एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 3 ARUANDHATEE GARG मीठी द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • शून्य से शून्य तक - भाग 40

    40== कुछ दिनों बाद दीनानाथ ने देखा कि आशी ऑफ़िस जाकर...

  • दो दिल एक मंजिल

    1. बाल कहानी - गलतीसूर्या नामक बालक अपने माता - पिता के साथ...

  • You Are My Choice - 35

    "सर..."  राखी ने रॉनित को रोका। "ही इस माई ब्रदर।""ओह।" रॉनि...

  • सनातन - 3

    ...मैं दिखने में प्रौढ़ और वेशभूषा से पंडित किस्म का आदमी हूँ...

  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

श्रेणी
शेयर करे

एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 3

एहसास प्यार का खूबसूरत सा ( भाग - 3)


आदित्या - डेट्स ग्रेट आरव । ये तो बहुत अच्छी बात है ।

नील - या आदि , इट्स अ वेरी गुड न्यूज फॉर यू , आरव ।

आरव - यहां मेरी सांसे ऊपर नीचे हो रही है , के मैं इस बिजनेस को अच्छे से हैंडल कर पाऊंगा के नहीं और तुम लोग गुड न्यूज और ग्रेट बोल रहे हो । यार मुझे कितनी टेंशन हो रही है ये तुम लोग नहीं समझ रहे हो ।

राहुल - आरव , इसमें बुरा क्या है ? और ये तो कितनी अच्छी बात है कि तेरे पापा को तुझ पर इतना ट्रस्ट है । आखिर तभी तो उन्होंने तुझे इतनी बड़ी रिस्पांसिबिलिटी दी है ना यार ।

रेहान - राहुल ठीक कह रहा है आरव । तुम्हे अपने पापा के ट्रस्ट को प्रूफ करना होगा । आखिर कितनी उम्मीदें होंगी तुम्हारे पापा को और तुम्हारी फैमिली को तुमसे ।

आरव - ये तो तुम लोग सही कह रहे हो । पापा ने हमेशा से हम सभी बच्चो के लिए अच्छा ही सोचा है । एंड राइट , इसमें भी कोई ना कोई भलाई ही छुपी होगी हमारी । बट तुम लोग अपना बताओ , तुम लोगो के साथ के बिना शायद मैं ये ना कर पाऊं ।

आदित्या - नहीं आरव ! ऐसा नहीं है । तुझमें इतनी काबिलियत है के तू खुद ही सब हैंडल कर सकता है । बट तब भी तू हमसे हेल्प मांग रहा है तो हम तेरी हेल्प जरूर करेंगे । क्यों गाॕइस ?

राहुल - यस आदि हम आरव की हेल्प जरूर करेंगे । देखो भाई मुझे कोई दिक्कत नहीं है । मेरे डैड तो वैसे भी चाहते हैं के मैं उनका बिजनेस संभालू और कुछ करू । जिससे उनका नाम रोशन हो । तो आई थिंक उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं होगी इस बात से के मैं आरव के साथ रह कर काम सीखूं । और वो चाहते भी यही थे । जब सब ठीक हो जायेगा तो मैं अपना बिजनेस भी हैंडल कर लूंगा ।

आदित्या - मुझे भी कोई प्रॉब्लम नहीं है । मुझे सिर्फ घर में बताना बस होगा।

नील - बट गाइज ! मुझे अपने डैड से पूछना होगा । क्योंकि तुम सब जानते हो मेरे डैड को । बट डोंट वरी मैं उन्हें मना लूंगा ।

आरव - थैंक्स यार तुम सभी को ।

रेहान - पर आई एम सो सॉरी आरव । मैं अपनी पढ़ाई के लिए रिस्क नहीं ले सकता । क्योंकि तुम सभी जानते हो मेरे हालात । अगर मैंने अपनी पढ़ाई में जरा सी भी ढील दी तो मेरी मां की मेहनत मिट्टी में मिल जायेगी । आई नो मैं अभी सेलफिश हो रहा हूं । बट यार प्लीज अंडरस्टैंड माय सिचुएशन।

आरव - मैं समझता हूं भाई । और मुझे बिल्कुल भी दिक्कत नहीं है । और वैसे भी आदि , राहुल और नील तो मेरे साथ है ही । सो यू डोंट वरी । हम सभी हैंडल कर लेंगे । बट अगर तुझे हमारी हेल्प चाहिए होगी तो जरूर बताना । और हां गिल्ट लेने की जरूरत नहीं है ।

रेहान - थैंक्यू वेरी मच आरव । फॉर अंडरस्टैंड मी।

सभी एक ग्रुप हग करते हैं । और वहीं पर बैठ कर कंपनी के बारे में डिस्कस करते हैं । तभी वहां सौम्या और शिवानी आ जाते हैं । और सौम्या सभी से पूछती है ।

सौम्या - आज तुम सब इतनी जल्दी?

