उनींदा सा एक दिन Abhinav Bajpai द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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उनींदा सा एक दिन

सुकेश जब चार दिनों बाद घर पहुंचा तो वह दिन समाप्त हो चुके थे, रुई से हल्के दिन... उन चार दिनों के बाद उसके मन में घर पहुंचने की कोई ललक नहीं बची थी, वह बस पहुंचना चाहता था क्योंकि उसे सोना था अपने बिस्तर पर जी भर कर सोना चाहता था वह। वहां पहुंचकर उसे किसी से नहीं मिलना था अपने बिस्तर के सिवा, लेकिन वह ऐसे कहां पहुंच सकता था अब उसे यहीं रहना होगा, यही सोचते हुए वह औंधे मुंह बिस्तर में जा गड़ा धप्प...। बिस्तर पर पड़े-पड़े ना जाने कब उसकी आंखों में नींद की छाया पड़ी और वह उसके अंधेरे में डूबता चला गया। जब आंख खुली तो उठने का बिल्कुल मन नहीं हुआ, वह उसी बिस्तर में लेटा रहा वहीं ऐसे ही बिना किसी कारण के। आखिर फिर से नींद आ गई और दोबारा उसकी आंख बगल के घर में स्कूल से आ चुके बच्चों के शोर के कारण खुली इस बार वह उठा और खिड़की की तरफ गया, सुकेश ने पर्दे खोले तो धूप निकल चुकी थी सूरज आसमान में चढ़कर आंखें तरेर रहा था। सूरज की तेजी ने पर्दे दोबारा बंद करने पर मजबूर कर दिया, पर्दे बंद करके फिर से वह बिस्तर पर जा गिरा, करीब आधे घंटे बाद उठा तो सीधे बाथरूम जाकर फ्रेश होकर निकला, रसोई में चाय बनाकर अख़बार हाथ में लेकर कुर्सी में बैठ गया। अब सुकेश चाय पीने के साथ - साथ, अख़बार से खबरें गटकने लगा।
उठने में देर होने के कारण सुकेश का खाना बनाने का मन नहीं हुआ और ना ही इतना समय बचा की वह खाना बना सके। सो खाना बाहर ही खाने की सोच कर जल्दी से तैयार होकर फैक्ट्री के लिए निकल गया, सुकेश फैक्ट्री की सेकेंड शिफ्ट मे ड्युटी करता था।
सुकेश जल्दी से सारा काम खत्म करके उसी बिस्तर में सोना चाहता था, जब से उसने घर छोड़ा था, नींद थी कि पूरी ही ना हो पाती थी, वह सोना चाहता था क्योंकि सोते समय वह अधिक जागृत रहता था लेकिन जागते में नींद के घेरे में रहता है- एक अलग सा खुमार उस पर हमेशा छाया रहता था। नींद से जागते हुए सब ख्वाब लगता था सच्चाई तो बस नींद में थी सोते हुए सही स्थितियों के निर्धारण में लेकिन वैसा सोना तो घर के बिस्तर पर ही नसीब हो सकता था जिस पर बचपन से सोया गया हो खूब ऊंघ कर - पिताजी से मार खाने के बाद रोते - रोते, मां से लोरियां सुनते हुए, बाबा से कहानी सुनकर और दादी से बालों में तेल लगवा कर, वो सभी बिस्तर एक ही तो थे, एक ही घर के, सभी से एक जैसी ही महक आती थी। लेकिन अभी तो उसे जाना था।
तो वह कमरे में ताला लगा कर निकल पड़ा अपने दूसरे महक वाले बिस्तर को कैद करके।
जब सुकेश फैक्ट्री पहुंचा तो वहां पहली शिफ्ट वाला सुपरवाइजर बालंक मिला उसने बताया कि 15000 पीस का आर्डर आया हुआ है जिसे इंजीनियर साहब ने कल तक पूरा करने के लिए कहा है मैंने अपनी शिफ्ट में 1720 पीस बनवा दिए हैं बाकी तुम बनवा देना क्योंकि तीसरी शिफ्ट वाले सुपरवाइजर एजाज की जिम्मेदारी उसे पास करवाने की रहेगी।
सुकेश - यह कैसे संभव है, तुम्हारी और मेरी शिफ्ट में बराबर संख्या के आदमी काम करते हैं और दोनों शिफ्टों का समय भी समान है तो जब तुम अपने पूरे प्रयास के बावजूद भी 1720 पीस ही बना पाए तो मैं बाकी के 13280 पीस इतने ही समय और उतने ही आदमियों के साथ कैसे पूरा कर पाऊंगा ?
