Luck by chance again !! - 3 zeba Praveen द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Luck by chance again !! - 3

राजवीर के पापा के गुज़र जाने के बाद उसके सबसे करीब कोई था तो वह था उसके पापा का ड्राइवर महेश, महेश अंकल की बात को राजवीर कभी नहीं टालता था, गौरी को अपने लिए लकी मानना बहुत अटपटा था लेकिन राजवीर किसी भी तरह अपने कारोबार को बचाना चाहता था, महेश अंकल जानते थे राजवीर उसकी बात कभी नहीं टालेगा, उसने गौरी के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया, एक दिन महेश अंकल ने अनाथालय के बच्चो के लिए एक प्रतियोगिता रखी जिसमे गौरी पढ़ाती थी, उस प्रतियोगिता का जज बनकर राजवीर को जाना था, राजवीर को जब यह पता चला तो वह आग बबूला हो उठा,

-"अंकल क्या ज़रूरत थी यह सब करने की, आपको पता है न मैं उस लड़की से नफ़रत करता हूँ, आई हेट हर, औक़ात क्या हैं उसकी मेरे सामने मुझसे ज़ुबान लड़ा रही थी देखा नहीं था कैसे, मैं उन डिसेबल्ड बच्चो के बीच नहीं जाऊंगा नेवर......."

-बेटा जी आप समझ नहीं रहे हैं....."

-आप नहीं समझ रहे हैं, आपको पता हैं मैं कौन हूँ, थाउजेंड मिलियंस का एक अकेला वारिस राजवीर सिंघानिया, मैं उन स्टुपिड लोगो के बीच नहीं जाऊंगा"

-आप हमारी बात नहीं समझ रहे, वो जो लड़की हैं न बहुत चालू हैं, वो ऐसे-वैसे हमारे हाथ नहीं लगेगी बल्कि उसे उसकी तरह ही फ़साना होगा"

-अंकल हम यह क्यूँ कर रहे हैं, सिर्फ आपके उस शक के लिए जिसमे आपको यह लग रहा हैं की वो लड़की मेरे लिए लकी हैं, जब की वो लड़की कुछ हैं ही नहीं मेरे सामने"

-आपने सही कहा लकी, वो आपके लिए लकी हैं, मैं बचपन से साधु संतो के बीच रहा हूँ, वही से मैंने पता किया हैं आपके कुंडली में कालसर्प दोष हैं जिनकी वजह से आप लाइफ में आगे नहीं बढ़ पा रहे......"

-शिट....अब मेरी लाइफ में कुंडली, दोष यह सब कहा से आ गए, और इससे उस लड़की का क्या कनेक्शन, ऐसा हैं मैं इन सब बकवास बातों को नहीं मानता, आप यह ज्ञान कही और जाकर बाँटिये प्लीज़"

-"बेटा जी, अभी हमारे पास आपके व्यवसाय को बचाने का कोई और दूसरा उपाय नहीं हैं, बस मेरी ख़ातिर, आप उस प्रतियोगिता में जज बनकर आ जाइये, अगर मेरी बातें झूठी निकली तो फिर आपको मैं आगे से कुछ भी नहीं कहूँगा"

-"बस लास्ट बार मैं आपकी बात मान रहा हूँ और आगे से जो मेरा मन करेगा वो मैं करूँगा समझे"

-"जी..आप जैसा कहेंगे आगे से सब वैसा ही होगा"

