Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 11

एहसास प्यार का खूबसूरत सा ( भाग - 11 )



कायरा थोड़ी देर पहले के आरव के गुस्से को ले कर सोच रही थी ।

कायरा ( मन में सोचते हुए ) - आखिर बात इतनी कैसे बिगड़ गई के आरव मेरी तरफ एक बार भी देख तक नहीं रहे हैं । कॉलेज से आने के बाद से तो उन्होंने मुझसे मिलना तक जरूरी नहीं समझा । पर क्यों ? ऐसा क्या कर दिया है मैंने ? ( कुछ पल अपनी चेयर पर बैठ अपने चेहरे को अपने हाथों से ढंकते हुए ) उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात तो ये है के मुझसे उनकी नाराज़गी सही क्यूं नहीं जा रही ? ( ये सोचते हुए उसकी पलकें हल्की सी भीग जाती है ) हर पल उनके साथ होने से मुझे ऐसा क्यों फील होता है जैसे मेरा उनके साथ कोई कनेक्शन है । मैं क्यों उनके बारे में इतना सोचती हूं ? क्यों उनकी हर एक हरकत पर मेरी नज़र रहती है, क्यों ????

पता नहीं आखिर तुमसे क्या रिश्ता है ???
पर जो भी है , कभी सुकून तो कभी दर्द देता है ....।

तभी आदित्या कुछ फाइलों के साथ कायरा के केबिन में आता है । कायरा किसी की आने कि आहट सुन जल्दी से अपनी चेयर घुमा कर अपने आंसू साफ करती है और एक हल्की झूठी मुस्कान लिए चेयर के साथ दरवाज़े की ओर पलटती है जहां उसे आदित्या फाइलों के साथ दिखता है । आदित्य फाइलों को कायरा की टेबल के ऊपर रख सामने वाली चेयर में बैठता है और कायरा से कहता है ।

आदित्य - कायरा ! ( फाइलों की ओर इशारा करते हुए ) हमें ये सारे डील के लिए प्रेजेंटेशन और डिजाइंस तैयार करनी है। राहुल आज नहीं है तो मैं तुम्हारी इस काम में हेल्प करूंगा ।

कायरा ( मुस्कुराते हुए ) - ओके ।

दोनों ही दो - ढाई घंटे तक लगातार उसी काम में उलझे रहते हैं । जब उन लोगों का काम ख़तम हो जाता है तब लगभग तीन बज रहे होते हैं । और उन लोगो का लंच टाइम भी ओवर हो चुका होता है । आदित्य कायरा से कहता है ।

आदित्य - कायरा काम फिनिश हो चुका है चलो हम लोग लंच कर लेते हैं , मैं नील को भी बुला लेता हूं ।

कायरा ( दीवाल घड़ी की ओर देखते हुए ) - पर , लंच टाइम तो ओवर हो चुका है ।

आदित्य - तो क्या हुआ ? हम लंच टाइम में वर्क कर रहे थे और नील भी शायद वर्क में ही बिज़ी रहा होगा तभी तो वो हमें बुलाने भी नहीं आया । इसका मतलब उसने भी लंच नहीं किया होगा । अभी हमारे पास वर्क नहीं है तो हम फ़्री हैं तो चलो इस टाइम को यूट्रीलाइज़ करते हैं और चल कर लंच करते हैं ।

कायरा बदले में मुस्कुरा कर अपनी चेयर से उठती है और लंच बॉक्स निकालने लगती है । आदित्य उससे कहता है ।

आदित्य - मैं और नील कैंटीन में तुम्हारा वेट कर रहे हैं तुम वहीं आ जाओ ।

कायरा - ठीक है तुम चलो मैं आती हूं ।

आदित्य इतना सुन कर नील को बुलाने चला जाता है । कायरा का मन तो नहीं था खाने का पर आदित्या के इतना इंसिस्ट करने के कारण वो खाने के लिए मान गई थी । तीनों ही कैंटीन में अपना खाना ख़त्म कर अपने - अपने केबिन में चले जाते हैं । कायरा अपने केबिन में पहुंच कर कुछ अधूरे पड़े डिजाइन्स को पूरा करने लगती है ।

थोड़ी देर में आरव और राहुल भी ऑफिस वापस आ जाते हैं । आरव आते ही सीधे अपने केबिन में चला जाता है । राहुल पीयून को आरव के लिए पानी , कॉफी , कुछ खाने के लिए लंच और सिर दर्द की टैबलेट देने को कहता है और अपने लिए एक कप कॉफी और कुछ स्नैक्स खुद के केबिन में भेजने को कह अपने केबिन में चला जाता है । आरव केबिन में पहुंच कर अपना कोर्ट उतार कर अपना सिर पीछे सोफे के सहारे में रख कर बैठ जाता है। कुछ ही मिनट में उसके केबिन में पीयून राहुल का बताया हुआ सारा सामान सोफे के सामने वाली टेबल में रखता है । आरव उसे सब कुछ रखते हुए देखता है तो पूछता है ।

आरव - ये सब तो मैंने नहीं मंगाया ।

पीयून ( मुस्कुराते हुए ) - सर ये सब राहुल सर ने आपके लिए भिजवाया है ।

आरव उसकी बात पर कोई रिएक्ट नहीं करता और वैसे ही पीछे सिर टिका कर बैठ जाता है । पीयून सारा सामान रख कर केबिन से बाहर चला जाता है । उसके जाने के थोड़ी देर बाद आरव थोड़ा - बहुत रखे हुए खाने को खाता है, कॉफी पीता है और टैबलेट खा कर वहीं सोफे पर लेट जाता है और मन ही मन सोचता है ।

आरव ( मन में ) - सच में , मेरे दोस्तों को मुझे कब क्या चाहिए ये बताने की जरूरत नहीं पड़ती है । मेरे बिना बोले ही सब कुछ समझ जाते हैं और मेरा कितना खयाल रखते हैं । काश के मैं भी इन सभी के लिए कुछ कर पाता ।

यही सब सोचते - सोचते उसकी नींद पड़ जाती है और वो वहीं सो जाता है । आदित्य और नील राहुल और आरव को वापस आया सुन पीयून से दोनों के बारे में पूछते हैं पीयून उन्हें आरव के सिर दर्द और राहुल के अपने केबिन में जाने के बारे में बताता है । नील और आदित्य आरव के केबिन में जाते हैं । डोर ओपन कर वे दोनों देखते हैं के आरव सोफे पर सो रहा है । दोनों ही उसे बिना डिस्टर्ब किए केबिन के बाहर आ जाते हैं और केबिन के गेट पर डू नोट डिस्टर्ब का छोटा सा बोर्ड लगा देते हैं जिससे उसे कोई भी डिस्टर्ब ना करे । उसके बाद सीधे वो लोग राहुल के केबिन में चले जाते हैं ।

तभी कायरा अपने केबिन से बाहर आकर आरव के केबिन की ओर उससे बात करने के लिए बढ़ती है पर दरवाज़े पर डू नोट डिस्टर्ब का बोर्ड देख वापस अपने केबिन में आ जाती है और अपना काम करने लगती है । राहुल अपनी कॉफी ख़तम कर सिर अपनी चेयर से टिकाए आंखे बंद कर आज की हुई मीटिंग्स के बारे में सोच रहा था । तभी आदित्या और नील उसका ध्यान तोड़ कर दनदनाते हुए उसके केबिन में आ कर सीधे उसकी चेयर पर तशरीफ रखते हैं । नील आते ही राहुल से चहकते हुए कहता है ।

नील - व्हाट्सएप ब्रो ।

राहुल ( नरमी के साथ ठीक से बैठते हुए ) - कुछ खास नहीं यार , आज के मीटिंग्स के बारे में सोच रहा था ।

आदित्य - हम भी तुझसे यही पूछने आए थे । और आरव की तबीयत ज्यादा खराब है क्या ?