आदित्या - हां सौम्या , आरव की न्यू कंपनी खुलने वाली है , और उसने आरव एमडी बनने वाला है ।साथ ही हम सभी उसमे आरव की हेल्प करने वाले हैं ।

सौम्या - कंग्रॅजुलेशनस गाइज ।

शिवानी - बधाई हो आरव , और तुम सब को भी बधाई हो ।

रेहान को छोड़ कर सभी एक साथ बोलते हैं - थैंक्स।

शिवानी - तो कब है कंपनी की ओपनिंग?

आरव - अभी कल ही पापा ने बताया है । और इन सभी से बात करने बोले थे । अब सभी ने हां कह दी है तो घर जा कर पापा और भाई के साथ डिस्कस करूंगा आगे का ।

सौम्या - ग्रेट ।

आदित्या अपने घर का इकलौता वारिस होता है । और अपने पापा के साथ कभी कभी मीटिंग्स अटेंड करने जाता है । आदित्या के पापा भी टॉप - 10 बिजनेस मैन में से एक हैं । और वे आरव के पापा के फैमिली फ्रैंड भी हैं । नील का भी फैमिली बिजनेस है जिसे उसके डैड संभालते हैं जो कि टॉप - 10 में से एक है । और वो भी आरव के पापा के फ्रैंड हैं । राहुल के पापा भी टॉप - क्लास के बिजनेस मैन हैं । जिनका बिजनेस राहुल के पापा और राहुल के चाचा दोनों ही मिल कर संभालते हैं । वो भी आरव के पापा के फ्रैंड हैं । इसी लिए आरव के पापा इन सभी को अच्छे से जानते हैं । सौम्या का भी फैमिली बैकग्राउंड अच्छा है । इसी लिए सौम्या और आदित्या के रिश्ते के लिए उनके पैरेंट्स एक बार में ही मान गए थे । शिवानी की फैमिली भी बिजनेस में अव्वल थी पर उसके बड़े भाई को फैमिली बिजनेस में कोई दिलचस्पी नहीं थी इस लिए उन्होंने पुलिस की साइट चुनी , और वो आज आईपीएस अधिकारी हैं मुंबई में ।
कायरा घर से अपना बैग उठा कर अपनी मम्मा को बाय बोल कर कॉलेज के लिए निकलती है और कॉलेज आ कर रूही का वेट करती है । क्योंकि रूही ने कहा था के उसे थोड़ा लेट हो जाएगा । इस लिए कायरा उसका वेट कर रही थी । रूही आ जाती है और कायरा से बोलती है ।

रूही - सॉरी, सॉरी यार , वो आज लेट हो गया ।

कायरा - कोई बात नहीं ।

रूही को आरव और सभी फ्रेंड्स कैंटीन में बैठे दिखाई देते हैं वो कायरा को बताती है । और दोनों वहीं चले जाते हैं । आरव कायरा को देखता है तो फिर से उसमे खो जाता है । रूही सभी को एकसाथ देख कर सभी को हाय बोलती है बदले में सभी हैंड शेक करते हैं । आरव को छोड़ कर सभी कायरा से भी हाय बोलते हैं । बदले में कायरा भी सभी को हैलो में जवाब देती है । तभी मीशा वहां आ जाती है और वो आरव को देखती है जो कायरा को देख रहा होता है और मीशा मन ही मन बहुत ज्यादा गुस्सा होती है । और बिना हाय हैलो के ही सभी से तेज आवाज में बोलती है जिससे आरव का भी ध्यान कायरा से हट कर मीशा पर चला जाता है ।

मीशा - तुम सब यहां क्या कर रहे हो ? चलो क्लास का टाइम हो गया है ।

सौम्या - हां चल रहे हैं । पर तुम इतनी तेज़ आवाज़ में क्यों बोल रही हो? हम सभी बहरे नहीं है मीशा ।

मीशा - सॉरी वो गलती से हो गया ।

आरव - कोई बात नहीं । चलो सब क्लास चलते है ।

सभी क्लास चले जाते हैं । अपनी कुछ क्लासेस अटेंड कर सभी फिर से कैंटीन में आते हैं । कुछ खा कर फिर सभी क्लासेस चले जाते हैं । सभी आगे चल रहे होते हैं के तभी कायरा का दुपट्टा सीढ़ीयों की रेलिंग में अटक जाता है और जैसे ही वो गिरने वाली होती है के पीछे से आरव जो कि कैंटीन का बिल पे कर पीछे आ रहा होता है वो कायरा को देख लेता है और कायरा को संभाल लेता है । और आरव फिर से कायरा में खो जाता है । पर इस बार सिर्फ आरव ही नहीं बल्कि कायरा भी आरव की नीली आंखो की गहराइयों में खो जाती है । पीछे से किसी का आरव को धक्का लगता है और वो दोनों होश में आते हैं । आरव कायरा को सीधा खड़ा करता है और कायरा का दुपट्टा निकाल कर उसके हाथ में देता है। जब आरव और कायरा का हाथ एक दूसरे से टच होता है तो दोनों को ही एक मीठी सी सिहरन होती है । कायरा तुरंत अपना हाथ पीछे खींच लेती है। और आरव को थैंक्यू बोलती है । आरव भी उसे वेलकम बोलता है । और कहता है ।

