Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 29 books and stories free download online pdf in Hindi

एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 29



आरव ने हैरानी से कायरा को देखा और उसके थोड़ा करीब आकर कहा ।

आरव - तुम रो क्यों रही हो ??? अभी भी कोई प्रॉब्लम बाकी है क्या??? बताओ मैं ठीक कर देता हूं ।

कायरा ( आरव के कहने से अपने खयालों से बाहर आती है , और अपने आसूं पोछते हुए , और आंखें चुराते हुए कहती है ) - नहीं ...., नहीं ...., वो मेरी आंखों में कुछ चला गाया था । शायद मेरी आंखों की पलकों के हेयर होंगे । इसी वजह से आंखों से आसूं निकलने लगे ।

आरव - ओह....., ( कायरा के चेहरे को अपने एक हाथ से पकड़ कर हल्का सा घुमाते हुए बोला ) पर तुम्हारे इन आसूंओं की वजह से , तुमने जो थोड़ी बहुत मेकअप किया हुआ था , वह तो खराब हो गया । काजल को भी देखो , कैसे आंखों से फैल कर गालों पर आ गया है ।

कायरा ( अपने आपको आइने में देख कर ) - ओह...., नो.....!!! बहुत टाइम लगा था मुझे रेडी होने में , और मुझे सौम्या ने रेडी किया था । लेकिन अब फिर से मुझे पूरा चेहरा साफ कर , वापस से तैयार होना होगा । और इसमें फिर से बहुत टाइम लगेगा ।

आरव ( कायरा को आइने के सामने की चेयर पर बैठा कर कहता है ) - बिल्कुल भी टाइम नहीं लगेगा , और तुम्हें दोबारा से चेहरा साफ करने की जरूरत नहीं है । मैं ऐसे ही थारा मेकअप ठीक कर दूंगा ।

कायरा ( हैरानी से आरव की तरफ मुड़ कर कहती है ) - आप करेंगे मेरा मेकअप ठीक???? ( आरव ने हां में सिर हिलाया, तो कायरा ने उसे घूरकर कहा ) आप लेडीज पार्लर वाले हैं ??? ( आरव ने ना में सिर हिला दिया तो कायरा ने कहा ) तो फिर आप मेरा मेकअप कैसे करेंगे ??? आपको आता भी है ये सब करना ????? कभी किया भी है आपने ???

आरव ( कायरा का सिर आइने की तरफ घुमा कर बोला ) - ना ही मैं पार्लर वाला हूं , और ना ही आज से पहले मैंने किसी को भी रेडी किया है । इवन अपने दोस्तों को भी मैने कभी रेडी नहीं किया । और हां, मुझे ना ही ये सब आता है । पर मैं ट्राय करना चाहता हूं , ( प्यार से कायरा को आइने में देख कर ) और वो भी तुम पर ।

कायरा ( रोनी सी सूरत बना कर ) - आपके ट्राय करने के चक्कर में , अगर मेरी सूरत बंदरिया की तरह बन गई तो...???!!! मेरा मतलब है और खराब हो गई तो??

आरव - नहीं होगी , मैं होने ही नहीं दूंगा ।

कायरा ( आरव की तरफ मुड़ कर ) - नहीं ..., आप रहने दीजिए मैं खुद से कर लूंगी ।

आरव ( वापस कायरा को आइने की तरफ मोड़ कर उससे थोड़ा रूडली होकर बोला ) - नहीं ..., मैं ही करूंगा । तुम बस चुप - चाप यहां शांति से मुंह बंद करके बैठो। और मुझ पर ट्रस्ट रखो , मैं तुम्हें अच्छे से रेडी करूंगा ।

कायरा ( मासूमियत से ) - पर कैसे????

आरव ( अपना फोन निकाल कर , उसमें ऑनलाइन साइट से मेकअप आर्टिस्ट के विडियोज निकालता है और उनमें से एक वीडियो प्ले करके कहता है ) - ऐसे......।

कायरा - पर इससे कैसे बनेगा ??

आरव - सब बन जाएगा, बस तुम मुझ पर ट्रस्ट रखो और शांति से बैठी रहो ।

कायरा आरव को देख कर रोनी सी शक्ल बना लेती है , और मन ही मन भगवान से प्रार्थना करती है, कि उसकी शक्ल को वो सलामत रखें । जबकि आरव फोन को आइने से टिका कर जस्ट अपने और कायरा के सामने रखता है , और उसी के अकॉर्डिंग कायरा का मेकअप करना स्टार्ट करता है । कायरा एक बार फिर उसे मना करने के लिए आइने से ही उसे देखती है । पर आरव उसे गुस्से से आंखें दिखा कर चुप करवा देता है । बेचारी कायरा, मरती क्या ना करती । बैठी रही बेचारी चुप - चाप शांत पोजीशन में , और देखती रही आरव के मेकअप करने के तरीके को🤐😟🥺 ।

इधर रूही ने राहुल की आंखों में देख कर उससे कहा ।

रूही - क्या आप राघवेंद्र सिंग परमार को जानते हैं???