राहुल - हां उसके सिर में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था ।

आदित्य - हां शायद इसी लिए वो सो गया है ।

राहुल - हम्मम।

नील - आज की मीटिंग के बारे में बता ना क्या हुआ ?

राहुल ( टेबल पर रखी फाइल आदित्या की ओर बढ़ाते हुए ) - हमारा काम और बढ़ गया है ।

नील ( खुशी से ) - मतलब हमारी आज की सारी डील्स साइन हो चुकी हैं ????

राहुल ( मुस्कुराते हुए ) - हां , अब जहां आरव शर्मा हो वहां प्रोजेक्ट्स हमे ना मिले ये तो हो ही नहीं सकता । पर हमें ये सारे प्रोजेक्ट्स कम टाइम में ही कंप्लीट कर क्लाइंट तक जल्द से जल्द पहुंचाने हैं ।

आदित्य - उसकी टेंशन तुम लोग मत लो मैं और कायरा आज ही डिजाइंस फाइनल कर फैक्ट्री भिजवा देते हैं ।

राहुल - हां , और आगे की मीटिंग्स के लिए प्रेजेंटेशन भी बनानी है । नील तू आगे की मीटिंग्स की डेट्स फाइनल कर ले भाई ।

नील और आदित्या ( एक साथ ) - डोंट वरी , सब हो जायेगा ।

आदित्य - तू भी थका हुआ सा लग रहा है , हमारे काम कंप्लीट करते तक तू भी थोड़ी देर रेस्ट कर ले ।

राहुल - ओके गाइज़।

उसके इतना कहते ही आदित्या और नील केबिन से बाहर निकल आते हैं और राहुल फिर से अपनी पहली वाली अवस्था में आंखे बंद कर बैठ जाता है । पर इस बार वो पिछली बातें नहीं बल्कि रूही की बारे में सोच रहा था ।

राहुल ( खयालों में खोए हुए ) - आखिर रूही में ऐसा क्या है यार जो मुझे उसकी तरफ अट्रैक्ट कर रहा है । उसके साथ आज डांस करने में उसकी तरफ एक खिंचाव सा महसूस हो रहा था जो शायद कभी किसी लड़की के लिए महसूस नहीं हुआ । क्या है यार ऐसा जो मुझे उसके बारे में सोचने के लिए मजबूर कर रहा है ??? आज डांस करने के बाद वो मेरे खयालों में जैसे घर करके बैठ गई है , एक पल को भी उसका चेहरा मेरी आंखों से ओझल ही नहीं हो रहा है । ( सीट से उठ कर केबिन में चक्कर काटते हुए ) यार मैं पागल हो जाऊंगा । उसके बारे में खयाल आते ही एक अजीब सी बेचैनी महसूस होने लगती है । ये दिल जैसे मेरे बस में हो ही ना । ( अपनी चेयर पर फिर से बैठते हुए ) क्या करूं यार के मुझे थोड़ा सा चैन मिले । ( तभी उसे अपना फोन दिखता है और वो उसमे से म्यूजिक की प्लेलिस्ट पर जा कर गाना लगा देता है । और खुद से कहता है ) हां मैं थोड़ी देर गाना सुन लेता हूं शायद मुझे अच्छा लगे । ( आपने सिर सीट से टिका कर बैठ जाता है )

हम्म….
दिल क्यों ये मेरा शोर करे
दिल क्यों ये मेरा शोर करे
इधर नहीं उधर नहीं,
तेरी ओर चले

( पर शायद उसकी किस्मत कहें या फिर भगवान का इशारा गाना सुनने के बाद वो खुद को रूही के बारे में सोचने से रोक नहीं पाता और वो गाने को भी बंद नहीं करता बल्कि रूही के मिलने से ले कर आज तक के स्टेप्स सिखाने तक के बारे में सोचता रहता है । या यूं कहें के उसके खयालों में खोया हुआ रहता है । )

दिल क्यों ये मेरा शोर करे
इधर नहीं उधर नहीं,
तेरी ओर चले
हम्म… हे… हे… हो…

जरा देर में ये क्या हो गया
नज़र मिलते ही कहाँ खो गया
जरा देर में ये क्या हो गया
नज़र मिलते ही कहां खो गया
भीड़ में लोगों की वो है वहाँ
और प्यार के मेले में अकेला
कितना हूँ मैं यहाँ

दिल क्यों ये मेरा शोर करे
इधर नहीं उधर नहीं,
तेरी ओर चले
हम्म….

शुरू हो गयी कहानी मेरी
मेरे दिल ने बात ना मानी मेरी
शुरू हो गई कहानी मेरी
मेरे दिल ने बात ना मानी मेरी
हद से भी आगे ये गुजर ही गया
खुद भी परेशान हुआ और
मुझको भी ये कर गया

दिल क्यों ये मेरा शोर करे
दिल क्यों ये मेरा शोर करे
इधर नहीं उधर नहीं,
तेरी ओर चले

यही हाल कायरा का था आरव के कमरे के दरवाज़े पर डू नोट डिस्टर्ब का बोर्ड देख खुद ही डिस्टर्ब हो गई थी । जैसे उसके दिल को आरव की परेशानी के बारे में बिना किसी के बताए बगैर ही पता चल गया हो । तभी तो कायरा के लाख कोशिशों के बाद भी उसका दिल बेचैन हुए जा रहा था । और वो बेचारी इस बेचैनी की वजह भी पता नहीं कर पा रही थी ।

धीरे - धीरे ही सही ,
पर प्यार की खुमारी चारों ओर फैल रही थी ।
आहिस्ता - आहिस्ता ....,
सभी को अपने जज्बातों के आगोश में ले रही थी ।

वो ये सब सोच कर अपने केबिन की खिड़की से टेबल तक और टेबल से फिर खिड़की तक लगातार चक्कर काट ही रही थी के तभी एक बार फिर से आदित्या उसके केबिन में आ गया और उसे इस तरह से पूरे रूम में चहल कदमी करते देख उससे पूछा ।

आदित्य - क्या हुआ कायरा , तुम पूरे केबिन में ऑफिस टाइम में क्यों सुबह की तरह वॉक कर रही हो ?

कायरा उसे देख सकपका जाती है और फिर अपनी गलती छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए कहती है ।

कायरा ( बत्तीसी चमकाते हुए ) - क ..... कु ....कुछ ... न ....नहीं । वो त....तो बस ऐसे ही । ( टॉपिक चेंज करते हुए ) तुम बताओ ना ! कैसे आए ? कुछ काम था क्या मुझसे ???

