “इस बात की गवाही तुम्हारी उस बैंक डिटेल से मिलती है।”

“तो क्या रायना संदिग्ध नहीं है?” सलीम ने पूछा।

“यह कैसे समझ लिया आप ने? पार्टी में शामिल हर कोई संदिग्ध है... जब तक कि उस की पोजीशन साफ न हो जाए।”

“क्या यह केस आफीशियली हमारे पास आ गया है या फिर हम यूं ही झक मारते फिर रहे हैं?” सलीम ने मुंह बनाते हुए पूछा।

“अभी नहीं... क्योंकि अभी तक डॉ. वीरानी के गायब होने की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है। यानी डॉ. वीरानी अभी दुनिया की नजर में जिंदा है।” सोहराब ने कहा।

“अगर रिपोर्ट दर्ज न कराई गई तो...?” सार्जेंट सलीम ने फिर सवाल किया।

“अगर रायना ने नहीं कराई तो राजेश शरबतिया को करानी होगी... क्योंकि जाय वारदात उस का फार्म हाउस है।” इंस्पेक्टर कुमार सोहराब ने कहा।

“एक बात समझ में नहीं आई?” सलीम ने पूछा।

“अब कौन सी बात समझ में नहीं आई?” इंस्पेक्टर सोहराब ने बैक मिरर को देखते हुए पूछा। वह चेक करना चाहता था कि कार का पीछा तो नहीं किया जा रहा है।

“मान लेते हैं कि डॉ. वरुण वीरानी की मौत एक हादसे के सबब हो जाती है। इस के बाद यह फैसला मूर्खतापूर्ण नहीं था कि उस की लाश को फार्म हाउस में ही दफ्न कर दिया गया। आखिर डॉ. वरुण वीरानी की तलाश कभी तो शुरू होती। फिर क्या जवाब देते यह लोग?” सार्जेंट सलीम ने विंड स्क्रीन पर नजरें जमाए हुए पूछा।

“पार्टी में शामिल लोग पेशेवर मुजरिम नहीं हैं। एक जिंदा आदमी जब उन के सामने अचानक एक लाश के तौर पर नजर आया तो उन्हें कुछ समझ में नहीं आया होगा। कोई भी होशमंद आदमी कत्ल जैसे मामलों से खुद को दूर रखना चाहता है। उस वक्त पार्टी में शामिल लोगों को लगा होगा कि किसी तरह से जान छूटे और फार्म हाउस से फरार हो लिया जाए।”

“रायना और शरबतिया भी इस के लिए कैसे राजी हो गए?” सलीम ने कहा, “क्योंकि सवालों के घेरे में तो उन्हें ही आना था। एक का पति था और दूसरे के फार्म हाउस में मौत हुई थी।”

“जब सभी लोग लाश को फार्म हाउस में दफ्नाने की बात कह रहे थे तो उन के भी अचानक कुछ समझ में नहीं आया होगा और वह राजी हो गए होंगे। वैसे भी सभी पार्टी मूड में थे और नशे की ओवर डोज ले रखी थी।” सोहराब ने जवाब दिया।

तभी इंस्पेक्टर सोहराब के फोन की घंटी बजी। उस ने फोन रिसीव किया और दूसरी तरफ की बात ध्यान से सुनता रहा। उस के बाद उस ने फोन काट कर जेब में रखते हुए कहा, “कोतवाली इंचार्ज मनीष का फोन था। रायना ने कोतवाली में अपने पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी है।”

“यह तो बड़ी अजीब बात है! उसने कत्ल की जगह गुमशुदगी की रिपोर्ट क्यों दर्ज कराई है?” सलीम ने आश्चर्य से पूछा।

“अगर रायना कत्ल की रिपोर्ट दर्ज कराती तो उसे खुद भी बहुत सारे सवालों के जवाब देने पड़ते। लाश के बारे में भी उसे बताना पड़ता। उस ने यही मुनासिब समझा होगा कि गुमशदगी की रिपोर्ट दर्ज करा कर जान छुड़ा ली जाए।” इंस्पेक्टर सोहराब ने कहा।

“लेकिन सारी बातें तो रिकॉर्ड में आ चुकी हैं।” सलीम ने कहा।

“रायना को अभी यह नहीं पता है कि शरबतिया ने हम से राब्ता कायम किया है... या फिर उस रात पार्टी में मैं भी मौजूद था।” सोहराब ने जवाब दिया।

