हर्ष, मिली और पंछी तीनो कॉलेज पहुँचते है हर्ष दोनो को कार से उतार कर कार पार्क करने चला जाता हैं । और मिली के क्लास का समय हो गया था तो वो क्लास के लिए चली जाती हैं । पंछी वही हर्ष का इंतज़ार करती है सामने से एक लड़का बाइक पर से तेज़ी से उसकी ओर बढ़ता है , पंछी बहुत डर जाती हैं उसे लगा वो उससे टकरा जाएगा और वो बाइक जैसे ही उसके पास से गुजरी पंछी जोर से चिल्ला उठती हैं। जिससे उस बाइक सवार का ध्यान हटने से थोड़ा दूर जाकर गिर जाता है, पंछी तेज़ी से उसके पास जाती है वो अपना हैलमेट उतरता है वो कोई और नही ऋषि था। ऋषि को देख पंछी कहती हैं - ऋषि तुम ?
ऋषि - हा पंछी हा मैं , तुम्हारी वजह से मैं गिर गया ना ,तुम मुझे देख चिल्लाई क्यों ?
पंछी -हैलमेट की वजह से तुम दिख ही नहीं रहे थे मुझे लगा तुम मुझसे टकरा जाओगे इसलिये धीरे से चीख निकल गई।
पंछी की बात सुन ऋषि आश्चर्य से देखते हुए कहता है- धीरे से ????
पंछी - थोड़ी सी जोर से।
ऋषि - थोड़ी सी ?????
पंछी - हा रे बाबा हा बहुत जोर से चिल्ला उठी थी मैं। अब तो खुश। वैसे ये बताओ तुम्हे कही चोट तो नहीं लगी ???
ऋषि पंछी के साथ इस पल को एंजॉय कर रहा था अपनी चहरे पर आने वाली मुस्कान को छुपाते हुए पंछी के पूछने पर वो कहता है कि मैं ठीक हूँ मुझे कही चोट नही ...........। तभी पीछे से हर्ष दौड़ता हुआ आता है और ऋषि की बात को काटते हुए कहता है - ऋषि तुम बाइक से गिरे हो चोट तो लगी होगी ना, चलो डॉक्टर को दिखाते है। ऋषि भी हामी भरते हुए कहता है - हां, पंछी हाथ के अंदरूनी चोट लगी है दर्द कर रहा हैं । पंछी कहती है - तो जल्दी चलो डॉक्टर को दिखाते हैं । थोड़ी देर बाद पंछी को दिखाने के लिए की ऋषि डॉक्टर से चेकअप करवाता है और पंछी को बाहर भेज रुकने के लिए कहता है। अंदर ऋषि, हर्ष ओर डॉक्टर थे। हर्ष डॉक्टर से कहता है - डॉक्टर साहब , प्लीज् आप हमारी मदद कर दीजिए बाहर जो लड़की खड़ी है ना उससे झूठ बोल देना की बहुत गहरी चोट लगी है।
डॉक्टर - नहीं , मैं झूठ नहीं बोलूंगा ये गलत है।
हर्ष - प्लीज् डॉक्टर मान जाइये ना, आपको प्यार का वास्ता है, नही माने तो ये आपका मरीज़ ( ऋषि ) इस खिड़की से कूद कर आत्महत्या कर लेगा।
ऋषि हर्ष की बातें सुन रहा था और सोच रहा था - वा रे हर्ष, तू तो एक नम्बर का ड्रामेबाज निकला । हर्ष की बात सुन डॉक्टर कहते हैं - इतना भी मत झूठ बोलो , ठीक है मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा । डॉक्टर की बात सुन हर्ष बहुत खुश होता है और ऋषि को गले लगा लेता है । थोड़ी देर बाद पंछी अंदर आती हैं डॉक्टर पंछी को कहते हैं - ऋषि के हाथ में अंदरूनी चोट लगी है तो थोड़े दिनों तक इस हाथ से कोई काम नहीं कर सकता । तुम उसकि दोस्त लगती हो , ऋषि को कहि जरूरत हो तो उसकी मदद करना और टाइम टाइम पर ये दवाइया दे देना। ऐसा सुन कर पंछी को बहुत बुरा लगता है की उसकी वजह से ऋषि को चोट लग गयी जबकि ऋषि को कोई चोट नही लगी थी। डॉक्टर वहाँ से चले जाते है और ऋषि और हर्ष उदास होने का नाटक करने लगते हैं। पंछी कहती हैं - सॉरी ऋषि मेरी वजह से तुम्हे चोट लग गयी। ऋषि प्यार से उसकी आँखों से आंखे मिला कर कहता है - इतनी फिक्र मत करो तुम बस मेरे साथ रहना मेरी चोट अपने आप ठीक हो जाएगी।
पंछी - मतलब ???
