रिस्की लव - 35 Ashish Kumar Trivedi द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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रिस्की लव - 35



(35)

मीरा बिस्तर पर एकदम चुपचाप बैठी थी। वह एक तरफ देख रही थी जैसे उसकी आँखें जैसे किसी चीज़ पर टिकी हों। इस समय उसके मन में गंभीर विचार चल रहा था।
उसे लगा था कि अंजन जब उसके सामने आएगा तो उसे ज़िंदा नहीं छोड़ेगा। इसलिए भय के कारण वह बेहोश हो गई थी। अंजन उस पर चीखा चिल्लाया पर उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचाया। यह इस बात का प्रमाण था कि अभी भी उसके दिल में मीरा के लिए भावनाएं थीं। यही बात मीरा को छू गई थी।
अभी तक तो वह डर की वजह से इस बात के लिए पछताती थी कि उसने अंजन के साथ धोखा किया। पर इस समय उसके मन में पछतावा था कि उसने सच्चे प्यार को खो दिया। आज तक किसी ने भी उसे इस तरह नहीं चाहा था। उसके पापा और मम्मी अपनी अपनी दुनिया में खोए हुए रहते थे। उन्हें लगता था कि उसकी ज़रूरतें पूरी कर देना और मांगें मान लेना ही माँ बाप होने के नाते उनका कर्तव्य है। उसने भी इसे ही उनका प्यार मान लिया। पर मन में प्यार पाने की ललक थी।
मीरा जब सोलह साल की थी तब पहली बार वह अपने से पंद्रह साल बड़े पर्सी की तरफ आकर्षित हुई थी। वह उसका डांस टीचर था। बहुत खूबसूरत था। वह उसके घर डांस सिखाने आता था। पर्सी अपने लिए उसके आकर्षण को समझ रहा था। पर उसे समझाने की बजाय उसने उसे उकसाया। मीरा को लगता था कि वह उसे प्यार करता है। पर वह उसका फायदा उठा रहा था।
एक दिन उसे पता चला कि वह प्रैगनैंट है। उसने यह बात पर्सी को बताई। उसने कहा कि घबराने की बात नहीं है। वह उसे छुटकारा दिला देगा।‌ पर्सी ने चुपचाप उसका अबॉर्शन करवा दिया। उसके बाद वह उससे खिंचा खिंचा रहने लगा। अचानक ही उसने मीरा को डांस सिखाने आना बंद कर दिया था। अब तक यही समझती थी कि वह उससे प्यार करता है। लेकिन उसका दूर भागना उससे सहा नहीं जा रहा था। उसने इस विषय में बात करने की सोची।
जब वह उसके घर पहुँची तो पता चला कि वह ऑस्ट्रेलिया चला गया है। मीरा का दिल टूट गया। प्यार से उसका भरोसा उठ गया। पहले प्यार में ही उसे धोखा मिला था। उसने भी लोगों को धोखा देना शुरू कर दिया। बीस साल की उम्र आने तक वह दिल से खेलने की कला में माहिर हो गई थी।
अब तक वह लोगों के दिल से खेलकर उनका फायदा उठा चुकी थी। उसे ऐसा करते हुए ज़रा भी बुरा नहीं लगता था।‌ पर आज पहली बार उसे अंजन के बारे में सोचकर बुरा लग रहा था।
बहुत देर तक वह उसी तरह से चुपचाप बिस्तर पर बैठी रही। डोर बेल बजने से वह अपने खयालों से बाहर आई। उसने समय देखा। दोपहर के दो बजने वाले थे। वह समझ गई कि उसके लिए लंच आया होगा। उसका मन खाने का नहीं था। पर दरवाज़ा तो खोलना ही था। वह उठी और जाकर दरवाज़ा खोल दिया। खाने की ट्रे लेकर वही लड़की अंदर आई जो उसे यहाँ लेकर आई थी। ट्रे डाइनिंग टेबल पर रखकर वह प्लेट लगाने लगी। मीरा ने उससे कहा,