कायरा - थैंक्यू।

आरव - वेलकम , चलिए हमे क्लास अटेंड कर लेनी चाहिए ।

कायरा - जी , चलिए ।

वहां कायरा और आरव को एक साथ आते देख मीशा फिर से मन ही मन गुस्सा होती है। आरव और कायरा के आते ही मीशा आरव के साथ बैठ जाती है । और कायरा रूही के साथ बैठ जाती है । आरव और कायरा दोनों ही थोड़ी देर पहले हुए वाक़िए के बारे में सोचते रहते हैं के तभी उनका बैचमेट आ कर सभी को बताता है के आज की क्लासेस कैंसल हो गई हैं । इतना सुनते ही सभी क्लास से बाहर आ जाते हैं । तभी राहुल बोलता है ।

राहुल - चलो ना हम लोग कही घूमने चलते हैं।

आरव - नहीं यार , अगर घूमने गए तो बहुत टाइम लगेगा । और तुम लोगो को पता है के आज मुझे घर जल्दी पहुंचना है ।

नील - ठीक है , तो हम लोग ग्राउंड चलते हैं । थोड़े देर वहीं बैठते हैं , फिर सभी साथ में घर चलते हैं ।

सभी एक साथ - हां ठीक है ।

रूही कायरा को इस तरह चुप चुप सा देखती है तो इशारे से पूछती है के क्या हुआ? कायरा कुछ नहीं में जवाब देती है । और सभी ग्राउंड की ओर चले जाते हैं । रूही आज कुछ उदास सी होती है । जिसके ऊपर किसी का ध्यान नहीं जाता राहुल के अलावा । पर वो सब को साथ देख कर रूही से कुछ नहीं पूछता है । सभी साथ में बैठ कर अपनी स्टडीज के बारे में बातें करने लगते हैं, के तभी अंशिका वहां आती है और वो आरव को ग्राउंड में बैठा देख आरव को आवाज़ लगते हुए उन सभी के पास आ जाती है ।

अंशिका - भाई

आदित्या - अरे अंशिका , हाय , तुम यहां क्या कर रही हो?

अंशिका - हेलो भैया । मैं अपनी फ्रेंड को ढूढ़ते हुए यहां आ गई थी पर पता नहीं वो कहां चली गई ? पर भाई को देखा तो चली आई आप लोगो के पास।

राहुल - अच्छा किया , हमारी क्लास कैंसल हो गई है तो हम सभी यहां आ कर बैठ गए ।

सौम्या - अंशिका तुम भी बैठो ना हमारे साथ ।

अंशिका - जी ।

अंशिका आरव के बगल में बैठ जाती है । नील आरव से कहता ।

नील - आरव हमारे न्यू फ्रेंड्स से अंशिका को नहीं मिलाओगे ? और रेहान भी अंशिका से कभी नहीं मिला है । मिलवाओ भई सभी से अंशिका को ।

आरव - मीट माय यंगर सिस्टर , अंशिका शर्मा । इसने यही हमारे ही कॉलेज में बीएससी बायो लिया है । और ये अभी फर्स्ट सेम में है ।

अंशिका ( शिवानी से ) - हाय ।

शिवानी - हाय , बहुत प्यारा नाम है वैसे तुम्हारा ।

अंशिका - थैंक्यू ।

अंशिका जैसे है कायरा और रूही की तरफ हाथ बढ़ाती है । दोनों को देख कर चौंक जाती है । और कायरा से बोलती है ।

अंशिका - आप तो वहीं हो ना? वो उस दिन ....

अंशिका आगे बोल ही रही होती है के रूही बीच में बोलती है ।

रूही - हां ये वही है और मैं भी वहीं हूं ।

अंशिका - पर आप लोग भाई और उनके फ्रेंड्स के साथ कैसे?

रूही - हम दोनों भी आपके भाई की क्लास में पढ़ते हैं ।

मीशा जान बूझ कर बात को पलटते हुए अंशिका से कहती है ।

मीशा - सब से मिली और मुझसे नहीं मिलोगी अंशिका ?