रूही के सवाल करने पर राहुल ने उसकी बाहें छोड़ दी , और उसकी बात का जवाब देने लगा।

राहुल ( याद करते हुए ) - हां ...., वो तो इंदौर राजघराने के वर्तमान में राजा हैं । और उन्होंने आरव के पापा की कंपनी के साथ व हमारी , नील और आदित्य की कंपनी के साथ कई डील्स भी की है । और अभी शायद वे और उनका परिवार यहीं मुंबई में , अपने द्वारा बनाई गई हवेली या यूं कहूं कि महल जैसे घर में रहते हैं ।

रूही - शायद नहीं , बल्कि वे उसी महल जैसे घर में ही रहते हैं । और हां उनका परिवार भी यही उन्हीं के साथ रहता है ।

राहुल ( नासमझ सा ) - तुम उनके बारे में इतना सब कैसे जानती हो ??? और उनके बारे में मुझसे क्यों पूछ रही हो ???

रूही ( राहुल की आंखों में एक बार फिर गहराई से देख कर ) - क्योंकि वो मेरे पिता है राहुल । मैं उस राजघराने की राजकुमारी हूं.....।

राहुल ( हैरानी से उसे देख कर अपनी आंखें बड़ी - बड़ी कर कहता है ) - इसका म.., मतलब कि तू ...., तुम ....., इंदौर रा......, राज...घराने की ...... रा....रा.....राजकुमारी हो औ...... रररररर....... राघवेंद्र सिंग परमार की........ बेटी हो...😳😳😳???!!!!

रूही - हां राहुल ।

राहुल ( अपने आपको विश्वाश दिलाने की कोशिश करते हुए ) - तो...., तो....., तुम....., तुमने....., ( राहुल रूही से कुछ पूछने की कोशिश कर रहा था , पर उसका दिमाग और उसके लफ्ज़ उसका साथ ही नहीं दे रहे थे । उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। राहुल ने जब ये महसूस किया , तो उसने खुद को दो मिनट शांत रखा और फिर रूही से गंभीर होकर कहा ) अगर तुम राघवेंद्र सिंह परमार की बेटी हो , तो तुमने ये बात हम सभी से क्यों छुपा कर रखी ??? और तुम्हारा बिहेव , वो भी हम लोगों की तरह नॉर्मल कैसे है , ( इस बात पर रूही ने उसे देखा , तो राहुल ने अपनी बात को संभालते हुए कहा ) मतलब कि राजघराने से ताल्लुक रखने वालों के बात करने के तरीके में , रहन - सहन में, हम आम लोगों से बहुत अंतर होता है । पर तुम्हें देख कर तो कभी ऐसा फील ही नहीं हुआ , कि तुम हम आम लोगों की तरह नहीं हो , बल्कि एक राजकुमारी हो । ऐसा क्यों है ??? क्या मैं जान सकता हूं..???!!!!

रूही ( अब अपने ज़िन्दगी के पन्नों को याद कर बोली ) - क्योंकि मैं उस तरह की ज़िन्दगी जीना पसंद ही नहीं करती । मुझे आम लोगों की तरह ही रहना अच्छा लगता है। उसका रीजन ये है, कि आम लोग वो सब कर सकते हैं, जो एक राजकुमारी को करने की इजाजत नहीं रहती ।

राहुल - मतलब!!!!!!

रूही - हम छोटे से थे राहुल , जब हमने डाइनिंग टेबल पर, सबके साथ खाना खा रहे बापू सा से ये बात कही, कि हमें भी पढ़ाई करनी है । उस वक्त सभी ने हमें ऐसे देखा , जैसे हमने यह बात बोलकर कोई गुनाह कर दिया हो । घर के सभी लोगों ने अपना खाना छोड़ दिया और बस शुरू हो गए हमें और हमारी मां को सुनाने के लिए । हमें तो समझ ही नहीं आया राहुल , कि वहां हो क्या रहा है , क्यों सभी इतना गुस्सा कर रहे हैं ??? पर उस बहस से ये डिसाइड हुआ , कि हमें स्कूल भेजा जाएगा पढ़ने के लिए । शायद इसके पीछे भी हमारे बापू सा और उनके बड़ों की कोई मंशा थी और वो शायद यह थी कि हमें स्कूल भेज कर वे ये सिद्ध करना चाहते थे लोगों सामने , कि उनके यहां पर लड़का और लड़की में भेद नहीं किया जाता।

