प्रेम की भावना (अंतिम भाग) Jyoti Prajapati द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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प्रेम की भावना (अंतिम भाग)

भावना के जाने के दो महीने बाद सुधा ने जुड़वा बच्चो को जन्म दिया। एक बेटा और एक बेटी। सबका बड़ा मन रहा घर मे पूजा-पाठ हो जाये..! मगर मेरा मन नही था।
पर मम्मी कहने लगी,"छोटे स्तर पर ही रख लेते हैं प्रेम..!कन्याभोज करवा लेने दे..!!"

मैं क्या कहता..? अपने दुख से सबको क्यों दुखी करु??

बच्चो के जन्म के तीन महीने और भावना के जाने के पांच महीने बाद बच्चो का नामकरन संस्कार हुआ..! तब तक दोनो के घर के नाम पड चुके थे।

बेटे का नाम रखा "यथार्थ" और बेटी का ,"सृष्टि"...! ये नाम मुझे भावना ने बताए थे!! जब भी मैं और भावना बच्चो की बात करते, भावना ज़िद करती," बच्चो के नाम तो मैं ही रखूंगी बस..!.!"
मेरी भावना खुद भी बच्चो से कहां कम थी?? बच्चो के नामकरण संस्कार वाले दिन रवि भी आया था ! सुधा और बच्चो के लिए कपड़े लेकर।

उसने सुधा के सिर पर हाथ रखा..! फिर मुझसे मिलने रूम में आ गया..! रूम में आते ही उसकी नज़र सामने लगी भावना कि तस्वीर पर गयी..! भावना के एक सुंदर से फ़ोटो को मैंने लार्ज करवाकर फ्रेम करवा लिया था !!

भावना की तस्वीर देखते ही रवि की आंखे छलक आयी..! मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा तो उसने झट से अपने आंसू पोंछ लिए..!

मेरा और भावना का साथ सात साल ही रहा मगर रवि के साथ तो तीस साल का रिश्ता था उसका..!!

रवि ने मेरी ओर एक लिफाफा बढ़ाया..! मैंने हैरानी से उसे देखा तो वो कहने लगा,"आपकी अमानत है जो भावना ने मुझे दी थी..!!कहा था बच्चो के जन्म के बाद दू आपको..!! अब इसे आपको सौंपकर अपनी जिम्मेदारों पूरी कर रहा हूँ..!!"

मैंने रवि से पूछा,"मेरी अमानत..! मतलब..??"

रवि ने कहा,"हाँ आपकी अमानत..!! जब भावना को ये पक्का विश्वास हो गया था कि अब उसके पास समय कम है और आपके साथ ज्यादा समय नही बिता पाएगी इसलिए वो अपना समय इनके साथ बिताती थी..! आप खोल कर देख लीजिएगा..!!"

रवि इतना बोलकर बाहर निकल गया..!! मुझसे इंतेज़ार नही हुआ..! मैंने तुरंत लिफाफा खोलकर देखा..!! भावना के लिखे हुए कुछ खत थे उसमे..!!
भावना जो बातें मुझसे नही कर पाई जो बातें मुझे नही कह पाई वो सब इन लेटर्स में लिख दिया उसने..!!

मैंने सारे लेटर्स निकाले..! फिर उनमें से एक-एक लैटर निकालकर पढ़ने लगा....

मेरे प्यारे प्रेम जी,

आई लव यू इतना सारा........
कितना सारा...??
बहुत, बहुत, बहुत सारा......
उतना जितना मैंने अपने जीवन मे कभी किसी को नही किया..! पता नही ये लैटर आपको कब मिले..? जब मिले तब मैं रहूं या ना रहूं..!! पर मेरी यादें हमेशा आपके साथ आपके पास रहेंगी। अब तक तो आप ये अच्छे से समझ ही गए होंगे क्यों मैंने आपसे दूसरी शादी करने की ज़िद की...क्यों सुधा को हमारे रूम में शिफ्ट किया....क्यों आपसे झगड़ने लगी थी और क्यों आपसे दूर चली आयी थी...??

मैं जानती थी, मेरे जाने के बाद आपको घर के हर एक कोने में मेरा अक्स नज़र आएगा..! विशेषकर हमारे रूम में..!!! इसलिए मैंने वहां सुधा जीजी को शिफ्ट करवाया ताकि मेरे जाने के बाद मेरी यादें ना कचोटे आपको.!! कमरे में कोई सूनापन या बैचेनी ना लगे आपको..!!
मुझे जब पता चला कि अब मेरे पास हद से हद सालभर का समय है तो टूट गयी थी मैं अंदर ही अंदर..! पर अगर मैं ये आपको बताती तो शायद आप सहन नही कर पाते !मैं अपनी दुख तकलीफ तो सह सकती हूँ पर आपको दुख में नही देख सकती !!

माफ कर दीजियेगा अपनी भावना को !! आपसे इतना कुछ छुपाया मैंने..! आपको तकलीफ दी उसके लिए !! पर अगर मैं आपको सबकुछ पहले ही बता देती तो आपको तकलीफ ज्यादा होती, जो मैं नही चाहती थी !!! क्या करूँ....आदत से मजबूर जो है आपकी पगली भावना..!!!

