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Pagglait

हैलो कैसे हो आप सब ? इस कोरॉना काल में ध्यान रखे अपने आप का और पढ़ते रहे और घर पर रहे और अपना पसंदीदार काम करे ! में अपनी बात करू तो हम आज कल ब्रेक लिया हुआ था लौट आए है आपके लिए पग्गलैत मूवी रिव्यू ले कर ! पग्गलेत देखने का वक्त मिला और सोचा आपके साथ रिव्यू शेयर करे ! आशा करते है आपको पसंद आए मेरी यह समीक्षा !

निर्देशक- उमेश बिष्ट

कलाकार- सान्या मल्होत्रा, सयानी गुप्ता, श्रुति शर्मा, शीबा चड्ढा, आशुतोष राणा, रघुबीर यादव आदि

प्लेटफॉर्म- नेटफ्लिक्स


बात करे अब इस फिल्म की तो पग्गलैट की कहानी एक मृत व्यक्ति असित गिरी और संध्या ( सान्या मल्होत्रा ) जो की शादी के 5 महीनो के बाद ही विधवा हो जाती है ! फिल्म की कहानी सामाजिक मुद्दों को भी दर्शाती है और देखने पर लगने लगा की प्रेम रोग फिल्म का अपडरेटेड वर्जन होगा पर जैसे जैसे आगे बढ़ती है फिल्म एक नया मोड लेटी है और अपनी कहानी की और आगे बढ़ती है वह सब मुद्दो को छूते हुई !

बात करे सान्या मल्होत्रा की तो उनकी एक्टिंग काफी अच्छी रही है हर फिल्म में लूडो , बधाई हो , दंगल जैसी फिल्म में काम कर चुकी है और पग्गलेट में भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है ।

रूढ़ीवादी घर में अंग्रेजी में एमए बहू के किरदार को सान्या मल्होत्रा ने बखूबी दर्शाया है। पांच महीने में पति की मौत का दुख क्यों नहीं है उसकी गहराई में निर्देशक नहीं गए हैं।

बहुत ही सिंपल सी आम आदमी के घरों में मृत्यु होने पर कैसा माहोल रहता है ।

आशुतोष राणा और शीबा चड्डा जो की आस्तिक के माता पिता का किरदार निभाया है । जो अपने जवान बेटे की मृत्यु का दुख है पर कम प्रभावित करते है ।

फिल्म में कई रूढ़िवाद को दर्शाया गया है एक महिला को कम उम्र में विधवा होने पर समाज में क्या स्थति हो जाती है । रिश्तेदार कैसे चुगली करते है और पुरुष कैसी दुखी होते है उनको न ले जाए अगर किसी रस्म में तो ।
सयोनी गुप्ता अक्सर अपनी फिल्मों में एक अलग और रोचक किरदार निभाते दिखाई देती हैं। फोर मोर शॉर्ट्स , आर्टिकल 15 , जोली एल एल बी 2 में अपनी भूमिका निभाई है । इस फिल्म में भी संध्या ( सान्या मल्होत्रा ) और सयोनि गुप्ता के कैसे संध्या को सायोनी गुप्ता के बारे में कुछ पता चलता है उसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी और आखिर क्यों एक लड़की के साथ ऐशा किया जाता है !

पैगलेट का ही डायलॉग है " जब हम अपनी लाइफ के फैसले खुद नही लेते तो कोई और हमारी लाइफ के फैसले लेने लग जाता है" .

फिल्म की कहानी तो अच्छी है पर बस फिल्म जैसे जैसे आगे बढ़ती है अपनी उस सामाजिक मुद्दों को बस छू कर आगे बढ़ती है फिल्म की कमी मुझे आस्तिक जो इस फिल्म का मूल किरदार है उसकी ना तो कोई तस्वीर दिखाई है ना कोई सीन ! कमी बस यही और सान्या मल्होत्रा जो की ना तो दुखी है ना कोई आसू है अपने पति के जाने का !

" सबको लगा हम पगला गए है जब लड़कि लोग को
अक्कल आती है तो सब उन्हे पग्गलैत ही कहते हैै " ।


रेटिंग: 3.5/5

अपने फ्री टाइम में देखते रहे और आपका मनोरंजन करेगी और साथ साथ आपको भावुक भी करेगी ।


खुश रहे अपने दिल की सुने और इस कोरोना में अपनी मेटल हेल्थ का भी ख्याल रखे आज कल नेगेटिव के जमाने में अपने दिल और दिमाग को पॉजिटिव रखे ।

















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