एपिसोड---48
हमारी जिंदगी के शानदार संस्मरणों में यह एक अनोखा, उत्साहवर्धक और अल्लाहद्कारी संस्मरण था। सन 2002 की बात है...
Won TV Scooty competition
हम दोनों पहली बार नाना नानी बने थे। हमारे परिवार में एक नन्ही कली खिली थी "सौम्या" ! एक दिन स्वाति ने अपने घर से बताया कि उसे एक फोन आया है, " आपके मम्मी- पापा टीवी स्कूटी कंपटीशन में दस हजार कपल्स में से बेस्ट चुने गए हैं। आपको बहुत-बहुत बधाई। उनको 15th सितंबर तक free cruise trip के लिए दिल्ली आना होगा। "यह सुनकर हम सब हैरान रह गए। उसके बाद एक रजिस्टर्ड पोस्ट भी आई जिसमें सारी जानकारी और जरूरी कागज भी थे।
असल में हुआ यूं था कि एक बार दिशा और स्वाति दोनों बैठकर हमारी पुरानी फोटोस देख रही थी कि टीवी पर TVS scooty competition announcement हुई।
"आप अपने माता पिता की जवानी के दिनों की और 60 वर्ष की आयु की कोई romantic photo captions लिखकर भेजें । जीतने वाली बेस्ट जोड़ी को Virgo cruise 5 days trip free का ईनाम मिलेगा। Virgo cruise Singapore to Malaysia लेकर जाएगा। "
हंसी खेल में इन दोनों लड़कियों ने मेरी और रवि जी की फोटोस पापा से कैप्शन पूछ कर लिखे और पोस्ट कर दीं। दैनिक भास्कर और पंजाब केसरी अखबार वाले भी हमारे घर पहुंच गए कि जालंधर का एक कपल जीता है। फोटो भी समाचार पत्र में छपी थी। हर्ष मिश्रित हैरानगी थी, और झोली में मुबारकें पड़ रही थीं।
The title of the competition was
" Forever young couple"
लो जी हम तो "फॉरएवर यंग कपल" बन गए थे फाइनली। क्या मालूम था कि फोटोस का शौक एक दिन ऐसे रंग खिलाएगा..! गूगल पर हम सब की तस्वीरों का जमघट लगा है लेकिन हार्ड कॉपी जो होती थीं, उनकी बात ही कुछ और होती थी। बहुतों ने लॉक डाउन के पीरियड में अपना वक्त पुरानी एल्बम्स और पुरानी फोटोस देख- देख कर निकाला है और मन ही मन खुशियां समेटी हैं।
हां, तो ईनाम वाले टूर की तारीख करीब आ रही थी। कुछ ही दिन बचे थे तो हम दोनों ने दिल्ली ऑफिस बात करके दिल्ली जाना निश्चित किया।
दिल्ली में उनके ऑफिस पहुंचते ही उन्होंने हमें सिंगापुर की दो VIP tickets पकड़ा दीं । Visa भी साथ में था।
दिल्ली से जब हम सिंगापुर एयरपोर्ट पहुंचे, तो वहां हमारे नाम की तख्ती पकड़े एक व्यक्ति खड़ा था । हमारे I-card चेक करके वह हमें Three Star Hotel की कार में ले गया। वहां से सांझ ढले हमने क्रूस के लिए निकलना था।
होटल की कार हमें समुंदर के किनारे ले गई । वहां लकड़ी के गलियारों से जहाज तक जाते हैं । इस 15 मंजिल ऊंचे जलपोत को सागर के वक्ष पर खड़े देखकर अचंभा हुआ। वह तो सागर के वक्ष पर ऐसे डटा था मानो जमीन पर एक विशालकाय 15 मंजिला इमारत खड़ी हो।
