शालू तो शर्म से लाल हो गई थी और अब आगे।।
शालू खुद को एक यौवनाअवस्था के दौर में ले गई थी और उसका निश्छल प्रेम सोमू के इर्द-गिर्द घूमती हुई अटखेलियां लगा रही थी।
समीर बोला अरे शालू क्या हुआ? फोटो ले लो ।
इतना क्या सोच रही हो?
शालू बोली अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं फिर फोटो ले कर बस में चढ़ गई और समीर भी कहा रुकने वाला था वो भी उसके पीछे गया और शालू बस में चढ़ कर हांफने लगी तो समीर ने कहा अरे तुम तो ऐसे दौड़ी जैसे कालेज में दौड़ा करती थी।
शालू ने शरमाते हुए कहा सोमू तुम भी ना ।।
समीर ने कहा क्या मतलब है। एक बात पूछूं क्या? शालू ने कहा हां जी।
समीर क्या मैं तुम्हारे साथ बैठ जाऊं? शालू ने कहा नहीं नहीं ऐसा मत करो।
समीर ने हंस कर कहा अरे बाबा रे ! अभी तक ऐसा कुछ करने कहा दिया तुमने।।
तभी सब यात्री लोग आने लगे ।
समीर जाकर अपनी जगह बैठ गए और अब वापस जाने की बारी थी।
शालू मन में मुस्कुरा रही थी कि मेरा सोमू जिद भी नहीं किया पहले तो हर बात पर जिद करता था और अब एक बार मैंने बोला और मान गया।
समीर सोचने लगा पता नहीं क्या समझती है खुद को।
फिर रात तक बस रिसोर्ट में पहुंच गई।और सब लोग उतर गए।
शालू आगे चल रही थी और समीर उसको ढुंढ रहा था और फिर वो सामने आ गया। शालू ने कहा अरे बाबा डरा दिया तुमने।।
समीर ने कहा हां बहुत डर गई एक तो छोटी सी ख्वाहिश पूरी नहीं कर सकी। ।।कितनी सारी बातें करनी थी।
शालू ने कहा हां सोमू पहले कितना जिद्दी स्वभाव के थे और अब एक बार मैंने मना किया और तुम मान गए।
समीर ने कहा हां,समझ रहा हूं सब।।
शालू ने कहा मैं थक गई हूं सोने जा रही हुं।गुड नाईट।
समीर ने कहा सारा मुड खराब कर दियातुमने अब कुछ देर तो रूको ।साथ चलने का वादा किया था पर रास्ते ही बदल दिया तुमने।
ये कह कर चला गया।
शालू भी अपने कमरे में पहुंच कर फे्श हो गई और खुद को आईने के सामने देखने लगी और बोली अब मुझे खुद से प्यार हो रहा है। अब मुझे सजना है वो भी सोमू के लिए।
फिर शालू सो गई।
समीर ठीक से खाना भी नहीं खा पाएं और फिर सोने चले गए।
सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर बाहर निकल कर शालू का इंतजार करने लगा पर नौ बज गए शालू नहीं आई।
तभी समीर ने शेखर को आते देखा तो उसने पूछा शालिनी कहा है?
शेखर बोला अरे हम तो उसे ढूंढ रहे हैं सुबह से ना जाने कहां चली गई।
समीर मायूस हो कर बाहर निकल आया और फिर सोचने लगा कि अगर इस बार शालू ने ऐसा कुछ किया तो मैं इतना दूर चला जाऊंगा जहां से शालू मुझे कभी वापस नहीं ला पाएगी।
काफी देर तक समीर बाहर ही रहा पर शालू नहीं आई।
विकास ने कहा आज ही मुम्बई वापस जाना है।
समीर ने कहा पता नहीं कहां चली गई।
सब जाने की तैयारी करने लगे।
समीर बहुत ढूंढा पर शालू कहीं नहीं मिलीं।
विकास ने कहा शालू का नम्बर है क्या?
समीर ने कहा अरे हजारों फोन कर चुका हूं।
शेखर ने कहा कि शालू फोन रख कर गई है। अपने कमरे में।।
समीर ने कहा मैं यहां से शालू को लिए बिना नहीं जा सकता हूं।आप लोग जाओ।
समीर ने रिसोर्ट के मैनेजर से पूछा कि सीसीटीवी कैमरे दिखाएं और उसमें भी शालू नजर नहीं आई।
समीर बोल पड़ा ओह माई गॉड शालू तुम कहां हो? कोई अनहोनी तो नहीं हुआ।
तभी पुलिस भी मौके पर आ गई और पुछताछ शुरू हो गई सब लोग से पुछना शुरू किया पर कुछ पता नहीं चल पाया कि आखिर शालू गई तो गई कहां?
समीर ने कहा सर आप शालू का रूम अच्छी तरह से चेक किजिए।
मेरी शालू कहा होगी किस हाल में होगी??
विकास ने कहा समीर हम लोग निकलते हैं यार । यहा से जयपुर जाना होगा।
समीर ने कहा हां दोस्त तुम जाओ।
मैं यहां कुछ दिन रुकता हुं।
समीर वहां हर रोज इधर उधर शालू को ढूंढने की कोशिश करता एक दम पागलों की तरह।
हर बार मेरी तकदीर मेरा साथ नही देता है।
तीन महीने तक समीर महाबलेश्वर में ही रूका।
समीर जिस दौर से गुज़र रहा था वो खुद ही जानता था एक अच्छा भला इन्सान बिना बोले कहा चला गया क्यों चला गया।
समीर को अब पागलों जैसा बर्ताव करने लगा था हर रोज सब चीजों को इधर उधर फेंक देता चिल्लाता रोता हुआ रह जाता था। वहीं रिसोर्ट में ही रुका रहा।।
आखिर शालू गई तो गई कहां। अब एक ही सवाल समीर को खाएं जा रहा था।
समीर को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। पुलिस भी अपने काम पर लग चुकी थी।
एक दिन विकास और सपना फिर महावलेशवर आ गए ।
विकास ने कहा अरे समीर क्या हाल बना रखा है यार ये कैसा प्यार है तुम्हारा।।
समीर ने कहा हां दोस्त बस प्यार ही है और कुछ नहीं।
पता नहीं शालू मुझसे किस जन्म का बदला ले रही हैं।
भगवान ये क्या हो रहा है। क्या सच में मिनल ने सच कहा था? हमलोग मिल कर भी नहीं मिल सकें।
समीर की आंखों से अश्रु निकलने लगें और उसे कोई रास्ता नहीं दिख रहा था।
शालू बिना बोले मुम्बई लौट गई क्या?
तभी विकास को उसके आफिस से फोन आया और उसने जो कुछ सुना वो सुनकर हैरानी से कहा कि समीर अब हमें वापस जाना होगा।। मुम्बई चल कर मैं सब कुछ बताता हूं।
ये सुनकर समीर को सिर्फ हैरानी हुई। फिर वो लोग वहां से निकल गए।
रात तक मुम्बई अपने घर पहुंचे।
क्रमशः