दूसरी औरत... सीजन - 2 - भाग - 6 निशा शर्मा द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दूसरी औरत... सीजन - 2 - भाग - 6

साउथ दिल्ली में आठ मंजिला इमारत के तीसरे माले पर अपने केबिन में बैठा हुआ हुआ सुमित जो कि फाइल्स को उलटता-पलटता बैठा हुआ है और उसके चेहरे पर जो भाव हैं वो किसी न किसी जूनियर की आज आने वाली शामत की ओर सीधा इशारा कर रहे हैं तभी सुमित गुस्से से फाइल को अपनी टेबल पर पटकता हुआ इंटरकॉम करके आई टी डिपार्टमेंट से सुरजीत कोहली को अपने केबिन में तुरंत आने को कहता है !

मे आय कम इन, सर !

सुमित उसे सिर हिलाकर अंदर आने का इशारा करता है

यस सर !

यस सर क्या ? तुम्हें नहीं मालूम कि आज मैं इतनी सुबह-सुबह इन फाइलों की धूल क्यों चाट रहा हूँ ???

"सॉरी ,सर !", सुरजीत नें सिर झुकाते हुए कहा ।

इट्स ओके ! ज़रा देखकर बताओ कि वो बॉस की सि।फ़ारिश क्या नाम है ,उसका...कुछ सोचकर सुमित बोला...हाँ वो स्वेतलाना सक्सेना ! देख यार वो सक्सेना आयी या नहीं !

ओके सर ! मैं अभी चैक करके बताता हूँ !

कुछ देर बाद सुरजीत फिर से सुमित के केबिन में था ।

हाँ बोलो !

सर वो एक्चुअली स्वेतलाना मैडम आज नहीं आयेंगी । मैंने अभी ऑफिस के मेल्स में चैक किया है, सर !

वाहहह...ऑफिस के मेल्स मे...वाओ..आय मीन हाउ अनप्रोफेशनल बिहेवियर शी हैज़ !

सुमित का आज का पूरा दिन लगभग ऐसे ही कभी चिड़चिड़ाते हुए तो कभी अपने जूनियर्स को बात-बेबात पर डाँटते हुए ही बीता ।

शाम को घर आने पर उसके सिर में जोर का दर्द हो रहा था जिसपर आज वो जल्दी ही खाना खाने के बाद अपनी माइग्रेन की दवा लेकर सो गया । दरअसल कानपुर से निकलने के तीन या चार महीने बाद ही उसे माइग्रेन की दिक्कत हो गई थी ।

अगले दिन सुमित जानबूझकर ऑफिस देर से पहुँचा और उसनें जैसे ही अपने केबिन में प्रवेश किया, एक पच्चीस से छब्बीस वर्षीय लड़की जो कि शायद उसी का इंतज़ार करते हुए बैठी थी, उसे देखकर खड़ी हो गई !

गुड मॉर्निंग, सर !

सुमित उसे बस अपलक देखता ही रह गया । उसे लगा कि मानों आज इतने सालों बाद खुद सपना ही उसके सामने आकर खड़ी हो गई हो जिसका कारण था शायद उस लड़की का सपना की तरह ही भराहुआ बदन, गोरा रंग , सिल्की-चमकदार बाल और मुस्कुराने पर उसके गालों में पड़ते हुए डिम्पल,जिसका कि एक जमाने में सुमित दीवाना हुआ करता था । उस लड़की नें भी आज बिल्कुल सपना की तरह ही काले रंग का चूड़ीदार और फिटिंग की काली कुर्ती पहनी हुई थी जिसपर दुपट्टा भी उसनें बिल्कुल सपना के अंदाज़ में ही गले से लगाकर लिया हुआ था जो उसके गोरे रंग को और भी ज्यादा निखार रहा था ।

गुड मॉर्निंग सर, उस लड़की नें एक बार फिर से कहा जिसपर सुमित सकपका सा गया...गुड..गुड मॉर्निंग...मिस...

सर , स्वेतलाना सक्सेना !

"ओह्ह..यस...प्लीज़ टेक योर सीट, मिस स्वेतलाना !", सुमित नें उसे हाथ से बैठने का इशारा करते हुए कहा !