पर असलियत इससे उलट थी , उस घर में लड़के और लड़की में भेद किया जाता था , वरना वे भाई सा लोगों को खुशी - खुशी स्कूल भेजकर , हमें अपने घर में बैठा कर क्यों रखते??? इसीलिए वे अपने घर के लड़कों के साथ, अपने घर की बेटी को भी पढ़ने भेज रहे थे । एक हिसाब से वे पब्लिसिटी चाहते थे , इसी लिए ये बात कुछ ही दिनों में, पूरे शहर में फ़ैल गई। हम उस घर में अकेली लड़की थे , इस लिए सारी पाबंदियां हमारे ही लिए बनाई गई थी । खैर हम खुश थे कि हमें स्कूल भेजा जा रहा है । और अब हम भी अपने भाइयों की तरह पढ़ सकते थे। पर हम इस बात से अनजान थे, कि ये पढ़ाई लंबे समय तक नहीं चलने वाली है । कुछ दिन तक तो इन सब का शोर खूब मचा , जिससे हमसे और हमारे खानदान के रुतबे के इस डर के कारण, कि कहीं हमें कुछ कह देने से या किसी तरह की कोई बात करने से, हमारे सभी क्लासमेट्स को कोई नुकसान ना पहुंचे , किसी भी क्लासमेट ने हमसे दोस्ती नहीं की । करते भी कैसे !!!!! उन्हें उनके पैरेंट्स ने यही सीखा कर भेजा था , कि हम रियासत की राजकुमारी है , इस लिए हमसे दूर रहें । कहीं उनके कुछ ग़लत बात कर देने से, उनकी गलतियों की सज़ा उनके पैरेंट्स को ना भुगतनी पड़ जाए, यही सब बोलकर सभी पैरेंट्स अपने बच्चों को हमसे दूर रखते थे और हमसे दोस्ती नहीं करने देते थे । हमें ये सब देख कर बहुत बुरा लगता था । लगभग फिफ्थ स्टैंडर्ड तक कोई भी हमारा दोस्त नहीं था । फिर हमारी क्लास और हमारे जीवन में कायरा आयी, उसने ना सिर्फ हमसे दोस्ती की , बल्कि बाकी क्लास मेट्स से भी हमारी दोस्ती करवाई ।

एक दिन कायरा ने ही बातों - बातों में मुझे बताया , कि सारे क्लासमेट्स का, हमसे दोस्ती ना करने का रीजन क्या था । जब हमने असली कारण जाना , तो हमें बहुत खराब लगा । उस दिन हमने घर जा कर, अपने आपको रूम को लॉक कर , अकेले कमरे में हम खूब रोए । और हमें अफसोस हुआ , अपने राजकुमारी होने पर, साथ ही इतने बड़े रियासत के राजघराने में जन्म लेने पर । क्योंकि जिस राजघराने के कारण हम इतने ठाठ - बाठ से रह रहे हैं , उसी राजघराने के नाम के चलते , हमसे कोई दोस्ती तक नहीं करना चाहता था । उसी पल हमने अपने आप से एक वादा किया , कि जिस नाम और रुतबे के कारण , लोग हमसे कोसो दूर भागते हैं , हम उस नाम और रुतबे को ही अपनी ज़िन्दगी से दरकिनार कर देंगे । रहेंगे इसी जगह , पर बाहर किसी को अपनी पहचान नहीं बतायेंगे । उसी दिन हमने अपने रूम का दरवाज़ा खोला , और डिनर के वक्त खाना खा रहे सभी बड़ों से कहा , कि हम आज से किसी भी तरह के राजसी ठाठ - बाठ के साथ , घर के बाहर कदम नहीं रखेंगे । आज के बाद से सरकारी कागजों को छोड़, बाकी सब हमें सिर्फ और सिर्फ रूही के नाम से जानेंगे , ना कि इस राजघराने की राजकुमारी के नाम से । सभी ने हमारी बात का विरोध किया , पर हम अपनी बात पर उस दिन अडिग रहे । पता नहीं कहां से हममें इतनी हिम्मत आ गई थी , उस छोटी सी उम्र में भी, अपने बड़ों की बात काटने की और अपनी बात पर अडिग रहने की । खैर ....., सभी ने ये सोच कर हमारी बात मान ली , कि हम अभी छोटे हैं , नादान हैं , ये सब बचपना है हमारा, कुछ दिनों बाद हम ये सब भूल जायेंगे । तब तक इसकी बात के लिए हां कह देते हैं , जब दिमाग आएगा तो खुद ये अपना फैसला बदल देगी और पहले की तरह, पूरी चौकसी के साथ, घर से बाहर जाने लगेगी। पर उस उम्र में भी हम अपने घर वालों की मंशा समझ गए थे, इस लिए हमने इस बात पर हमेशा अडिग रहने की कसम खाई ।