ऋषि - मतलब, मतलब की तुम मेरी मदद करना ।
पंछी- ठीक है मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है मेरी वजह से लगी है मैं इतना तो कर ही सकती हूं।
उसके बाद पंछी आज क्लास में ऋषि के साथ बैठी थी और सर् जो पढ़ा रहे थे उसे लिखने में मदद कर रही थी और ऋषि बिना नज़र हटाये पंछी को देखे जा रहा था। क्लास खत्म होने के बाद तीनो कैन्टीन में बैठे थे और खाना खा रहे थे ऋषि से खाया नहीं जा रहा था तो पंछी मदद कर रही थी तभी मिली भी वहाँ आती हैं और वो हर्ष के पास बैठ जाती है हर्ष ऋषि से मिली को परिचित करवाता है । ऋषि मिली कि हेल्लो बोलता है मिली भी हेल्लो बोलती हैंऔर बाते करने लगते है। फिर ऋषि हर्ष की तरफ देख कर आंखों से ईशारों में कहता है- एक ओर??? हर्ष भी बिना आवाज़ किये कहता है - लास्ट है। पंछी उन्हें देख रही थी और मुस्कुराने लगती है और हर्ष से चुपके से कहती है-पक्का ना, लास्ट है, वो क्या है ना तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं होता। पँछी की बात सुन हर्ष उसके थोड़ा सा पास आकर आश्चर्य से कहता है- पंछी, तुम भी ?? तुम भी मेरे मज़े लेने लगी हो ।
पंछी - नही तो, मैं तो बस पूछ रही थी ।
हर्ष - सच्ची बताऊ तो मुझे भी नहीं पता कि ये लास्ट है या नहीं , वो क्या है ना मुझे भी नहीं पता कि अब कौन अच्छी लग जाये।
पँछी - तुम तो नही सुधरोगे।
हर्ष - ऐसी बात तो नही है पँछी।और दोनों हँसने लगते हैं। उन दोनों को ऐसे चुपके से बातें करते देख ऋषि कहता है - तुम क्या बातें कर रहे हो । कोई इंटरेस्टिंग बात हो तो हमें भी बताओ। पंछी कहती है - ऐसी कोई बात नहीं है हम तो नार्मल बात ही कर रहे हैं। और फिर से खाना खाने लगते हैं मिली भी अपने हाथों से हर्ष को खाना खिलाने लगती है। पर हर्ष अभी भी पंछी की बातों पर मुस्कुरा रहा था तभी पंछी एक समोसा उठाती हैं और 2 - 3 बार खा कर आधा वही रख देती है और फिर से हर्ष को खिलाने लगती हैं थोड़ी देर बाद सभी खा कर उठ जाते हैं और पैसे देकर जाने लगते हैं हर्ष लास्ट में पीछे पीछे आ रहा था अचानक से उसकी नज़र पंछी के छोड़े उस आधे समोसे पर पड़ती हैं और वो उठाने ही वाला होता हैं कि उसे अहसास होता है कि मैं पंछी का झूठा क्यों उठा रहा हूँ लेकिन फिर से खुद को मनाते हुए कह देता है कि पंछी ऋषि का प्यार है तो मैं इतना क्यों सोच रहा हूँ वो मेरी दोस्त भी तो है दोस्त का तो चलता है ऐसा सोचकर वो आधा समोसा उठा कर खाते हुए वहा से उनके साथ क्लास चला जाता हैं। पंछी क्लास खत्म होने के बाद वॉशरूम से वापिस आ रही होती हैं रास्ते में उसे निल मिलता है वो उसके पास आकर कहता है - उस दिन जब मैने तुम्हारा हाथ पकड़ लिया था तब तो तुम बहुत संस्कारी बन रही थी और आज खुल्ले आम क्लास में लड़के के साथ बैठी थी और कैन्टीन में खाना भी खिला रही थी । उस दिन इतना नाटक क्यों कर रही थी, ओह अच्छा तुम जैसी लड़कियां होती ही ऐसी है जो घर वालों के सामने कितनी सरीफ बनती हैं और पीछे क्या होती है । निल की ये सब बातें सुन पंछी के आँशु आने लगते है और रोने लगती है उसे इस बात से इतनी तकलीफ पहुँची थी कि उसके मुंह से आवाज़ ही नही निकली क्योंकि की आज पहली बार किसी ने उसके चरित्र के बारे में ऐसा बोला था। और वो वहाँ से निकल कर दौड़ते हुए गार्डन में एक कोने की बेंच पर आकर बैठ कर रोने लगती है। उधर ऋषि और हर्ष उसे ढूंढ़ रहे थे । हर्ष उसे ढूंढते