रिस्की लव - 36 Ashish Kumar Trivedi द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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रिस्की लव - 36



(36)

गोवा की मीडिया में एक बात चर्चा का विषय थी कि सब इंस्पेक्टर रोवॉन ने किडनैपिंग केस में बहुत बहादुरी दिखाई थी। लेकिन साथ में एक और सवाल भी पूँछा जा रहा था कि जब माइकल के आदमी ने बयान में समर का नाम लिया है तो अब तक वह पकड़ा क्यों नहीं गया है ? इंस्पेक्टर कौशल सावंत जो हर केस को अंत तक ले जाने के लिए जाने जाते हैं इस केस में सुस्त क्यों हैं ? अपने बारे में उठ रहे सवालों को सुनकर इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने कमर कस ली थी कि जैसे भी हो वह समर को पकड़ कर रहेगा।
समर अपने विश्वासपात्र आदमी से हर एक बात की सूचना ले रहा था। इंस्पेक्टर कौशल सावंत पर उठ रहे सवालों से वह समझ गया था कि मामला गंभीर हो गया है। इंस्पेक्टर कौशल सावंत अब बिल्कुल भी शांत नहीं बैठेगा। उसे जितनी जल्दी हो सके दुबई जाने की कोशिश करनी चाहिए।
लेकिन मीडिया में उसका नाम बहुत उछल चुका था। उसकी तस्वीर भी लोगों के सामने आ गई थी। उसके लिए मुश्किल बहुत बढ़ गई थी। इस समय बाहर जाने की कोशिश उसे मुश्किल में डाल सकती थी। उसके लिए सावधानी बरतना बेहद ज़रूरी था।
इंस्पेक्टर कौशल ने जिन राज्यों में समर की डीटेल्स भिजवाई थीं उनसे संपर्क किया। पर अभी तक कोई सफलता नहीं मिल पाई थी। समर को तलाशने में मिली नाकामी उसे परेशान कर रही थी। वह समझने की कोशिश कर रहा था कि उससे कहाँ गलती हो रही है। मीडिया में जब मानवी और निर्भय के छुड़ाए जाने की खबर आई थी उसके बाद से ही वह गायब हो गया था। अभी तक वह आया नहीं। ज़रूर कोई ऐसा है जो उसे यहाँ के हालात के बारे में खबर दे रहा है। वह जो भी है उसके मोटेल से ही संबंधित है। इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने अपना दिमाग दौड़ाना शुरू किया।


नफीस अभी शाहीन का प्लास्टर कटवा कर हॉस्पिटल से लौटा था। विनोद भी उसकी मदद के लिए गया था। शाहीन आराम करने लगी तो नफीस और विनोद हॉल में बैठकर बातें करने लगे। दोनों अंजन के बारे में ही बात कर रहे थे। विनोद ने कहा,
"सर मैंने पता किया है। अंजन कहीं बाहर गया हुआ है। पर इस बार किसी को नहीं मालूम की वह कहाँ गया है ?"
नफीस ने कहा,
"मुझे लगता है कि इस बार वह लंदन नहीं गया होगा।"
"क्यों सर ?"
"देखो मानवी और निर्भय की किडनैपिंग उसके कहने पर ही हुई थी यह बात तो पक्की है। जिस समर का नाम सामने आया है वह अंजन का दोस्त है। अंजन जानता है कि समर की गिरफ्तारी होते ही पुलिस उसके गिरेबान तक पहुँचेगी। वह अक्सर लंदन जाता है इसलिए पुलिस पहले वहीं तलाश करेगी।"
"हाँ सर...यह बात तो ठीक है। तो वह कहाँ जा सकता है ?"
"अंजन के और भी ठिकाने होंगे। वह कहीं भी जा सकता है।"
विनोद के मन में एक बात आ रही थी। कुछ सोचकर उसने कहा,
"सर आपने एक बार बताया था कि लंदन में उसका एक दोस्त सागर खत्री है। क्या वह उसकी कोई मदद कर सकता है ?"
नफीस के दिमाग में सागर खत्री का नाम आया ही नहीं था। विनोद के याद दिलाने पर उसे लगा कि ऐसा हो सकता है। उसने कहा,
"विनोद तुमने बात तो सही कही है। जहाँ तक मुझे पता है कि लंदन में अंजन अक्सर उसके घर पर ही रुकता था। वह उसकी मदद कर सकता है।"
विनोद ने कुछ सोचकर कहा,