बालंक - यह सब मैं नहीं जानता यह ऊपर से इंजीनियर साहब का आर्डर है।
सुकेश - कैसे इंजीनियर साहब ? उन्हें भी पता है यदि तीनों शिफ्ट के सभी लोग मिलकर भी लगातार 24 घंटे काम करें तब भी 5000 से ज्यादा पीस नहीं बना सकते।
बालंक - यह सब बात तो तुम इंजीनियर साहब से ही करो उन्होंने जो मुझसे कहा वह मैंने बता दिया।
सुकेश - यह भी ठीक है, कहां है इंजीनियर साहब ?
बालंक - वह तो चले गए उनसे बात करनी है तो सुबह पहली शिफ्ट के समय में आकर करना अब मैं जा रहा हूं।

सुकेश ने अपनी शिफ्ट में काम किया और लगभग 1648 पीस बनवा दिए और तीसरी शिफ्ट में आने वाले सुपरवाइजर एजाज को बताया कि शिफ्ट खत्म होने तक हमें 15000 पीस पूरे करने हैं, पहली शिफ्ट के 1720 और दूसरी शिफ्ट के 1648 पीस मिलाकर लगभग 3300 से अधिक पीस बनकर तैयार है बाकी बचे हुए तुम्हें पूरे करने पड़ेंगे
एजाज - जब पहली शिफ्ट में 1720 और दूसरी शिफ्ट में 1648 पीस ही बन पाए हैं तो मैं कैसे 11632 पीस बनवा दूंगा ?
सुकेश - तुम सही कह रहे हो लेकिन इंजीनियर साहब ने पता नहीं क्या खाकर आर्डर ले लिया है कोई बात नहीं तुम जाते समय उनसे मिल कर जाना और हम लोगों की तरफ से यह बात उन्हें बता देना ।
यह कहकर सुकेश वहां से अपने कमरे के बिस्तर पर सोने के लिए चला आया।
अगली सुबह जब इंजीनियर साहब आए तो उन्होंने तीसरी शिफ्ट वाले सुपरवाइजर एजाज को रोक लिया जबकि पहली शिफ्ट वाला सुपरवाइजर बालंक अपनी ड्यूटी के लिए पहले ही आ चुका था। इंजीनियर अपना आर्डर पूरा ना होते देख उन दोनों पर भड़क गया और किसी भी तर्क को सुनने के लिए तैयार नहीं हुआ उसने तीनों सुपरवाइजर को रविवार वाले दिन मैनेजर के सामने मीटिंग में आने के लिए कहा और यह बात सुकेश तक भी पहुंचाने के लिए कह दिया।
जब यह बात सुकेश को पता चली तो वह बहुत निराश हुआ कि रविवार वाले दिन की छुट्टी भी यूं ही बेकार चली जाएगी,
रविवार वाले दिन सभी सुपरवाइजर मैनेजर और इंजीनियर आए
मैनेजर अपनी केबिन में सीट पर बैठा जबकि इंजीनियर मैनेजर के सामने वाली सीट पर जा बैठा और तीनों सुपरवाइजर मैनेजर के सामने खड़े हो गए ।
मैनेजर ने इंजीनियर से कहा - यह मीटिंग आपने ही रखी है तो शॉर्ट में बताइए इसका मोटो (उद्देश्य) क्या है ?
इंजीनियर - सर जैसा कि आप जानते हैं कि हमारी फैक्ट्री को 15,000 पीस बनाने का ऑर्डर खुद ए.जी.एम. साहब के द्वारा मिला था..