हुए गार्डन आता है। पूरे गार्डन में ढूंढने के बाद हर्ष की नज़र पंछी पर पड़ती है। जो बैंच पर बैठे नीचे गर्दन किये हुए बहुत रो रही थी। हर्ष उसे रोता देख घबरा जाता है और तेज़ी से दौड़ते हुए उसके पास जाता है उसके सामने जाकर खड़ा हो जाता है और पूछता है - क्या हुआ पँछी , तुम रो क्यों रही हो? पँछी कुछ नहीं बोलती है और अपने आंसू पोंछ लेती हैं हर्ष को उसे ऐसे देख बहुत तकलीफ होती है वो बस कैसे भी करके पंछी की तकलीफ को दूर करना चाहता था वो एक बार फिर पंछी से पूछता है - क्या हुआ ? पंछी कुछ नही बोलती है तो हर्ष उसके सामने ही अपने घुटनों के बल बैठ कर पंछी से नज़रे मिला कर पूछता है- पंछी....... क्या तुम मुझे नहीं बताओगी की क्या हुआ, मैं तुम्हे ऐसे रोता हुआ नही देख सकता मतलब मैं तुम्हारा दोस्त हु तो दोस्ती के खातिर तो बता दो। पँछी हर्ष की बात सुन अपने आँसू साफ करके निल ने जो भी कहा सब कुछ बताने के बाद कहती हैं - मैं ऐसी लड़की नहीं हूं मेने कभी किसी से बात तक नहीं कि और वो मुझे चरित्र पर अंगुली उठा कर चला गया। मैं ऐसी लड़की नहीं हूं मैने कुछ नही किया, मै ऐसी..........। ऐसे बोलते हुए वो फिर से रोने लगती हैं उससे एक शब्द भी और नहीं बोला जा रहा था । पंछी की बात सुन हर्ष की आंखे भर आती है उसे निल पर बहुत गुस्सा आता है लेकिन पंछी को रोता देख उसके भी आंसू आ जाते हैं और उसे मनाते हुए कहता है -अब तुम रोना बंद करो , उसने ऐसा कहा ना अब वो किसी को कुछ बोलने के लायक नहीं रहेगा देख लेना वो कल खुद तुझे सॉरी बोलने आएगा , अब रोना बन्द कर दो प्लीज् अपने आंसू पोछ लो पंछी । हर्ष की बात सुन पँछी को थोड़ा अच्छा लगता है और चुप हो जाती है। हर्ष कहता है - अब थोड़ा मुस्कुरा भी दो। पंछी नही मुस्कुराती है हर्ष एक बार फिर कहता है प्लीज पँछी , मुस्कुरा दो। पँछी उसकी बात मान कर मुस्कुरा देती हैं । जिससे हर्ष कहता है - ये हुई ना बात, ये है हमारी पँछी।
पंछी - तुम नीचे क्यों बैठे हो ,बेंच पर आ जाओ।
हर्ष - रुको मुझे अभी कुछ काम है मैं अभी आता हूं । ऐसा बोल कर वो वहाँ से चला जाता है। और पँछी वहीं बेंच पर बैठी रह जाती हैं। लेकिन अब वो अच्छा महसूस कर रही थी । हर्ष गुस्से में वहाँ से सीधे निल के पास जाता है निल अपने दोस्तों के साथ था हर्ष जाते ही निल के चेहरे पर जोर से मुक्के मारने लगता है निल पूछता है - मुझे क्यों मार रहे हो । हर्ष बिना कुछ बोले उसके चेहरे पर मारे जा रहा था निल अपने दोस्तों से कहता है बचाओ मुझे। लेकिन कोई भी बीच में नही आता है हर्ष के बहुत मारने के बाद निल सॉरी बोलता है हर्ष उसकी कॉलर पकड़ कर बोलता है क्या बोला तूने ??? सॉरी!!! तेरी हिम्मत कैसे हुई पँछी को कुछ बोलने की। और फिर से गुस्से में हर्ष उसे बहुत मारता है निल बचने की बहुत नाकाम कोशिशें करता है हर्ष एक पल के लिए रुकता है तभी निल कहता है - सॉरी, गलती हो गयी अब कुछ नहीं बोलूंगा । हर्ष उसे कहता है - तू कल ही जाकर पँछी से सॉरी बोलेगा । निल - ठीक है । हर्ष - अगर फिर कभी कुछ बोलने की कोशिश भी की ना तो तेरे लिए तो बिल्कुल अच्छा नहीं होगा और ये मेरी लास्ट चेतावनी है उसके आस पास भी नही दिखना चाहिए तू। हर्ष - ठीक है। उधर पँछी अकेली चुप चाप बैठी थी ऋषि उसे ढूंढते हुए वहाँ आ जाता है पंछी को देख ऋषि कहता है - पंछी तुम तो अचानक से गायब ही हो गयी। अकेले यहाँ क्या कर रही हो ??