इतना कह कर उचक कर अपनी चेयर पर बैठ जाती है । तब तक पीयून आदित्या के कहने पर राहुल के केबिन से आज की डील की सारी फाइल ले आता है और कायरा के वर्किंग टेबल पर रख देता है । आदित्य पहले तो कायरा के इस तरह के व्यवहार से हतप्रभ हो आंखे बड़ी - बड़ी कर उसे देखता है पर जैसे ही उसे फाइलों का अंबार देख काम की बात याद आती है वो ये सारी चीजें साइड में रख कर चेयर पर बैठता है और कायरा से कहता है ।

आदित्य - हां , आरव और राहुल मीटिंग से आ गए हैं , और सारी डील्स साइन हो चुकी हैं । ( फाइल्स के अंबार से ऊपर की फाइल उठाते हुए और उसे खोल कर पढ़ते हुए कहता है ) ये सारी फाइल्स उसी की हैं । हमें आज ही डिज़ाइन बना कर और पिछली डिजाइंस में क्लाइंट के अकॉर्डिंग करेक्शन कर फैक्ट्री में पहुंचानी है क्योंकि क्लाइंट को जल्द से जल्द उनका प्रोजेक्ट कंप्लीट चाहिए ।

कायरा ( आदित्या के चुप होते ही तपाक से पूछती है ) - आरव सर .....। ( बस इतना ही कह पाती है । आदित्य फाइल में ही आंखे गड़ाए हुए उससे कहता है )

आदित्य - हां , उसके सिर में बहुत ज्यादा दर्द था तो वो टैबलेट खा कर आराम कर रहा है ।

ये सुन कर कायरा को आरव की और ज्यादा चिंता होने लगती है पर सुकून उसे इस बात का होता है के चलो आरव कम से कम आराम तो कर रहा है । आदित्य उसे फाइल्स और क्लाइंट के अकॉर्डिंग सेलेक्ट किए डिजाइंस दिखा देता है । कायरा क्लाइंट के अकॉर्डिंग ही करेक्शन करने लगती है । लगभग एक से डेढ़ घंटे में उनका काम ख़तम हो जाता है । तभी नील राहुल के साथ आगे होने वाली मीटिंग्स की डिटेल्स ले कर आ जाता है । राहुल जो कि शायद अब रूही के खयालों से बाहर आ चुका था या फिर कहें खुद को उसके खयालों से बचाने के बहाने ढूंढ़ रहा था, आखिर में उसे नील के द्वारा काम मिल ही जाता है और वो उनसे कहता है ।

राहुल - ये नील ने सारी डिटेल्स निकाल ली हैं। तुम दोनों यहीं थे तो मैं और नील भी यहीं आ गए ।

आदित्य ( डिजाइंस समेटते हुए ) - हमारा तो सारा काम हो चुका है, और मुझे तो फैक्ट्री जाना होगा ये सारे डिजाइन्स देने और कल क्लाइंट को पहुंचने वाले सामान की प्रिपरेशन देखने और फिर उसे पैक करवा कर गोडाउन में भी रखवाना है । तो मैं तो तुम लोगों को ज्वाइन नहीं कर सकता पर कायरा जरूर तुम लोगों को ज्वाइन कर सकती है ।

कायरा आदित्या की बात पर बस मुस्कुरा कर रह जाती है क्योंकि डेली तो आरव उसे कामों में उलझाए रखता था । आज आरव कोई काम नहीं दे रहा है तो उसके एवज़ में ये तीनों लंगूर कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे ।

राहुल आदित्या के बगल वाली चेयर पर बैठते हुए कहता है ।

राहुल - चल ठीक है तू जा हम तीनों ये काम कर लेंगे ।

नील ( केबिन में रखे सोफे पर बैठते हुए ) - अच्छा ये बताते जा फैक्ट्री से सीधा घर जायेगा के वापस ऑफिस आएगा । पता चला हम लोग यहां वेट कर हैं और महाशय घर में पहुंच कर अपने बेड पर खर्राटें मार रहे हैं ।

उसकी इस बात पर सभी हंसने लगते हैं । आदित्य वैसे ही मुस्कुराते हुए कहता है ।

आदित्य - अरे नहीं भाई , मैं वापस ऑफिस आऊंगा। ( कायरा से )कायरा ज़रा एक मिनट यहां आना ( कायरा आदित्य के पास चली जाती है जो फाइलें लिए दरवाज़े के पास फैक्ट्री जाने के लिए तैयार खड़ा था ) कायरा तुम आज घर जाने से पहले मेरा वेट करना , मैं जल्दी आने की कोशिश करूंगा । मुझे तुमसे कुछ बात करनी है ।

कायरा ( चिंता जताते हुए ) - पर आदि , मैं लेट हो जाऊंगी और लगातार दो - तीन दिनों से मैं लेट ही हो रही हूं ।

आदित्य ( आग्रह करते हुए ) - प्लीज़ कायरा , मुझे सुबह के इंसिडेंट को लेकर तुमसे कुछ बात करनी है ।

सुबह के बारे में बात करने का सुन कर कायरा एक बार में ही एग्री हो जाती है । और आदित्य से कहती है ।

कायरा - ओके , पर जल्दी आना , क्योंकि मैं हो सकता है ज्यादा देर वेट ना कर पाऊं ।

आदित्य - ओके , आई विल ट्राय ।

कह कर वो केबिन से बाहर निकल जाता है और ऑफिस से निकल कर सारे फाइल्स को कार में रख कर सीधे फैक्ट्री की तरफ अपनी कार घुमा लेता है । राहुल, कायरा और नील अपने काम में लग जाते हैं और प्रेजेंटेशन के साथ में डिजाइंस बनाने लगते हैं ।

लगभग सात बजे के करीब आरव की आंख खुलती तो वह अपने चारो ओर केबिन में देखता है जहां अंधेरा पसरा हुआ था । वो खिड़की की तरफ देखता है जहां से सूरज तो नहीं दिख रहा था पर सूरज के ढलने के बाद की हल्की - हल्की लालिमा अंधेरे के साथ घुली हुई जरूर दिख रही थी । जिससे वो समझ जाता है के सूरज ढल चुका है और शाम हो चुकी है । सोफे से उठ कर सबसे पहले तो वो अपने केबिन की लाइट ऑन करता है । फिर वाशरूम से अपना चेहरा धोकर वापस अपने केबिन में आता है और टेबल में रखा हुआ पानी पीता है । तभी उसे सभी का खयाल आता है वो जल्दी से अपने - आपको ठीक कर केबिन के बाहर आता है जहां उसे केबिन के दरवाज़े पर डू नोट डिस्टर्ब का बोर्ड दिखता है वो तुरंत बोर्ड को हटाता है और पीयून को बुलाता है । आते ही पीयून उसे जी सर कहता है आरव उससे पूछता है ।

आरव - बाकी सब कहां हैं ???

पीयून - बाकी के एम्प्लॉयज तो चले गए हैं ।

आरव - बाकी सब !!!????

पीयून - आदि सर बहुत देर पहले ही कहीं गए हुए हैं , राहुल सर और नील सर कायरा मैडम के केबिन में बैठ कर काम कर रहे हैं ।

आरव ( हैरानी के साथ ) - कायरा अभी तक घर नहीं गई ???

