आज इतनी जल्दी ...
और आप भी तो...
एक-दूसरे की आँखों में देखकर मुस्कुरा दिये दोनों !
सुमित न चाहते हुए भी अपने केबिन की ओर बढ़ गया और फिर कुछ ही मिनटों के अंतराल पर स्वेतलाना भी कॉफी के दो मग्स लेकर उसके पीछे-पीछे पहुँच गई !
कॉफी की चुस्कियाँ लेते हुए दोनों एक-दूसरे की आँखों के रास्ते दिल में उतरने की कोशिश कर रहे थे ।
"आज ठंड वाकई बहुत ज्यादा है । कोहरा तो इतना कि एक हाथ को अपना दूसरा हाथ ही नज़र नहीं आता", चुप्पी तोड़ने का एक प्रयास जो सुमित की तरफ़ से हुआ था ।
हाँ सर, सच में आज मौसम काफी ठंडा है। देखिए न मेरे हाथ...जैसे कि बर्फ हो गए हैं ।
देखूँ...कहते हुए सुमित नें अपने सामने टेबल के दूसरे छोर पर लगी कुर्सी पर बैठी हुई स्वेतलाना के दोनों हाथों को अपने हाथों में ले लिया !
"हाँ...वाकई ये तो बर्फ हैं , लो मैं अभी गर्म किये देता हूँ", कहते हुए सुमित नें स्वेतलाना के हाथों को अपने हाथों से रगड़ना शुरू कर दिया, ये बिल्कुल वैसा ही था जैसा कि दो पत्थरों को आपस में रगड़ें जाने पर चिंगारियों का निकलना और फिर ये चिंगारी कहीं भी आग भड़काने के लिए पर्याप्त होती है और बस हाथों की इस गर्म छुअन नें अब इन दोनों के तन-बदन में जबरदस्त आग भड़का दी थी जिसकी उठती हुई लपटों में स्वेतलाना और सुमित दोनों के ही चेहरे गर्म होने के साथ ही लाल भी हो गए थे । इससे पहले कि ये आग उन दोनों के बीच भड़ककर उन दोनों को इस दुनिया से बिल्कुल विरक्त कर एक-दूसरे में गुम होने पर विवश कर देती इससे पहले ही ऑफिस स्टाफ के आने के सिलसिले की आहट नें उन दोनों को होश में आने पर मजबूर कर दिया !
कोई लाख छुपाना चाहे इश्क़ मगर
इश्क़ तो हवाओं में बहता रहता है
ये वो किताब नहीं जो छिपा लें तकिए तले
इसे तो हर कोई आँखों में ही पढ़ लेता है
दिसंबर की इतनी भीषण ठंड भी सरगोशियों के इस गर्म बाजार को ठंडा करने में नाकाम साबित हुई और धीरे-धीरे सुमित और स्वेतलाना की इन नाजायज़ चाहतों के किस्से अब इस ऑफिस की फ़िज़ाओं में बह रहे थे और कहते हैं न कि जब कोई आप पर निगाह रखता है तो बंदिशें टूटने के लिए पुरज़ोर कोशिशें करने लग जाती हैं ! बस यही हाल उन दोनों प्यासे पंक्षियों का भी हुआ । अब वो दोनों एक-दूसरे से मिलने का , एक-दूसरे को निहारने या छूने का कोई भी मौका किसी भी परिस्थिति में नहीं जाने देते थे ! !
आज चौदह फ़रवरी है और इत्तेफ़ाक़ से स्वेतलाना मैडम का जन्मदिन भी और इस इत्तेफ़ाक़ को आज सुमित किसी भी कीमत पर अपने हाथों से नहीं जाने देगा । सच पूछो तो जबसे सुमित नें स्वेतलाना की प्रोफाइल पर उसकी बर्थ-डेट देखी थी तब से ही वो इस दिन के इंतज़ार में एक-एक दिन अपनी उंगलियों पर गिन रहा था और आज उसका इंतज़ार खत्म हो गया ।
आज सुबह ऑफिस के लिए तैयार होते हुए सुमित के अंदाज़ पर उसकी पत्नी पल्लवी की नज़र पड़ते हुए भी न चूकी थी । एक तो आज का बदनाम दिन और उस पर सुमित की ऑनलाइन शॉपिंग से आयी हुई उसकी नयी लाल रंग की टीशर्ट और ब्लू जॉगर्स, स्केचर्स के नये जूते जो कि उसे कठघरे में खड़े करने के लिए काफी थे लेकिन सुमित को इस समय दुनिया के किसी भी शख्स की परवाह नहीं थी यहाँ तक कि अपनी बीवी की भी नहीं या कह लें कि शायद उसे अभी इस विषय की गंभीरता का कोई भान नहीं था । उसे दिख रहा था तो बस स्वेतलाना की शक्ल में वापिस लौटकर आया हुआ उसका अतीत ....उसका पहला प्यार...सपना !