"आप इस सागर खत्री के बारे में और भी कुछ जानते हैं।"
"नहीं... मैं उससे कभी मिला भी नहीं हूँ। लंदन में कुछ लोग हैं जिनके मुंह से यह सुना था कि अंजन का वहाँ एक दोस्त सागर खत्री है।"
उसके बाद दोनों चुप हो गए। नफीस ने उठते हुए कहा,
"देखूँ शाहीन को किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीं। फिर तुम्हारे लिए चाय बनाता हूँ।"
"सर आप भाभी जी को देख लीजिए। चाय मैं बना लूँगा।"
विनोद का यह प्रस्ताव सुनकर नफीस ने आश्चर्य से कहा,
"आर यू श्योर...."
विनोद ने कहा,
"बिल्कुल....आप भाभी जी के पास जाकर बैठिए। चाय बनते ही मैं ‌आपको बुला लूँगा।"
नफीस शाहीन के पास चला गया। वह बेड पर बैठी एक किताब पढ़ रही थी। नफीस ने उससे पूँछा,
"कोई तकलीफ तो नहीं है शाहीन।"
शाहीन ने बुकमार्क लगाकर किताब बंद कर दी। वह बोली,
"तकलीफ क्या होनी है। मैं ठीक हूंँ। विनोद चला गया क्या ?"
"नहीं....किचन में चाय बना रहा है।"
"अरे उसे क्यों तकलीफ दी। कुछ देर में कुक आ रही होगी। वह बना देती।"
"मैंने तो खुद बनाने की पेशकश की थी। पर वह बोला कि उसे चाय बनाने में कोई दिक्कत नहीं है।"
शाहीन ने अपनी छड़ी उठाई और उठकर खड़ी हो गई। नफीस ने टोका,
"उठ क्यों गई ?"
"जाकर देखती हूँ कि उसे कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है।"
नफीस ने उसे रोकना चाहा तो वह बोली,
"सारा दिन कमरे में ही तो बंद नहीं रहूंँगी ना। बाहर चलकर बैठती हूँ।"
नफीस ने उसे सहारा देना चाहा तो उसने मना कर दिया। छड़ी के सहारे वह धीरे धीरे बाहर आ गई। उसके बाद किचन के दरवाज़े तक गई। विनोद चाय बना रहा था। उसे देखकर बोला,
"भाभी जी आप बाहर आ गईं।"
"मैंने सुना तुम चाय बना रहे हो। इसलिए पीने आ गई।"
"तो जाकर बैठिए। मैं लेकर आता हूँ।"
शाहीन ने नफीस से कहा कि वह विनोद की मदद करे। वह जाकर बैठती है।

तीनों लोग चुपचाप बैठे चाय पी रहे थे। नफीस के ‌मन में सागर खत्री वाली बात घूम रही थी। विनोद यह सोच रहा था कि ‌अंजन मुंबई से भागकर कहाँ गया होगा। शाहीन को लग रहा था कि शायद उसके आ जाने से दोनों खुलकर बात नहीं कर पा रहे हैं। उसने कहा,
"मेरी वजह से तुम लोगों की बातचीत में रुकावट पैदा हो गई।"
नफीस ने सफाई दी,
"ऐसा कुछ नहीं है। हम लोग बात कर चुके थे।"
शाहीन ने कहा,
"तुम लोगों की बात का मुद्दा वही अंजन होगा। जब भी फोन पर विनोद से बात करते हो तो बातचीत में उसका नाम सुनाई पड़ता है।"
नफीस मुस्कुरा दिया। शाहीन ने कहा,
"सिर्फ अपनी किताब के लिए उसमें इतनी दिलचस्पी दिखा रहे हो ? ऐसा क्या है उसमें कि तुम विनोद से उसके बारे में पता करने को कहते हो ?"
शाहीन का यह सवाल अप्रत्याशित था। इस तरह से नफीस ने कभी सोचा नहीं था। उसके लिए एकदम से जवाब दे पाना मुश्किल था। शाहीन जवाब के लिए उसकी तरफ देख रही थी। नफीस ने कहा,
"अंजन की ज़िंदगी का सबसे बड़ा ‌आकर्षण यही है कि वह गलत तरीके से ऊपर उठकर आया पर समाज में प्रतिष्ठित बन गया। गैरकानूनी काम भी वह इतनी सफाई से करता है कि सफेदपोश बना हुआ है।"
विनोद बोला,
"सर उसने गरीब लोगों की भलाई के लिए भी बहुत से काम किए हैं। कावेरी हॉस्पिटल का एक विंग सिर्फ आम लोगों के लिए है। जहाँ उन्हें सामान्य कीमतों पर अच्छा इलाज मिलता है। दो स्कूल हैं जहाँ कम कीमत पर अच्छी शिक्षा मिलती है।"

