सपने (पार्ट 1) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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सपने (पार्ट 1)

वह अपने देश से दुबई गया तब उसके जेहन में ढेर सारे सपने थे।उसने सोचा था।परिवार की सारी दरिद्रता और अभाव हमेशा के लिए खत्म कर देगा।उस समय उसके मन मे यह ख्याल नही आया था कि जरूरी नही है।सपने हर इंसान के पूरे हो।उस दुनिया से जा रहा हूं, लेकिन क्या छोड़कर?पिता के पास सम्पति के नाम पर छोटा सा टूटा फूटा मकान था।वह भी उसी की वजह से गिरवी रखा है।परिवार के ढेर सारे दायित्व है,जिन्हें पूरे करने की जिम्मेदारी उस पर थी।लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी निभा नही पाया।
नागेश का शरीर छत पर लटके पंखे से झूल रहा था।फर्श पर आत्महत्या से पूर्व लिखा उसका पत्र पड़ा था।नागेश के माता पिता और भाई बहन बिलख रहे थे।जिन्हें मोहल्ले के लोग सांत्वना देने का प्रयास कर रहे थे।
सपने देखना मानव का स्वभाव है।अजीबोगरीब और सामान्य परिस्थिति में अविशनिय लगने वाले सपने भी कभी कभी मानव नींद में देख लेता है।लेकिन अपने सुनहरे भविष्य का सपना आदमी जागकर भी देख सकता है।नागेश ने भी ऐसा ही एक सपना देखा था।
नागेश का जन्म केरल के कोची में हुआ था।परिवार में माता पिता के अलावा एक भाई और तीन बहने थी।नागेश के पिता मिस्त्री थे।वह एक ठेकेदार के पास काम करते थे।पांच साल पहले एक निर्माणाधीन इमारत से गिरकर वह अपाहिज हो चुके थे।
नागेश सबसे बड़ा था।पिता के अपाहिज होने के बाद परिवार के भरण पोषण का दायित्व उसके कंधो पर आ गया।।परिवार का पेट भरने के अलावा माँ जो टी बी रोग से ग्रसित थी।उसके इलाज का खर्च भी उस पर ही था।छोटे भाई और तीन बहनों की पढ़ाई का खर्च भी था।भाई बहनों के साथ खुद का भी खर्च।
नागेश पिता के अचानक अपाहिज हो जाने के कारण ज्यादा नही पढ़ पाया था।सिर्फ आठ क्लास पास कर पाया था।इतने कम पढ़े लिखे को अच्छी नौकरी कौन देता?वह उसके पिता जिस ठेकेदार के पास काम करते थे।उसी के पास काम करने लग।मज़दूरी में मिलने वाले पेसो से परिवार का खर्च नही चल पाता था।इसलिए वह ठेकेदार से छूटने के बाद वह पल्लेदारी का काम भी करने लग।
और जैसे तैसे दिन गुज़रने लगे।एक दिन नागेश का दोस्त रहमान बोला," मैं दुबई जा रहा हूँ।"
"दुबई,"नागेश ने पूछा,"वहां क्यो?"
"वहां हर समय कामगारों की जरूरत रहती है।दुबई में मज़दूरों को मज़दूरी भी अच्छी मिलती है।वहां के रु की भारत के रुपये से कई गुना ज्यादा कीमत है।"रहमान ने उसे समझाया था।
नागेश ने रहमान को ही नही अपने आस पास के गांवों के कई लोगो को काम के लिए खाड़ी के देशों में जाते हुए देखा था।वहां से लौटे एक दो लोगो से वह स्वयं भी मिला था।खाड़ी से लौटे ये लोग कमाकर सिर्फ पैसा ही नही लाये थे।अपने साथ टेप,टी वी,मोबाइल आदि विलासिता का सामान भी खरीदकर लाये थे।लोगो को काम के लिए खाड़ी के देशों में जाते देखकर और वहां से लौटे लोगो की सम्पनता देख कर नागेश के मन मे भी खाड़ी के देश जाने का विचार आया।वह सोचने लगा।उसके मन मे ढेर सारा पैसा कमाकर लाने का विचार कुलबुलाने लगा।कई दिनों के सोच विचार के बाद उसने अपने मन की बात पिता को बताई।