Luck by chance again !! - 4 zeba Praveen द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Luck by chance again !! - 4

प्रोग्राम ख़त्म होने के बाद गौरी घर चली गयी, उसके दिमाग़ में बार-बार राजवीर की वो स्पीच याद आ रही थी, उसको इस तरह खामोश देख कर ध्रुव उससे पूछता है-
"गौरी किस ख्याल में डूबी हुई हो?"
"ध्रुव तुम कब आये, आओ बैठो, मैं कल के प्रतियोगिता के बारे में सोच रही थी, मीता को साथ नहीं लाये, उसे भी ले आते"
"वो अपने मॉम-डैड से बाते कर रही है......,गौरी वैसे तुम शादी कब कर रही हो"
"(मज़ाक करते हुए) बचपन में मुझे तो तुम अपने साथ लेकर जाने वाले थे, अब तुम तो किसी और के हो गए, देखती हूँ कोई ढंग का मिल जाये तो सोचूंगी, वैसे तुमने क्या सोचा हैं अपने और मीता के बारे में"
"(स्माइल पास करते हुए) मैंने बचपन में सिर्फ तुम्हे चाहा था, लेकिन तुमने कभी अपनाया ही नहीं मुझे और नाही मेरे प्यार को समझा, इसलिए मैंने अपने लिए किसी और को देख लिया"
"(हसते हुए) मैं मज़ाक कर रही हूँ ध्रुव, हमारे बचपन के दिन भी क्या दिन थे, तुम हमेशा मेरी टॉफी खा लेते थे"
"लेकिन तुम ही तो मुझे दिखा कर खाने आती थी न तो मैं क्या करता"
(दोनों ज़ोर-ज़ोर से हसने लगे, थोड़ी देर बाद मीता भी उनका साथ देने आ गयी, दोनों अपने बचपन की बातें मीता को बताने लगे, लगभग पांच दिन बाद मीता का भाई उसे लेने आया, दोनों ध्रुव और गौरी उसे स्टेशन तक छोड़ने गए, वापस लौटते समय गौरी के घर के आगे एक लक्ज़री कार खड़ी थी, दोनों उस गाड़ी को देख कर आपस में एक दूसरे का चेहरा देखने लगे, मन में सवाल लिए गौरी घर के अंदर गयी, ध्रुव भी उसके पीछे गया देखा तो राजवीर का ड्राइवर गौरी के पापा के साथ बैठे हसी मज़ाक कर रहे थे, गौरी उसे देख कर हक्का-बक्का रह गयी, गौरी के पापा गौरी को देख कर उसके करीब गए और कहने लगे,
"गौरी बेटा, देख तेरा हाथ मांगने राजवीर सिंघनिया के रिश्तेदार आये हुए हैं, आ बैठ जा और नमस्ते बोल इनको, ध्रुव बेटा तुम भी आकर बैठ जाओ, छोड़ आये बिटिया रानी को दोनों"
महेश ड्राइवर "गौरी तो हमको जानती हैं, तीन बार मुलाक़ात हो चुकी हैं"
गौरी के पापा "अच्छा आप लोग पहले मिल चुके हैं, लेकिन साहब हम लोग आप के हैसियत के बराबर नहीं हैं, हम लोग गरीब लोग हैं आप कहा और हम कहा, यह रिश्ता थोड़ा मुनासिब नहीं लगता हैं"
महेश अंकल "अमीर ग़रीब क्या हैं, हैं तो हम सब इंसान ही ना, यहाँ मैं राजवीर के कहने पर ही आया हूँ, राजवीर ने गौरी को अनाथालय में देखा था और इसके नेक दिल से वो इस पर फ़िदा हो गए"
गौरी के पापा" यह फ़ैसला अब मेरी बेटी ही करेगी, गौरी बेटा तू कुछ बोल"
गौरी "पापा मुझे अभी थोड़ा वक़्त चाहिए, अंकल अभी आप जा सकते हैं"
महेश अंकल "हाँ बेटा तुम आराम से सोच लो मैं तीन दिन बाद वापस आऊंगा"
ध्रुव "अंकल आप क्यूँ आने का तकलीफ करेंगे, गौरी की मर्ज़ी सुन कर मैं और चाचा जी आ जायेंगे आपके यहाँ"
महेश अंकल "जैसा बच्चे ठीक समझे, अच्छा कन्हैया जी हम चलते हैं"
गौरी के पापा "बहुत-बहुत धन्यवाद आपका हम जैसे के घर पधारने के लिए"
(गौरी सोच में डूबी थी, ध्रुव और गौरी के पापा आपस में बातें कर रहे थे)
ध्रुव "गौरी कौन हैं यह राजवीर, तुम इसे कैसे जानती हो"

कन्हैया "हाँ गौरी उसके रिश्तेदार ने भी बोला था, तुम तीन बार मिल चुकी हो उससे"

गौरी "पापा मैं ज़्यादा नहीं जानती इन लोगो के बारे में, पहली बार मैं इनके गाड़ी से टकराते हुए बची थी और दूसरी बार एक रिक्शे वाले का एक्सीडेंट हो गया था तो उस समय मिली थी और तीसरी बार, पांच दिन पहले जो प्रतियोगिता हुई थी वो उसमे जज बनकर आया था"

ध्रुव "गौरी क्या तुम्हे यह रिश्ता सही लग रहा हैं?"