मैनेजर - हां - हां, मैंने ही तो तुम्हें से जल्द से जल्द बनवाने को कहा था, और तुम उसे नहीं बनवा सके अब कस्टमर ने हमारी पेमेंट से ही पेनाल्टी काटने की धमकी दी है। और उसका कारण मैं तुमसे सुन चुका हूं और उस के संदर्भ में यह मीटिंग रखी गई है मैं जानता हूं, लेकिन इस मीटिंग का निष्कर्ष क्या निकलेगा यह मैं तुमसे जानना चाहता हूं ?
इंजीनियर - सर यह मीटिंग इस बात के लिए रखी गई है कि हमारा ऑर्डर ना पूरा होने की वास्तविक गलती किसकी है, दोषी को ढूंढ कर उसके विरुद्ध उचित दंडात्मक कार्यवाही करना इस मीटिंग का मुख्य उद्देश्य है !
मैनेजर - ठीक है मीटिंग शुरू करो।
इंजीनियर - सर जैसा की सभी को मालूम है कि हमें 15000 पीस बनाने के लिए आर्डर मिला हुआ था, मैंने यह बात बालंक को बताई थी और इससे यह मैसेज आगे के सुपरवाइजर को भी पहुंचाने को कहा था ।
मैनेजर - लेकिन क्या इससे आपकी जिम्मेदारी यहीं खत्म हो जाती थी तुम्हें..., खैर छोड़ो अभी फिलहाल इन तीनों से निपटते हैं ।
इंजीनियर - सॉरी सर !
मैनेजर (सुपरवाइजर को देखते हुए) - अब एक-एक करके आप लोग अपनी बात कहेंगे और अपना कार्य पूरा नहीं होने का उचित कारण बताएंगे ।
इंजीनियर - हां ठीक है, चलो बालंक आप बताओ पहले ।
बालंक - सॉरी सर ! मैंने तो पूरी कोशिश की और सारा समय आर्डर पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता रहा यहां तक कि मैं खुद भी पीस बनाने में लगा रहा और सुरेश जी को भी सारी बातों से अवगत करवा दिया था ।
मैनेजर - हूं ...! सुकेश जी आप क्या कहेंगे
इंजीनियर - हां, आप की शिफ्ट में ही सबसे कम पीस बने हैं। भला ऐसा क्यों ?
सुकेश - सर मैंने भी कोशिश पूरी की लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि 15000 पीस का आर्डर 1 दिन में पूरा करना असंभव है यह बात सभी को मालूम है ।
इंजीनियर - तो क्या सुकेश जी आप खुद को मैनेजमेंट से ज्यादा समझदार मानते हैं ?
सुकेश - पता नहीं लेकिन इतने पीस 1 दिन में बनाना संभव नहीं था जिसने ऐसा सोचा उसकी गलती है लगता है उसने वर्क टाइम स्टडी कभी नहीं किया था ।
इंजीनियर (गुस्से में) - तो क्या हम सभी लोग गलत हैं, और केवल आप ही सही हो ?
सुकेश - मुझे नहीं पता !
मैनेजर - लेकिन आपकी ही शिफ्ट में सबसे कम पीस बने हैं ?
सुकेश - लेकिन, मेरी शिफ्ट में 2 लोग कम आए थे ।
इंजीनियर - तो आपको खुद काम करना चाहिए था, मैनेजमेंट ने आपको बहाना बनाने के लिए नहीं बल्कि काम करने के लिए रखा है !
सुकेश - दो लोग कम आए थे ऐसा आप अटेंडेंस शीट में देख सकते हैं, यह कोई बहाना नही है। और अगर मैं उनका काम करता, तो मेरा काम कौन करेगा?
इंजीनियर - आपको दोनों काम करने पड़ेंगे।
सुकेश - क्या मैं कोई भी काम करुंगा?
इंजीनियर (दांत पीसते हुए) - बिल्कुल, जो काम कहा जाएगा वह चाहे झाड़ू मारना हो या कुछ भी ।
सुकेश (गुस्से से) - मैं सिर्फ अपना काम करने के लिए यहां हूं
मैनेजर ने इंजीनियर गुस्सा होते हुए देख उसे शांत रहने के लिए चुप रहने का इशारा करते हैं बोला - देखिए सुकेश जी अब आप ज्यादा बोल रहे है, वैसे बालंक और एजाज जी आप लोगों को क्या लगता है कि 15000 पीस 1 दिन में बनाने का मैनेजमेंट का फैसला गलत है ?