"अभी मेरा मन नहीं है। जब मन होगा तब मैं खुद सर्व कर लूँगी।"
उसकी बात सुनकर वह लड़की प्लेट लगाना छोड़कर चली गई। मीरा किचन में गई। अपने लिए कॉफी बनाई। मग लेकर वह बालकनी में जाकर बैठ गई। वह सोच रही थी कि उसने कभी भी अंजन के प्यार को महसूस करने की कोशिश ही नहीं की थी। यदि उसने पहले ही उसके प्यार को समझ लिया होता तो वह कभी भी मानवी और निर्भय की मदद नहीं करती।
कॉफी पीते हुए वह मन ही मन एक कल्पना कर रही थी।‌ उस दिन अंजन उसके कमरे में आकर उसे बीच हाउस ले जाने की बात कर रहा है। पहले वह कहती है कि बहुत थक गई है। कल सुबह फ्लाइट भी पकड़नी है। फिर अंजन को उदास देखकर हाँ कर देती है। वह तैयार हो रही होती है तभी मानवी का फोन आता है। वह फोन रिसीव नहीं करती है। कॉल कटने के बाद फोन स्विच ऑफ कर देती है। बीच हाउस में अंजन उसे प्रपोज़ करता है। वह स्वीकार कर लेती है। उसके बाद दोनों शादी करके ख़ुशी से रह रहे हैं।
मीरा के मुर्झाए चेहरे पर यह सोचकर मुस्कान आ गई। तभी अचानक वह फिर उदास हो गई। जैसे राजकुमार और राजकुमारी की कहानी में कोई राक्षस आ जाता है वैसे ही अचानक उसकी कल्पना में मानवी और निर्भय आ जाते हैं। दोनों के हाथ में गन है। वह अंजन से कहते हैं कि मीरा उसे फंसाने के लिए एक मोहरा भर है। यह सुनते ही अंजन मीरा की तरफ नफरत से देखता है। मानवी और निर्भय उस पर गोलियां चलाते हैं। वह मर जाता है।
कॉफी का मग फर्श पर रखकर मीरा दोनों हाथों में चेहरा छिपाकर रोने लगी। वह सोच रही थी कि अच्छा होता कि मानवी और निर्भय जब पहली बार उससे मिले थे तभी उन्हें भगा देती। उनकी वजह से आज वह कहीं की नहीं रही। वह उठकर बेडरूम में गई और बिस्तर पर लेटकर रोने लगी।

अंजन अपने कमरे में बैठा हुआ था। उसका मन बहुत अशांत था। अनिश्चय की स्थिति उसे परेशान कर रही थी। वह समझ नहीं पा रहा था कि मीरा के लिए मन में गुस्सा होते हुए भी क्यों वह उसे ‌उसके किए की सज़ा नहीं दे पाया। मीरा ने उसके साथ धोखा किया। उसके दुश्मनों को उसकी खबर देकर उसकी जान जोखिम में डाली। फिर भी वह उससे नफरत नहीं कर पा रहा है।
उसे अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था। आज तक उसने अपने साथ धोखा करने वाले किसी को भी छोड़ा नहीं था। फिर मीरा को बेहोश देखकर क्यों उसके दिल में दर्द हुआ था। वह भी उस दिन को याद कर रहा ‌था जब उसने पहली बार मीरा को लंदन के उस नाइट क्लब में ‌डांस फ्लोर पर देखा था। वह समझने की कोशिश कर रहा था कि ‌आखिर क्यों वह पहली ही नज़र ‌में मीरा की तरफ आकर्षित हो गया था।‌