गौरी "ध्रुव मुझे समझ नहीं आ रहा, यह लोग बहुत बड़े आदमी हैं और इतने बड़े लोग अपने स्टेटस के लोगो में शादी करे

ना, हम तो इनके सामने कुछ भी नहीं हैं"

ध्रुव" गौरी प्यार नाम का भी कोई चीज़ होता हैं, अगर तुम्हारा दिल फिर भी नहीं मान रहा तो हम कल ही जाकर अपना जवाब दे देते हैं"

गौरी "ध्रुव मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, पापा आप क्या कहते हैं"

गौरी के पापा "देख बेटा उसने तुझे देखने के बाद ही यह रिश्ता भिजवाया हैं, और इसने बोला हैं ना इसके मालिक के बेटे को तू पसंद हैं, मैं चाहता हूँ तू एक बार और इस बात पर फैसला करे, और सोच समझ कर बताएं क्यूंकि यह तेरी ज़िन्दगी का सवाल हैं"

(महेश अंकल के जाने के बाद गौरी अंदर कमरे में चली गयी ध्रुव भी वहा से चला गया, लगभग दो दिन तक सोचने के बाद गौरी ने शादी के लिए हामी भर दी, सब लोग बहुत खुश थे, ध्रुव और गौरी के पापा राजवीर के घर गए, राजवीर तब घर पर नहीं था, उसके नौकर उन दोनों को अंदर नहीं जाने देते हैं, काफ़ी देर तक दोनों बाहर बैठ कर राजवीर के आने का इंतज़ार करते रहे, राजवीर तो नहीं आया लेकिन उसका ड्राइवर आया, महेश अंकल दोनों को देख कर अंदर बुला कर ले गए, बात-चीत करने के बाद शादी का डेट दो हफ्ते बाद का निकला, अगले दिन राजवीर के कहने पर ड्राइवर शगुन के नाम पर घर के फर्नीचर से लेकर डेकोरेशन की सारी चीज़े गौरी के यहाँ भिजवा देते हैं, गौरी यह सब नहीं चाहती थी वो उसके ड्राइवर को मना भी करती हैं, लेकिन सब राजवीर की मर्ज़ी से हो रहा हैं कह कर टाल देते थे, गौरी राजवीर से बात करने उसके घर जाती हैं, दरवाज़े पर ही उसके नौकर उसे रोक देते हैं, गौरी उसे अपने और राजवीर की शादी की बातें बताती हैं लेकिन वो लोग मज़ाक उड़ाते हुए उस पर हसने लगते हैं, गौरी आँखों में आंसू लिए वापस घर लौटने लगी, सामने से राजवीर गाड़ी लेकर आ रहा था गौरी उसे नहीं देख पाती हैं, राजवीर ने जब उसको देखा था तब वो आंसू पोंछते हुए जा रही थी, राजवीर अंदर जाकर अपने नौकर से पूछता हैं, तो वो सब हसते हुए सारी बातें बताते हैं-
राजवीर "स्टुपिड सब के सब"
यह बोल कर वो गाड़ी लेकर दुबारा उसके पीछे जाता हैं, राजवीर गौरी के बिलकुल सटे गाड़ी रोकता हैं, गौरी फिर से डर जाती हैं, राजवीर अपनी गाड़ी का शीशा नीचे करता हैं और उसे बैठने के लिए कहता हैं,
"चलो मैं तुम्हे घर छोड़ देता हूँ"
"हम नहीं आएंगे, आपके वो नौकर लोगो ने हमसे बहुत बतमीज़ी की, पहले उनको बोलिये वो हमसे माफ़ी मांगे"
"चलो फिर पहले वही चलते है........ "
"गौरी उसके साथ वाले सीट पर जाकर बैठ गयी, राजवीर उसे वापस अपने घर ले गया, सभी नौकर अपने कान पकड़ कर उससे माफ़ी मांगते हैं, राजवीर अपने ड्राइव से कहता हैं गौरी को उसके घर छोड़ने को, गौरी उसके साथ जाने से माना कर देती हैं-
" राजवीर जी, हम आपसे बात करने आये है आप प्लीज वो महंगे-महंगे सामान वापस मंगवा लीजिये हमे नहीं चाहिए"
"मेरी होने वाली बीवी के लिए वो तोहफा है मेरी तरफ से, तोहफा समझ कर तो रख सकती हो"
"(स्माइल पास करते हुए) इसकी कोई ज़रूरत नहीं हैं, आपने हमें दिल से अपनाया यह मेरे लिए तोहफे से कम थोड़ी हैं"
"तुम अब घर जाओ, मुझे काम करना हैं कुछ, महेश अंकल तुम्हे घर तक छोड़ देंगे"
(गौरी राजवीर की बातें मान कर महेश अंकल के साथ वापस घर आ गयी, काफी देर से उसके माँ-पापा ने उसे देखा नहीं था तो उससे पूछने लगे "गौरी बिना बताये कहा चली गयी थी, हम सब परेशान हो रहे थे"

