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कुछ चित्र मन के कैनवास से - 22 - फील्ड म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री स्वामीनारायण मंदिर

फील्ड म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री

दूसरे दिन हम शिकागो के अजायबघर गए । शिकागो ( इलीनॉइस ) में स्थित फील्ड म्यूजियम विश्व के बड़े अजायबघरों में से एक है । इस अजायबघर ने यह स्थान अपने आकार, शैक्षिक तथा वैज्ञानिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अपने अद्वितीय संग्रह के कारण प्राप्त किया है । इसका नामकरण इसके जन्मदाता ( स्थापित करने वाले) मार्शल फील्ड के नाम पर किया गया है । इस अजायबघर को देखने के लिए प्रतिवर्ष लगभग 2 मिलियन लोग आते हैं ।

इसके मुख्य हाल में डायनासोर का कंकाल रखा हुआ है ।इसका 17मई , 2000 में लोकार्पण हुआ था । यह कंकाल 42 फीट (13 मीटर ) लंबा , 13 फीट ऊंचा तथा 67 मिलियन (लाख ) वर्ष पुराना है ।यद्यपि इसके सिर को कुछ टेक्निकल कारणों के कारण नहीं लगाया जा सका है । इस डायनासोर की मृत्यु 28 वर्ष की उम्र में ही हो गई थी । इसके फॉसिल्स (पृथ्वी में गढ़े अस्थिपंजर ) को सयू हैडरिक्सन नामक आदमी ने खोजा था अतः इसको सयू नाम से भी जाना जाता है ।

इस अजायबघर में कई गैलरियां हैं । बर्ड ऑफ बर्ड गैलरी में अन्य पक्षियों के साथ भारतीय पक्षी मोर को देखकर सुखद आश्चर्य हुआ ।

इवॉल्विंग प्लेनेट (घूमते ग्रह ) में 4 बिलियन( खरब) वर्ष पूर्व से अब तक पृथ्वी की विकास यात्रा को विभिन्न मॉडलों के जरिए इतने जीवंत तरीके से दर्शाया गया है कि देखकर विश्वास ही नहीं होता कि कितनी कठिन कठिनाइयों से गुजर कर हमने यह मुकाम पाया है ।

फील्ड म्यूजियम की लाइब्रेरी में 2,75,000 पुस्तक हैं जो बायोडायवर्सिटी (जीव विभिन्नता ), जेम्स (बहुमूल्य पदार्थ /रत्न ) मीटियअराइट (आकाशीय तारा ग्रह), फॉसिल (पृथ्वी में गड़े मानव और वनस्पति के अवशेष )इत्यादि से संबंधित हैं । जानवरों की प्रदर्शनी वाले भाग में एशिया और अफ्रीका के स्तनपाई जीव बहुतायत संख्या में रखे गए हैं वही ग्रेनर हॉल में हीरे जवाहरातों का बहुत बड़ा एवं नायाब संग्रह है ।

यह अजायबघर अपनी विविधता एवं संग्रहणीय वस्तुओं के कारण न केवल दर्शनीय है वरन पढ़ने और शोध करने की सुविधा भी प्रदान करता है । उस दिन लौटते हुए शाम हो गई थी । दूसरे दिन हमें स्वामीनारायण मंदिर देखने जाना था ।


BAPS श्री स्वामी नारायण टेम्पल

दूसरे दिन हम बारलेट नामक स्थान में स्वामीनारायण मंदिर देखने गए । BAPS श्री स्वामीनारायण मंदिर शिकागो , इलिनोइस बीएपीएस स्वामीनारायण संस्थान द्वारा निर्मित एक पारंपरिक हिंदू पूजा स्थल है। BAPS स्वामीनारायण संस्था, जिसकी अध्यक्षता महंत स्वामी महाराज करते हैं, हिंदू धर्म के स्वामीनारायण शाखा का एक संप्रदाय है।