पहली बार नहीं था कि उसने किसी खूबसूरत लड़की को देखा था। कई खूबसूरत लड़कियां उससे नज़दीकी बढ़ाने के लिए उसके इर्द गिर्द चक्कर लगाती थीं। पर वह उन्हें उतना ही नज़दीक आने देता था जितना वह चाहता था। किसी के भी साथ उसने रिश्ता बनाने की बात सोची भी नहीं थी। पर मीरा को देखते ही उसे लगा था कि वह जैसे इतने दिनों से उसकी ही तलाश कर रहा था। मीरा का उसके नज़दीक आना, उससे दोस्ती बढ़ाना उसके लिए बड़ी उपलब्धि था।
वह अपने आप को खुशकिस्मत समझने लगा था। उसे लगता था कि मीरा उसके लिए खुशियों का पिटारा बनकर आई है। उसके आते ही उसे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट लग्ज़री रिज़ॉर्ट के लिए जमीन मिल गई। वह कई दिनों से अपने प्यार का इज़हार उससे करना चाहता था। इसलिए उसने रिज़ॉर्ट के भूमि पूजन के लिए उसे न्यौता दिया था। पहले तो मीरा ने आने में असमर्थता जताई थी। लेकिन उसके ज़ोर देने पर वह यह कहकर तैयार हो गई कि सेरेमनी के अगले दिन ही फ्लाइट पकड़ कर लौट जाएगी। अंजन ने उसके आने और जाने के लिए टिकट बुक करा दिया था।
बड़े मन से उसने शिमरिंग स्टार्स में उसे प्रपोज़ करने की तैयारी की थी। लेकिन एक बार फिर मीरा ने मना कर दिया था। वह उदास हो गया। लेकिन जब मीरा मान गई तो उसे लगा कि जैसे किस्मत उस पर मेहरबान हो गई।
आज यह सब सोचते हुए उसे लग रहा था कि वह कितना बेवकूफ था। मीरा के बुने जाल में फंस रहा था। जिसे वह खुशी समझ रहा था वह उसकी मौत की आहट थी।
उसके मन में फिर गुस्सा उठा। पर इस बार उसके साथ ही अपने लिए एक बेचारगी वाली भावना भी पैदा हुई। वह खुद को मजबूर आशिक की तरह महसूस कर रहा था। अचानक ही उसकी आँखें भर आईं। वह सोचने लगा कि उसका किया ही उसके सामने आ गया। उसने मानवी को धोखा दिया था। मानवी ने मीरा के ज़रिए उसे धोखा दे दिया। वह अपने आप को कोस रहा था कि वह प्यार जैसी चीज़ के चक्कर में पड़ा ही क्यों। कुछ देर तक वह अपनी हालत पर आंसू बहाता रहा।
लेकिन कुछ ही देर में उसके दिल ने उसे एक नाकाम आशिक की तरह रोने पर धिक्कारा।‌ उसे याद दिलाया कि वह अंजन विश्वकर्मा है। जिसने एक ढाबे से मुंबई शहर की मानी हुई कंस्ट्रक्शन कंपनी तक का सफर तय किया है। उसने अपनी हिम्मत से अपने सपने पूरे किए। इस तरह से टूट जाना उसे शोभा नहीं देता।
वह उठा। वॉशरूम में जाकर मुंह धोया। उसने तय कर लिया कि वह भावनाओं में बहकर कमज़ोर नहीं पड़ेगा। उसने अब तक अपनी सारी कमज़ोरियों पर काबू पाया है। मीरां उसकी कमज़ोरी बन रही है। वह ऐसा नहीं होने देगा। वह मीरा के बारे में सख्त फैसला लेगा। जो भी हो उसने उसके साथ विश्वासघात किया है। उसे विश्वासघात की सज़ा मिलनी ही चाहिए। अब उसके मन में कोई दुविधा नहीं रह गई थी। वह एक आशिक के तौर पर नहीं बल्कि उस अंजन की तरह सोच रहा था जिसने आज तक अपने साथ धोखा करने वालों को छोड़ा नहीं था।
दरवाज़े पर दस्तक हुई। उसने दरवाज़ा खोला। एक नौकर सागर खत्री का संदेश लेकर आया था कि वह लंच के लिए उसकी राह देख रहा है।‌ अंजन ने कहा कि वह कुछ ही देर में खाने के लिए आ रहा है।