शाहीन सब बड़े ध्यान से सुन रही थी। उसने कहा,
"यह तो वही बात हुई कि पहले पाप करो फिर गंगा नहा लो। जो भी हो मेरे हिसाब से तो वह एक क्रिमिनल है।"
विनोद ने कहा,
"हाँ भाभी....पर कहा जाता है ना कि जो पकड़ा गया वह चोर है, जो बच गया वह सयाना। अंजन ने अब तक अपनी गोटियां इस तरह से चली हैं कि वह बचा हुआ है।"
शाहीन ने कहा,
"लेकिन ऊपरवाला सबका हिसाब करता है। अंजन का भी करेगा।"
डोरबेल बजी। विनोद ने दरवाज़ा खोला। कुक लंच बनाने के लिए आई थी। शाहीन ने विनोद से लंच के लिए रुकने को कहा। पर उसने कहा कि वह कभी और उनके साथ खाना खाएगा। आज उसे ज़रूरी काम है। वह चला गया।

शाहीन इधर कुछ समय से वर्क फ्राम होम कर रही थी। अगले हफ्ते से उसे अपना ऑफिस ज्वाइन करना था। नफीस भी इधर नियमित रूप से काम पर ध्यान नहीं दे पा रहा था। उसने भी कल से नियमित काम पर जाने का फैसला किया था।
लंच के बाद शाहीन अपना लैपटॉप लेकर ऑफिस का काम करने लगी। नफीस बहुत दिनों के बाद अंजन पर लिखी जा रही अपनी किताब के आगे का चैप्टर लिखने बैठा था। वह इस समय उस हिस्से के बारे में लिख रहा था जब अंजन ने परिकर भाइयों की हत्या करवा कर उनका सबकुछ अपने नाम कर लिया था।

अंजन के अचानक उस मुकाम पर पहुंँच जाने पर बहुत से लोग उसकी तरक्की से जल रहे थे। वह उसके बारे में कई तरीके की बातें कर रहे थे। परिकर बंधुओं की दुर्घटना पर सवाल उठा रहे थे। उन्हें लगता था कि अंजन उनकी इन सारी बातों से बौखला जाएगा। अपना आपा खोकर कुछ ऐसा करेगा कि उन्हें उसे पीछे ढकेलने में आसानी हो जाएगी।
लेकिन अंजन ने ऐसा कुछ नहीं किया। उन लोगों की बातों का जवाब देने की जगह ऐसे काम करने शुरू किए जिनसे लोगों का ध्यान उस तरफ आकर्षित हो सके। मीडिया में उसके उन कामों की चर्चा होने लगी। लोगों की नज़रों में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ने लगी।
लिखते हुए नफीस को शाहीन की बात याद आई। जो आज उसने कही थी कि यह तो वही बात हुई कि पहले पाप करो फिर गंगा नहा लो। अंजन ने अपने कई पापों को ऐसी डुबकियां लगाकर धोने का प्रयास किया था। वह उसमें कामयाब भी रहा था।
नफीस सोच रहा था कि मानवी के साथ उसने बहुत अत्याचार किया। उसके सहारे पहले उसके भाइयों का सबकुछ हड़प लिया। उन्हें रास्ते से हटा दिया। मानवी को इस तरह अपने जीवन से दूर कर दिया जैसे दूध में से मक्खी। उस पर जानलेवा हमला करवाया। उसके बाद मानवी के अचानक गायब हो जाने को भी बड़ी चालाकी से अपने फायदे में मोड़ लिया।
अब ऊपरवाले का इंसाफ शुरू हो गया था। अंजन अपना सबकुछ छोड़कर भागा फिर रहा था।