गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 15 Kamal Patadiya द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 15

ईशान धीरे धीरे अपनी आंखें खोलता है। अपने बदन में लगी हुई चोटो की वजह से उसको दर्द हो रहा था और कमजोरी भी महसूस हो रही थी फिर भी वो अपने आसपास चारोंओर झांकने की कोशिश करता है।

चारोंओर अंधेरा छाया हुआ था। दूर एक काच की खिड़की में से बाहर की रोशनी दिखाई दे रही थी। खिड़की से बाहर हल्की हल्की बर्फ गिर रही थी। ईशान को सबकुछ धुंधला धुंधला सा दिखाई दे रहा था। चारोंओर पुराना सामान और टूटी फूटी चीजवस्तुए पड़ी हुई थी इससे उसको अंदाजा हो जाता है कि वह किसी के घर का basement या store room था।

स्टोर रूम के अंदर बहुत ही ठंड थी जिसकी वजह से उसके होंठ कपकपा रहे थे। वो ठंड से ठिठुरते हुए अपने हाथों को उठाने की कोशिश करता है तब उसको पता चलता है कि उसके हाथ और पैर कुर्सीसे बंधे हुए थे। वह अपने आपको कुर्सीसे छुड़ाने की कोशिश करता है। तभी उसके कानों में किसीके सिसकने की आवाजें सुनाई देती है। ईशान चिल्लाकर पूछता है।

"कौन है वहां पर....?"

"ईशान..... ईशान..... मैं पूजा....."

"पूजा???...oh... my.... god.... पूजा!!! कहां पर हो तुम?"

" ईशान!!! में ईसी स्टोर रूम के कोने में हूं। मेरे हाथ पैर कुर्सी से बंधे हुए हैं और मेरी आंखों पर पट्टी बंधी हुई है। please...ईशान!!! मुझे यहां से छूडाओ।" पूजा रोते रोते ईशान से कहती है।

"पूजा... मैं भी कुर्सी से बंधा हुआ हूं पर तुम फिकर मत करो, मैं यहीं पर हूं।"

"और मैं भी....." अचानक तीसरे व्यक्ति की आवाज आती है।

"कौन? रेहान...? तुम भी यहीं पर हो?"

"हा.... ईशान!!! तुम दोनों की तरह मैं भी कुर्सीसे बंधा हुआ हूं और मेरी आंखों पर भी पट्टी बंधी हुई है।"

"और मैं भी तुम्हारी तरह बंधी हुई हूं.... रेहान!!!" तीनों को आलिया की आवाज सुनाई देती है।

"आलिया.... आलिया.... आलिया.... Ohhh...Thank....God.... आलिया तुम ठीक तो हो ना?"

"हा ....रेहान!!! मैं ठीक हूं।"

"लेकिन मैं ठीक नहीं हूं....." अचानक और एक आवाज सुनाई देती है।

"कौन?..... अनिरुद्ध?.... क्या हुआ तुम्हें?"

"मेरे सिर पर चोट लगी हुई है।" अनिरुद्ध दर्द से कराहते हुए बोलता है।

"और मेरे भी....." अचानक रणवीर की भी आवाज सुनाई देती है।

"कौन रणवीर?? तुम भी हो यहां पर...??'

"हा...ईशान! मैं भी यहीं पर हूं और अनिरुद्ध की तरह जख्मी हूं।"

"और कोई है यहां पर...?? प्रिया.... रोशनी.... तुम लोग भी यहां पर हो?" ईशान जोर-जोर से चिल्लाकर बोलता है।

"हा.... ईशान! हम लोग भी यहीं पर है।" रोशनी और प्रिया की आवाजें सुनाई देती है।

"Ohhh.... My.... God.... Thank.... You.... God...." ईशान भगवान का शुक्रिया अदा करते हुए बोलता हैं।

"मुस्कान कहां है?" अनिरुद्ध सबसे पूछता है।

सबलोग चिल्लाकर आवाज देते हैं "मुस्कान..... मुस्कान......" लेकिन मुस्कान का कोई जवाब नहीं मिलता है।

थोड़ी देर बाद, ईशान प्रिया से कहता है "देखो.... प्रिया! मेरा शक बिल्कुल सही था, इन सबके पीछे मुस्कान का ही हाथ है। उसने अपने यार विक्रम से मिलकर हम सबको यहां पर फंसा दिया।"

"ईशान! ये सब बातें हम पहले भी कर चुके हैं, अब इन बातों का कोई मतलब नहीं है। छोड़ो.... यह सब बातें..... भगवान का शुक्र मनाओ कि सब लोग सही सलामत है.... पूजा!!! तुम यहां पर कैसे पहुंची?" प्रिया पूजासे पूछती है।

"जब तुम लोग होटल से निकलकर विक्रम को ढूंढने के लिए मार्केट में गए थे। मैं अपने कमरे में आराम कर रही थी। शाम को करीबन 7:00 बजे मेरी नींद खुली और मुझे थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था इसलिए मैं रिसेप्शनिस्ट को बताकर बाहर चक्कर लगाने निकली थे। शिमला के रास्तों पर चक्कर लगाते लगाते मैं एक बंद गली मे चली गई थी। वहां पर किसी ने पीछे से अपने रुमाल से मेरे मुंह को दबा दिया। पता नहीं उस रुमाल मे ऐसा क्या था जिससे मुझे चक्कर आने लगे और धीरे धीरे मैं बेहोश होने लगी थी तब उसने मुझे उठाकर अपनी VAN में रखा, बाद में, मुझे कुछ होश नहीं रहा और जब मुझे होश आया तब मैंने अपने आप को यहाँ ऊपर एक बड़ा सा घर है उसके एक कमरे में बंधा हुआ पाया।"

"पूजा!!! kidnap करने वाले को तुमने देखा है?"