(महेश अंकल की ज़िद से राजवीर उस प्रतिजोगिता में जाने को तैयार हो गया, 23 मार्च की सुबह आठ बजे प्रतियोगिता रखी गयी जिसके लिए राजवीर की तरफ से सारा इंतज़ाम किया गया था, विजेता बच्चो के इनाम के लिए भी खास इंतज़ाम किया गया था, लगभग एक बजे तक प्रतियोगिता ख़त्म हुई और विजेता घोषित किया गया, अवॉर्ड देने के लिए राजवीर स्टेज पर आया, गौरी उसे देखते ही पहचान गयी थी लेकिन वो यकीन नहीं कर पायी थी के वाक़ई यह वही लड़का हैं, राजवीर ने इनाम देने से पहले वहा बैठे लोगो से बाते किया "यह कॉम्पिटिशन सिर्फ इन बच्चो का नहीं था बल्कि इनके टीचर्स का भी था, किताबें तो हर कोई पढ़ लेता हैं लेकिन शिक्षित वही होता हैं जिनके पास टीचर्स होते हैं, किसी महान व्यक्ति ने कहा हैं "शिक्षण एक महान पेशा है और एक अच्छा शिक्षक हमेशा हम पर भगवान का एक उपहार है", मैं चाहता हूँ इस ख़ास मौक़े पर इन बच्चो के टीचर्स स्टेज पर आये और अपनी हाथों से इन बच्चो को प्राइज दे"

सभी लोग गौरी की तरफ देखने लगे और उसे स्टेज पर जाने के लिए इशारा करने लगे, गौरी अभी भी इसी उलझन में पड़ी थी के यह राजवीर ही हैं या कोई और क्यूंकि जिससे वो उस दिन टकराई थी वो उसके समझ से काफी ज़्यादा बत्तमीज़ था लेकिन आज जो उसके सामने स्टेज पर खड़ा था वो कौन था, मन में सवालों के पहाड़ लिए गौरी स्टेज पर गयी, राजवीर ने प्राइज उसकी तरफ बढ़ाया, गौरी ने एक-एक करके प्राइज विजेता बच्चो को दिया, गौरी इस सब के लिए राजवीर को थैंक्स कहती हैं, प्रोग्राम खत्म होने के बाद सब लोग इधर-उधर जाने लगे, गौरी कुछ देर के लिए बच्चो के साथ उलझ गयी थी तब तक राजवीर वहां से चला गया, गौरी ने वहां के लोगो को कहते हुए सुना "बहुत बड़े बिज़नेस मैन का बेटा हैं यह, और इसने बोला हैं हमारे ओर्फनेज की आगे भी हेल्प करेगा", गौरी के दिमाग से वो पुरानी बातें धुंधली होती जा रही थी और अब उसकी निगाहें राजवीर को ढूंढ रही थी, रास्ते में राजवीर को उसके ऑफिस से फ़ोन आया, हैदराबाद के एक कंपनी का सीईओ उसके साथ मीटिंग करने के लिए इंतज़ार कर रहा था, गाड़ी में ही राजवीर अपना गुस्सा महेश अंकल पर निकाल रहा था,

"अब तो आपने देख लिया न अंकल, यह लक वक कुछ नहीं हैं, आज के बाद आप ऐसी बातें नहीं करेंगे"

"बेटा क्या आपने देखा कुछ, अचानक से एक कंपनी का सीईओ आपसे मिलने आ गए, क्या अभी भी आपको इस पर शक है"

"अंकल बस अब आप इसे भी उस लड़की से जोड़ रहे, वो बिज़नेस प्रमोशन के लिए आया हैं, कल भी मुझे कॉल आयी थी उसकी और आज वो किसी भी टाइम आने वाला था और आ भी गया"

(महेश अंकल चुप हो गए, गाड़ी को ऑफिस की तरफ मोड़ कर राजवीर को वहा छोड़ दिया, यह वो आदमी नहीं था जिससे राजवीर की बात हुई थी, बल्कि दूसरा कोई था जो हैदराबाद से ही आया था, किसी बिज़नेस प्रमोशन के लिए नहीं बल्क़ि वो उसके कंपनी में इन्वेस्ट करना चाहता था, राजवीर को जब यह पता लगा तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, उसके सोच से भी अधिक पैसा वो सीईओ उसके व्यवसाय में इन्वेस्ट कर रहा था, आज जो भी हुआ वह काफी था उसे महेश अंकल की बातों पर यक़ीन दिलाने के लिए, राजवीर कही ना कही उन बातों पर यक़ीन करने लगा था, वो महेश अंकल से कहता हैं-