अंशिका ( मीशा के गले लगते हुए ) - अरे ऐसे कैसे नहीं दी? मैं आपको कैसे भूल सकती हूं ? आखिर आप भी तो भाई की बेस्ट फ्रैंड हो ।

मीशा बहुत खुश होती है । और कायरा को जान बूझ कर इंगनोर करके अंशिका से बातें करती है । इस वजह से अंशिका रेहान से मिलना भूल जाती है और बाकी सब भी बात करने लगते हैं । कायरा इन सब पर ध्यान नहीं देती पर रूही को मीशा का बिहेव अच्छा नहीं लगता पर वो अंशिका को देख कर कुछ नहीं बोलती । उन्हीं में से कोई दो आंखे अंशिका को बड़े प्यार से देख रही होती है । अंशिका को एहसास होता है के कोई उसे देख रहा है । जब वो अपने आस - पास देखती है तो उसे कोई दिखाई नहीं देता । और वो फिर से सभी से बातें करने लगती है । जब अंशिका इधर उधर देखती है तो वो इंसान अपनी नजरें नीचे कर लेता है और अंशिका को फिर से बात करते देख उसे फिर से देखने लगता है , क्योंकि शायद वो अंशिका को देखे बिना रह ही नहीं पाता । अंशिका को उसकी फ्रैंड बुला लेती है । अंशिका सभी को बाय बोल कर चली जाती है । वो इंसान तब तक अंशिका को देखता रहता है जब तक अंशिका आंखो से ओझल नहीं हो जाती । सभी अपने अपने घर जाने का डिसाइड करते हैं । और नील रेहान को बोलता है ।

नील - चल भाई ! घर नहीं चलना है क्या आज?

रेहान - चलना है ना भाई । चल ।

सभी अपने अपने घर आ जाते हैं । कायरा कॉलेज से सीधे अंश के कोचिंग क्लासेस का पता करने जाती है । और जरूरी फॉर्मेलिटीज़ पूरी कर और फीस पे कर घर आ जाती है । घर आ कर फ्रेश हो कर चाए पीते हुए कायरा टीवी देखती है । दादी उसको टीवी देखते देख फिर से गुस्सा करने लगती है ।

राधा जी - ए लड़की , टीवी क्या देख रही है ? जा घर के कुछ काम धाम सीख अपनी मां से । ससुराल जायेगी तो क्या मुंह दिखाएगी सबको ? सब बोलेंगे के खाना बनाना भी नहीं आता इस लड़की को ।

कायरा एक बार फिर अपना सा मुंह ले कर किचेन कि ओर चली जाती है । अंश उसे इस तरह जाते हुए देखता है तो वो भी पीछे पीछे कायरा के पास जाने लगता है । राधा जी अंश को किचेन में जाते देख अंश से पूछती है।

राधा जी - तू कहां जा रहा अंश ?

अंश - किचेन में मम्मा की हेल्प करने ।

राधा जी - पर तू क्या करेगा घर के काम सीख कर , ये सब लड़कियों के काम हैं । तू बैठ टीवी देख।

अंश - क्यों दादी ? नाम थोड़ी ना लिखा है किसी काम पर के ये लड़कियों के काम हैं और ये लड़कों के । और मैं भी कल को कहीं बाहर गया तो किसी पर आश्रित तो नहीं रहूंगा । और वैसे भी जैसे दीदी का काम सीखना जरूरी है वैसे ही मेरा भी काम सीखना जरूरी ही हुआ ।

मालती जी और कायरा अंश और दादी की बातें सुन कर किचेन से बाहर आ जाती हैं ।

राधा जी - अब तू मुझे बताएगा के लड़कों को क्या सीखना चाहिए और लड़कियों को क्या ?

अंश - दादी, मैं आपको कुछ भी नहीं सिखा रहा हूं , बस बता रहा हूं के जितना ये सारे काम दीदी के लिए जरूरी है उतने ही मेरे लिए भी जरूरी हैं।

अंश और दादी को ऐसे बहस करते देख कायरा अंश को डांटते हुए कहती है ।

कायरा - ये क्या तरीका है अंश बड़ों से बात करने का ?

अंश - दीदी मैं सही तो बोल रहा हूं । दादी खामखां गुस्सा हो रही है ।

कायरा - अंश , दादी से माफी मांग , ये कोई तरीका नहीं होता है अपनी बात रखने का , दादी बड़ी है ।

राधा जी ( बीच में ही ) - अब तू सिखाएगी मेरे पोते को के किससे कैसे बात करना चाहिए ? ये हम पोते और दादी के बीच का मामला है हम आपस में सुलझा लेंगे ।

अंश - देखा दीदी । दादी हमेशा आपको सुनाती रहती हैं । और आप कभी उनको कुछ नहीं कहती हो ।

दादी और अंश के इस तरह से बोलने से कायरा शांत हो जाती है और किचेन में चली जाती है। मालती जी अंश को आंख दिखाते हुए बोलती हैं ।