गौरी "माँ-पापा मैं राजवीर के पास गयी थी"

माँ "लेकिन बेटा शादी से पहले ऐसे ससुराल थोड़ी जाते हैं, सब लोग क्या कहेंगे"

गौरी "माँ किसी को थोड़ी पता हैं मैं कहा गयी थी, राजवीर ने जो यह महंगे-महंगे सामान शगुन के नाम पर भिजवाए हैं उसको बोलने गयी थी वापस मंगवा लेने को"

पापा "फिर क्या बोला दामाद जी ने....."

गौरी-"उन्होंने बोला हैं यह मेरी होने वाली बीवी के लिए गिफ्ट हैं मेरी तरफ से, और गिफ्ट समझ कर रख लेने के लिए"

माँ "ठीक हैं, अब से तुम कही बाहर नहीं जाओगी, तुम्हारी शादी के दिन करीब आ रहे हैं और शादी तय हो जाने के बाद लड़की कही बाहर नहीं जाती हैं, तूने देखा था निक्की की शादी में कितना हंगामा हुआ था?"


गौरी"ओफ्फो माँ, कही नहीं जा रही मैं, ध्रुव को बुलवा दो ज़रा"

माँ "ठीक हैं मैं उसे बुला कर लाती हूँ, तुम अंदर घर में ही रहना"

गौरी "माँ बच्ची थोड़ी हूँ, कितनी बार बोलोगी"

(थोड़ी देर में ध्रुव आता हैं)

ध्रुव "हाँ गौरी, तुमने बुलाया हैं मुझे"

गौरी "ध्रुव तुम तो जानते हो मेरी इस दुनिया में तुम्हारे आलावा कोई दोस्त नहीं था और ना ही है, मैं चाहती हूँ मेरी शादी में तुम और मीता दोनों रहो, प्लीज उसे बुला लो"

ध्रुव "मैंने उसे तुम्हारी शादी के बारे में बताया हैं वो आने को तैयार हैं"

गौरी "थैंक यू ध्रुव"

ध्रुव "गौरी अब तो तुम बड़े आदमी की बीवी बनने वाली हो तुम तो हमें भूल ही जाओगी"

गौरी "ऐसा नहीं हैं ध्रुव, तुम हमेशा से मेरे दोस्त थे और रहोगे मैं चाहे कही भी चली जाऊ तुम्हे नहीं भूल सकती"(दोनों ऐसे ही बाते कर रहे थे की तभी गौरी के पापा आते हैं और ध्रुव को अपने साथ मार्किट ले जाते हैं, गौरी के माँ बाप शादी की तैयारी ज़ोरो शोर से कर रहे थे, कितना कहने पर तो उनलोगो ने दो हफ्ते का टाइम दिया था, उनका बस चले तो एक दिन में ही शादी कर के ले जाए, गौरी शादी को लेकर कुछ खास खुश नहीं थी बस अपने पापा और माँ को खुश देख कर खुश हो जाती थी, वो इस बात को समझ रही थी, राजवीर जब उससे मिला था तो ऐसी कोई बात नहीं की थी उसने लेकिन अचानक से शादी के लिए प्रस्ताव भेजना उसके दिल में कुछ धुकधुकी पैदा कर रहा था, राजवीर की तरफ से पहले ही बता दिया गया था सिंपल शादी ही करेंगे लेकिन गौरी अपने माँ बाप की एकलौती औलाद थी उसके घर वाले ने बहुत सपने सज़ा रखे थे गौरी की शादी को लेकर, लोगो के तीखे बोल अब भी गौरी को चुभ रहे थे, समझ नहीं आ रहा था गौरी की शादी से लोग खुश थे या उसकी ख़ुशी से जल रहे थे-
"किस्मत अच्छी हैं इसकी जो इतने बड़े घर से रिश्ता आया है वर्ना पूछता कौन हैं ऐसे को"

(शादी के दिन करीब आ गए थे, राजवीर की गर्लफ्रेंड उसकी शादी की खबर सुन कर ऑसट्रेलिया से वापस आ गयी)

continue .......