बालंक नकली मुस्कुराहट चेहरे पर लाते हुए चापलूसी भरे अंदाज में बोला - सर मैनेजमेंट का फैसला कभी भी गलत नहीं हो सकता अगर हम लोग चाहे तो 1 दिन में 15030 बड़े आराम से बना सकते हैं, वैसे मुझसे भी सुकेश जी पहले ही आप कह रहे थे कि यह असंभव है यह तो पहले से ही हतोत्साहित थे, क्यों एजाज जी?
एजाज - हां सर ! सुकेश ने मुझसे भी कहा था कि इंजीनियर ने क्या खाकर आर्डर लिया है ?
इंजीनियर (आंखें तरेरते हुए) - क्या खाने से तुम्हारा क्या मतलब है? क्या मैं भांग खाता हूं? बोलो?? बोलो?...
सुकेश - मुझे क्या पता ? लेकिन 15000 पीस का आर्डर 1 दिन में लेना गलत है ।
इंजीनियर ने मैनेजर की ओर देखा और हाथ मेज पर पटकते हुए कहा - हद हो गई सर ! अब आपको इसके खिलाफ कोई कार्यवाही करनी ही पड़ेगी ?
मैनेजर इंजीनियर से बोला - शांत हो जाइए ।
फिर अपना चश्मा सही करते हुए और तीनों सुपरवाइजर की ओर देखते हुए बोला - देखो यह बहुत गलत बात है और इसका जिम्मेदार कोई तो है, मैं सोचता हूं कि बालंक और एजाज आप दोनों की एक 1 दिन की सैलरी में कटौती की जाएगी और सुकेश आप की 15 दिन की सैलरी काटी जाएगी और आपको सारी जिम्मेदारी लेते हुए इंजीनियर साहब को माफ़ीनामा लिखकर देना होगा ।
उसको नींद आ रही थी क्योंकि दूसरी शिफ्ट होने के कारण इस समय तक वह सोता था, उसके सिर में भी बहुत दर्द हो रहा था और उसे गुस्सा भी आ रहा था ।
सुकेश (थोड़ा तेज आवाज में) - मैं न तो माफ़ीनामा दूंगा और न ही 15 दिन की सैलरी में कटौती करने दूंगा ।
मैनेजर - तो हमें और सख्त एक्शन लेना पड़ेगा मैं आपको नौकरी से निकाल दूंगा ।
सुकेश - आपके नौकरी से निकालने से पहले मैं खुद अपना इस्तीफा दे दूंगा ।
मैनेजर - ठीक है! तो लाओ अपना इस्तीफा तुरंत और अब आप तीनों यहां से जा सकते हैं ।
तीनों सुपरवाइजर मैनेजर के केबिन से बाहर आ गए एजाज और बालंक दोनो सुकेश को समझाने लगे कि 15 दिनों की सैलरी और माफीनामा पर मान जाए और इस्तीफा ना दे, सुकेश उनसे कुछ नहीं बोला और वह इस्तीफा देकर मैनेजर के केबिन के अंदर चला गया वहां इंजीनियर और मैनेजर अभी भी बैठे चाय पी रहे थे सुकेश ने अपना इस्तीफा मैनेजर को दे दिया ।
मैनेजर सुकेश से - ठीक है, आज तो रविवार है छुट्टी का दिन है अब आप जाइए एक-दो दिन में आकर अपना हिसाब कर लेना आपके पास फोन कर दिया जाएगा अब आप जा सकते हैं
सुकेश केबिन से बाहर आ गया ।
मैनेजर इंजीनियर से कहता हुआ - अच्छा हुआ इस ने इस्तीफा दे दिया अब हम सुकेश जब चार दिनों बाद घर पहुंचा तो वह दिन समाप्त हो चुके थे, रुई से हल्के दिन... उन चार दिनों के बाद उसके मन में घर पहुंचने की कोई ललक नहीं बची थी, वह बस पहुंचना चाहता था क्योंकि उसे सोना था अपने बिस्तर पर जी भर कर सोना चाहता था वह। वहां पहुंचकर उसे किसी से नहीं मिलना था अपने बिस्तर के सिवा, लेकिन