मालती जी - गलती की है अंश तो माफी मांगो , अभी के अभी ।

अंश मालती जी को गुस्से में देख कर दादी से बिना बात को आगे बढ़ाए माफी मांग लेता है ।

अंश - सॉरी दादी माफ कर दीजिए आगे से ऐसे नहीं बोलूंगा ।

राधा जी - हां ठीक है , ये सब इस लड़की के कारण है ।

मालती जी ( अंश को बोलती हैं ) - अंश जा कर चुप - चाप अपने रूम में जाकर पढ़ाई करो ।

अंश - जी मम्मा ।

अंश अपने रूम में पढ़ाई के लिए चला जाता है और मालती जी भी किचेन में आ जाती हैं ताकि बात और आगे ना बढ़े । कायरा अपने आंसुओ को मालती जी के आने से पहले ही साफ कर लेती है । और किचेन का काम करने कहती है । उधर आरव घर पहुंच कर सभी को बताता है के उसके फ्रेंड्स साथ में काम करने के लिए मान गए है । मिस्टर शर्मा भी वहीं होते हैं । मिस्टर शर्मा बोलते हैं।

मिस्टर शर्मा - अरे वाह , ये तो बहुत अच्छी बात है । अरनव फिर सब कुछ रेडी है ना?

अरनव - जी पापा , सब कुछ रेडी है ।

मिस्टर शर्मा - तो ठीक है , पंडित जी के हिसाब से कल का मुहूर्त शुभ है। दोपहर 1 बजे का , तो कल ही ओपनिंग कर लेते हैं ।

सुनयना जी - जी , ये सही रहेगा , शुभ काम में वैसे भी देरी नहीं करनी चाहिए । सही है ना आरव ।

आरव - जैसा आप लोग ठीक समझे ।

मिस्टर शर्मा - तो तय रहा कल ही कंपनी की ओपनिंग करेंगे । आरव तुम अपने फ्रैंड्स को बता दो , सुनयना जी आप पूजा का देख लीजिएगा । अरनव तुम अंशिका और खुशी मिल कर गेस्ट्स को इन्वाइट कर लेना ।

सभी एक साथ - जी ।

सभी अपने अपने काम में लग जाते हैं । और मिस्टर शर्मा आरव के साथ कुछ पेपर वर्क करने लगते हैं । सभी डिनर कर अपने अपने रूम में आराम करने चले जाते हैं । क्योंकि कल ओपनिंग के कारण सभी को सुबह जल्दी उठ कर बहुत सारा काम करना होता है। इस लिए सभी जल्दी ही सो जाते हैं। आरव भी काम की वजह से जल्दी सो जाता है। कायरा के यहां भी सभी डिनर करके सोने चले जातें है। सुबह कायरा को मालती जी उठाने आती है । वैसे तो कायरा को सुबह उठाने की जरूरत तो नहीं पड़ती है पर सनडे को कायरा आराम से ही उठती है। और आज सनडे था इस लिए कायरा सुबह के 8 बजे तक सोई हुई थी । मालती जी कायरा के सर पर हाथ फेरते हुए बोलती हैं ।

मालती जी - कायरा बेटा उठ जाओ , सुबह हो गई है ।

कायरा ( आंखे मलते हुए ) - बस 5 मिनिट और मम्मा ।

मालती जी - उठ जा बेटा देख 8 बज गए हैं ।

कायरा जैसे ही सुनती है कि 8 बज गए हैं , जल्दी से उठ कर बैठ जाती है। क्योंकि वो जानती है अगर और थोड़ी देर तक सोई तो दादी आकर फिर से शुरू हो जाएंगी । कायरा मालती जी से बोलती है।

कायरा - मम्मा आप चलो मैं आती हूं नीचे।

मालती जी - ठीक है बेटा ।

कायरा तैयार हो कर नीचे आ जाती है। और अपनी मम्मा की हेल्प करने लगती है । मालती जी कायरा को बोलती हैं ।

मालती जी - बेटा ये चाए अपने पापा को दे आना तो , वो ऊपर बालकनी में बैठे हैं ।

कायरा - जी मम्मा मैं चाए देकर आती हूं।

कायरा देवेश जी को चाए देती है और अंश की कोचिंग के बारे में बताती है ।

कायरा - पापा ये आपकी चाए ।

देवेश जी - थैंक्यू बेटा ।

कायरा ( वहीं काउच पर बैठ कर ) - पापा वो अंश का एडमिशन कोचिंग क्लास में करवा दिया है। और वहां का माहौल भी अच्छा है । और मैने पता किया था वहां अच्छी पढ़ाई होती है। पर पापा वहां की फीस सच में बहुत ज्यादा है।

देवेश जी - कितनी फीस है बेटा?

कायरा - पापा तीनों सब्जेक्ट की मिला कर हर मंथ की तीस हजार है ।

देवेश जी ( चौंक कर ) - क्या ? तीस हजार ! पर अंश को तो एक ही सब्जेक्ट की कोचिंग क्लास जाना था ना?