अगले दिन फिर हमें पूरी चौकसी के साथ स्कूल भेजने का इंतजाम किया गया , पर हमने उस चौकसी को हटाने की बात कही , तो बड़े बापू सा ने , और हमारे बापू सा ने , हमारी बात को नहीं माना और हमें डांट भी लगाई । तो हम वापस अपने कमरे में आ गए , और हमने अपने आपको उस कमरे में बंद कर लिया । हम लगभग एक हफ्ते तक स्कूल नहीं गए, ये बात पुरे इंदौर शहर में, आग की तरह फ़ैल गई । स्कूल से फोन पर फोन आने लगे । संदेशे आने लगे प्रिंसिपल सर के , और एक दिन हमें पढ़ाने वाला स्कूल का पूरा टीचर स्टाफ, हमारे महल पर आ गया । तब हमारे घर वालों ने हमें, सारे टीचर स्टाफ के सामने बुलाया । सारे टीचर स्टाफ ने हमसे स्कूल ना आने का कारण पूछा , तो हमने रोते - रोते अपनी सारी व्यथा कह सुनाई । हमारी बात सुनकर सारे टीचर्स ने हमारे बापू सा और पूरे घर वालों की उन्हीं के सामने निंदा की , और बहुत कुछ कहा । जिससे मजबूरी में अपनी इज्जत और नाम बचाने के लिए , हमारे घर वालो ने हमारी ये शर्त मान ली , कि हम नॉर्मल लोगों के बच्चो की तरह स्कूल जायेंगे, पर ये बात उन्होंने कतई नहीं मानी कि हम स्कूल के अलावा, कहीं और आम लोगों की तरह जाएं ।

खैर हम तब भी खुश थे , कि कम से कम स्कूल में तो हमें, इन राजघराने के टैग से छुटकारा मिला । पढ़ते - पढ़ते हमें डांस में रुचि होने लगी , तो हमने डांस में भी पार्ट लेना शुरू कर दिया। घर वालों को भी इस बात की रजामंदी , स्कूल के टीचर्स के प्रेशर में आकर देनी पड़ी । ये सब लगभग टेंथ स्टैंडर्ड तक चलता रहा । पर उसी बीच कायरा के घर वालों ने किसी कारण के चलते , उस शहर को छोड़ दिया और कायरा हमसे दूर हो गई। उस वक्त तक कायरा और हममें बहुत ही गहरी दोस्ती हो चुकी थी । पर कुछ वक्त बाद , हमारे पूरे खानदान का यहां आना हो गया , और हमारा एडमिशन भी अनजाने में, कायरा के ही स्कूल में करवा दिया गया । हम एक बार फिर खुश हुए , कि हमें वापस से हमारी बेस्ट फ्रैंड मिल गई।

टेंथ स्टैंडर्ड पास करने के बाद , हमारे बड़े बापू सा और बापू सा के द्वारा फरमान सुनाया गया । कि अब तक जो पढ़ा , वह ही काफी है । अब इससे ज्यादा हम अपने घर की बेटी को पढ़ाना नहीं चाहते और ना ही हमारे राजघराने की बेटियों को ये शोभा देता है । पर तब भी हमने उनके फैसले को ना मानकर , अपनी ज़िद रखी, की हम आगे पढ़ेंगे और इस दुनिया में खुद का नाम बनाएंगे । पर हमारी बात नहीं मानी गई , और हमें हमारे रूम में बंद कर दिया गया । हमने बहुत कोशिशें की, दरवाज़ा खुलवाने की , पर किसी ने भी ना ही दरवाज़ा खोला और ना ही हमारी बात सुनी । तभी किसी कारण वश , बड़े बापू सा को इंदौर रियासत को संभालने के लिए जाना पड़ा । वे अपना परिवार लेकर , इंदौर चले गए । और यहां मुंबई में सिर्फ हम और हमारे बापू सा , मां सा और हमारे बड़े भाई सा बचे । उनके जाने के बाद , हमें हमारी मां सा ने उस कमरे से बाहर निकाला और बापू सा से हमारी पढ़ाई को आगे जारी रखने के बारे में वे बात करेंगी, ऐसा कहा । मां सा ने बापू सा को बहुत समझाया पर वे नहीं माने , तो मां सा ने उन्हें खुद के घर छोड़ कर जाने की धमकी दी और साथ में उन्होंने हमें भी अपने साथ ले जाने के लिए कहा । बापू सा उनकी बात सुनकर घबरा गए , और उन्होंने ने इस डर से, कि कहीं मां सा हमें साथ लेकर इस घर , इस राजघराने की दहलीज को लांघ कर ना चली जाए , यही सोच कर उन्होंने मां सा की बात मान ली। क्योंकि अगर मां सा घर छोड़ कर चली जाती , तो उनकी इंदौर रियासत के साथ - साथ यहां मुंबई में भी इज्जत नहीं रह जाती , यही सोच कर उन्होंने हामी भरी ।