वह ऐसे कहां पहुंच सकता था अब उसे यहीं रहना होगा, यही सोचते हुए वह औंधे मुंह बिस्तर में जा गड़ा धप्प...। बिस्तर पर पड़े-पड़े ना जाने कब उसकी आंखों में नींद की छाया पड़ी और वह उसके अंधेरे में डूबता चला गया। जब आंख खुली तो उठने का बिल्कुल मन नहीं हुआ, वह उसी बिस्तर में लेटा रहा वहीं ऐसे ही बिना किसी कारण के। आखिर फिर से नींद आ गई और दोबारा उसकी आंख बगल के घर में स्कूल से आ चुके बच्चों के शोर के कारण खुली इस बार वह उठा और खिड़की की तरफ गया, सुकेश में पर्दे खोले तो धूप निकल चुकी थी सूरज आसमान में चढ़कर आंखें तरेर रहा था। सूरज की तेजी ने पर्दे दोबारा बंद करने पर मजबूर कर दिया, पर्दे बंद करके फिर से वह बिस्तर पर जा गिरा, करीब आधे घंटे बाद उठा तो सीधे बाथरूम जाकर फ्रेश होकर निकला, रसोई में चाय बनाकर अख़बार हाथ में लेकर कुर्सी में बैठ गया। अब सुकेश चाय पीने के साथ - साथ, अख़बार से खबरें गटकने लगा।
उठने में देर होने के कारण सुकेश का खाना बनाने का मन नहीं हुआ और ना ही इतना समय बचा की वह खाना बना सके। सो खाना बाहर ही खाने की सोच कर जल्दी से तैयार होकर फैक्ट्री के लिए निकल गया, सुकेश फैक्ट्री की सेकेंड शिफ्ट मे ड्युटी करता था।
सुकेश जल्दी से सारा काम खत्म करके उसी बिस्तर में सोना चाहता था, जब से उसने घर छोड़ा था, नींद थी कि पूरी ही ना हो पाती थी, वह सोना चाहता था क्योंकि सोते समय वह अधिक जागृत रहता था लेकिन जागते में नींद के घेरे में रहता है- एक अलग सा खुमार उस पर हमेशा छाया रहता था। नींद से जागते हुए सब ख्वाब लगता था सच्चाई तो बस नींद में थी सोते हुए सही स्थितियों के निर्धारण में लेकिन वैसा सोना तो घर के बिस्तर पर ही नसीब हो सकता था जिस पर बचपन से सोया गया हो खूब ऊंघ कर - पिताजी से मार खाने के बाद रोते - रोते, मां से लोरियां सुनते हुए, बाबा से कहानी सुनकर और दादी से बालों में तेल लगवा कर, वो सभी बिस्तर से एक ही तो थे, एक ही घर के सभी से एक जैसी ही महक आती थी। लेकिन अभी तो उसे जाना था।
तो वह कमरे में ताला लगा कर निकल पड़ा अपने दूसरे महक वाले बिस्तर को कैद करके।
जब सुकेश फैक्ट्री पहुंचा तो वहां पहली शिफ्ट वाला सुपरवाइजर बालंक मिला उसने बताया कि 15000 पीस का आर्डर आया हुआ है जिसे इंजीनियर साहब ने कल तक पूरा करने के लिए कहा है मैंने अपनी शिफ्ट में 1720 पीस बनवा दिए हैं बाकी तुम बनवा देना क्योंकि तीसरी शिफ्ट वाले सुपरवाइजर एजाज की जिम्मेदारी उसे पास करवाने की रहेगी।
सुकेश - यह कैसे संभव है, तुम्हारी और मेरी शिफ्ट में बराबर संख्या के आदमी काम करते हैं और दोनों शिफ्टों का समय भी समान है तो जब तुम अपने पूरे प्रयास के बावजूद भी 1720 पीस ही बना पाए तो मैं बाकी के 13280 पीस इतने ही समय और उतने ही आदमियों के साथ कैसे पूरा कर पाऊंगा ?