पीयून - जी सर ।

पीयून की बात सुन आरव सीधे कायरा के केबिन में पहुंचता है जहां वो लोग काम में मगन होते हैं । आरव पहुंचते ही बोलता है ।

आरव - तुम सब अभी तक गए नहीं ( और कनखियों से कायरा की ओर देखने लगता है ) ????

कायरा आरव को देख कर बहुत ही ज्यादा खुश होती है पर अपनी खुशी को सभी के सामने व्यक्त करना अपना ही पोपट बनवाने लायक था इस लिए अपनी खुशी को छुपा लेती है और वो भी आरव को कनखियों से देखती है । जब कभी अगर दोनों की आंखे एक - दूसरे से मिल जाती हैं या ये कहें दोनों ही एक - दूसरे की चोरी पकड़ लेते हैं तभी वो दोनो आंखे चुराते हुए यहां - वहां पड़ी चीज़ों को देखने लगते हैं जैसे अपनी चोरी को छुपा रहे हों । इन सब से बेखबर नील और राहुल पूरी तरह से काम में डूबे हुए थे । आरव के सवाल पर राहुल उससे कहता है ।

राहुल ( लेपटॉप पर उंगलियां चलाते हुए ) - हां यार भाई , काम बहुत ज्यादा है ( लेपटॉप पर ही टाइम देखते हुए ) और ये देख सात बज गए हैं और पता भी नहीं चला हमें ।

आरव भी सभी के साथ बैठ जाता है तभी नील उससे पूछता है ।

नील - आरव ! तेरा सिर दर्द ठीक हुआ ?

आरव - हां , पहले से बेहतर है अब ।

राहुल ( अपने दोनो हांथ सीधे करते हुए ) - यार नील , कॉफीे मंगा तो भाई सब के लिए , थोड़ा माइंड फ्रेश कर लेते हैं कॉफी पी कर ।

आरव ( तपाक से ) - तीन कप कॉफी और एक कप चाय ।

उसकी इस बात पर सभी उसे हैरानी से देखने लगते हैं तो वहीं कायरा को अच्छा लगता है के भले ही आरव गुस्सा हो पर तब भी उसे ये याद है के मैं चाय पीती हूं ।

राहुल ( बड़ी - बड़ी आंखे करते हुए ) - चाए किसके लिए ?

कायरा ( तुरंत कहती है ) - वो चाय मैं पीती हूं , कॉफी नहीं ।

उसकी इस बात पर राहुल और नील मुस्कुरा कर आरव को देखने लगते हैं और नील आरव के कहे अनुसार कॉफी और चाए मंगाता है । आरव जब दोनों को खुद को घूरते पाता है तुरंत सामने टेबल पर रखी फाइल उठाता है और उसे घूरते हुए ही पूछता है ।

आरव - वैसे आदि कहां है ।

तभी पीयून केबिन में कॉफी और चाए ले कर आता है । सभी अपनी - अपनी कॉफी लेते हैं और कायरा की तरफ चाए का कप बढ़ा देते हैं । कायरा भी चाए ले कर एक हाथ से फाइल को बंद करती है जिसमें वो पिछले आधे घंटे से अपना सिर खपा रही थी और अपनी चेयर से टिक कर शाम की चाए का लुफ्त उठाने लगती है जबकि आरव सभी की नज़रों से बच कर लगातार कायरा को ही देख रहा होता है ।

नील ( कॉफी का एक सीप लेते हुए ) - आदि फैक्ट्री गया है । आज के डील्स के डिजाइंस देने ।

आरव ( खुश होते हुए ) - अरे वाह , इतनी जल्दी तुम लोगो ने डिजाइंस बना भी लिए , फाइनल भी कर लिए और भेज भी दिए । क्या बात है यार , अगर मैं एक दिन कहीं बिज़ी हो जाऊं तो तुम लोग तो बड़ी स्पीड से काम करते हो ।

राहुल - यही नहीं , आगे के डील्स के लिए प्रेजेंटेशन , डिजाइंस सब तैयार हो चुके हैं । और अगर इसमें सबसे ज्यादा किसी ने मेहनत की है तो वो है कायरा ,( आरव फिर से कायरा की ओर देखने लगता है और कायरा चाए पीते हुए बस जमीन को देख मुस्कुरा रही होती है जैसे वो अभी आरव से नजरें ना मिलाना चाहती हो ) इसने सुबह भी आदि के साथ मिल कर बहुत सारा काम कर लिया था और खुद की पेंडिंग डिजाइंस भी बना ली थीं जो कि हमारे बहुत काम आ रही हैं । और अभी भी हमारे साथ बैठ कर पूरा काम करवाया है इसने । ( कायरा से ) मानना पड़ेगा कायरा तुम तो बहुत मेहनती हो ।

बदले में कायरा मुस्कुरा देती है । तभी आरव कहता है ।

आरव - तो फिर तुम लोग अभी किस काम में लगे हो ?

नील - बस एक क्लाइंट की कंपनी की फाइल का काम और बचा हुआ है उसी को निबटाने में लगे हुए हैं ।

आरव ( कॉफी पूरी एक घूंट में गटक कर कप साइड में रखता है और नील से फाइल लेते हुए कहता है ) - लाओ मुझे बताओ , मैं भी तुम्हारी हेल्प कर देता हूं ।

नील उसे अपने हाथों में पकड़ी हुई फ़ाइल पकड़ा देता है और मजे से बैठ कर कॉफी पीने लगता है । कायरा मन ही मन सोच रही होती है ।

कायरा ( खुद से टेंशन में कहती है ) - यार ,आदि अभी तक नहीं आया , ये काम तो थोड़ी देर में ख़तम भी हो जायेगा पर अगर आदि नहीं आया तो मैं उसका और वेट नहीं कर पाऊंगी ( घड़ी की ओर देखते हुए ) अब तो साढ़े सात भी होने वाले हैं । ( दरवाज़े की ओर देखते हुए ) प्लीज आदि जल्दी आ जाओ ।

कायरा चाए पी कर कप टेबल में रख देती है और फिर से फाइल में अपना सिर खपाने लगती है जिसे उसने थोड़ी देर पहले ही बंद किया था । आधे घंटे बाद सभी का काम ख़तम हो जाता है । तभी आदित्या भी फोन पर सौम्या से बात करते हुए कायरा के केबिन में आता है उसे देख कायरा को थोड़ा सा रिलेक्स लगता है के काम ख़तम होते ही आदि आ गया ।

आदित्य ( फोन कान में लगाए सौम्या से बात करते हुए ) - हां, मैं ऑफिस पहुंच गया हूं । अभी मुझे थोड़ा टाइम लग जाएगा । मैं घर पहुंच कर बात करता हूं तुमसे ।

सौम्या ( फोन पर उस तरफ से ) - अच्छा ठीक है , टाइम पर घर पहुंच जाना । मैं फोन रखती हूं । बाय , टेक केयर ।

सौम्या फोन कट कर देती है और आदित्य फोन को अपनी जीन्स की जेब के हवाले कर केबिन के अंदर आता है और आरव को देखते ही उससे पूछता है ।

आदित्य - तू कब उठा ? और तेरा सिर दर्द ठीक हुआ ???