फिर उन्होंने हमें वहां बुलाया , जहां पर मां सा और बापू सा इस बारे में बातें कर रहे थे । लेकिन मां सा की बात मानने के साथ ही , बापू सा ने हमारे सामने शर्तें रखी । हमने उनसे उनकी शर्तों को बताने के लिए कहा , तो उन्होंने हमारे और मां सा के सामने अपनी शर्तों का पिटारा खोला । उनकी पहली शर्त थी , कि अब से हम पहले वाली राजघराने की चौकसी के साथ ही स्कूल जायेंगे और अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करेंगे । हमने उनकी शर्त को मानने से इंकार कर दिया , तो उन्होंने इसके बदले यह सोल्यूशन निकाला , कि हम भले ही सारी चौकसी के साथ पढ़ने ना जाए , पर तब भी हमारे साथ राजसी चौकसी रहेगी । वो इस तरह , हम उनके साथ नहीं , बल्कि अकेले ही पढ़ने के लिए जाएंगे । लेकिन बापू सा के आदमी सादा कपड़ों में, हमसे निश्चित दूरी बना कर, हमारे ऊपर हमेशा निगरानी रखेंगे । हमारे घर से बाहर निकलने के साथ - साथ हमारे घर लौटने तक , हमसे दूर रह कर, वे सभी हमारी निगरानी करेंगे , किसी सीक्रेट एजेंट के सिपाही की तरह । हमने उनकी ये बात मान ली ।

फिर उन्होंने अपनी दूसरी शर्त रखी , और वो यह कि हम हमेशा डांस से दूर रहेंगे । हमने ये शर्त भी मान ली । फिर उन्होंने अपनी अगली शर्त रखी , कि हम कभी भी, किसी भी लड़के से दोस्ती नहीं करेंगे । इस शर्त कर मां सा ने विरोध किया , तो उन्होंने मां सा की बात पर कहा , कि भले ही हम लड़कों से दोस्ती कर लें , पर हम कभी भी किसी भी लड़के के प्यार में नहीं पड़ेंगे । हमने ये शर्त बेझिझक स्वीकार कर ली ।

फिर उन्होने एक और शर्त हमारे सामने रखी , कि हम कभी भी बिना बताए उन्हें , कहीं भी किसी भी दोस्त के साथ नहीं जाएंगे । हमने ये शर्त भी मान ली । फिर उन्होंने अपनी आखिरी शर्त रखी, कि हमारी शादी वे अपने हिसाब से , अपने चुने गए वर से ही कराएंगे , हम कभी इस बात का विरोध नहीं करेंगे , और ना ही कभी ऐसा कुछ करेंगे, जिससे राजघराने की इज्जत दांव पर लगे । क्योंकि यही राजघराने के नियम थे और यही असली वजह थी , हमें पढ़ने ना भेजे जाने की । हमने उनकी शर्त को बेपरवाही से , सहर्ष स्वीकार कर लिया ।