बालंक - यह सब मैं नहीं जानता यह ऊपर से इंजीनियर साहब का आर्डर है।
सुकेश - कैसे इंजीनियर साहब ? उन्हें भी पता है यदि तीनों शिफ्ट के सभी लोग मिलकर भी लगातार 24 घंटे काम करें तब भी 5000 से ज्यादा पीस नहीं बना सकते।
बालंक - यह सब बात तो तुम इंजीनियर साहब से ही करो उन्होंने जो मुझसे कहा वह मैंने बता दिया।
सुकेश - यह भी ठीक है, कहां है इंजीनियर साहब ?
बालंक - वह तो चले गए उनसे बात करनी है तो सुबह पहली शिफ्ट के समय में आकर करना अब मैं जा रहा हूं।

सुकेश ने अपनी शिफ्ट में काम किया और लगभग 1648 पीस बनवा दिए और तीसरी शिफ्ट में आने वाले सुपरवाइजर एजाज को बताया कि शिफ्ट खत्म होने तक हमें 15000 पीस पूरे करने हैं, पहली शिफ्ट के 1720 और दूसरी शिफ्ट के 1648 पीस मिलाकर लगभग 3300 अजीत पीस बनकर तैयार है बाकी बचे हुए तुम्हें पूरे करने पड़ेंगे
एजाज - जब पहली शिफ्ट में 1720 और दूसरी शिफ्ट में 1648 पीस ही बन पाए हैं तो मैं कैसे 11632 पीस बनवा दूंगा ?
सुकेश - तुम सही कह रहे हो लेकिन इंजीनियर साहब ने पता नहीं क्या खाकर आर्डर ले लिया है कोई बात नहीं तुम जाते समय उनसे मिल कर जाना और हम लोगों की तरफ से यह बात उन्हें बता देना ।
यह कहकर सुकेश वहां से अपने कमरे के बिस्तर पर सोने के लिए चला आया।
अगली सुबह जब इंजीनियर आया तो उसने तीसरी शिफ्ट वाले सुपरवाइजर एजाज को रोक लिया जबकि पहली शिफ्ट वाला सुपरवाइजर बालंक अपनी ड्यूटी के लिए पहले ही आ चुका था। इंजीनियर अपना आर्डर पूरा ना होते देख उन दोनों पर भड़क गया और किसी भी तर्क को सुनने के लिए तैयार नहीं हुआ उसने तीनों सुपरवाइजर को रविवार वाले दिन मैनेजर के सामने मीटिंग में आने के लिए कहा और यह बात सुकेश तक भी पहुंचाने के लिए कह दिया।
जब यह बात सुकेश को पता चली तो वह बहुत निराश हुआ कि रविवार वाले दिन की छुट्टी भी यूं ही बेकार चली जाएगी,
रविवार वाले दिन सभी सुपरवाइजर मैनेजर और इंजीनियर आए
मैनेजर अपनी केबिन में सीट पर बैठा जबकि इंजीनियर मैनेजर के सामने वाली सीट पर जा बैठा और तीनों सुपरवाइजर मैनेजर के सामने खड़े हो गए ।
मैनेजर ने इंजीनियर से कहा - यह मीटिंग आपने ही रखी है तो साथ में बताइए इसका मोटो (उद्देश्य) क्या है ?
इंजीनियर - सर जैसा कि आप जानते हैं कि हमारी फैक्ट्री को 15,000 पीस बनाने का ऑर्डर खुद ए.जी.एम. साहब के द्वारा मिला था..
मैनेजर - हां - हां, मैंने ही तो तुम्हें से जल्द से जल्द बनवाने को कहा था, और तुम उसे नहीं बनवा सके अब कस्टमर ने हमारी पेमेंट से ही पेनाल्टी काटने की धमकी दी है। और उसका कारण मैं तुमसे सुन चुका हूं और उस के संदर्भ में यह मीटिंग रखी गई है मैं जानता हूं, लेकिन इस मीटिंग का निष्कर्ष क्या निकलेगा यह मैं तुमसे जानना चाहता हूं ?
इंजीनियर - सर यह मीटिंग किस बात के लिए रखी गई है कि हमारा ऑर्डर ना पूरा होने में वास्तविकता में किसकी गलती है, दोषी को ढूंढ कर उसके विरुद्ध उचित दंडात्मक कार्यवाही करना इस मीटिंग का मुख्य उद्देश्य है !