आरव ( हांथ में पकड़ी फाइल बंद कर टेबल पर रखते हुए ) - मैं थोड़ी देर पहले ही उठा हूं और सिर दर्द भी अब पहले से बेहतर है । तू बता फैक्ट्री का काम हो गया ?

आदित्य ( राहुल के साथ केबिन में रखे सोफे पर बैठते हुए ) - हां , फैक्ट्री का काम हो गया है । जल्द ही हमें आज के प्रोजेक्ट्स भी कंप्लीट मिल जायेंगे और अगले एक हफ्ते में क्लाइंट को पहुंचने वाला सारा समान भी रेडी होकर गोडाउन में रखा जा चुका है ।

आरव ( खुश होते हुए ) - डेट्स ग्रेट ( चेयर से उठते हुए ) तो फिर घर चलते हैं । ( कायरा की तरफ देखते हुए ) लेट हो रहा होगा तुम लोगों को ।

आदित्य - हां , चलो चलते हैं ।

आदित्य आरव को कायरा के रुकने की बात नहीं बताता क्योंकि वो नहीं चाहता था के आरव को पता चले के वो कायरा से क्या बात करने वाला है , कहीं आरव को बुरा ना लग जाए इस बात का डर था उसे । कायरा उससे इशारों में पूछती है पर आदित्या बाद में बताने का बोल देता है । सभी अपने - अपने केबिन से अपना सामान ले कर पार्किंग की ओर बढ़ जाते हैं । कायरा भी जैसे ही केबिन से बाहर निकलती है तो आदित्या उससे बाहर ऑफिस के सामने वाले कॉफी शॉप पर चलने के लिए कहता है और ये भी कहता है के इस बात का उन तीनों को पता ना चले । कायरा हां बोल कर नीचे आती है और पार्किंग की ओर चली जाती है । आदित्य भी नीचे आ जाता है तो देखता है तीनों दोस्त उसी के इंतेजार में खड़े थे । और कायरा अपनी स्कूटी साइड में लगा कर हेलमेट लगा रही थी । आदित्य कायरा को इशारे से कहता है के तुम निकलो मैं आता हूं । उसे ऐसा करते देखता तो कोई नहीं है पर आरव को कुछ खटका सा लग रहा होता है तभी कायरा अपनी स्कूटी आगे बढ़ा देती है जिससे सभी ये समझते हैं के वो घर की ओर निकल गई है, उसे घर जाता देख आरव को थोड़ी सी तसल्ली होती है । तभी नील आदित्या से कहता है ।

नील - आदि चल ना , हम कब से तेरा ही वेट कर रहे हैं ।

आदित्य - सुनो , तुम लोग घर के लिए निकलो मुझे थोड़ा सा काम है , मैं उसे ख़तम कर घर के लिए निकल जाऊंगा ।

नील - अच्छा ,चल ठीक है । पहुंच के फोन कर दियो ।

आदित्य - ओके ।

तीनों ही अपने - अपने घर निकल जाते हैं। आदित्य पार्किंग से अपनी कार निकाल सामने कॉफी शॉप की तरफ बढ़ाता है । कॉफी शॉप के अंदर पहुंचता है तो देखता कायरा पहले से ही खाली टेबल पर बैठी उसी का वेट कर रही थी । वो भी कायरा के सामने वाली चेयर पर बैठता है , उसके बैठते ही कायरा सवालों की झड़ीयां लगाना शुरू कर देती है ।

कायरा - अब बताओ , तुमने मुझे यहां क्यों बुलाया , और सुबह की ऐसी कौन सी बात बताने वाले हो ? और तुमने उन तीनों को बताने से मना क्यों किया है ?????

आदित्य ( उसे समझाते हुए ) - रिलेक्स कायरा , सांस तो लेने दो , बता रहा हूं । और तुम भी सांस तो ले लो , लगातार सवालों कि बौछार किए जा रही हो ।

कायरा ( परेशानी से अपने हाथ में बंधी घड़ी को देखते हुए ) - आदि मुझे लेट हो रहा है । प्लीज थोड़ा जल्दी बताओ ।

आदित्य ( गंभीरता की मुद्रा में बैठते हुए ) - आरव से बात हुई ?

कायरा ( मायूसी के साथ ) - नहीं , मैंने कई बार कोशिश की पर वो आज फ्री ही नहीं हुए, इस लिए बात नहीं कर पाई ।

आदित्य - ओके , तुम्हे पता है ? आरव तुमसे इतना ज्यादा गुस्सा क्यूं है ?

कायरा ( ना में सिर हिलाते हुए ) - नहीं ( आदित्या की ओर देखते हुए ) मैं यही तो सोच - सोच कर सुबह से परेशान हूं के इतनी भी क्या बड़ी बात हो गई के आरव मुझसे इतने ज्यादा गुस्सा हो गए के मेरी ओर उन्होंने देखा तक नहीं । तुम्हे याद है, आज दोपहर में मिस्टर शेखावत के सामने वो मेरी तारीफ तो कर रहे थे पर एक बार भी उन्होंने मेरी ओर नहीं देखा । उसके बाद तो जैसे वो मेरे सामने आना ही ना चाहते हों इस तरह से बचते फिर रहे थे ।

आदित्य - पर जब मैं फैक्ट्री से आया तब तो आरव तुम्हारे सामने ही बैठा था तब ही कर लेती बात ।

कायरा ( मायूसी के साथ ) - अरे कैसे करती ,वहां राहुल और नील थे , उनके सामने आरव से कुछ बोलना अच्छा नहीं लगता मुझे । पता नहीं वो दोनो क्या समझते ।

आदित्य ( कायरा की बातों को नोटिस करते हुए ) - मतलब
!!!!

कायरा ( को जब ध्यान आता है वो क्या बोल गई तो तुरंत बात को चेंज करने की कोशिश करते हुए कहती है ) - वो ...
वो ..... कुछ नहीं , बस ऐसे ही । तुम बताओ तुम क्या बता रहे थे ।

आदित्य - कायरा , आरव का गुस्सा अपनी जगह ठीक है ।

कायरा ( सवालिया निगाहों से उसे देखते हुए ) - पर क्यों ????

आदित्य - कायरा राजवीर बेहद ही घटिया किस्म का इंसान है उसके लिए लड़कियां , मोबाइल की तरह हैं नया देखा तो पुराने को फेंक दिया । उसने तुमसे दोस्ती भी उसी इरादे से की थी । और आरव ने तुम्हे कॉल भी किया, कई बार, पर तुमने रिसीव ही नहीं किया, इस लिए उसे और ज्यादा गुस्सा आया।

कायरा ( याद करते हुए ) - हां यार , मैंने मोबाइल टेबल पर रख दिया था । जो कि साइलेंट में था , जिससे मुझे पता नहीं चला । पर एक बात मुझे अच्छे से याद नहीं है के मैंने फोन कब साइलेंट पर किया था क्योंकि जब मैंने फोन टेबल पर रखा था तब तो फोन साइलेंट में नहीं था फिर उसके बाद तो मैं डांस में बिज़ी हो गई थी और जब सौम्या ने याद दिलाया तभी मुझे अपने फोन का याद आया के मैंने उसे टेबल पर रखा था ।

आदित्य ( गंभीरता के साथ ) - क्योंकि ये सब विनय ने किया था ।

कायरा ( फिर से सवालिया निगाहों से ) - विनय ने , मतलब !!!!