और इन्हीं शर्तों के चलते उन्होंने हमें , आगे की पढ़ाई करने की अनुमति दी । पर उसके बदले में हमें , घर परिवार,अपने खुद के भाई से भी खूब ताने मिले । ये कह कर कि , हमारे राजघराने की लड़कियां इससे ज्यादा पढ़ाई नहीं करती , पर अगर तुझे भेज रहे हैं , तो हमारी इज्जत बचा कर रखना , हमारी नाक मत कटाना पूरे शहर के सामने , और इंदौर रियासत के सामने । हर दिन ये ताने हमें दिए जाते थे, हर दिन ये बेड़ियां हिदायत के नाम पर, हमारे पैरों पर बांधी जाती थी । इन सब का असर ये हुआ , कि हमारा पढ़ाई में मन लगाना कम हो गया और हमेशा यही बातें हमारे दिमाग में मंडराने लगी । जिससे हमारे ट्वेल्थ स्टैंडर्ड में, बहुत कम पर्सेंट बने । किसी तरह हमारी स्कूली पढ़ाई पूरी हुई , तो हमने फिर आगे पढ़ने की इच्छा जाहिर की । पर इस बार फिर वही सब रिपीट हुआ , जो हमारे टेंथ स्टैंडर्ड को क्वालीफाई करने बाद , आगे की पढ़ाई करने के लिए हुआ था । फिर से वहीं सारी शर्तें रखी गई। पर इस बार भी हमने उसी तरह से सारी शर्तें मान ली , जिस तरह से पहले मानी थी, और बापू सा ने एक बार फिर हमें पढ़ने के लिए भेज दिया । पर इस बार हमने खुद से पढ़ने जाने की बात कही । मतलब कि अकेले कॉलेज जाने की बात कही और उस वजह के चलते, हमें स्कूटी दिलाने के लिए कहा । बापू सा ने मां सा के समझाने पर , हमारी बात मान ली और हमें स्कूटी दिलाने के साथ ही , हमारे पीछे निगरानी करने वाले आदमियों को भी हटा दिया ।

हम बापू सा के इस फैसले से बहुत खुश हुए और खुशी - खुशी आगे के पढ़ाई करने लगे। पर एक दिन हमें कोई जाना पहचाना सा चेहरा, हमारा पीछा करते हुए दिखा। हमने गौर किया तो पाया, कि वो बापू सा के एक आदमी थे । हमने दूसरे दिन घर से निकलने के बाद, उन्हें रंगे हाथो हमारा पीछा करते हुए पकड़ा , और उनके द्वारा हमारे पीछा करने का कारण पूछा । तो उन्होंने हमें बताया, कि ऐसा करने के लिए उन्हें , हमारे बापू सा ने कहा है । उस दिन हमें, अपने बेटी होने पर बेहद अफसोस हुआ , क्योंकि भाई सा के पढ़ने के सिलसिले में, बाहर जाने के लिए कभी भी ना ही इतनी कड़ाई की गई और ना ही इस तरह से छिप कर निगरानी रखवाई गई । उस दिन हमारा, अपने बापू सा से विश्वास उठ गया । और हमने ये सारी बातें मां सा को बताई । तो उन्होंने इस बात को यही खत्म कर , अपनी पढ़ाई किसी भी तरह से पूरी करने की बात कहीं। उन्हें डर था , कि कहीं इस बात के विरोध करने पर बापू सा हमारी पढ़ाई ना रुकवा दे । हमने भी अपनी मां सा की बात मान ली , और इस बात का विरोध कभी नहीं किया । उसका नतीजा ये निकला कि आज भी बापू सा के आदमी हमारा पीछा कर , हमारे ऊपर निगरानी रखते है और हमारे साथ घट रही हर घटना की पल - पल की खबर, बापू सा और भाई सा को देते हैं ।

आज जो हमने डांस किया है ना राहुल , वो भी बिना बापू सा और भाई को बताए किया है । इसमें मेरी मां सा ने हमारी हेल्प की है , क्योंकि हमें डांस से कितना लगाव है , ये मां सा बहुत अच्छे से जानती है । इसी वजह से उन्होंने ये बात बापू सा के आदमी को , बापू सा से और भाई सा से छुपाए रखने के लिए कही । और बापू सा के आदमी ने मां सा का आदेश मान कर, इस बात को छुपाए रखा ।

आपको याद है राहुल , हमने कायरा के कॉफी पीने बात आप सभी को बताई थी , जिसमें हमने उसके साथ थे, अपने फ्रैंड की उस बर्थडे पार्टी में , ( राहुल ने हां में गर्दन हिलाई तो रूही ने आगे कहा ) उस दिन भी हमें उस पार्टी में जाने की परमिशन नहीं दी गई थी , पर मां सा ने उस दिन भी बापू सा के आदमियों को आदेश दिया था , कि वे मुझे वहां पर जाने दे और बापू सा के साथ ही, पूरे घर वालों से ये बात छुपा कर रखें । तब ही हम कायरा के साथ उस पार्टी में जा पाए और फिर उसे छोड़ने उसके घर गए । इनफेक्ट उस दिन भी , जब कायरा की तबीयत बिगड़ी गई थी और हम कायरा और आरव के साथ हॉस्पिटल और उसके बाद फिर कायरा के घर गए थे , तब भी हमने मां सा को ये सारी बातें बताई , और उन्होंने एक बार फिर सारी बातें बापू सा और भाई सा से छुपाने की बात कही। हर वक्त जब - जब हमें मजबूरी में कायरा के यहां जाना पड़ा , तब - तब बापू सा के आदमी ने हमारी मां सा की बात मानी और हमारा साथ दिया। पर इतना हमें विश्वाश है कि एक दिन ऐसा जरूर आएगा , जब बापू सा को ये सारी बातें पता चलेगी । और तब वे हमारा घर से निकलना भी बंद करवा देंगे ।