मैनेजर - ठीक है मीटिंग शुरू करो।
इंजीनियर - सर जैसा की सभी को मालूम है कि हमें 15000 पीस बनाने के लिए आर्डर मिला हुआ था, मैंने यह बात बालंक को बताई थी और इससे यह मैसेज आगे के सुपरवाइजर को भी पहुंचाने को कहा था ।
मैनेजर - लेकिन क्या इससे आपकी जिम्मेदारी यहीं खत्म हो जाती थी तुम्हें..., खैर छोड़ो अभी फिलहाल इन तीनों से निपटते हैं ।
इंजीनियर - सॉरी सर !
मैनेजर (सुपरवाइजर को देखते हुए) - अब एक-एक करके आप लोग अपनी बात कहेंगे और अपना कार्य पूरा नहीं होने का उचित कारण बताएंगे ।
इंजीनियर - हां ठीक है, चलो बालंक आप बताओ पहले ।
बालंक - सॉरी सर ! मैंने तो पूरी कोशिश की और सारा समय आर्डर पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता रहा यहां तक कि मैं खुद भी पीस बनाने में लगा रहा और सुकेश जी को भी सारी बातों से अवगत करवा दिया था ।
मैनेजर - हूं ...! सुकेश जी आप क्या कहेंगे ?
इंजीनियर - हां, आप की शिफ्ट में ही सबसे कम पीस बने हैं। भला ऐसा क्यों ?
सुकेश - सर मैंने भी कोशिश पूरी की लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि 15000 पीस का आर्डर 1 दिन में पूरा करना असंभव है यह बात सभी को मालूम है ।
इंजीनियर - तो क्या सुकेश जी आप खुद को मैनेजमेंट से ज्यादा समझदार मानते हैं ?
सुकेश - पता नहीं लेकिन इतने पीस 1 दिन में बनाना संभव नहीं था जिसने ऐसा सोचा उसकी गलती है लगता है उसने वर्क टाइम स्टडी कभी नहीं किया था ।
इंजीनियर (गुस्से में) - तो क्या हम सभी लोग गलत हैं, और केवल आप ही सही हो ?
सुकेश - मुझे नहीं पता !
मैनेजर - लेकिन आपकी ही शिफ्ट में सबसे कम पीस बने हैं ?
सुकेश - लेकिन, मेरी शिफ्ट में 2 लोग कम आए थे ।
इंजीनियर - तो आपको खुद काम करना चाहिए था, मैनेजमेंट ने आपको बहाना बनाने के लिए नहीं बल्कि काम करने के लिए रखा है !
सुकेश - दो लोग कम आए थे ऐसा आप अटेंडेंस शीट में देख सकते हैं, यह कोई बहाना नही है। और अगर मैं उनका काम करता, तो मेरा काम कौन करेगा?
इंजीनियर - आपको दोनों काम करने पड़ेंगे।
सुकेश - क्या मैं कोई भी काम करुंगा?
इंजीनियर (दांत पीसते हुए) - बिल्कुल, जो काम कहा जाएगा वह चाहे झाड़ू मारना हो या कुछ भी ।
सुकेश (गुस्से से) - मैं सिर्फ अपना काम करने के लिए यहां हूं
मैनेजर ने इंजीनियर गुस्सा होते हुए देख उसे शांत रहने के लिए चुप रहने का इशारा करते हैं बोला - देखिए सुकेश जी अब आप ज्यादा बोल रहे है, वैसे बालंक और एजाज आप दोनों को क्या लगता है कि 15000 पीस 1 दिन में बनाने का मैनेजमेंट का फैसला गलत है ?
बालंक नकली मुस्कुराहट चेहरे पर लाते हुए चापलूसी भरे अंदाज में बोला - सर मैनेजमेंट का फैसला कभी भी गलत नहीं हो सकता अगर हम लोग चाहे तो 1 दिन में 15000 पीस बड़े आराम से बना सकते हैं, वैसे मुझसे भी सुकेश जी पहले ही कह रहे थे कि यह असंभव है, यह तो पहले से ही हतोत्साहित थे, क्यों एजाज जी?