कायरा - पापा जब मैंने अंश से बात की तो पता चला के उसे तीनों मेन सब्जेक्ट्स में डाउट है । तो मैंने उसे ध्यान में रख कर उसका तीनों सब्जेक्ट में एडमिशन करवा दिया है। तब मेरे पास दस हजार रूपए थे तो मैंने संबिट कर दिए हैं। बाकी की फीस कल जामा करनी होगी । वरना डेमो क्लास के बाद बिना फीस के उसे उस इंस्टीट्यूट में पढ़ने नहीं दिया जायेगा ।

देवेश जी - ठीक बेटा , आप ने अच्छा किया । कल कॉलेज जाने से पहले मैं आपकी मम्मा को बाकी के पैसे दे दूंगा । आप जाने से पहले ले लेना ।

कायरा - ठीक है पापा ।

इतना बोल कर कायरा नीचे आ जाती है पर देवेश जी टेंशन में आ जाते हैं । उधर आरव के घर सुबह से ही सब दौड़ - भाग कर रहे होते हैं । और सभी सारा समान चेक कर पहले फैक्ट्री की पूजा के लिए निकलते हैं । वहां पर पूजा के बाद सभी कंपनी की ओर निकलते हैं । और वहां भी पूजा की जाती है , जिसमें आरव के सभी फ्रेंड्स होते हैं । और सभी बड़े बड़े बिजनेस मेन भी होते हैं जो आरव को आशीर्वाद देते हैं उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए । पूजा ख़तम होने के बाद आरव अपने मम्मा पापा से रीबिन कट करवाता है। और सभी अंदर आते हैं । मिस्टर शर्मा आरव को उसका ऑफिस दिखाते हैं। जो कि काफी बड़ा और सुंदर होता है। दोनों ऑफिस देख कर बाहर आते हैं । वहीं पर कई लोग आरव के कंपनी से बिजनेस डील करने भी आते हैं । उनमें से एक आरव से हाथ मिलाते हुए कहते हैं ।

मिस्टर जायसवाल - कंग्रॅजुलेशनस मिस्टर आरव ।

आरव - थैंक्यू ।

मिस्टर जायसवाल - अब कंपनी की ओपनिंग हो गई है तो काम की बात भी कर लेते हैं ।

तभी राहुल , नील , आदित्या और अरनव भी उन्हीं लोगों के पास आते हैं और उनकी बाते सुनने लगते हैं । आरव मिस्टर जायसवाल से ।

आरव - जी मैं कुछ समझा नहीं।

मिस्टर जायसवाल - अब ये कंपनी शर्मा कंस्ट्रक्शन से जुड़ी हुई है तो ये तो तय है के इस कंपनी का काम भी शर्मा कंट्रक्शन की तरह ही अव्वल दर्जे का होगा । तो हम बिना देरी किए आपकी कंपनी के साथ डील साइन करना चाहते हैं।

आरव - पर मिस्टर जयसवाल , अभी तो हमने डिज़ाइन और प्रेजेंटेशन भी तैयार नहीं की है , क्योंकि सब इतनी जल्दी में हुआ है के हमे उसके लिए टाइम ही नहीं मिला ।( राहुल बीच में ही बोलता है।)

राहुल - अरे आरव , तू उसकी टेंशन मत ले । जब रात में तूने हमे बताया के आज ही ओपनिंग होने वाली है तो रात में ही नील , आदि और मैंने मिल कर कुछ डिजाईन बना लिए थे और आदि को तो इन सब का पता ही है । तो उसकी हेल्प से हमने कुछ प्रेजेंटेशन भी बना ली थी । हम आज तुझे ये दिखाने ही लाए थे ।

आदित्या - हां आरव , अब जब जयसवाल जी बोल रहे हैं , तो हमने जो तैयार किया है उसे दिखा देते हैं। अगर इन्हें पसंद आयेगा तो ठीक और अगर नहीं पसंद आया तो फिर किसी और दिन मीटिंग फिक्स कर लेंगे , क्यों जयसवाल जी आपको तो कोई प्रॉब्लम नहीं है ना?