इन्हीं सब के चलते हमने अपनी फीलिंग, आपसे छुपाना बेहतर समझा , क्योंकि कुछ भी हो, हमारी निगरानी करने वाले हैं तो बापू सा के आदमी ही ना। कभी ना कभी तो वे ये सारी बातें उनसे कहेंगे ही , चाहे वे अपनी मर्ज़ी से कहें या बापू सा के दवाब में आकर कहें , पर हैं तो वे भी स्वामी भक्त ही , कभी ना कभी तो अपनी जवान खोलेंगे ही । इसी लिए हम आपसे ये प्यार मोहब्बत का रिश्ता नहीं रखना चाहते थे । और आपको हमेशा इन सब चीज़ों से दूर रखना चाहते थे ( राहुल की आंखों में देख कर रोते हुए ) पर रख नहीं पाए हम आपको इन सबसे, अपनी फीलिंग्स से दूर ...।

राहुल ( सारी बातें सुनने के बाद , रूही से गंभीर शब्दों में बोला ) - क्या कायरा को इन सभी के बारे में पता है ???

रूही ( अपने आसूं साफ कर बोली ) - नहीं ...., उसे ये बात बिल्कुल भी पता नहीं है , कि मैं एक राजकुमारी हूं । क्योंकि जब उसने मुझे , मेरे क्लास मेट्स के दोस्ती ना करने के रीजन की बात बताई थी , तब हमारी उम्र बहुत कम थी । और कायरा अपने बचपने के चलते , इस बात को कब का भूल चुकी है । और मैंने भी कभी इन सभी बातों का उसके सामने ज़िक्र नहीं किया , जिससे उसे मेरी असलियत का अभी तक भान नहीं हुआ है । ( फिर थोड़ा रुक कर , एक बार फिर राहुल की ओर देख कर रूही बोली ) अब आप ही बताइए राहुल !!!! भला मैं अब आप से कैसे कोई संबंध रखूं , कैसे अपना प्यार मैं आपसे निभाऊं ??? आप ही बताइए, कि ये सब जानकर क्या आप मुझसे अब भी प्यार करेंगे ??? चलिए एक बार को मैंने मान भी लिया , कि आप इस सच के बाद भी मुझसे प्यार करेंगे । तब भी आप ये बताइए , कि मैं अपने बापू सा से क्या कहूंगी ??? कैसे बताऊंगी उन्हें , की मैंने उनकी शर्त को तोड़ दिया है, नहीं मानी है, मैंने उनकी शर्त। और तो और राहुल , मैं इस लिए भी उनसे कुछ नहीं कह सकती , क्योंकि मुझे जिससे प्यार हुआ है, वह मेरी जाती का भी नहीं है । आप तो जानते हैं ना, हम क्षत्रीयों के लिए जात बिरादरी कितनी मायने रखती है। तो आप ही बताइए मैं कैसे अपने बापू सा से ये सब कहूंगी ??? और किस मुंह से कहूंगी ????

राहुल ( रूही की बात सुनकर, उसने एक गहरी सांस ली और फिर रूही को गले लगा कर कहा ) - तुमसे किसने कह दिया रूही , कि मैं तुम्हारी जाती का नहीं हूं !!??

रूही ( मासूमियत से ) - आपके कहने का अर्थ क्या राहुल !!!!!

राहुल - मेरे कहने का अर्थ ये है रूही , कि अगर तुम क्षत्रीय हो , तो मैं भी क्षत्रीय हूं । अगर तुम परमार हो , तो मैं भी चौहान हूं , राहुल चौहान । हां मैं तुम्हारी तरह राजघराने से बिलोंग नहीं करता हूं , पर राजपूतों का खून तो मुझमें भी है । और अगर मेरे अन्दर राजपूतों का खून नहीं भी होता या मैं क्षत्रीय ना होकर किसी और जाती का भी होता , तब भी मैं तुम्हें ऐसे ही प्यार करता जैसे अभी करता हूं । और तुम्हें हमेशा के लिए अपना बनाता , जैसे कि अब मैं तुम्हें बनाने वाला हूं।

रूही ( राहुल की शक्ल को देख कर मासूमियत से बोली ) - और वो कैसे करेंगे आप ???

