एक लड़की - 3 Radha द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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एक लड़की - 3

पंछी का चेक उप करवाकर ऋषि वहाँ से चला रहे है क्योंकि उसे पता था कि पंछी उसे गलत समझती हैं क्योंकि पंछी ने स्टोर रूम में उसे देख लिया था। कुछ समय बाद पंछी होश में आती हैं । वहाँ एक नर्स होती हैं । पंछी उससे पूछती है कि मै यहाँ कैसे ! नर्स बताती है कि तुम्हें यहाँ एक लड़का लेकर आया था। हॉस्पिटल का बिल जमा करवा कर चला गया। तब पंछी को जानने की इच्छा होती हैं कि वो कौन था और वो पूछती है - कौन था वो । नर्स बताती हैं - पता नहीं । उसने अपना नाम नही बताया। पंछी सोचती है कि वो कौन हो सकता हैं जो मुझसे एक बार मिला भी नहीं। थोड़ी देर बाद पंंछी को भी छुट्टी मिल जाती है और वो अपने घर चली जाती है। पंछी के पापा के किराणें कि दुकान थी । और उसकी मम्मी घर संभालती थी । और उसकी एक बड़ी बहन थी। जो एक मॉडल बनना चाहती थी। उसकी ड्रेसिंग स्टाइल भी बहुत अच्छी थीं। वो हमेशा नए डिज़ाइन के कपड़े पहनती थीं । ओर वहीं पंछी जिसे फ़ैशन का फ़ भी नही आता था पंछी जैसे ही घर मे प्रवेश करती हैं। उसकी मम्मी जो उसके बिल्कुल सामने खड़ी थी वो चिल्ला उठती है कि पंछी ये तुम्हें क्या हुआ है। तुम्हें चोट कैसे लगी । उसकी मम्मी उसके पास आती है और उसे कुर्सी पर बिठाती है। और फ़िर पूछती है कि क्या हुआ । पंछी बताती हैं कि आज कॉलेज से आते समय रिक्शा गड्ढे में फँस कर गिर गया था जिससे मै निचे गिर गयी ओर चोट लग गयी और वही हॉस्पिटल था तो पट्टी करवा ली। बस मम्मा ज्यादा चोट नहीं लगी है। थोड़े दिन में ठीक हो जाएगा। आप टेंशन मत लो। तब मम्मी को चेन की सांस आती है वरना वो डर गई थी । पंछी की बात सुनकर वो कहती है तुम अपने रुम में जाओ और आराम करना मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को लेकर आती हु। ऐसा बोल कर वो चली जाती हैं । पंछी रूम में जाती हैं । रूम के बीचो बीच एक लाइन खिंची हुई थीं। वो उन दोनों बहनों का रूम था दोनों की पसंद , शौक , उनकी सोच सब कुछ अलग था तो थोड़े थोड़े दिनों में किसी ना किसी बात पर उनकी लड़ाई हो जाती थी इसलिये उन्होंने रूम के 2 टुकड़े कर दिये थे। पंछी अपने बेड पर जाकर सो जाती हैं। वहीं दूसरी ओर उसकी बड़ी बहन ( झील ) मेकअप कर रही थी उसके हाथ को देखकर उसे चिंता हो गयी कि इसके हाथ को हुआ क्या है पर सीधा पूछ नही सकती थी पूछ लेती तो पंछी को उसकी चिंता दिखाई दे जाती। इसलिए बोली - आज कौनसा जानवर तेरे पिछे लग गया कितनी बार बोला है इतना सड़ा हुआ चेहरा लेकर बाहर मत निकला कर। थोड़ा पाउडर, लिपस्टिक लगा लेगी तो सही सलामत घर पहुच जाएगी ना। पर मेरी सुनता कौन है यहाँ। इन्हें तो जानवरो से कुश्ती लड़नी है। तभी पंछी गुस्से में चिल्लाते हुए बोली - दीदी।।।।। कोई जानवर नही लगा मेरे पीछे। गिर गयी थी बस। तभी उनकी मम्मी आ जाती हैं। उन्हे लड़ता देख बोली - क्या लगा रखा है यहाँ । रोज तुम दोनों का यहीं काम है क्या। फिर झील की तरफ गुस्से में देख कर बोली - मेरी पंछी इतनी बदसूरत भी नही हैं जितनी तुमने बना दी । ये सुनकर पंछी बोली - मम्मा यार। आप क्या बोल रहे हो। मै बदसूरत हु क्या। इतने में झील बोली - सुन लिया आज ........