एजाज - हां सर ! सुकेश ने मुझसे भी कहा था कि इंजीनियर ने क्या खाकर आर्डर लिया है ?
इंजीनियर (आंखें तरेरते हुए) - क्या खाने से तुम्हारा क्या मतलब है? क्या मैं भांग खाता हूं? बोलो?? बोलो?...
सुकेश - मुझे क्या पता ? लेकिन 15000 पीस का आर्डर 1 दिन में लेना गलत है ।
इंजीनियर ने मैनेजर की ओर देखा और हाथ मेज पर पटकते हुए कहा - हद हो गई सर ! अब आपको इसके खिलाफ कोई कार्यवाही करनी ही पड़ेगी ?
मैनेजर इंजीनियर से बोला - शांत हो जाइए ।
फिर अपना चश्मा सही करते हुए और तीनों सुपरवाइजर की ओर देखते हुए बोला - देखो यह बहुत गलत बात है और इसका जिम्मेदार कोई तो है, मैं सोचता हूं कि बालंक और एजाज आप दोनों की एक 1 दिन की सैलरी में कटौती की जाएगी और सुकेश आप की 15 दिन की सैलरी काटी जाएगी और आपको सारी जिम्मेदारी लेते हुए इंजीनियर साहब को माफ़ीनामा लिखकर देना होगा ।
इस समय सुकेश को नींद आ रही थी क्योंकि दूसरी शिफ्ट में ड्यूटी होने के कारण इस समय तक वह सोता था, उसके सिर में भी बहुत दर्द हो रहा था और उसे गुस्सा भी आ रहा था ।
सुकेश (थोड़ा तेज आवाज में) - मैं न तो माफ़ीनामा दूंगा और न ही 15 दिन की सैलरी में कटौती करने दूंगा ।
मैनेजर - तो हमें और सख्त एक्शन लेना पड़ेगा मैं आपको नौकरी से निकाल दूंगा ।
सुकेश - आपके नौकरी से निकालने से पहले मैं खुद अपना इस्तीफा दे दूंगा ।
मैनेजर - ठीक है! तो लाओ अपना इस्तीफा तुरंत और अब आप तीनों यहां से जा सकते हैं ।
तीनों सुपरवाइजर मैनेजर के केबिन से बाहर आ गए एजाज और बालंक दोनो सुकेश को समझाने लगे कि 15 दिनों की सैलरी और माफीनामा पर मान जाए और इस्तीफा ना दे, सुकेश उनसे कुछ नहीं बोला और वह इस्तीफा देकर मैनेजर के केबिन के अंदर चला गया वहां इंजीनियर और मैनेजर अभी भी बैठे चाय पी रहे थे सुकेश ने अपना इस्तीफा मैनेजर को दे दिया ।
मैनेजर सुकेश से - ठीक है, आज तो रविवार है छुट्टी का दिन है अब आप जाइए एक - दो दिन में आकर अपना हिसाब कर लेना आपके पास फोन कर दिया जाएगा अब आप जा सकते हैं
सुकेश केबिन से बाहर आ गया ।
मैनेजर इंजीनियर से कहता हुआ - अच्छा हुआ इस ने इस्तीफा दे दिया अब हम आगे बोल सकते हैं कि हमने काम समय पर पूरा ना होने की वजह से बड़ी कार्यवाही करते हुए इस से इस्तीफा मांग लिया ।
इधर सुकेश फैक्ट्री से बाहर निकला और सोचने लगा उस ने इस्तीफा दिया क्यों?
क्योंकि वह उसकी 15 दिन की सैलरी काट रहे थे ?
या उससे माफीनामा मांग कर उसकी बेइज्जती कर रहे थे
या ऐसी फैक्ट्री में वह काम नहीं करना चाहता था...!
नहीं, उसने इस्तीफा दिया था... सोने के लिए, हां! नींद पूरी करने के लिए, अपने घर के बिस्तर पर सोने के लिए उसी जानी पहचानी महक वाले बिस्तर पर जिस पर वह बचपन से सोया था - पापा की मार खाने के बाद, मां की लोरियां सुनते - सुनते, दादी से बालों में तेल लगवाते हुए, और बाबा से कहानियां सुनते हुए