कुछ चित्र मन के कैनवास से - 16 - सी वर्ल्ड Sudha Adesh द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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कुछ चित्र मन के कैनवास से - 16 - सी वर्ल्ड

सी वर्ल्ड

सुबह सब जल्दी-जल्दी तैयार हो गए । शीघ्रता से नाश्ते के साथ पिंकी ने दोपहर में लंच के लिए उपमा भी तैयार कर लिया । लगभग 1 घंटे की ड्राइव के पश्चात हम सब सीवर्ल्ड पहुंच गए । उनके पास सी वर्ड के पास थे अतः शीघ्र ही प्रवेश मिल गया ।

बच्चों को राइड (झूला ) इत्यादि पसंद होती है । जब तक वे राइड करते, संगीता ने हमें 'वाइल्ड आर्कटिक' देखने की सलाह दी । जब हम 'वाइल्ड आर्कटिक' पहुंचे तो वहां दो पंक्तियां थीं । पूछने पर पता चला कि एक हेलीकॉप्टर राइड के लिए है तथा दूसरी सामान्य रूप से घूमने के लिए । हमने सोचा हेलीकॉप्टर राइड का अनुभव ले लिया जाए । हम हेलिकॉप्टर राइड वाली पंक्ति में जाकर खड़े हो गए । हमारा नंबर आया तो हम उसमें बैठ गए । यह हेलीकॉप्टर, हेलीकॉप्टर जैसा नहीं था । साइंसटिफिक इफैक्ट (वैज्ञानिक प्रभाव) के द्वारा दर्शनार्थियों को ऐसा महसूस कराया जा रहा था कि जैसे हम आर्कटिक रीजन में हैं । जब हेलीकॉप्टर राइड का अनुभव कर हम बाहर निकले तो बर्फ के बने पवेलियन में घूमने का मन बनाया । यह पवेलियन पूरा उसी तरह से बनाया और प्रोजेक्ट किया गया है जैसे आर्कटिक रीजन में होता है अर्थात पूरा बर्फ से बना हुआ । तापमान भी माइनस से नीचे ...इसमें बने छोटे-छोटे केबिन में पोलर बीयर तथा पेंगुइन घूमते मिले । हमारा यह एक नया अनुभव रहा ।

हम बाहर निकले ही थे कि संगीता का फोन आ गया... वे लोग एक पार्क में हमारा इंतजार कर रहे थे । जिस डायरेक्शन में उसने बताया हम उस ओर चलने लगे । शीघ्र ही वे मिल गए । अब हमें शामू स्टेडियम जाना था । शो का समय हो रहा था । लगभग डेढ़ घंटे का शो था । हम वहां पहुंच कर आगे बैठने लगे तो पिंकी ने कहा , 'यहां नहीं आंटी ...यहां बैठेंगे तो पूरे भीग जाएंगे । साथ में पूरा दृश्य दिखाई भी नहीं देगा ।'

हम उठ कर अब लगभग बीच वाली पंक्ति में जाकर बैठ गए । अभी लोग आ ही रहे थे अतः आराम से हम अपनी मनपसंद सीट चुन सकते थे । यह स्टेडियम हमारे देश के खेल स्टेडियम जैसा ही है... अंतर सिर्फ इतना है कि खेल के स्टेडियम में चारों ओर बैठने की व्यवस्था होती है पर इसमें सिर्फ एक और बैठने की व्यवस्था है । सामने बने तालाब में शामू (शार्क ) शो की व्यवस्था है । व्हीलचेयर वालों के लिए अलग से व्यवस्था देखकर हमें सुखद आश्चर्य हुआ । हमें बताया गया कि यहां अमेरिका में विकलांग लोगों को हर जगह विशेष सुविधा मिलती है ।

शो प्रारंभ हुआ । शामू स्टेडियम में उपस्थित शार्क (एक बड़ी समुद्री मछली) को आदेश देने के लिए वहां कई आदमी तथा औरत (इंस्ट्रक्टर) उपस्थित थे । उनके इशारे पर यह शार्क मछलियां अपने केबिन से बाहर आतीं तथा पानी में विभिन्न प्रकार के करतब दिखाकर अंदर चली जातीं । वे संख्या में 8 थीं । हमें आश्चर्य तो उनकी चुस्ती और फुर्ती को देखकर हो रहा था तथा यह सोचकर भी कि बेजुबान प्राणी को कैसे इतना सब सिखाया गया होगा । शार्क मछली का एक ग्रुप अपना करतब दिखा कर जाता तो तुरंत ही दूसरी चार मछलियां निकलकर अपना करतब दिखाने लगतीं । उनका पानी में दौड़ते-दौड़ते नाचना, कभी खड़े होना तो कभी तेजी से डुबकी मार कर बाहर आना वह भी सबका एक साथ... शो की निरंतरता तथा उनके गाइड की फुर्ती देखकर हम सब चकित थे । हर शो के पश्चात शार्क मछली के मुंह में मछली डालकर उनके मास्टर उन्हें पुरस्कृत कर रहे थे । आश्चर्य तो तब हुआ जब पानी में विद्युत गति से दौड़ती एक शार्क मछली के साथ पानी में तैरते उनके एक इंस्ट्रक्टर ने शार्क के मुंह पर खड़े होकर वाहवाही बटोरी । यह दृश्य न केवल हमारी आंखों में वरन हमारे कैमरे में भी कैद हो गया ।