“आप को क्या लगता है कि ‘मौत का खेल’ जानबूझ कर उस रात खेला गया था?” सलीम ने पूछा।

“मुमकिन है ऐसा हुआ हो।” सोहराब ने कहा।

“आप के साथ काम करने में मुझे हमेशा एक दिक्कत रहती है कि आप खुल कर कोई बात नहीं बताते हैं।” सलीम ने मुंह बनाते हुए कहा।

“मुझे कुछ पता होगा तो ही तो मैं बताऊंगा।” सोहराब ने कहा।

“पानी की तरह साफ केस है। अबीर और रायना में इश्क है और दोनों ने मिल कर डॉ. वीरानी को रास्ते से हटा दिया।” सलीम ने फैसला सुनाते हुए कहा।

“और उसके बाद दोनों इस तरह से खुले में मिलते फिर रहे हैं... ताकि उन पर शक पुख्ता हो जाए!” इंस्पेक्टर सोहराब ने कहा।

“फिर तो यह मौत महज हादसा है। फाइल क्लोज कीजिए और कहीं घूमने का प्रोग्राम बनाइए।” सलीम ने घोस्ट को कोठी की तरफ मोड़ते हुए कहा।

सोहराब ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह किसी सोच में गुम था।

टच वाइन


रात के 11 बजे थे। मेजर विश्वजीत के बंगले पर पार्टी शुरू हो चुकी थी। डॉ. वरुण वीरानी की संदिग्ध मौत के दो दिन गुजर चुके थे। तीसरे रोज की यह रात बहुत रंगीन थी। शरबतिया हाउस की थर्टी फर्स्ट नाइट वाली पार्टी के कुछ लोग यहां भी मौजूद थे। इन में रायना और राजेश शरबतिया के अलावा कुछ और लोग भी शामिल थे। अबीर को इस पार्टी में नहीं बुलाया गया था।

रायना ने ब्लैक कलर की मिनी स्कर्ट और टॉप पहन रखा था। वह बला की खूबसूरत लग रही थी। इस पार्टी में मर्द कम और लड़कियां ज्यादा थीं। पार्टी में शामिल सभी लड़कियों ने मिनी स्कर्ट और टॉप पहन रखा था। टॉप का साइज काफी छोटा था। उसे बिकीनी कहना ज्यादा मुनासिब होगा। यह सभी लड़कियां देश के बड़े इंडस्ट्रलिस्ट की कमसिन बहुएं और बेटियां थीं।

पार्टी की थीम ‘टच वाइन’ थी। इस में किसी को सीधे बोतल से शराब नहीं पीनी थी। लड़कियां अपनी ‘थोड़ी’ के पास बोतल ले जा कर शराब उंडेलती थीं। फिर यह शराब उन के बदन से बहते हुए पेट तक पहुंचती थी। नाभि के पास पीने वाला अपना जाम भर लेता था। मेजर विश्वजीत ने रायना से अब तक तीन टच वाइन पी थी। जब राजेश शरबतिया रायना के पास पहुंचा तो रायना ने उस की तरफ पीठ फेर ली। यह बात शरबतिया को बहुत बुरी लगी।

मेजर विश्वजीत 70 साल का नौजवान था। नौजवान इसलिए क्योंकि उसे बुढ़ापा छू भी नहीं गया था। उस का संबंध फौज से कभी नहीं रहा। दरअसल वह हथियारों का इंटरनेशनल दलाल था। मेजर उस का लकब था। वह अरबपति शख्सियत था। उस ने अब तक शादी नहीं की थी। इरादा भी नहीं था। उसकी पार्टियां खासी मशहूर हुआ करती थीं। हर पार्टी एक अलग थीम पर होती थी। इस पार्टी में बहुत सेलेक्टेड लोग ही बुलाए जाते थे। मेजर विश्वजीत रायना की खूबसूरती का दीवाना था। यही वजह थी कि वह हर पार्टी में जरूर मौजूद होती थी।

मेजर विश्वजीत और शरबतिया में गहरी दोस्ती थी। उस ने रायना को शरबतिया की तरफ पीठ करते देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा। वह रायना के पास गया और उस ने जेब से हीरों का एक कीमती हार निकाल कर उसके गले में डाल दिया। हार देख कर रायना खुशी से मेजर विश्वजीत के गले से लग गई। मेजर विश्वजीत ने रायना के कान में कुछ कहा और रायना ने हंसते हुए कहा, “व्हाई नॉट डार्लिंग!”

*** * ***


क्या सोहराब लाश बरामद कर सका?
पार्टी में क्या होने वाला था?

इन सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए कुमार रहमान का जासूसी उपन्यास ‘मौत का खेल’ का अगला भाग...