सुमित के ऑफिस चले जाने के बाद पल्लवी नें अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में खुद को व्यस्त कर लिया मगर फिर भी न जाने क्यों उसकी आँखों के सामने रह-रहकर आज सुबह आइने के सामने खड़े होकर तैयार होते हुए सुमित के हावभाव घूम रहे थे । वैसे तो पल्लवी पिछले कुछ दिनों में सुमित में बिस्तर से लेकर खाने की टेबल तक पर आये सभी बदलावों को बड़ी ही बारीकी से महसूस कर रही थी लेकिन इस सिलसिले में न तो उसनें सुमित से कोई बात ही की थी और न ही उसनें इस बाबत सुमित पर कोई ऐसी बात ही जाहिर होने दी थी !
आज स्वेतलाना ब्लैक कलर की वनपीस ड्रेस में थी जिसे देखकर सुमित नें तो अपना दिल ही थाम लिया । जब सुमित नें अपने केबिन में रखी हुई फ़ाइलों के नीचे रखा हुआ चमकीले धागों से लिपटा हुआ एक लाल गुलाब देखा तो बस उसकी साँसें तो जैसे थमते-थमते रूकीं !
शाम तक का इंतज़ार करना अब इन प्रेम के पंक्षियों के लिए मुमकिन नहीं था तो बस आँखों ही आँखों में इशारे के चलते दोनों नें अपनी-अपनी किसी व्यक्तिगत समस्या का बहाना बनाकर हाफ-डे ऑफ ले लिया और अब ये दोनों ही अपने पंख पसारकर घनघोर मोहब्बत के बादलों से छाये हुए आकाश में उड़ान भरने को तैयार थे ।
जहाँ एक ओर सुमित सबकुछ भुलाकर आज स्वेतलाना पर सबकुछ लुटाने को तैयार था वहीं दूसरी ओर उसकी पत्नी पल्लवी चाहकर भी सुमित में आये हुए बदलाव को नजरअंदाज नहीं कर पा रही थी । जब उसका मन घर के कामों में भी नहीं लगा तो उसनें आज के अखबार के पन्ने पलटना शुरू कर दिया मगर वहाँ भी उसका मन शांत होने की बजाय और भी विचलित हो गया क्योंकि आज का पूरा अखबार वैलेंटाइन्स-डे के तरह-तरह के आर्टिकल्स से भरा हुआ था । फिर उसने अखबार किनारे रखकर अपना फोन उठा लिया मगर यहाँ भी वॉट्सऐप से लेकर यू ट्यूब तक में हर एक जगह बस वैलेंटाइन-डे ही चमक रहा था । झल्लाते हुए पल्लवी सबकुछ बंद करके बिस्तर पर औंधे मुँह लेट गई । उसकी आँखों के कोरों से टपकती हुई आँसुओं की बूंदें अब उसके गालों से होती हुई उसका आँचल भिगोने लग गई थीं !
तभी उसकी तंद्रा भंग करती हुई उसके फोन की घंटी की आवाज़ उसके कानों में बज उठी और फोन उठाने पर दूसरी तरफ़ से उसकी सहेली प्रीति थी जो आज अन्जाने में ही सही पर अपनी सहेली पल्लवी के जख्मों पर नमक छिड़क रही थी......
और मैडम आज का क्या प्लान है ?
अच्छा ये तो बता कि जीजू नें गिफ्ट क्या दिया ?
अच्छा ये ही बता दे कि तेरा स्पेशल गिफ्ट क्या है जीजू के लिए....रात को देगी या दिन को ???
जहाँ प्रीति मज़ाक पर मज़ाक किये जा रही थी वहीं पल्लवी के कानों में प्रीति के ये शब्द गर्म शीशे से पिघल रहे थे ।
"अच्छा...सुन मैं तुझे बाद में फोन करती हूँ,शायद गेट पर कोई है ....", कहते हुए पल्लवी नें फोन काट दिया ! अब पल्लवी के आँसुओं के साथ-साथ उसकी सिसकियों की भी गवाह बन चुकी थीं,उसके घर की दीवारें ! !
ये इश्क़ है या गुनाह
सृजन है या विनाश
कौन किससे पूछे
सबके सामने खड़ी
बस अपनी-अपनी प्यास
क्रमशः....
लेखिका...
💐निशा शर्मा💐