"अंकल आप को पता नहीं हैं मैं आज कितना खुश हूँ, आपको पता भी नहीं होगा उस इंवेस्टर ने क्या किया हैं मेरे लिए, थैंकयू सो मच अंकल, अंकल अब आप बताओ मेरी कुंडली से यह दोष कैसे जाएगा"

"बेटा मैं कल ही चला जाता हूँ उस बाबा के पास और इस दोष का उपाय लेकर ही आऊंगा"

(अगले दिन महेश अंकल अपने गांव के लिए निकल जाते हैं, राजवीर पहले के मुताबिक़ वित्तीय मजबूत हो गया था, वो अपनी सूझ-बूझ से दुबारा अपने कारोबार को पटरी पर ला रहा था, एक सप्ताह भी नहीं हुए होंगे महेश अंकल हाफ्ते हुए राजवीर के पास आया, राजवीर उनको देख कर उनकी ख़ैरियत पूछता हैं -
ड्राइवर अंकल "बेटा जी आपके उस दोष का तोड़ मिल गया हैं लेकिन उसके लिए आपको कुछ करना होगा"

"अंकल आप इतना परेशान क्यूँ हो रहे हैं जो भी काम होगा वो मैं करूँगा"

"बेटा जी वो कोई आसान काम नहीं हैं....."

"क्या करना हैं प्लेन उड़ानी हैं या फिर बोट चलनी हैं ....."

"अगर यह भी होता तो आप कर लेते लेकिन......"

"आप इतना घुमाइए मत, क्या हैं साफ़-साफ़ बताइये"

"उस अपाहिज लड़की से शादी करनी होगी आपको......."

"(चिल्लाते हुए) यह क्या बकवास कर रहे हैं आप, मैं...... उससे शादी करूँगा"

"बेटा जी मैंने खुद बहुत कोशिश किया हैं कोई दूसरा उपाय पता करने का लेकिन इसके आलावा कोई चारा नहीं हैं"

"अंकल आपका दिमाग ख़राब हो गया हैं, आप किस बिहाफ़ पर यह बात कर रहे हैं"

"बेटा जी, उस बाबा के मुताबिक़ आपके सितारे बहुत कमज़ोर हैं, जब उस लड़की से शादी हो जाएगी तो आपके और उसके सितारे भी आपस में मिल जायेंगे, जब उस लड़की के सितारे आपके सितारों से टकराएंगे तो आपके सितारे पहले से ज़्यादा मजबूत हो जायेंगे इससे आपकी ज़िन्दगी भर की समस्या खत्म हो जाएगी"

"एक सेकंड व्हाट सितारे...."

"यह सब नियति का खेल हैं, आप और हम कुछ नहीं कर सकते"

"नेवर....नेवर ऐसा कभी नहीं हो सकता, मैं उससे शादी कभी नहीं करूँगा"

"बेटा जी मेरे पास इसका उपाय हैं, अगर आप कहे तो फिर मैं आपको बताऊँ......"

"क्या उपाय हैं जल्दी बताइये....."

"क्यूँ न उस लड़की से शादी करके फिर उसे मुंहमांगी रकम देकर छोड़ दें, इससे हमारा काम भी बन जायेगा और वो पैसे लेकर अपने रास्ते चली जाएगी"

"और अगर ऐसा नहीं हुआ तो, वो पैसे लेकर भी नहीं मानी तो ....."

"तब का तब देख लेंगे अभी तो हमारा काम हो जायेगा"

(राजवीर ऊपरी मन से हामी भर देता हैं, अगले दिन ड्राइवर अंकल गौरी के घर रिश्ता लेकर जाते हैं)

continue...........