मिस्टर जयसवाल - जी मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है ।

मिस्टर शर्मा - तो फिर चलते है , प्रेजेंटेशन हाल में ।

सभी प्रेजेंटेशन हाल में चले जाते हैं जहां , मिस्टर शर्मा , अरनव , आरव , राहुल , नील , मिस्टर जयासवाल के अलावा और भी कई लोग होते हैं जो आरव के साथ बिजनेस डील करना चाहते थे । आदित्या सभी को प्रेजेंटेशन दिखाता है। जिसे देख कर सभी खुश होते हैं । और सभी आरव की कंपनी की खूब तारीफ करते हैं । मिस्टर जयसवाल आरव से कहते हैं ।

मिस्टर जयसवाल - ब्रिलिएंट , आपकी प्रेजेंटेशन तो काबिले तारीफ है। आपने तो पहले ही दिन कमाल कर दिया आरव जी । आप बहुत जल्दी ही कंपनी को बहुत उच्च स्तर पर ले कर जायेंगे ।

आरव - जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका , पर जैसे कि आपको पता है ये प्रेजेंटेशन मैंने नहीं बनाई है। ये प्रेजेंटेशन मेरे फ्रेंड्स आदित्या , नील और राहुल ने बनाई है । तो इस तारीफ के असली हकदार ये तीनों है मैं नहीं ।

सभी तीनों के लिए ताली बजाते हैं। और तीनों को बधाई देते हैं । मिस्टर जयसवाल आरव की कंपनी के साथ डील साइन कर लेते हैं और साथ ही और भी डीलर आरव की कंपनी के साथ डील साइन करते हैं । इस तरह से पहले ही दिन तीन बड़ी डील साइन हो जाती है । सभी अपने घर की ओर आते हैं । तब तक शाम हो जाती है। कायरा भी आज दिन भर अपने कामों में बिज़ी रहती है । क्योंकि सनडे के दिन अपने बचे हुए सारे काम कायरा करती है । जब कायरा थक जाती है तो थक कर रात का डिनर कर अपने रूम में चली जाती है और थकावट के कारण उसे जल्दी ही नींद आ जाती है और सो जाती है । आरव भी डिनर करके आराम करता है क्योंकि आज की भाग - दौड़ में वो भी थका होता है और बेड पर लेटते ही उसे नींद आ जाती है । सुबह फैक्ट्री के कामों के कारण और ऑफिस वर्क के कारण आरव कॉलेज नहीं जाता । और कायरा कॉलेज पहुंच कर आज किसी को ढूढ़ रही ही होती है । जब उसे वो व्यक्ति कहीं नहीं दिखता तो वो रूही के साथ क्लास की ओर चली जाती है । क्लास में पहुंचते ही आरव कायरा को कहीं नहीं दिखता । वैसे तो कायरा आरव के ऊपर गुस्सा ही करती रहती थी हमेशा पर परसों के इंसिडेंट के बाद कायरा कॉलेज में आरव को मिस करने लगी थी । और ऐसा कायरा के साथ क्यों हो रहा था इसका पता उसे नहीं था । रूही और कायरा सभी के साथ बैठ जाते हैं । और रूही आरव को उन लोगो के साथ ना देख कर पूछती है ।

रूही - आरव कहां है ? आज दिखाई नहीं दे रहा है।

आरव का नाम सुनते ही कायरा रूही की बातों पर गौर करने लगती है । नील सभी को बताता है ।

नील - वो आरव को कुछ जरूरी काम है इस लिए वो आज कॉलेज नहीं आएगा।

नील की बात सुन कर कायरा थोड़ी सी उदास हो जाती है । पर तब भी सबके सामने मुस्कुराती रहती है ताकि किसी को उसकी उदासी की भनक भी ना लगे । तभी क्लास में प्रोफेसर आ जाते है और सभी पढ़ाई करने लगते है । आज कायरा आरव को हर जगह मिस कर रही थी । भले ही उससे मिले दो दिन ही क्यों ना हुआ हो और उससे दोस्ती भी नहीं हुई हो पर कायरा को कुछ तो उसकी ओर आकर्षित कर रहा था । अब ये क्या था कायरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था । सभी अपने अपने घर चले जाते है । नील , राहुल और आदित्या कॉलेज से ही आरव के ऑफिस चले जाते है। वहां आरव और उसके फ्रेंड्स देर तक काम कर रहे होते हैं। क्योंकि वर्क लोड कुछ ज्यादा ही होता है । आरव और बाकी सभी देर रात अपने घर पहुंचते हैं । और थके होने के कारण सभी जल्दी ही सो जाते हैं । कायरा भी सभी के साथ डिनर कर अपने रूम में चली जाती है । और पढ़ाई करने लगती है । करीब दो घंटे बाद कायरा को प्यास लगती है । और वो देखती है के उसके रूम के जग में पानी खतम हो गया है । वो किचेन से पानी लेने जाती है और जब वापस आती है तो उसे अपने मम्मा - पापा के रूम की लाइट चालू दिखती है वो सोचती है के अभी तक मम्मा पापा क्यों नहीं सोए हैं जबकि वो लोग तो जल्दी सो जाते हैं। वो उनके कमरे की तरफ जाती है । जहां देवेश जी और मालती जी आपस में बात कर रहे होते हैं । कायरा दोनों की आवाज़ सुन बाहर दरवाज़े के पास ही दीवाल से लग कर खड़ी हो जाती है । देवेश जी मालती जी से कहते हैं ।

देवेश जी - मालती जी , आप ही बताइए मैं क्या करू ? प्रोफेसर की इतनी भी इनकम नहीं होती है के वो अपने बच्चो की सारी ख्वाहिश पूरी कर सके । इस बार साठ हजार में तीस हजार तो अंश की कोचिंग क्लास में ही चले गए और अभी तो बहुत सारे घर खर्च और मां की दवाइयों का खर्चा भी बाकी है । मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है के मैं कैसे सब संभालूं ?