"नहीं..... क्योंकि वह जब भी कमरे में खाना देने के लिए आता था, अपने चेहरे पर नकाब पहनकर आता था। मुझे उसको देखकर बड़ा ही डर लगता था इसलिए मैं उसके सामने चुपचाप ही रहती थी। आज ही वो मुझे यहाँ नीचे स्टोर रूम में लेकर आया है।"

"अनिरुद्ध!!! तुम यहां पर कैसे आए?? तुम तो विक्रम को ढूंढने के लिए यहां जंगल में आए थे ना? तुम्हारा मैसेज भी मेरे मोबाइल में आया था।" ईशान अनिरुद्ध से सवाल करता है।

"नहीं भाई! मैंने तुमको कोई मैसेज नहीं किया था। जब हम सब लोग रात को पूजा को ढूंढने के लिए निकले थे तब मैं एक गली में जा पहुंचा। वहां पर एक VAN खड़ी थी, मुझे लगा कि वहां पर जाकर ड्राइवर से पूछताछ करनी चाहिए लेकिन जब मैंने वहां पर जाकर देखा तो वहां पर कोई नहीं था। मैं ड्राइवर को ढूंढने के लिए इधर उधर नजर घुमा रहा था इतने में किसीने पीछे से मेरे सिर पर डंडे से वार किया और मै वहीं पर ढेर हो गया। बाद में, मेरी आंखे यहीं पर किसी एक कमरे में खुली।"

"Ohhh..... इसका मतलब तुमने मुझे मैसेज नहीं किया था।"

"नहीं..... शायद ये भी उस नकाबपोश का ही काम होगा।"

"रोशनी!!! तुम तो हमसे रूठकर जंगल के रास्ते शहर वापस चली गई थी ना!! फिर तुम यहां पर कैसे पहुंची?" रेहान रोशनी से पूछता है।

"नहीं..... मैं कहीं भी नहीं गई थी, उस रात तुम दोनों से झगड़ा करने के बाद मुझे traveller में नींद नहीं आ रही थी। मेरा गुस्सा शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था इसलिए मैं फ्रेश होने के लिए traveller से बाहर निकलकर थोड़े दूर टहलने गई थी। तभी किसीने पीछे से रुमाल से मेरे मुंह को दबा दिया और मुझे बेहोश कर दिया।"

"और तुम यहां पर पहुंच गई।"

"हां..... बिल्कुल.... "

"तो फिर तुमने भी रणवीर को मैसेज नहीं किया होगा?.... right....?"

"नहीं..... मैंने किसी को मैसेज नहीं किया था।'

"मैं समझ गया!!! यह काम भी उस नकाबपोश का ही लगता है।.......और रणवीर तुम्हारी क्या कहानी है?"

"मैं तो रोशनी को ढूंढने के लिए जंगल में इधर उधर भटक रहा था तभी अचानक किसीने पीछे से मेरे सिर पर कोई भारी चीज से वार किया और मैं वहीं पर गिर गया और बेहोश हो गया। जब मुझे होश आया, तब मैं यहां पर था।"

"आलिया..... रेहान...... मुझे लगता है तुम दोनों के साथ भी यही हुआ होगा..... क्यों??" प्रिया उन दोनों से पूछती है।

"हां.... प्रिया!...... बिल्कुल... यही हुआ था। क्यों आलिया?" रेहान आलिया से पूछता है।

"हां.... यही हुआ था।" आलिया प्रिया से कहती हैं।

"और तुम्हारे साथ क्या हुआ था? प्रिया!!" रेहान प्रिया से पूछता है।

"मैं और मुस्कान traveller में सो रहे थे तभी किसी ने मेरे मुंह पर स्प्रे छिड़क दिया जीससे मैं बेहोश हो गई और यहां पर पहुंच गई।"

"वो.... मुस्कान ही होगी, प्रिया!!" ईशान बीच में बोल पड़ता है।

"तुमको अब भी मुझ पर शक है... ईशान!!!" किसीके बेहोशी में से होश में आने के बाद, आवाज निकलती है।

"कौन....? मुस्कान....?"

"हां.... प्रिया!! मैं ही हूं..... मुझे भी तुम्हारी तरह नींद में ही किसीने बेहोश कर दिया था।"

थोड़ी देर बाद, ईशान मुस्कान से कहता है कि "....अच्छा..... तो.... अब मैं समझा…. जब मैं और अमन तुम दोनों को आवाज देते हुए traveller के पीछे दौड़ रहे थे तब तुम दोनों हमें जवाब क्यों नहीं दे रहे थे क्योंकि उस वक्त तुम दोनों बेहोश थे।...... मुझे माफ करना मुस्कान..... मैंने तुम पर शक किया।"

"कोई बात नहीं…. ईशान!"