अब विश्वास हो गया ना। फिर तिरछी नज़रो से देखते हए धीरे से बोली - पागल लड़की। मम्मी बोली - बस करो तुम । अब तुम दोनों की आवाज़ नही आनी चाहिए वरना आज श्याम को खाने में खिचड़ी ही मिलेगी। दोनों मुँह बिगाड़ते हुए बोली - छी ! नहीं ना मम्मा। मम्मी बोली तो चुप चाप अपना काम करो। ओके मम्मा ( दोनों एक साथ बोली ओर अपना अपना काम करने लगी। ) अगले दिन पंछी कॉलेज नही गयी थी वहाँ कॉलेज में ऋषि ओर उसके दोस्त क्लास के बाहर बैठे थे और हँसी ठिठोली कर रहे थे। पर ऋषि चुप चाप बेठा था उसे ऐसे देख राज़ हँसते हुए बोला - क्या हुआ ऋषि , किसके ख्यालों में खोए हुए हो । तब ऋषि धीरे से बोलता है - किसी के नही। पर वो देखना चाहता था कि पंछी ठीक है या नहीं। तभी उसके पास से 3 लड़कियां बात करते हुए निकल जाती हैं कि बिचारी पंछी कल उसके साथ अच्छा नहीं हुआ। अब वो भी कॉलेज ना छोड़ दें? ऋषि ये सुन कर डर जाता है कि सच में उसने कॉलेज तो नही छोड़ दिया। वो पूरे दिन क्लास में पंछी का वैट करता है पर वो नही आती हैं ऐसे ही 2 दिन ओर निकल जाते हैं । ऋषि की घबराहट ओर बढ़ जाती है। अगले दिन सब गार्डन में बैठे होते हैं । तब ऋषि सोचता है मैं क्यों उसके बारे में इतना सोच रहा हू। एक बार तो मिली थी मुझे। ऐसा सोच कर वो दोस्तो के साथ हँसी मज़ाक करने लगता हैं। लेकिन वो अभी भी उस के बारे में सोच रहा होता है। अगले दिन पंछी कॉलेज आती है । वो आते ही सीधा क्लास चली जाती हैं। आज वो स्माइली के साथ बैठती हैं। ऋषि कॉलेज की छत पर बैठा था हर्ष उसके पास आता है और कहता है। ऋषि तुम यहाँ क्या कर रहे हो । क्लास चलो। क्लास स्टार्ट होने में है । ओर वो लड़की मुझे लगा उसने कॉलेज छोड़ दिया पर वो तो वापिस आ गयी। हर्ष के मुंह से ये बात सुन कर ऋषि अचानक से बहुत खुश हो जाता है और एक प्यारी सी मुस्कान देता है। मानो उसे सब कुछ मिल गया हो। और उछलते हुए हर्ष से कहता है चलो। क्लास चलते हैं लेट ना हो जाये। हर्ष को कुछ समझ नही आता ये हो क्या रहा है। ऋषि ओर हर्ष क्लास में आते हैं। पंछी उन दोनों को अपने सामने देख अचानक से घबराने लगती है (उन्हे देख कर उसे वो दिन याद आ जाता है )। ऋषि उसे देख कर समझ जाता है कि उनके सामने आते ही पंछी डर गई हैं। पंछी को खुद से डरता देख ऋषि को बहुत बुरा लगता है। लेकिन वो हर्ष का हाथ पकड़ कर बोलता है चलो यहाँ से। ओर वो दोनों बाहर आ जाते हैं। ऋषि हर्ष को छोड़ कर वापिस छत पर चल जाता है । और वो रोते हुए बोलता है - क्यों !!!!!!!!!!!! (उसके एक शब्द में ही बहुत दर्द था ) और ऋषि वहीं बैठ जाता हैं। और उसे उसकी बचपन की बाते याद आने लगती है।