क्रूस के भीतर कदम रखते ही एहसास हुआ जैसे हम किसी फाइव स्टार होटल में आ गए हैं। हमारा स्पेशल स्वीट 12वीं मंजिल पर था जिसमें बाहर की ओर बालकनी भी थी। नीचे अथाह सागर और ऊपर श्यामल गगन। सांझ की बेला में छुटपुट रोशनियां सागर तट की ओर दीये सी टिमटिमा रही थीं। ऐसे भाव उमड़ रहे थे जैसे कभी पहले नहीं उमड़े थे- नि:शब्द थी मैं! होंठों से शब्द गुम हो गए थे। शुकराने में निगाहें बस ऊपर जाती थीं।
उन दिनों घुटनों के दर्द के कारण में आसानी से लम्बा चल नहीं पाती थी। तो मेरे लिए एक wheel chair दे दी गई थी। फिर तो हमने क्रूस के भीतर खूब सैर करी। कोई जगह छोड़ी नहीं।
हमारी समुद्री यात्रा की शुरुआत हो चुकी थी यह Star Cruise का " SUPER STAR VIRGO " cruise था। इसके मुख्य हॉल के ठीक बीच में में दो सफेद चांदी जैसे चमकते घोड़े अगले पाव ऊपर उठाए हुए भव्य लग रहे थे। कुछ महीने पहले ही हमने यह किसी फिल्म में भी देखे थे। बाहर बालकनी में लगी फोटोस देखकर मालूम हो गया था यहां पर फिल्म की शूटिंग हुई थी।
क्रूज शिप के भीतर-- कसीनो, कारओके, वीडियो आरकेड, जिम, ब्यूटी सलून, थिएटर और ढेरों प्रोग्राम के हॉल भी थे। दसवीं मंज़िल पर बच्चों के लिए वॉटर गेम्स और स्विमिंग पूल बने हुए थे। सबसे ऊपर खुली छत पर बड़े- बड़े स्विमिंग पूल थे। शानदार संगीत के साथ शानदार जिमनास्टिक भी होता था। जादूगर के खेल भी दिखाए जाते थे। यह सब कुछ मुफ्त में नहीं था। थोड़ी बहुत यानि कि आठ या दस डॉलर टिकट लगती थी। समय बिताने के लिए ढेरों spots( ठिकाने) थे।
हम लोगों ने maximum shows enjoy किए। सच बात बताऊं? हमने केवल नाम का Nude show भी देखा, जहां हॉल में पूरी सीटें फुल थीं लेकिन वहां सुई पटक सन्नाटा था और हल्की नीली रोशनी स्टेज पर नाम भर को थी, वैसे अंधेरा ही पसरा था । Lion Show भी देखने गए थे। हालांकि पता लगा था कुछ दिन पहले लॉयन furious हो गया था। मास्टर ने उसको बहुत मुश्किल से काबू किया था।
अभी तो क्रूस पर जाने की हमने कोई चाहत ही नहीं की थी मन में, फिर भी कुदरत ने हमारी झोली में यह नेमत डाल दी थी। आकाश में अभी केसरी रश्मियां मलयागिरी रूप नहीं धरती थीं, कि मैं बिस्तर से उठ, जाकर बालकनी में बैठ जाती थी उसके अनुपम सौंदर्य को निहारने के लिए।यूं लगता था जैसे यह जलपोत लहरों पर विश्राम कर रहा है, पर असल में वह चल रहा होता था।
हम मलेशिया जा रहे थे रास्ते में सागर के बीचों-बीच बने कई सुप्त द्वीप आते थे जिन पर कोई आबादी नहीं थी। लेकिन जब वह पीछे छूट जाते थे तो आभास मात्र होता था कि हम आगे बढ़ चुके हैं और वे पीछे रह गए हैं। रात की अंधियारी कालिमा में यदि किसी द्वीप पर रोशनी के पुंज दिखाई देते, तो यूं भान होता था ---दूर जुगनुओं की रोशनी टिमटिमा रही है। हम स्थिर हैं और यह द्वीप पानी पर तैर रहे हैं ।" अज्ञेय" के नदी के द्वीप भी याद आई वहां।