आदित्य - तुम ही याद करो, तुम्हारे बताए अनुसार तुम्हारे और राजवीर के अलावा अगर कोई कोई तीसरा सक्श उस रूम में था तो वो विनय ही था । तुम तो राजवीर के साथ डांस में बिज़ी थी और वो तो तुम्हे छोड़ कर कहीं गया नहीं तुम भी कहीं नहीं गई । तो फिर बचा कौन विनय , उसी ने तुम्हारा फोन साइलेंट में किया ताकि तुम्हारे फोन में किसी का कॉल आए तो तुम्हे पता ना चले ।

कायरा ( सोचते हुए ) - कह तो तुम ठीक रहे हो । ( तभी वेटर आए जाता है और उनसे उनका ऑर्डर पूछता है । आदित्य अपने लिए कॉफी और कायरा अपने लिए चाय मंगाती है । ) पर वो ऐसा क्यों करेगा और सौम्या को किसने भेजा था ।

आदित्य - मैंने और आरव ने ( तभी वेटर कॉफी और चाए टेबल पर रख कर चला जाता है ) ।

फिर आदित्या कायरा को राजवीर के बारे में सबकुछ बताता है के वो किस किस्म का इंसान है , सौम्या को भेजने से ले कर आरव के गुस्से में चेयर को उठा के फेकने तक सब कुछ बताता है और ऑफिस में भी आरव के कहे शब्द अपनी तरह से हिसाब से बताता है जिससे कायरा को आरव की फीलिंग्स को ले कर कोई शक ना हो । सिर्फ आरव और राजवीर की रिश्तेदारी और आरव का कायरा के लिए प्यार छोड़ कर सारी जानकारी कायरा को देता है जिसे कायरा बहुत ही ध्यान से सुन रही होती है , आदित्या कहता है ।

आदित्य - इसी लिए आरव का गुस्सा करना जायज़ था कायरा , अगर तुम्हारी जगह हमारे ग्रुप की कोई और फ्रैंड भी होती ना तो आरव इतना ही गुस्सा करता और उसे सुनाता वो अलग और राजवीर का अगला शिकार तुम ही थी कायरा ।

कायरा को आदित्या का ये बताना के आरव ग्रुप की और फ्रेंड्स के लिए भी ऐसा ही करता उसे अच्छा महसूस नहीं करवा रहा था जैसे वो उससे आरव के बारे में कुछ और सुनने की अपेक्षा रही हो पर सुन नहीं पाई ।

कायरा ( सब बात को समझते हुए ) - तुम सही कह रहे हो आदि , अगर आज आरव ने अपना दिमाग चला कर सौम्या को नहीं भेजा होता तो शायद मैं आज बुरी तरह से फंस गई होती और फिर मेरा उस दलदल से निकलना भी मुश्किल हो जाता । मुझसे आज बहुत बड़ी गलती हो गई है जिसे मुझे हर हाल में सुधारना होगा ।

आदित्य - यही तो मैं तुम्हे सुबह से समझाने की कोशश कर रहा था और इसी वजह से सारे दोस्त भी तुमसे नाराज़ थे । और आरव ने ये सब तुम्हे बताने से मना किया था इसी वजह से मैं तुम्हे सभी के सामने कुछ ना कहने के लिए बोल रहा था जिससे उन्हें कुछ पता ना चले और वो आरव को भी ना बताएं ।

कायरा - पर तुमने मुझे क्यों बताया ?

आदित्य - कायरा ! जिस तरह से आरव मेरा फ्रैंड है उसी तरह तुम भी मेरी फ्रैंड हो । मैं अपने किसी भी दोस्त को परेशानी में नहीं देख सकता और सुबह से तो मैं सब कुछ देख ही रहा हूं । इसी वजह से मैंने तुम्हे बताया ताकि तुम्हारी हेल्प भी हो सके ।

कायरा - हम्मम ।

आदित्य ( चाए की तरफ इशारा करते हुए खुद अपनी कॉफी का कप उठाता है ) - कायरा चाए पी लो , अब तक तो ठंडी भी हो चुकी होगी ।

कायरा किसी गहन सोच में डूबी हुई चाए का कप उठाती है और चाए पीने लगती है। आदित्य भी कॉफी पीते हुए कायरा से कहता है ।

आदित्य - तो अब , आगे क्या सोचा है आरव को कैसे मनाओगी , अपनी गलती कैसे सुधारोगी ???

कायरा ( चाए ख़तम करते हुए ) - यही तो सोच रही हूं , पर कोई भी आइडिया नहीं मिल रहा है ।

आदित्य ( कॉफी खतम कर कप टेबल पर रख कर अपनी आंखे चमकाते हुए कहता है ) - मेरे पास एक आइडिया है ।

कायरा ( आशा भरी नजरों से उसे देखते हुए ) - तो बताओ ना ।

आदित्य - ठीक है , तुम ना आरव के साथ डांस में पार्टिसिपेट कर लो ।

कायरा ( आंखें बड़ी करते हुए ) - क्या......? डांस वो भी आरव के साथ 😳 !!! नहीं ...नहीं ....नहीं मैं उनके साथ डांस नहीं करूंगी । एक तो वैसे भी वो गुस्सा हैं ऊपर से उनके साथ डांस ... नो ...नो .... नो , मैं उनके साथ डांस नहीं करूंगी ।

आदित्य ( इतराते हुए ) - सोच लो अभी के लिए तो यही आइडिया है , अगर तुम्हारे दिमाग में इससे बेहतर कोई आइडिया है तो उसे भी ट्राय कर सकती हो ।

कायरा ( मासूम सा चेहरा बना कर ) - नहीं है मेरे पास कोई भी आइडिया ।

आदित्य - तो अब तुम जानो तुम्हे क्या करना है , मेरा काम तो था तुम्हे बताना सो मैंने बता दिया ।

कायरा ( कुछ देर सोचते हुए ) - ठीक है मैं रेडी हूं । पर आरव को मनाएगा कौन ???

आदित्य - ये भी कोई पूछने की बात है , तुम ... तुम मानाओगी आरव को , आखिर डांस भी तो उसे मनाने के लिए ही करोगी ना ।

कायरा ( हल्के गुस्से और टेंशन के मिले - जुले भाव से ) - आदित्या देखो ! तुम ना मुझे शेर के मुंह में , हांथ डालने के लिए कह रहे हो । ( आरव का गुस्सा याद करते हुए ) तुम्हे पता है ना उनका गुस्सा कितना ज्यादा रहता है ।

आदित्य ( कायरा के अंदर जोश भरते हुए ) - तो तुम भी तो शेरनी हो, ( आदित्या की बात से कायरा कॉन्फिडेंट होने लगती है ) तुम्हारे लिए तो ये सब बहुत ईज़ी है ( आदित्य अपने हाथों की उंगलियों से चुटकियां बजाते हुए ) तुम तो यूं ... यूं ... ऐसे चुटकियों में मना लोगी उसे डांस के लिए।

कायरा ( कॉन्फिडेंस के साथ ) - हां आदि , मैं उन्हें चुटकियों में माना लूंगी डांस के लिए । ( फिर अपना सिर खुजाते हुए ) पर मैं उनको मनाऊंगी कैसे।

आदित्य ( बेपरवाही से ) - वो तुम जानो , तुम्हे कैसे मनाना है उसे ।

कायरा ( फिर से टेंशन के साथ ) - पर उससे होगा क्या ?

