भूतिया किला Vishnu Dabhi द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भूतिया किला

एक सुखा दूर दूर तक फैला हुआ रण क्षेत्र था। वहा पर पानी तो क्या लेकिन दूर दूर तक कोई पैड भी नहीं था। उस रण में लोग गुमने जाते थे। लेकिन पानी खाना आदि की व्यवस्था कर के वहा पर उंटो से सफर की जाती थी.
वैसे ही एक कबीला उस रण में गुमने के लिए गए । वो वेरान किले और वेरान रण में गुम रहे थे। और उनकी नजर एक दूसरे कबीला पर पड़ी। वो लोग एक किले की ओर जा रहे थे।
जब दोनो कबीले एक साथ उस किले में गए। तब रात भी होने को आई थी फिर उने रहेने का इंतजाम करना था। उस दोनो कबीले के सरदार के कहा कि यह जगा अपने लिए महेफुज है। वो लोग अपने साथ लाए खाने को खाने लगे।
वो लोग खाना खाने के बाद सब एक जगा पे आए । वो जगा सोने के लिए ठीक लगी । उनो ने वहा पर अपना सोने का इंतजाम किया। आधी रात हुई थी और उस किले में से किसी के रोने की आवाज आने लगी।
वो आवाज इतनी भयानक थी वहा पर सोए हुए लोग उठ गए
और वो लोग उस आवाज के पीछे पीछे गए तो वहा पर जो था उसे देख कर उनके होश उड़ गए। लाल बड़ी आंखे ,बिखरे हुए बाल, बड़े बड़े नाखून , धोले कपड़े ओर होठों पे खून , इसी एक चुड़ेल थी। उस चुडेल ने कहा कि आज खाना मिला ही में किसी को नहीं छोडूंगी । वो लोग गभरा गए।
असल में वो जगा एक भूतिया किला था । जहा पर
रात को जाना मना था । सरदार ने कहा कि हमने तुमारा क्या बिगाड़ा है। तुम हमे खा नही सकती। फिर वो चुड़ेल जोर जोर से रोने लगी। और कहा कि आज से पचपन साल पहले में इस किले की राजकुमारी थी । लेकिन एक सिपाही ने उन को जिंदा जला कर मार दिया था । और आज तक में रो रही हु।
किसी ने भी मुझे मेरे दुख के बारेमे नही पूछा । ऐसा कहेने के बाद उस चुडेल ने उन दोनो कबीले पर हमला कर दिया। चारो और अंधेरा छाया हुआ था और ऊपर से उस चुडेल का डर । वो कबीले वाले उधर उधर भागने लगे।
उस भूतिया किला में बहुत ही लोग फस गई थे। एक कबीले के सरदार ने कहा कि हमे सब को एक साथ रह कर चुप रहें चाहिए । वो लोग सरदार की बात को मान गई। और सारे लोग इकट्ठे हुए। भूतिया किला में बहुत ही लोग फस गई थे। एक कबीले के सरदार ने कहा कि हमे सब को एक साथ रह कर चुप रहें चाहिए । वो लोग सरदार की बात को मान गई। और सारे लोग इकट्ठे हुए।
उस रात सब लोग डर के मारे कांप रहे थे। सबको लगता था कि अब वो चुडेल किसको भी नहीं छोड़ेगी।
पहले वो किला सुंदर और आकर्षक लग रहा था । बाद में वो भूतिया और अंघेरे वाला डरावना किला बन चुका था। सब लोग पूरी रात उस किले में से निकलने की कोशिश करते रहे। वहा पर से अजीबो गरीब आवाजे आने लगी। हर तरफ मरे हुए प्राणियों की हड्डियां दिखाई देने लगी। वहा पर से मास की दुर्गंध आने लगी ।
रात पूरी हुई और दूसरे दिन का सुबह हुआ। फिर से वो किला सुंदर और आकर्षक लग ने लगा । मानो यहां पर कुछ भी न हुआ हो। वो किला भूतिया किला में से सुंदर और आकर्षक किले में तब्दील हो गया । उस भूतिया चुडेल का नाम था राजकुमारी अपर्णा।
वो कबीले वाले दूसरे दिन होते ही उस किले में से निकल कर चले गए । वो रण में चलते चलते एक बुढ़िया के घर के पास आए । उस घर से हाथ ने लकड़ी लिए एक बुढ़िया निकली और सिर्फ एक ही सवाल किया ।
मेरी अपर्णा मिली क्या? वो लोग स्तब रह गई।
उस कबीले वाले आजतक उस रात का खौफ नाक मंजर भुला नहीं पाई।....