भारतीय मरकना एवं इटालियन संगमरमर के पत्थरों से बना प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति को अंतर्निहित किए , आधुनिक टेक्नोलॉजी का अद्भुत सम्मिश्रण है यह मंदिर । इस मंदिर को बार्टलेट के शिकागो उपनगर में 7 अगस्त 2004 को खोला गया। यह हाथ से नक्काशीदार इतालवी संगमरमर और तुर्की चूना पत्थर से बना है। स्वामीनारण मंदिर इलिनोइस में अपनी तरह का सबसे बड़ा है और इसका निर्माण मंदिर वास्तुकला के प्राचीन हिंदू ग्रंथों में उल्लिखित दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया था। यह परिसर 27 एकड़ में फैला है,
इस मंदिर का निर्माण लगभग 16 महीने में 17 हजार से अधिक कारसेवकों की सहायता से हुआ है ।

देश विदेश के लोग इसकी नक्काशी और कारीगरी को देखकर चकित रह जाते हैं । यही हमारे साथ हुआ । दीवारों पर खुदी कलाकृतियों ने जहां मन मोहा, वहीं मंदिर के प्रांगण में स्थित झरना अलग ही छटा बिखेर रहा था...भारतीय वेशभूषा में खड़ी मटकी से पानी गिराती स्त्रियों की मूर्तियां मन मोह रही थीं वही सामने बागान में पेड़ों को हाथियों के आकार में तराशा देख मन आनंदित हो उठा । पूरा का पूरा ही भारतीय लुक था ।

लकड़ी से बनी नक्काशीदार इमारत हवेली से हमने मंदिर में प्रवेश किया । यहां हिंदुत्व और उसके आदर्शो को समझने तथा भारत की महानता तथा समृद्धिशाली अतीत के बारे में है बताने के लिए लगी प्रदर्शनी को 5 भागों में बांटा गया है । इसमें चित्रों और लेखों के द्वारा यह बताने का प्रयत्न किया गया है कि चाहे मेडिसिन हो, चाहे स्पेस, चाहे योग हो या केमिस्ट्री, गणित हो या एलजेब्रा से संबंधित समीकरण, सभी भारत की देन हैं । जीरो की खोज भारत में 700 B C E में हुई तथा गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत भी भारत के भौतिक शास्त्री महर्षि कनद ने 600 B C E में दुनिया को दिया अर्थात ज्ञान विज्ञान की हर खोज भारत से ही दूसरी जगह गई है । हर क्षेत्र में भारत की अग्रणी रहा है, पढ़ कर बहुत ही अच्छा लगा । कम से कम दूर देश में हमें यह तो एहसास हुआ कि आज विश्व के पास जो कुछ है, वह भारत का ही दिया हुआ है ।

मंदिर के अलावा , इसमें एक हवेली, एक छोटी सी किताबों की दुकान भी शामिल है। हवेली एक सांस्कृतिक केंद्र है जिसमें साप्ताहिक मंडलियाँ आयोजित की जाती हैं। मंदिर प्रतिदिन पूजा और दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है ।

भारत की संस्कृति और गौरव को समझने और समझाने के लिए यहां नियमित रूप से कक्षाएं भी चलाई जातीं हैं जिनमें भगवान स्वामीनारायण की शिक्षाएं उनके शिष्यों द्वारा सिखाई जाती हैं । इसके अतिरिक्त विभिन्न भारतीय त्योहारों पर जैसे शिवरात्रि, दीपावली, अन्नकूट, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, हिंदू नव वर्ष के रूप में रामनवमी पर मंदिर को सजाया जाता है । यह जानकर हमें अत्यंत प्रसन्नता हुई कि इस मंदिर में हर त्यौहार पूरे जोश के साथ पूरी भारतीयता के साथ मनाया जाता है । स्वामीनारायण मंदिर को देखकर लौटते हुए हम सोच रहे थे कि विदेश में अपनी सभ्यता को जीवित रखने का प्रयास सचमुच अद्भुत एवं प्रेरणादाई है ।

सुधा आदेश
क्रमशः



सुधा आदेश
क्रमशः