वैसे भी सागर को अपलक निहारते रहने से प्रकृति के सामीप्य का आभास होता था। लगता था एक अमूल्य निधि प्राप्त कर रहे हैं। क्रूज शिप में प्रचुर मात्रा में शाही खानपान था। शाकाहारी भोजन भी अति स्वादिष्ट था। मांसाहारी भोजन का क्षेत्र विपरीत दिशा में था । हर तरह का फल, बेकरी, मिठाई, नमकीन किसी वस्तु की कोई कमी नहीं थी । लेकिन समय की पाबंदी अवश्य थी। दो दिनों पश्चात हम कोलालम्पुर (मलेशिया )के तट से जा लगे थे। वहां पर एक दिन का विश्राम था।
टैक्सी लेकर हम अलग से घूमने निकल गए थे। शहर के नामी मंदिर देखे जो दक्षिण भारतीय मंदिरों सदृश्य थे। मुसलमान आबादी बहुतायत में थी। अमेरिका के सबसे ऊंचे टावर्स गिर जाने के बाद, दुनिया के सबसे ऊंचे टावर अब वहीं थे। Fine Steel towers जोकि देखने में दो बड़े और एक आधा है। उनकी दीवार को छूने से लगा जैसे हम सफेद स्टील की थर्मस छू रहे हैं।
यहां एक बात बड़ी अजीब थी--- जब हम समुद्र किनारे से शहर के भीतर जा रहे थे तो देखा कि जितना स्लम एरिया अर्थात गरीब लोगों के झोपड़े का एरिया है उसे बड़ी- बड़ी टीन की शीट्स लगा कर ढंक दिया गया है---जिससे पर्यटक शहर की गंदगी या शहर के मुंह पर दाग़ ना देख सकें । अपना अपना नजरिया है सरकारों का शासन करने का !
रात को हम अपने जलपोत पर लौट आए थे। अगले दिन शाम को वहां KODAK Film वालों ने फोटोग्राफी के लिए जितने पर्यटक क्रूस शिप पर ठहरे थे, उनको दसवें फ्लोर पर बुलाया। लो जी, वहां की Show करने वाली परियां आप के साथ खड़ी होकर फोटो खिंचवाती हैं, जिन फोटोस को आपने खरीदना होता है। यह लड़कियां या परियां इतनी सुंदर दिखती हैं कि लगता है हाथ लगाने से मैली हो जाएंगीं। असल में पर्यटकों को साथ ले जाने के लिए यह फोटोस भी सुनहरी यादें थीं।
ढेरों मौज मस्ती के बाद पांचवें दिन हम सिंगापुर लौट आए थे। यहां मेरी सहेली पुष्पा तिवारी की बेटी जूही रहती थी। वह अपने पति प्रशांत शुक्ला के साथ हमें लिवाने आ गई थी। वहां हम दो दिन रह कर बहुत घूमे। एक रात हम Night Safari open Zoo देखने चले गए थे। जहां हम ट्रेन में घूमते रहते हैं और तरह- तरह के जानवर खुले में घूमते रहते हैं जिन्हें आप आराम से देख सकते हैं मन भर कर।
वहां की फेमस शॉपिंग मॉल मैं शॉपिंग भी खूब करी। और शाम को Parrots Show भी एंजॉय किया। जिसमें लाल, हरे, पीले, सफेद तोतों को उनके नाम से बुलाकर उनसे शो करवाते हैं। जूही को धन्यवाद देकर हम आठ दिनों बाद ढेर सारी यादें और अनोखे अनुभव अपने दामन में बटोरकर दिल्ली होते हुए वापिस जालंधर आ गए थे ।
वापिस आने पर सौम्या बेबी को देखने का खूब मन था। हमारे परिवार में वह पहला बच्चा था इस नई पीढ़ी का और वह बहुत चुस्त भी थी । हम जाकर उन्हें कुछ दिनों के लिए अपने घर ले आए और फिर खूब लाड़ लड़ाए।
अमेरिका से आने के बाद बहुत व्यस्त रही ज़िंदगी। समय था अब मोहित को भारत बुलाकर उनकी शादी का रिसेप्शन करना।
मिलते हैं अगली बार, एक नया अफसाना लिए...
डॉ वीणा विज
17/9/2020