स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 22 Nirav Vanshavalya द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 22

angelical गंगासागर के दर्शन हो रहे हैं और ऐसे ही गंगासागर के सम्मान में अदैन्य ने आज पारंपरिक बेंगोली परिधान धारण किया है. हाथों में कनेर की अंजलि लिए हुए अदैन्य ने कनेर अंजलि के साथ-साथ अपने अश्रु के एक बूंद की भी अंजली गंगासागर की चढ़ाई.

बेंगोल की नर बांसुरी में अदैन्य के इस दृश्य को अपना संगीत दिया अदैन्य अंतरात्मा से सब कुछ समझ गए.

दूसरे दिन अदैन्य चंद्रकांत माणिक के आग्रह पर उनके घर डिनर पर पहुंचते हैं. जहां चंद्रकांत माणिक के दो बेटे एक बेटी और उनकी धर्मपत्नी अदैन्य की प्रतीक्षा कर रहे थे.

माणिक जी के बड़े बेटे अभिलाष ने अदैन्य को शेक हैंड किया और भारत में उनका स्वागत किया.

अदैन्य में धन्यवाद के साथ घर में कदम रखा.

माणिक जी के छोटे बेटे विश्वास ने अच्छी खासी बातें अदैन्य से की और उनसे इकोनामी का अच्छा खासा यान बटोरा.

विश्वास बहुत खुश हुआ और अदैन्य से आग्रह करता रहा कि हम मिलते रहेंगे.

अदैन्य ने भी विश्वास को विश्वास दिलाया कि ऐसा ही होगा.

चंद्रकांत जी की छोटी बेटी आर्या ने अदैन्य के पांव छुए, और कहां भारत में आपका स्वागत है.

सुबोधिनी देवी जोकि, माणिक जी की पत्नी है, उन्होंने भारतीय परंपरा से अदैन्य को दीप्त दिखाएं और कहां आपका सब मंगलमय हो.

कुछ औपचारिक वार्तालाप के बाद सभी है डाइनिंग टेबल पर कैंडल लाइट डिनर के लिए जमा होते हैं और एक के बाद एक सभी ने अपनी अपनी कुर्सी खींची.

थोड़ी देर के बाद माणिक जी ले रोई से कहा मिस्टर रॉय, इंटेलिजेंस और पार्टी प्रोफेशनल ने तो यह डिसीजन ले ही लिया था की एंटीफंगस को लाना है.
मगर सच पूछो तो मुझे अब तक नहीं पता की एग्जिट ली एंटीफंगस क्या है?

अदैन्य खाते-खाते थोड़ा मुस्कुरा कर कहा सर यह एक पेरा इकोनामिक डिवाइस है. जो ट्रेडिशनल इकोनामि के साथ नहीं बल्कि, उसी के अंदर चलती है.

आपको पता भी नहीं चलेगा कि आप एक साथ दो दो करेंसी इस्तेमाल कर रहे हैं.

माणिक जी ने कहा, हां हां वह तो ठीक है भाई, मगर मगर इसके कुछ तो फायदे होंगे!

अदैन्य फिर से थोड़ा मुस्कुराये, और कहां सर, आपका पैसा यदि आप ही के पास हो यानी की आप ही के बैंक में यानी कि सरकार के पास ही रहे तो, आपको क्या मिलेगा!

मानिक जी ने कहा, ब्याज!

अदैन्य ने कहा दट्स राईट !

interest is the deserve of currency.

याने की ब्याज चलनो का अधिकार है.

यानी कि यदि आपकी पेपर( नोट्स) आप ही के पास रहेगी तो उसका ब्याज यानी कि ग्रोथ यानी कि ब्याज शोषण( फुग शोषण) आपको मिल ही जाएंगे फिर चाहे आप उसका निवेश करते हो या नहीं करते हो.
मानिक जी ने फिर से पूछा, जी नोट और धन, इन दोनों में फर्क क्या है!

अदैन्य ने कहा, जी धन पदार्थ है और नोट्स उसके मापदंड.

चलोनो से ही आपके धन की लंबाई चौड़ाई मापि का सकती है.

आदि ने ने कहा धन मापदंड के अधीन है और नोट्स पदार्थ के.

यानी कि आपके पास कितना धन है, और यह नोटस आपने किस में से बनाएं!

ठीक है माणिक जी ने कहा, मगर फिर भी मैं संतुष्ट नहीं हूं.


यह बात तो समझ में आती है, कि हमारा पैसा अंडरवर्ल्ड के पास नहीं जाता मगर हमारे पास ही वो पड़ा रहेगा तो क्या फायदा?