आदित्य - अरे इतने के बाद भी पूछ रही हो के होगा क्या ? अरे इसी बहाने उसे तुमसे बात करना होगा , और तुम लोग साथ में रहोगे तो तुम्हे मौका भी मिल जाएगा बात करने के लिए ।

कायरा - पर डांस परफॉर्मेंस के नाम तो संबीट हो चुके हैं ना । अब हमारा नाम कैसे लिस्ट में पहुंचेगा ?

आदित्य ( ऐटिट्यूड के साथ ) - उसकी चिंता तुम मत करो , वो सब मैं संभाल लूंगा । तुम बस आरव को पहले डांस के लिए मनाने के लिए और फिर उसके गुस्से को शांत करने के लिए आइडिया सोचो । बाकी सब, मैं हैंडल कर लूंगा ।

तभी कायरा का ध्यान दीवार पर लगी घड़ी की तरफ जाता है जिसमें साढ़े आठ बजने में सिर्फ पांच मिनट बाकी थे। कायरा तुरंत आदित्य से कहती है ।

कायरा - आदि ! अब मुझे चलना चाहिए , साढ़े आठ बजने वाले हैं , मुझे लेट हो रहा है और अभी मुझे घर पहुंचने में भी आधे से पौन घंटे लग जाएंगे वो भी तब जब मैं अपनी स्कूटी फुल स्पीड में भगाऊंगी ।

आदित्य - ओके तुम घर के लिए निकलो ।

कायरा ( अपना पर्स ले कर चेयर से उठते हुए ) - वैसे थैंक्यू आदि , मुझे आइडिया देने के लिए और चाए पिलाने के लिए ।

आदित्य - तुम्हे दोस्ती का रूल याद नहीं है ?

कायरा ( याद करके मुस्कुराते हुए ) - अच्छा ठीक है , स... ( आदित्य उसके बोलने पहले ही समझ जाता है और उसे झूठ - मूठ का गुस्सा दिखाकर घूर कर देखता है , कायरा हंसते हुए कहती है ) अच्छा बाबा , अब नहीं बोलूंगी । अभी के लिए जाऊं ????

आदित्य - हां जाओ , पर आराम से जाना और स्कूटी को प्लेन की स्पीड से मत भगाना , वरना घर की जगह हॉस्पिटल पहुंच जाओगी ।

कायरा - हां भई ठीक है , बाय ।

आदित्य - बाय ।

कायरा आदित्य का रिप्लाई सुन कर शॉप से जल्दी - जल्दी में बाहर निकलती है तभी उसकी मम्मा का उसके फोन पर कॉल आता है । कायरा कॉल रिसीव करते हुए ऊपर आसमान की ओर देखते हुए कहती है ।

कायरा ( खुद से आसमान की ओर देखते हुए ) - बचा लीजिएगा आज भगवान ( फिर फोन में मालती जी से ) हां हैलो , हां मम्मा बोलिए ।

मालती जी ( फोन की उस तरफ से चिंता जताते हुए ) - कहां हो बेटा ? आज फिर से इतनी देर हो गई ?

कायरा - हां मम्मा , अच्छा आप दादी को संभाल लेना , मैं ऑफिस से बस निकल ही रही हूं । ( अपना फोन अपने कान और कंधे के बीच लगाए अपने पर्स को सीट के नीचे डिग्गी में डालती है ) पहुंचती हूं थोड़ी देर में मम्मा।

मालती जी - तेरी दादी तो अपने कमरे में हैं पर तेरे पापा का आने का टाइम हो गया है । वो भी बाद पहुंचते ही होंगे । तू आराम से आना , जल्दी - जल्दी में स्कूटी स्पीड में मत भगाने लगना ।

कायरा ( हेलमेट सिर में लगाते हुए ) - डोंट वरी मम्मा , अब फोन रखूं , तभी तो घर पहुंच पाऊंगी ।

मालती जी - हां ठीक है, आराम से स्कूटी चलाना ।

इतना कह कर मालती जी फोन डिस्कनेक्ट कर देती है और कायरा अपना फोन जीन्स की जेब में रख कर स्कूटी स्टार्ट करती है और फुल स्पीड में स्कूटी को दौड़ा देती है ।

आदित्य शॉप में बिल पे कर कॉफी शॉप से बाहर आता है तब तक कायरा निकल चुकी होती है । आदित्य अपनी कार में बैठ उसे स्टार्ट कर अपने घर की ओर बढ़ा देता है ।

इधर आरव कार को पार्किंग एरिया में पार्क कर शर्मा मेंशन पहुंचता है । वो हॉल से होता हुआ सीधे अपने रूम की ओर बढ़ता है , तभी सुनयना जी उसे देखती हैं तो उससे कहती हैं ।

सुनयना जी - आ गया बेटा , ( उसके चेहरे की तरफ ध्यान से देखते हुए ) तेरा चेहरा क्यों उतरा हुआ है ? कुछ हुआ है क्या ?

आरव ( वैसे ही सीढ़ियों में चढ़ते हुए ) - कुछ खास नहीं मम्मी , बस सिर में हल्का सा दर्द है ।

इसके बाद आरव बिना सुनयना जी का रिप्लाई सुने सीधे अपने कमरे में चला जाता है । सुनयना जी उसके लिए कॉफी और कुछ खाने को भिजवाती हैं । आरव रूम में पहुंच कर जल्दी से अपने कपड़े चेंज कर बेड पर सिर के नीचे तकिया लगा कर लेट जाता है तभी उसे बेचैनी सी महसूस होने कहती है जैसे कुछ होने वाला हो । वो इसे समझ नहीं पाता और ये सिर दर्द की वजह से होगा सोच कर लाइट ऑफ कर देता है और आंखे बंद कर लेट जाता है।

कायरा लगभग पांच से छः किलोमीटर चली होती है के उसकी स्कूटी का टायर एक गड्ढे में पड़ जाता जिससे अचानक से झटका लगने से स्कूटी का बैलेंस बिगड़ता जिसे कायरा संभाल नहीं पाती और गिर जाती है । गनीमत इस बात की थी के उस समय कोई बड़ा वाहन उस रोड पर नहीं आ रहा था वरना आज सच में आदित्य की बात कायरा को लग जानी थी । कायरा रोड से उठ कर बैठती है और अपनी चोट की ओर देखती है जो कि उसके हाथ में लगी थी जिसमे थोड़ी सी खरोंच आयी हुई थी । कायरा उठते हुए अपनी चोट को हल्के से चेक करती है जिससे उसके बड़े - बड़े नाखून उसकी चोट पर लग जाते हैं और उसके मुंह से आह निकल जाती है ।

कायरा ( खुद से ) - आह.... , ( खुद से उठते हुए ) सही कहा था आदित्य ने , आज तो मेरा राम नाम सत्य होना ही बाकी था । ( रोड पर गिरी स्कूटी को उठाते हुए ) नहीं मानी ना मम्मा की बात इसी लिए ऐसा हुआ है, आज सच में शायद बहुत बड़ी बला टली है ।