इसके पश्चात हम बाद में 'व्हेल एंड डॉल्फिन थिएटर ' में गए । खाना तो हमने पहले ही खा लिया था । इस समय आदेश जी आइसक्रीम लेकर आ गए । बच्चे तो आइसक्रीम प्राप्त कर खुश हुए ही, उनके साथ हमें भी आइसक्रीम खाने को मिल गई। डॉल्फिन थिएटर भी लगभग शामू शो के थियेटर जैसा ही था । यहां बस पर शार्क की जगह डॉल्फिन थीं । ये भी पानी में अपने-अपने इंस्ट्रक्टर के इशारे पर विभिन्न प्रकार के करतब दिखा रही थीं । कभी वह पानी में दौड़ रही थीं तो कभी पानी से एक साथ निकल कर कई फीट उछलकर फिर पानी में डुबकी लगा देतीं थीं । उनकी तेजी और फुर्ती के साथ उनकी लयबद्धता हमें आश्चर्यचकित कर रही थी । टी.वी. या पिक्चर में तो इस तरह के शो हमने कई बार देखे हैं पर अपनी आंखों से इस शो को देखना अच्छा लग रहा था । इसके अतिरिक्त इसके पूरे शो में संगीत के सुमधुर लहरी हमारा मन मोह रही थी वहीं शो के बीच-बीच में परिनुमा बालाएं आकाश में अपना करतब दिखाकर, दर्शकों का मनोरंजन भी कर रही थीं ।

डॉल्फिन शो का आनंद लेने के पश्चात हम मनता एक्वेरियम में गए । यह काफी बड़ा एक्वेरियम है । स्टार फिश, इलेक्ट्रिक फिश, ऑक्टोपस के अतिरिक्त सैकड़ों तरह की रंग बिरंगी मछलियां वहां तैरती दिख रही थीं । सबसे अच्छी बात तो यह थी कि हमें यहां चलना नहीं पड़ रहा था । हम एक फ्लैट एक्सलेटर पर खड़े हो गए तथा वह धीरे-धीरे खिसकती जा रही थी और हमने सारा एक्वेरियम घूम लिया । इस एक्वेरियम में अगल-बगल ही नहीं सिर के ऊपर बने चेंबर में भी फिश तैर रही थीं । वास्तव में यह एक्वेरियम जमीन से छत तक अंग्रेजी के उलटे यू की तरह बना खूबसूरत एक्वेरियम है जिसमें मछलियां ही नहीं हजारों की संख्या में समुद्री जीव जंतुओं के अतिरिक्त छोटे क्लाउन फिश से बड़ा ऑक्टोपस भी दिखा जिन्हें देखना न केवल बच्चों वरन बड़ों के लिए भी आनंददाई और शिक्षाप्रद है ।

इस मनता एक्वेरियम के पास ही 'जर्नी टू अटलांटिस' है । पेंगुइन इनकाउंटर पर सरसरी निगाह डालते हुए हम 'सी लायन एन्ड ओटर स्टेडियम' पहुंचे । शो प्रारंभ होने ही वाला था । सी लायन हम पहली बार देख रहे थे । यह काले भूरे रंग का भारी शरीर वाला जंतु है पर भारी शरीर होने के बावजूद इसने अपने मालिक के आदेश पर पानी में कई तरह के करतब दिखाए । अंत में उसने अपना पिछला पैर उठाकर अभिवादन किया तब आवाज आई...शामू कैन यू डू इट ?

यहां स्काईटावर भी है जिसके द्वारा ऊपर जाने पर सी वर्ल्ड तथा आसपास के एरिया को देखा जा सकता है । पिंकी और शुभ्रांशु जी ने हमसे फायरवर्क का आनंद लेने के लिए कहा पर हमने मना कर दिया क्योंकि फायर वर्क्स का समय रात 9:30 बजे से था । अगर वह देखते तो घर पहुंचने में काफी रात हो जाती है । इसके अलावा साथ में छोटे बच्चे भी थे । वे भी काफी थके हुए लग रहे थे । शाम हो चली थी घर पहुंचने में अभी एक घंटा और लगता। वैसे भी हम बहुत ज्यादा स्ट्रेन नहीं लेना चाहते थे क्योंकि दूसरे दिन सुबह ही हमें नासा के लिए निकलना था । सबसे अच्छी बात जो इन जगहों में हमें लगी वह थी जगह-जगह रेस्ट रूम (वॉशरूम ) का होना । विकलांगों तथा बच्चों के लिए विशेष सुविधा है मसलन व्हीलचेयर, स्ट्रॉली के अतिरिक्त स्टेडियम में जाने और बैठने के लिए विशेष जगह और रास्ते ...खाने-पीने के लिए रेस्टोरेंट, यहां तक की नर्सिंग एरिया फॉर बेबीस भी है । इन सब जगह को मैप में भली-भांति दर्शाया गया है । जबकि हमारे भारत में अच्छे से अच्छे दर्शनीय स्थलों पर भी इन चीजों की कमी है अगर कहीं यह सेवाएं उपलब्ध भी हैं तो साफ सफाई नहीं रहती है ।

हम सब थक गए थे अतः सोचा अब घर जाकर खाना कौन बनाएगा !! अतः मार्ग में स्थित रेस्टोरेंट से पिज्जा पैक करा लिया । घर पहुंच कर एक कप गर्म चाय के साथ थकान मिटाई तथा पिज्जा खाकर विश्राम करने चले गए ।

सुधा आदेश

क्रमशः