सुबह सुबह ब्रिजेश अपनी मां से झगड़ रहा था। मां चुप चाप अपना सिर झुकाए उसकी बाते सुन रही थी।ब्रिजेश अपने छोटे भाई जयेश की तरफ गुस्सैल नजरों से देखते हुए फिर से मां पर बरस पड़ा।
" मां एक बात बताओ तुम मुझे क्या ये जयेश अकेला ही तुम्हारा बेटा है ? हर बार हर बार तुम्हे मुझमें और जयेश में पक्षपात क्यों करती हो ? बचपन से देखता आ रहा हु तुम हमेशा उसीकी साइड लेती हो।अरे ! मैं भी तो तुम्हारा ही खून हु या मुझे किसी कूडादान से उठाकर लाई हो? कभी कभी लगता है शायद तुम मेरी नही सिर्फ जयेश की मां हो।अब तो बस बोहत हुआ अब मैं तंग आ गया हु इस पक्षपात से,तुम मुझे बताओ की क्या ये जयेश ही तुम्हारा बेटा है ? और मैं कोई नही ? "
मां हैरानी से चुप चाप उसकी बात सुन रही थी ।ब्रिजेश की बात सुनकर मां धीरे से उसे समझाते हुए बोली।
" बेटा तुम दोनो ही मेरा खून हो।तुम दोनो भी मेरे लिए मेरी दो आंखो की तरह हो"
मां की बातो को बीच में ही काटते हुए ब्रिजेश जोर से बोला।
" झूट,झूट सब झूट अगर ऐसा है तो तुमने अपने नाम की एफडी के सारे पैसे जयेश के नाम पर क्यों कर डाले ? तब तुम्हे मेरा खयाल नही आया ? " अब बस हो गया तुम रहो अपने बेटे के साथ मुझे नही रेहना तुम दोनो के साथ ।तुम्हारा एक ही बेटा है ये मान के चलो आज से।मै इस घर को और गांव को छोड़ कर हमेशा के लिए शहर में जा रहा हु।"
ब्रिजेश की बात सुनकर मां उसके सामने गिड़गिड़ाते हुए बोली।
" ऐसा मत बोल बेटा,तुझे तो पता ही है ना की जयेश थोड़ा भोला है और बचपन से ही उसका स्वास्थ ठीक नही है उसे सहारे की जरूरत है लेकिन तुम तो अच्छे खासे हो और पढाई में भी अव्वल हो तुम तो अपना गुजारा कैसे भी कर लोगे लेकिन मेरे बाद जयेश का क्या होगा ? उसका ध्यान कौन रखेगा ? बस यही सोच मैने पैसे उसके नाम कर डाले बेटा। पैसों का बटवारा हो सकता है बेटा लेकिन मां को ममता का बटवारा मत कर ।मै तुम दोनो के बगैर नहीं रह सकती ।मत जा ब्रिजेश मुझे छोड़ कर।"
लेकिन ब्रिजेश ने मां की नही सुनी ओ अपनी मां, भाई और गांव को छोड़ कर चला गया।ब्रिजेश और जयेश सगुना के दो बेटे थे।पति के गुजरने के बाद सगुना ने दूसरो के घर जाकर झाड़ू पोछा करके दोनो बेटो को बड़ी मुश्किलों से पाल पोस कर बड़ा किया था।जयेश बचपन से ही मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर था लेकिन उसके मुकाबले ब्रिजेश काफी होशियार और स्वस्थ था इसलिए सगुना के गुजरने के बाद जयेश का सारा बोझ ब्रिजेश के ऊपर ना पड़े ये सोच कर ही सगुना ने कुछ जमा किए हुए पैसे जयेश के नाम पर कर डाले थे लेकिन ये बात ब्रिजेश को रास न आई और वो गुस्से में दोनो को छोड़कर चला गया।मां हमेशा अपने कमजोर बच्चे पर ज्यादा ध्यान देती है लेकिन इसका मतलब ये नही होता की उसे अपने दूसरे बच्चो से प्यार नहीं लेकिन ब्रिजेश ने अपने मां का प्यार पैसों में तोला ।कुछ दिन ऐसे ही बीते सगुना रोज ब्रिजेश के वापस आने का इंतजार करती लेकिन ब्रिजेश तो मानो जैसे अपने मां और भाई को भूल ही गया था।उसने कभी उन दोनो के बारे में पूछताछ करने की कोशिश भी नही की ।शहर में ही एक अच्छी कंपनी में उसकी नौकरी लग गई थी फिर वही की एक लड़की देख उसने शादी भी कर ली।अब उसका खुद का खुशहाल परिवार था लेकिन ब्रिजेश को जुड़वा बच्चे हो गए ।जिसमे से एक जन्म से ही कमजोर था अब ब्रिजेश को अपने स्वस्थ बच्चे से ज्यादा ध्यान अपने कमजोर बच्चे पर देना पड़ रहा था और अब उसे अपने मां की याद सताने लगी थी।एक दिन ब्रिजेश को अपने गांव वाले से पता चला कि उसकी मां बोहत ही बीमार है और उसे बेहद याद करती है।ब्रिजेश ने अपनी मां को देखने जाने का फैसला किया और सालो बाद वो अपने गांव पहुंचा लेकिन तब तक उसकी मां गुजर चुकी थी।जयेश ने ब्रिजेश को गले लगाया और उसके हाथ में एक गठरी थमा दी ।ब्रिजेश ने गठरी खोल कर देखी तो उसमे उतने ही पैसे थे जितने उसकी मां ने जयेश के नाम पर कर डाले थे।ब्रिजेश के जाने के बाद मां ने घर घर जाकर काम करके ब्रिजेश के लिए वे पैसे इकट्ठे किए थे।जब इस बात का पता ब्रिजेश को चला उसके हाथ कांपने लगे वो जोर जोर से मां को पुकारने लगा,रोने लगा ,चिल्लाने लगा लेकिन अब उसकी पुकार सुनने के लिए मां इस दुनिया में ही नही थी।
समाप्त