अब वो फिर से स्कूटी को स्टार्ट करती है और आराम से सड़क पर देखते हुए चलाती है जिससे दोबारा ऐसा कोई हादसा उसके साथ ना हो ।

तभी आरव एक झटके से आंखें खोलता है जैसे उसने कोई बुरा सपना देख लिया हो । वो अपने बेड के पास रखे टेबल लैंप को ऑन करता है तो पाता के वो खुद पूरा पसीने से भीगा हुआ है । वो जल्दी से उठ कर तोलिए को हांथ में लेता है और खुद से कहता है ।

आरव ( अपना पसीना पोंछते हुए ) - बहुत ही भयानक सपना था , सच में अगर कायरा को ऐसा कुछ हो गया तो मेरी तो जान ही हलक में अटक जानी है । ( असल में जो अभी कायरा के साथ हुआ वो उसे अभी अपने सपने में दिखा था , इसी वजह से वो हड़बड़ा के उठ गया था । फिर जैसे ही उसे कायरा का खयाल आता है वो अपना गुस्सा भूल खुद से कहता है ) कायरा ठीक तो होगी ना , आखिर ऐसे ही मुझे इस तरह का सपना थोड़ी ना आएगा , मैं उसे फोन करके पूछ लेता हूं ।

आरव कायरा से बात करने के लिए फोन ढूंढ़ कर उठाता ही है के नकुल ( नौकर ) कॉफी और कुछ खाने के लिए ले कर उसके रूम में आता है ।

आरव - मैंने तो नहीं मांगा था ।

नकुल - वो बड़ी मैम ने भेजा है ,( और आरव को कॉफी का कप पकड़ा देता है , जिससे आरव फोन को साइड में रख देता है और कायरा को फोन करने की बात ही उसके दिमाग से निकल जाती है । ) वैसे भैया , बड़ी मैम पूछ रही थी के आप खाने में क्या खाओगे ?

आरव ( कॉफी पीते हुए ) - मेरी डिनर करने की इक्छा नहीं है ,( टेबल पर रखी प्लेट की ओर इशारा करते हुए ) मैं ये स्नैक्स ही खा कर सो जाऊंगा क्योंकि बहुत ही ज्यादा सिर में पेन हो रहा है ।

नकुल - ठीक है भैया , मैं मैम को बता दूंगा । ( कबर्ड से सिर दर्द की टैबलेट और बाम निकाल कर उसे टेबल लैंप वाली टेबल में रखता है और आरव से कहता है। ) भैया ये रखी है टैबलेट और ये रखा है बाम , आप ये स्नैक्स खा कर टैबलेट ले लीजिएगा और सोने से पहले बाम लगा लीजिएगा ।

आरव ( मुस्कुराते हुए ) - जो आज्ञा भाई साहब ।

नकुल - अरे भैया आप भी ।

इतना कह कर नकुल आरव के रूम से चला जाता है और आरव नकुल के कहे अनुसार ही सब कुछ करता है और फिर से लाइट ऑफ कर सिर में बाम लगा कर सो जाता है ।

उधर कायरा अपने घर पहुंच कर स्कूटी पार्किंग में खड़ा करती है और दरवाज़े से अंदर जाती है के उसे उसके पापा सामने सोफे पर ही बैठे मिल जाते हैं । वो घर में चारों तरफ दादी को देखती है पर वो कहीं नहीं दिखती तभी देवेश जी उसे देखते ही कहते हैं ।

देवेश जी - आ गई बेटा , आओ बैठो ।

कायरा ( देवेश जी के पास सोफे पर बैठते हुए पूछती है ) - पापा ! दादी कहां हैं ?

देवेश जी - वो तो अपने कमरे में हैं । आप बताओ बेटा इतना लेट कैसे हो गया आपको ?

कायरा ( अपना सारा सामान दूसरे सोफे पर रखते हुए ) - बस पापा , ऑफिस में वर्क बहुत ज्यादा बढ़ गया है , डेली नए - नए क्लाइंट के साथ मीटिंग हो रही है और सभी को कम टाइम में ही अपना वर्क पूरा चाहिए है, इस वजह से हम सभी का वर्क लोड बहुत ज्यादा बढ़ गया है ।

देवेश - कोई बात नहीं , होता है ।

मालती जी ( किचेन से बाहर आते हुए ) - हां , तभी ये कल भी लेट हो गई थी और आज भी लेट हो गई है ।

कायरा ( मासूमियत के साथ ) - मम्मा आप तो जानते हो ना ।

मालती जी - जानती हूं तभी तो कह रही हूं । अब चल अपने कमरे में जा और जल्दी से अपने कपड़े बदल कर नीचे आ , खाना तैयार है ।

कायरा - हम्मम ।

इतना कह कर कायरा अपना सोफे पर रखा सामान ले कर अपने रूम की तरफ बढ़ जाती है । मालती जी अंश को बुलाती हैं और खाना डायनिंग टेबल पर लगाती हैं और देवेश जी राधा जी को बुलाने चले जाते हैं । कायरा अपने रूम में पहुंच कर पहले चेंज करती है और फिर ऊपर ने फुल स्लीव्स का टॉप पहनती है जिससे उसके हांथ की चोट किसी को ना दिखे । तभी मालती जी उसे नीचे से आवाज़ लगाती हैं ।

मालती जी - जल्दी आ जा बेटा , सब आ गए हैं ।

कायरा ( तेज़ आवाज़ में रिप्लाई करती है ) - बस मम्मा, अभी आयी।

इतना कह कर कायरा नीचे की ओर भागती है जहां सभी ने खाना खाना स्टार्ट कर दिया था वो भी शांति से अपनी चेयर पर बैठती है और मालती जी उसकी प्लेट पर खाना परोसती है । कायरा चुप - चाप अपना खाना ख़तम करती है और बाकी लोग भी खाना ख़तम कर अपने - अपने रूम में चले जाते हैं । कायरा भी मालती जी से अपना दूध लेती है जिसमें आज अनायास ही मालती जी ने हल्की सी हल्दी डाली हुई थी जैसे उन्हें अपनी बच्ची के हर दर्द के बारे में पता हो । कायरा तब तो ध्यान नहीं दे पाती , पर जब वह अपने कमरे में आती है और बेड पर बैठ कर अपना दूध ख़तम करती है, तब उसे पता चलता है के दूध में तो हल्दी डली थी । वो दूध के गिलास को टेबल पर रख कर दवाई अपनी चोट पर लगते हुए खुद से कहती है ।

कायरा - सही कहते हैं लोग , मां को कुछ बताने की जरूरत नहीं होती , वो बिना कहे ही अपने बच्चों की सारी बातें और परेशानियां समझ जाती हैं । ( लाइट्स ऑफ कर बिस्तर पर लेटते हुए ) खैर मुझे तो अभी ये सोचना है के उस खडूस को कल कैसे मनाऊं।

यही सोचते हुए उसे बारह बज जातें है, और बड़ी मुश्किल से उसे नींद आती है और वो तभी नींद के आगोश में सुनहरे सपने देखने चली जाती है............।

क्रमशः


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