पँछी - कुछ नहीं , हर्ष मिला था उसने कहा कि वो वापिस आ रहा है तो उसी का इंतजार कर रही हूं।
ऋषि - अच्छा ! लगता है तुम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए हो ।
पंछी बातों में रुचि लेते हुए कहती हैं - हां ,हम बहुत अच्छे दोस्त बन गए हैं । हर्ष अच्छा लड़का है बस लड़कियों को देख फिसल
जाता है।
ऋषि - हां ये बात तो है , ना जाने उसकी आज तक कितनी गर्लफ्रैंड बन गयी होगी।
पंछी - बात तो सही है शायद ऐसा इसीलिए है क्योंकि उसे आज तक ऐसी लड़की मिली ही नहीं होगी जिसने उसके दिल के दरवाजे पर दस्तक दी हो।
ऋषि - हा , सही कहा तुमने ।
पँछी - अरे ! तुमने बताया नहीं कि तुम मुझे क्यों ढूंढ रहे थे ??
ऋषि - कॉलेज खत्म होने के बाद तुम दिखी नही ओर स्माईली तुम्हारे बारे में पूछ रही थी इसलिये।
पँछी - अच्छा !
ऋषि -तो हम चले मैं तुम दोनो को घर तक छोड़ दूंगा।
पंछी - तुम ऐसे ही हमें घर छोड़ते रहे तो ऐसा लगेगा कि तुम्हारी ड्यूटी लग गयी है हमें घर छोड़ने की।
ऋषि - अब कर भी क्या सकते हैं दोस्ती की है निभानी तो पड़ेगी ही।
पंछी ऋषि को छेड़ते हुए कहती है - एक मिनट, हम दोस्त कब बने मैंने तो कभी भी नहीं बोला कि हम दोस्त हैं ।
ऋषि पँछी की बात सुन आश्चर्य से कहता है - पंछी तुम क्या बोल रही हो हम दोस्त नहीं है क्या ।
पँछी - सॉरी सॉरी, मैं तो मज़ाक कर रही थी।
ऋषि - थैंक गॉड, मुझे लगा कि अभी तक हम दोस्त भी नही बने हैं तो तुम मेरी.........।
पंछी - तुम मेरी क्या ????
ऋषि - चलो फिर से नयी दोस्ती की शुरुआत करते हैं।
पँछी उसकी बात पर हंस देती हैं और ऋषि कहता है- क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी ???
पंछी - हांजी ..... आज से फिर से हम दोस्त। और दोनों हंसने लगते है। तभी वहां हर्ष आता है। दोनों को हँसते हुए और बातें करते हुए देखकर एक पल के लिए उसे ऐसा लगा जैसे सब छूट गया हो लेकिन वो अपनी इस फीलिंग को नजरअंदाज करते हुए उनके पास नही आता है और दूर से ही वापिस जाने लगता है तभी पँछी की नज़र हर्ष पर पड़ती है वो दूर से ही हर्ष को आवाज़ लगाती है- हर्ष रुको !हम तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहे थे चलो हम भी चलते हैं। ऋषि और पँछी उनके पास जाते हैं हर्ष को देख पंछी कहती हैं - हर्ष तुम ठीक हो ना। हर्ष के चेहरे से साफ पता चल रहा था कि उस समय वो उदास था । हर्ष छुपाते हुए झूठी मुस्कान के साथ कहता है - हा मैं ठीक हूँ। मुझे क्या होगा। पंछी को लगा था कि वो कुछ छुपा रहा है लेकिन नज़रअंदाज़ करते हुए उसकी बात मान जाती है। और तीनों घर के लिए निकल जाते हैं हर्ष पँछी और स्माईली को घर छोड़ अपने घर चला जाता हैं कार में पूरे रास्ते वो बातें तो कर रहे थे लेकिन आज हर्ष का किसी भी बात पर ध्यान नहीं था उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है और क्यों । और उधर ऋषि बाइक से अपने घर चला जाता हैं