पता है, जब भी आप मुझसे मिलने आते थे मैं क्यों नही मिलती थी..?? क्यों कि उस समय मैं हॉस्पिटल में हुआ करती थी ! अपनी कीमो थैरेपी के लिए..?!!
मेरी हालत ही नही हुआ करती थी आपका सामना करने लायक।
फ़ोन पे बात भी इसलिए ही नही करती थी..! दर्द उठता था, और आप तो इतने अच्छे से समझते है कि मेरी आवाज़ सुनकर ही मेरे दर्द का पता लगा लेते..! और फौरन मेरे पास चले आते..!!
ना तो आप मेरा दर्द देख पाते और ना ही मैं आपका..! इसलिए आपसे दूरी बना ली थी मैंने..! ताकि सिर्फ एक को ही ज्यादा दर्द सहना पड़े..!!

प्रेम जी, मैंने अपनी कमाई में से आज तक एक पैसा भी ख़र्च नही किया..!! कभी जरूरत ही नही पड़ी !! शादी के पहले पापा और रवि भैया मेरे खर्चे उठाते थे और शादी के बाद आप..! मेरे तो सारे रुपये बैंक में ही पड़े रह गए..!
अपनी उसी कमाई का कुछ हिस्सा मैंने आपके तो कुछ रवि भाई के नाम कर दिया हैं।
भाई मुझसे रुपये नही लेगा, जानती हूँ मैं..!! पर आपको उन्हें देने ही होंगे ! इसलिए नही की भाई ने आजतक मुझपर जो भी खर्चा किया उसका हिसाब करने के लिए ! बल्कि भाई का जो सपना था एक आर्किटेक्ट बनने का उसे पूरा होते देखना चाहती हूँ..! आज भाई जिस मकाम पर है, अपनी मेहनत से है ! अगर वो मेरे इन रुपये का प्रयोग करता है तो मुझे लगेगा, मैंने भी भाई के सपने में अपना योगदान दे दिया।

और आपको रुपये इसलिए देना चाहती हूँ, की भावना के बच्चो को पालने में कुछ रुपये मेरे भी खर्च हो जाये..! जीवित रहते ना सही मरने के बाद ही सही थोड़ा तो मातृत्व सुख मिल सके मुझे..!!

प्रेम जी, आप मेरे जीवन का वो हिस्सा जिसके बिना आपकी भावना अधूरी है !! और आपके साथ अपने आप मे सम्पूर्ण !!!
मैं ज्यादा नही लिखूंगी वरना आप रोने लगेंगे..! मुझे पता है रो तो आप अभी भी रहे होंगे, लैटर पढ़ कर ! पर ज्यादा लिखूंगी तो आप ज्यादा रोयेंगे !!

एक ओर बात याद आ गयी,....जानते हैं, जब आपसे मेरी शादी हुई थी तब मैं मन ही मन आपको बहुत कोसती थी..! कारण ये था कि, मुझे हमेशा सुधा दी कि पुरानी चीज़े दी जाती ! मेरे लिए कभी नया आया ही नही!! हम दोनो में ज्यादा अंतर जो नही था ! वही आपके केस में हुआ।
आपकी शादी होने वाली थी उससे, मगर उसने मना कर दिया और मेरी शादी करवा दी गयी।
तब भी मुझे यही लगा, सुधा का दूल्हा मुझे दिया जा रहा है..! पर जब आपके साथ ज़िन्दगी सामान्य हुई तब समझ आया, जो जिसकी किस्मत में ही वही मिलेगा ना !!।आप जब स्टार्टिंग में मेरे साथ अजीब व्यवहार करते थे तो बड़ा गुस्सा आता था मुझे।
एक तो मैंने आपसे शादी करके कितना बड़ा एहसान किया था आप पर और आप तो मुझे ऐसे ट्रीट करते जैसे एहसान आपने किया हो...!
पर जब हम दोनो प्रेम की भावना वाली डोर में बंधे तब समझ आया मुझे, पति-पत्नी के बीच की यही नोकझोंक तो उनके जीवन मे प्यार बढ़ाने का काम करती है।

ज्यादा नही लिखूंगी बोलकर भी बहुत सारा लिख दिया, जो भी दिमाग मे था इस वक़्त वो सब....! आज मुझे हॉस्पिटल में एडमिट होना है ! ईश्वर से प्रार्थना है आप हमेशा स्वस्थ, सुखी और सुरक्षित रहें.!! भगवान के पास जाकर भी आपके लिए ही प्रार्थना करूँगी मैं..!

चाहे आप मुझे देख नही पाएंगे पर मैं हमेशा आपको देखती रहूंगी..! मेरी खुशी के लिए प्रेम जी, हमेशा खुश रहिएगा !! आप को खुश देखकर मेरी आत्मा हमेशा तृप्त रहेगी।

आपकी और सिर्फ आपकी
अपने प्रेम की भावना


भावना का लैटर पढ़कर रोना तो बहुत आया पर उसने जो अंतिम पंक्ति लिखी, उसे पढ़कर मैंने अपने आंसू पोंछ लिए।
भावना ने जो रुपयों की बात कही, उसके बारे में सोचा मैंने।
रवि और मैं दोनो मिलकर उन रुपयों से एक हॉस्पिटल बनवाएंगे..!! और मैं अपने बच्चो को डॉक्टर बनाऊंगा ये भी तय कर लिया था।
रवि ही उस हॉस्पिटल का निर्माण करेगा और मेरे बच्चे भी उसी हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं देंगे भविष्य में से भी सोच लिया था..!
जितनी जल्दी हो सकेगा, भावना का सपना पूरा करना है अब तो...........


(समाप्त)