मालती जी - आप चिंता क्यों कर रहे हैं । मेरे पास कुछ पैसे हैं जो कि मैं घर खर्च से बचा कर रखती थी ताकि कभी जरूरत पड़े तो उपयोग कर सकूं । पर कभी जरूरत ही नहीं पड़ी तो वो पैसे रखे हैं । हम इस महीने का खर्च तो आराम से उस पैसे से और आपकी बची हुई इनकम से चला सकते हैं ।

देवेश जी - माफ कीजिए मालती जी । मैं आपको कभी ये सब नहीं बताने वाला था पता नहीं कैसे ये सब आपको पता चल गया । पर अगले महीने मुझे पैसों का इंतजाम करना ही होगा ।

मालती जी - उसकी कोई जरूरत नहीं पड़ेगी । मैं सिलाई सेंटर खोल लूंगी । उससे आसानी से सब कुछ संभल जायेगा ।

देवेश जी - नहीं मालती जी , मैं आपको ये सब नहीं करने दूंगा । आप वैसे भी घर के कामों में उलझी रहती हैं । और इससे आप को और तकलीफ होगी । जो कि मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता।

मालती जी - पर........।

देवेश जी ( बीच में ही ) - नहीं , मैं अभी जिंदा हूं । मैं सब संभाल लूंगा । बस घर में मां और बच्चों को ये सब पता नहीं चलना चाहिए । मैं नहीं चाहता के सभी परेशान हो ।

मालती जी - ठीक है । जैसा आप ठीक समझे। पर अभी आप दवाई खा कर आराम करें वरना आपका बीपी फिर बढ़ जाएगा और फिर तकलीफ होगी ।

मालती जी देवेश जी को दवाई खिला कर लाइट ऑफ कर सो जाती हैं । दरवाज़े के पास खड़ी कायरा ये सब सुन लेती है। और उसकी आंखो में आंसू आ जाते है। हाथ में जो पानी का जग होता है वो उसके हाथ से छूटने लगता है पर कायरा जग को संभाल लेती जिससे किसी को पता नहीं चलता के कायरा देवेश जी और मालती जी के कमरे के सामने थी । और कायरा रोते हुए बिना आवाज़ किए अपने कमरे में चली जाती है। और बहुत देर तक ऐसे ही रोते हुए अपने मम्मा पापा की बात को सोचने लगती है। और निश्चय करती है के वो अपनी मम्मा को सिलाई सेंटर नहीं खोलने देगी क्योंकि उससे उनके लिए बहुत काम बढ़ जायेगा और वो अपनी सेहत पर भी ध्यान नहीं दे पाएंगी । कायरा मन ही मन कुछ डिसाइड करती है और अपना लैपटॉप खोल कर उसमे कुछ सर्च करती है । जब उसे वो चीज़ मिल जाती है । लैपटॉप बंद कर वो सो जाती है । कायरा सुबह जल्दी उठ कर सभी के लिए नाश्ता बनाती है। मालती जी सुबह से कायरा को किचेन में देख कर कायरा से पूछती हैं ।

मालती जी - कायरा बेटा , आज क्या बात है ? सुबह से सभी के लिए नाश्ता बना रही हो ? कुछ चाहिए है क्या बेटा ?

कायरा - नहीं मम्मा , मुझे आप लोगो ने इतना पढ़ाया लिखाया है और मेरे बिना बोले ही आप लोग मेरी सारी इक्छाए पूरी कर देते हो । इस लिए मुझे कुछ नहीं चाहिए मम्मा । बस आप लोग अपना आशीर्वाद मुझ पर बनाए रखिए ।

मालती जी - हमारा आशीर्वाद हमेशा अपने बच्चो के साथ रहता है बेटा । लाओ मैं तुम्हारी कुछ मदद कर देती हूं ।

कायरा - नहीं मम्मा । सब बन गया है । बस आप ये सब डायनिंग टेबल पर रख दीजिए और सभी को नाश्ते के लिए बुला लीजिए ।

मालती जी सभी को नाश्ते के लिए बुलाती हैं। और नाश्ता टेबल पर लगती हैं । सभी साथ बैठ कर नाश्ता करते हैं । कायरा अपने मम्मा पापा को एक नजर देखती है और देवेश जी से बोलती है .........।

क्रमशः