राहुल ( रूही को अपने सीने से अलग कर बोला ) - वो ऐसे, कि अब मैं अपने परिवार के साथ तुम्हारे घर रिश्ता लेकर जाऊंगा और सीधे - सीधे सारी सच्चाई बता कर, मैं तुम्हारा हाथ , तुम्हारे पिता से मांगूंगा ।

रूही - नहीं राहुल आप ऐसा नहीं करेंगे ।

राहुल - पर क्यों रूही ???

रूही - क्योंकि मेरे बापू सा ये सच्चाई जान कर , कि हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं , ये रिश्ता तोड़ देंगे और हमारे रिश्ते को कभी एक्सेप्ट नहीं करेंगे ।

राहुल ( गुस्से से ) - ऐसे कैसे एक्सेप्ट नहीं करेंगे तुम्हारे पिता , हमारे रिश्ते को , उन्हें मानना ही होगा । और मैं अब तुम्हारी पूरी सच्चाई जानकर , बिल्कुल भी वहां तुम्हें नहीं रहने देना चाहता ।

रूही - पर राहुल मुझे तो वहां रहना ही पड़ेगा , आखिर वो मेरा घर है , मेरा परिवार है । उन्हें मायूस कर , मैं खुद भी खुश नहीं रह पाऊंगी ।

राहुल ( गुस्से से आगबबूला होते हुए बोला ) - कैसा घर ??? कैसा परिवार रूही ???? जहां पर तुम दो मिनट चैन से जी नहीं सकती हो । अरे चैन से जीना तो दूर , तुम शांति से बैठ कर, रोटी का दो निवाला भी नहीं तोड़ सकती हो । दिन - रात तुम्हारे खानदान के लोग तुम्हें बातें सुनाते हैं , तुम्हें ताना कसते है । और उन्हें तुम परिवार कहती हो , ऐसा परिवार और ऐसा घर होता है रूही ??? मैं अब कुछ भी नहीं जानता , पर मैं अब तुम्हें उस पिजरे में कैदी बन कर रहने नहीं से सकता।

रूही - वो पिंजरा नहीं मेरा घर है , मेरे अपने है वो, राहुल ।

राहुल - कैसा घर कैसे अपने रूही ??? अरे वो घर, घर नहीं बल्कि एक पिंजरा ही है , जहां पर तुम अपनी इच्छा अनुसार सांस तक नहीं ले सकती हो रूही । तुम ही बताओ अगर वे तुम्हारे अपने होते , तो क्या तुम्हें शर्तों की बेड़ियों में बांध कर रखते ??? अपने राजघराने की इज्जत की आड़ में, तुमसे तुम्हारी आजादी कभी भी छीनते??? तुम ही बताओ रूही , कौन से पिता अपने बच्चों में भेद करते है ?? जब तुम्हारे भाई को पढ़ने भेजा का सकता था , तो तुम्हें पढ़ने भेजे जाने पर, उन्होंने अपना स्वार्थ क्यों देखा ??? अगर वे तुम्हारे अपने होते , तो खुशी - खुशी तुम्हारे लिए वो सब करते, जो एक माता पिता अपनी बेटी के लिए करते हैं । अगर तुम्हारे पिता को तुम्हारी कद्र होती , तो वे तुम्हारी पढ़ाई में ना ही पाबंदी लगाते और ना ही कभी तुम्हारे सामने शर्तें रखते । अरे उससे बेहतर तो हमारे देश के पुलिस चौकी की जेल है रूही , जिसमें कम से कम कैदी को चैन से, दो वक्त का भोजन तो नसीब होता है। लेकिन तुम्हें तो खाने के साथ ताने सुनाए जाते हैं । कैसे सहती होगी तुम ये सब ??? मुझे अगर मेरे घर पर, कोई कुछ भी ग़लत बोलता है , तो मैं उन्हें पलट कर जवाब दे देता हूं । पर तुम ....., तुम तो जाने कितने सालों से ये सब सुनती आ रही हो । तुम ही बताओ ना रूही , क्या कहीं ऐसा होता है , कि पैरेंट्स अपनी ही बच्ची को, अपनी शर्तों की बेड़ियों से कैद कर रखें , और उसकी ज़िन्दगी अपने हिसाब से चलाएं।

रूही ने राहुल की बात पर कुछ नहीं कहा , और वह राहुल के सीने से लग कर सिसकने लगी ।

इधर आरव ने कायरा का मेकअप किया और उसे आइने में देखने को कहा । कायरा ने जब अपने आपको आइने में देखा , तो बस देखती ही रह गई। उसे पता चला कि आरव के द्वारा उसके मेकओवर करने के बाद , वह पहले से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही है......।

क्रमशः

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