"ईशान.... अमन कहां है?" प्रिया ईशान से पूछती है।

"प्रिया!!! तुम्हारे kidnapping की वजह से मैं अपने होश खो बैठा था और अमन से मेरा झगड़ा हो गया था। हम दोनों लड़ते-लड़ते waterfall के पुल पर चले गए थे। हमारी लड़ाई के दरमियान पुल पर से अमन का पैर फिसला और वह नीचे पानी में गिर गया।"

"ईशान!! यह तुमने क्या किया? एक निर्दोष आदमी से तुमने लडाई-झगड़ा और मारपीट की?"

"Ohhh... My.... God.... यह मैंने क्या कर दिया?.... I... am... Sorry.... अमन।"

"ईशान!! वह जिंदा था.... या....?"

"I hope की वो जिंदा हो और सही सलामत हो, लेकिन प्रिया!!! मेरा उसको पुल पर से गिराने का बिल्कुल भी इरादा नहीं था। लड़ाई के दौरान मुझे यह अहसास हि नहीं हुआ कि मैं कुछ गलत कर रहा हूं। इस बात के लिए मैं बहुत ही शर्मिंदा हूं...। रेहान.... आलिया.... मैं अपनी बदतमीजी के लिए तुम लोगों से भी माफी मांगता हूं। I am sorry for everything.... मुझे माफ कर देना।" यह कहकर ईशान सीसकिया ले लेकर रोने लगता है।

"कोई बात नहीं ईशान!!! जो भी कुछ भी हुआ उसे भूल जाओ।" रेहान और आलिया ईशान को समझाते हुए कहते हैं।

"यह नकाबपोश कौन है? आखिर हम लोगों से उसकी क्या दुश्मनी है?" रोशनी frustrated होकर सबसे पूछती है।

"मुझे तो पूरा doubt है, हो ना हो ये विक्रम का ही काम है।" रणवीर सबसे कहता है।

"कमीने...! कहां है तू? सामने क्यों नहीं आता?? पीछे से वार करता है बुजदिल!!" अनिरुद्ध गुस्से से लाल-पिला होकर चिल्ला चिल्लाकर बोलता है।

तभी अचानक स्टोर रूम का दरवाजा खुलता है और वहां से overcoat और मास्क पहने एक आदमी स्टोर रूम के अंदर दाखिल होता है। उसने बड़े-बड़े जूते पहने थे और उसके हाथ में बड़ा सा खंजर था। वह स्टोर रूम की lights चालू करता है। सब लोग आंख की पट्टी में से झांकने की कोशिश करते हैं लेकिन सबको परछाईयो के अलावा और कुछ दिखाई नहीं देता है।

एक ईशान ही था जो उसे देख पा रहा था। ईशान गुस्से से नकाब वाले आदमी को देखता है और अपने आप को कुर्सी से छुड़ाने की नाकाम कोशिश करता है। नकाबपोश धीरे-धीरे ईशान के पास जाता है और उसके गले पर खंजर रखता है जिससे ईशान शांत हो जाता है।

ईशान उससे पूछता है "कौन हो तुम? क्या चाहते हो? हमें यहां बांधकर क्यों रखा गया है?"

यह सुनकर वह नकाबपोश जोर जोर से हंसने लगता है। उसकी हंसी की गूंज पूरे स्टोर रूम में सुनाई देती है। सभी लड़कियों को उसकी इस भयानक हंसी से डर लगने लगता है।

थोड़ी देर बाद, नकाबपोश आदमी ईशान के मुंह पर पट्टी लगा देता है। वह एक-एक करके सबके मुंह पर टेप लगा देता है और सबकी आंखों की पट्टीयां खोल देता है। सब लोग धीरे धीरे अपनी आंखें खोलने की और अपने आसपास क्या हो रहा है वह देखने की कोशिश करते हैं।

बाद में, वह नकाबपोश स्टोर रूम के बीच में एक पुराना सा सौंफा रखा हुआ था, उस पर बैठ जाता है और अपने हाथ में खंजर घुमाते हूए गाना गुनगुनाने लगता है।

"ना...आ.....ना..ना...नाआ..ना..ना..ना....ना..ना।" और थोड़ी देर बाद, बोलना शुरू करता है।

"मुझे अंदाजा नहीं था कि तुम लोगों की दोस्ती इतनी मजबूत होगी कि यहां पर तुम सब एकसाथ मरने के लिए चले आओगे।" इतना कहकर वो फिर से जोर जोर से हसने लगता है।

"तुम सब लोग यह जानने के लिए बडे ही बेताब होंगे कि मैं कौन हूं और तुम सबको यहाँ पर क्यों लाया हूं?? हममममम्..... चलो!! आज मैं तुम सबको एक कहानी सुनाता हूं जिसे सुनने के बाद तुम लोगों के सभी doubts क्लियर हो जाएंगे।"

क्रमशः