सर, आय एम एक्सट्रीमली सॉरी सर फॉर येस्टरडे !

ओह्ह..इट्स ओके मिस ! मालूम तो ये हो रहा था कि जैसे सुमित नें स्वेतलाना को देखते ही उसके सात खून माफ़ कर दिये हों ! !

अब स्वेतलाना को इस ऑफिस में आये करीब एक सप्ताह बीत चुका था और बीते हुए इस सप्ताह में सुमित, स्वेतलाना को कनखियों से देखने का कोई एक मौका भी नहीं छोड़ता था । वो आजकल अक्सर आई टी डिपार्टमेंट में भी घुसपैठ करने से बाज नहीं आता था जबकि वो उसका वर्क-एरिया नहीं था फिर भी ! !

आज दिसंबर की सर्दी का शायद सबसे सर्द दिन था और ऑफिस का नेट ठीक से काम ना करने की वजह से ज्यादातर स्टाफ घर जा चुका था लेकिन स्वेतलाना अभी भी अपनी सीट पर थी । ऑफिस से निकलने के लिए अपना लैपटॉप इत्यादि सामान रखते हुए सुमित की नज़र जब उसपर पड़ी तो एक बार तो लगा कि मानो जैसे उसे मुँहमाँगी मुराद मिल गई हो !

अरे ! आप अभी तक रूकीं हैं !

वो सर, मेरा थोड़ा सा पैंडिंग वर्क था । बस अब निकलूंगी।

हाँ तो चलिए न साथ में ही चलते हैं !

वो दोनों ऑफिस की लिफ्ट से साथ में ही नीचे आये और फिर सुमित के कहने पर स्वेतलाना उसकी कार से ही चलने के लिए तैयार हो गई, हालांकि सुमित को इसके लिए उससे ज्यादा कहना भी नहीं पड़ा । यूं लगा मानो कि स्वेतलाना भी कहीं न कहीं इसी मौके की तलाश में थी ।

आज की पूरी रात सुमित नें करवटें बदलते हुए ही गुज़ार दी । वो कभी स्वेतलाना के गालों के डिम्पल याद करता तो कभी उसकी खिलखिलाती हुई उनमुक्त हंसी तो कभी उसके ख्यालों का कारवां उसके यौवन की भरावन पर आकर टिक जाता था इसके साथ ही आज ही मिला स्वेतलाना का परिचय भी उसके मन को बहुत बेचैन कर रहा था जैसे कि उसका होम-टाउन कानपुर ही था और वो भी डीबीएस कॉलेज से ही ग्रेजुएट थी ।

सुमित को अब स्वेतलाना के रूप-रंग के साथ ही साथ उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं में भी सपना की झलक दिखाई दे रही थी !

सुमित को यूं करवटें बदलता देख उसकी पत्नी पल्लवी को उसकी बेचैनी भांपते देर न लगी और उसनें आखिर सुमित के सिर पर हाथ रखते हुए पूछ ही लिया ...क्या हुआ ? नींद नहीं आ रही क्या ? आपकी तबियत तो ठीक है न.......

इसपर सुमित नें पल्लवी का हाथ बड़ी ही बेरूख़ी से झटकते हुए कहा...कुछ नहीं हुआ यार...प्लीज़ ! !

सुमित का ये बर्ताव पल्लवी की समझ से जितना बाहर था उतना ही उसका दिल भी दुखा था इससे ! !

अगली सुबह सुमित नें व्हाइट कलर की शर्ट पहनी जो कि सपना की पसंद थी.... और वो आज समय से काफी पहले ही ऑफिस के लिए निकल गया जो कि सुमित की हालत के हिसाब से लाज़िमी सा था लेकिन अचरज तो ये था कि स्वेतलाना भी आज समय से काफी पहले ही ऑफिस में आकर बैठी हुई थी ।

तो क्या ये कहना सही होगा कि...

दोनों ही तरफ़ आग है, बराबर लगी हुई ? ? ?
क्रमशः

लेखिका...
💐निशा शर्मा💐